मध्यप्रदेश की शासन व्यवस्था | Government of Madhya Pradesh
मध्यप्रदेश की शासन व्यवस्था
भारतीय संविधान में केन्द्र के साथ-साथ राज्यों में भी संसदीय शासन व्यवस्था का प्रावधान किया गया है। इसलिए, केन्द्र सरकार के समान राज्यों में भी शक्तियों का विभाजन शासन के विभिन्न अंगों के माध्यम से किया गया है।
मध्यप्रदेश की शासन व्यवस्था के अंग
व्यवस्था | अंग |
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राज्य की विधायिका | राज्यपाल विधानसभा |
राज्य की कार्यपालिका | मुख्यमंत्री एवं मत्रिपरिषद प्रशासनिक अधिकारी |
राज्य की न्यायपालिका | उच्च न्यायालय अधीनस्थ न्यायलय |
स्थानीय स्वशासन | पंचायती राज नगरीय स्वशासन |
संसद में राज्य का प्रतिनिधित्व | 29 प्रतिनिधि निर्वाचन प्रत्यक्ष जनता द्वारा कार्यकाल 5 वर्ष |
लोकसभा में राज्य सभा में | 11 प्रतिनिधि निर्वाचन अप्रत्यक्ष विधायक द्वारा कार्यकाल 6 वर्ष |
राज्य की विधायिका- मध्यप्रदेश
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद-168-177 में राज्य की विधायिका से संबंधित प्रावधान किया गया है।
- मध्य प्रदेश में एक सदनात्मक राज्य विधायिका (विधानसभा) है।
- वर्ष 1976 में विधानसभा सदस्यों की संख्या 296 तथा 1999 में 320 हो गई थी। वर्ष 2000 में मध्य प्रदेश के विभाजन एवं छत्तीसगढ के निर्माण के पश्चात् प्रदेश में विधान सभा में सीटों की संख्या 230 रह गई। जिममें148 सदस्य सामान्य क्षेत्रों से 35 सदस्य अनुसूचित जातियों से एवं 47 सदस्य अनुसूचित जनजाति क्षेत्र से निर्वाचित होते हैं। इसके अतिरिक्त, अनुच्छेद 333 के अंतर्गत एंग्लों इंडियन समुदाय के एक सदस्य को भी राज्यपाल द्वारा मनोनीत किेया जाता है।
मध्य प्रदेश विधानसभा में सदस्य संख्या
वर्ष | विधानसभा (निर्वाचित+मनोनीत) आरक्षित |
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1957 | 288 (43एसी), (54 एसटी) |
1976 | 296 |
1999 | 320 |
2000 | (230+1)+ 231 ( 35 एसी) (47 एसटी) |
राज्य विधानमण्डल
विधानमण्डल राज्यपाल एवं विधान सभा से मिलकर बना होता है।
राज्यपाल- मध्यप्रदेश
- भारतीय संविधान में भाग-6 के अनुच्छेद 153 के अंतर्गत यह प्रावधान है कि, प्रत्येक राज्य में एक राज्यपाल होगा। राज्यपाल राज्य का संवैधानिक प्रमुख होता है। 7वें संविधान संशोधन 1956 द्वारा यह भी प्रावधान किया गया है कि, राज्यपाल एक ही समय पर दो या दो से अधिक राज्यों का राज्यपाल नियुक्त किया जा सकता है।
- राज्यपाल राज्य का प्रथम नागरिक होता है। अनुच्छेद 154 के अनुसार, राज्यपाल राज्य का प्रमुख होने के साथ-साथ केन्द्र सरकार के प्रतिनिधि के रूप में भी कार्य करता है।वह राज्य की कार्यपालिका का प्रमुख होता है और अपनी कार्यपालिका शक्तियों का प्रयोग मुख्यमंत्री के नेतृत्व में गठित मंत्रिपरिषद् की सलाह से करता है।
- अनुच्छेद 155 के अंतर्गत राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा की जाती है तथा अनुच्छेद 156(क) के अंतर्गत राज्यपाल का कार्यकाल 5 वर्ष निर्धारित किया गया है, किंतु अपना कार्यकला पूर्ण होने से पूर्व भी राज्यपाल राष्ट्रपति को त्याग पत्र देकर पद का त्याग कर सकता है।
राज्यपाल पद हेतु अर्हताएँ
अनुच्छेद 157 व अनुच्छेद 158 के अंतर्गत किसी व्यक्ति में राज्यपाल पद के लिए निम्नलिखित योग्यताएं होनी आवश्यक हैं-
- वह भारत का नागरिक हो
- 35 वर्ष की न्यूनतम आयु पूर्ण क चुका हो।
- वह किसी भी लाभ के पद पर न हो।
- राज्यपाल , संसद व विधानसभा/विधानमंडल में किसी भी सदन का सदस्य नहीं होगा।
राज्यपाल की शपथ
- अनुच्छेद 159 के अंतर्गत , राज्यपाल की शपथ संबंधित प्रावधान किये गये हैं। राज्यपाल संविधान के संरक्षण व सुरक्षा की शपथ राज्य के उच्च् न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष ग्रहण करता है।
राज्यपाल के वेतन एवं भत्ते
- राज्यपाल के वेतन, भत्ते और अन्य परिलब्धियों का निर्माण संसद द्वारा विधि बनाकर किया जाता है।
- सितंबर 2008 में संसद द्वारा पारित राज्यपाल की परिलब्ध्यिां, भत्ते एवं विशेषाधिकार (संशोधन अधिनियम-2008) के अनुसार राज्यपाल का वेतन 36000 से बढ़ाकर 110000 रूपए कर दिया गया है। तथा बजट 2018-19 में राज्यपालों का वेतन 350000 रूपया करने की घोषणा की गई है।
- राज्यपाल के वेतन और भत्तों को उसकी पदावधि के दौरान कम नहीं किया जा सकता है। राज्यपाल के वेतन एवं भत्ते राज्य की संचित निधि (अनुच्छेद 266) पर भारित होते हैं। इसलिए विधानसभा को इस पर मतदान का अधिकार नहीं होता है।वह संसद द्वारा निर्धारित सभी प्रकार की परिलब्धियों का अधिकारी होता है।
- अनुच्छेद 158 (3क) के अंतर्गत जब एक ही व्यक्ति को दो या दो से अधिक राज्यों का राज्यपाल नियुक्त किया जाता है, तब उसे दिया जाने वाला वेतन एवं भत्ता उन राज्यों के मध्य ऐसे अनुपात में आवंटित किया जाता है जो राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित किया जाता है।
राज्यपाल का विशेषाधिकार
- संविधान के अनुच्छेद 361 के अंतर्गत राष्ट्रपति एवं राज्यपाल को अनेक विशेषाधिकार प्रदान किए गए हैं। राज्यपाल अपने पद पर रहते हुए अपने द्वारा किए गए कार्यों के लिए किसी भी न्यायिक अभियोग के लिए उत्तरदायी नहीं होता है।
- राज्यपाल के व्यक्तिगत कार्यों के लिए उसके पदधारण के दौरान उसे विरूऋ केवल सिविल मुकदमा चलाया जा सकता है, परन्तु कोई फौजदारी मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है।
राज्यपाल की कार्यकारी शक्तियां
- संविधान के अनुच्छेद 164(1) के अंतर्गत, राज्यपाल मुख्यमंत्री की नियुक्ति करता है तथा मुख्यमंत्री की सलाह से अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करता है तथा उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाता है।
- अनुच्छेद 167 के अनुसार राज्यपाल राज्य के प्रशासन और विधायी विषयों से संबंधित कोई भी जानकारी मुख्यमंत्री से मांग सकता है तथा किसी मंत्री द्वारा लिए गए निर्णय को विचार के लिए मंत्रिपरिषद के समक्ष रख सकता हैं
- राज्य में संवैधानिक तंत्र विफल हो जाने पर राज्यपाल अनुच्छेद 356 के अंतर्गत राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा कर सकता है।
राज्यपाल की विधायी शक्तियां
- अनुच्छेद 168 के प्रावधानों के अंतर्गत, राज्यपाल राज्य विधायिका का अभिन्न अंग होता है तथा अनुच्छेद 333 के प्रावधानों के अनुसार , यदि राज्यपाल को यह विश्वास हो जाए कि, आंग्ल भारतीय समुदाय का विधानसभा में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है, तो वह आंग्ल भारतीय समुदाय के एक सदस्य को विधानसभा में मनोनीत कर सकता है।
- राज्यपाल राज्य विधानसभा के सत्र को आहूत (सत्र का प्रारंभ) तथा सत्रावसान (सत्र की समाप्ति) करता है तथा सदन को विघटित (भंग) भी कर सकता हैं
- नई विधानसभा के गठन के पश्चात् पहली बैठक एवं प्रत्येक वर्ष का प्रथम अधिवेशन राज्यपाल के अभिभाषण से आरंभ किया जाता है।
- संविधान के अनुच्छेद 213 के अंतर्गत राज्यपाल को अध्यादेश जारी करने की विधायी शक्ति प्रदान की गई है, जो उस समय प्रयोग की जाती है जब राज्य की विधानसभी का सत्र नहीं चल रहा हो।
- अध्यादेश को स्थायी स्वरूप प्रदान करने हेतु आवश्यक है कि , राज्य विधानसभी पुनः सत्र के में आने के 6 सप्ताह के अंदर विधि बनाकर उसे स्वीकृत करे अन्यथा 6 सप्ताह की अवधि के पश्चात् अध्यादेश प्रभावहीन होकर स्वतः समाप्त हो जाता है।
- इसके अतिरिक्त राज्य विधानसभी यदि 6 सप्ताह के अंदर राज्यपाल द्वारा जारी अध्यादेश को खारिज करने का संकल्प पारित कर देती है तो वह प्रभावहीन हो जायेगा।
राज्यपाल की वित्तीय शक्तियां
- अनुच्छेद 202 के अंतर्गत राज्यपाल को प्रत्येक वित्तीय वर्ष के प्रारंभ में आगामी वित्तीय वर्ष में अनुमानित आय-व्यय का वार्षिक वित्तीय विवरण (बजट) वित्त मंत्री के द्वारा विधानसभा के समक्ष रखवाता हैं
- राज्यपाल की पूर्व सहमति के बिना धन विधयेक को राज्य विधानष्भी में प्रस्तुत नहीं किया जा सकता है।
- राज्यपाल राज्य वित्त आयोग तथा नियंत्रक व महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट को राज्य विधानसभी के पटल पर रखवाता है।
- राज्यपाल ग्राम पंचायतों एवं नगरपालिकाओं की वित्तीय स्थिति की समीक्षा के लिए प्रत्येक पॉच वर्ष पर राज्य वित्त आयोग का गठन करता है।
राज्यपाल की न्यायिक शक्तियाँ
- अनुच्छेद 161 के अंतर्गत राज्यपाल की राज्य सूची व समवर्ती सूची के विषयों पर आधारित कानूनों (विधि) के अनुसार क्षमादान की शक्तियां प्राप्त हैं।
- राज्यपाल किसी दोषी व्यक्ति के दण्ड को कम कर सकता है या दण्ड की प्रकृति में परिवर्तन कर सकता है।
- राज्यपाल राज़्य के उच्च अधिकारियों जैसे महाविधवक्ता, राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति करता हैं
- अनुच्छेद 217(1) के अंतर्गत राज्यपाल राज्य के उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति के संबंध में राष्ट्रपति को परामर्श देता है।
- अनुच्छेद 233 के अंतर्गत राज्यपाल जिला स्तर पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश की नियुक्ति उच्च न्यायालय के परामर्श द्वारा करता है।
- अनुच्छेद 234 के अंतर्गत राज्यपाल राज्य न्यायिक आयोग से संबंधित व्यक्तियों की नियुक्ति राज्य के उच्च न्यायालय एवं राज्य लोक सेवा आयोग के परामर्श से करता हैं
- राज्यपाल की विवेकाधीन शक्तियाँ
- अनुच्छेद 200 के अनुसार , राज्यपाल राज्य विधानसभा द्वारा पारित किसी विधयेक को राष्ट्रपति के विचार हेतु आरक्षित कर सकता है।
- अनुच्छेद 356 के अंतर्गत, राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता पर राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा कर सकता है।
- स्पष्ट बहुमत प्राप्त न होने की स्थिति में अथवा गठबंधन दल या बहुमत प्राप्त दल का नेता न चुने जानेकी स्थिति में स्वविवेक से मुख्यमंत्री की नियुक्ति कर सकता है।
- यदि राज्यपाल को यह प्रतीत हो कि, विधानसभा में सरकार का बहुमत समाप्त हो गया है तो वह मुख्यमंत्री को बहुमत सिद्ध करने अथवा त्यागपत्र देने के लिए कह सकता हैं
- यदि विधानसभा द्वारा अविश्वास प्रस्ताव पारित कर दिया गया है और मंत्रिपरिषद त्यागपत्र देने को तैयार नहीं है तो राज्यपाल मंत्रिपरिषद को भंग कर सकता है।
- राज्यपाल विशेष परिस्थतियों में स्वविवेक से विधानसभा का अधिवेशन बुला सकता है।
राज्यपाल के संबंध में विशिष्ट तथ्य
- श्रीमती सरोजनी नायडू का कथन है कि, राज्यपाल सोने के पिंजरे में निवास करने वाली चिडि़या के समान है।
- मध्यप्रदेश के प्रथम राज्यपाल डॉ. बी. पट्टाभि सीतारमैया थे, तथा प्रथम महिला राज्यपाल श्रीमती सरला ग्रेवाल थी।
- मध्य प्रदेश में कुल 5 बार कार्यवाह राज्यपालों की नियुक्ति हो चुकी है। प्रदेश के प्रथम कार्यवाहक राज्यपाल जस्टिस पी.वी. दीक्षित थे।
- मध्यप्रदेश में राज्यपाल के रूप में सर्वाधिक लंबा कार्यकाल श्री हरि विनायक पाटस्कर तथा सबसे छोटा कार्यकाल जस्टिस पी.वी. दीक्षित का था।
- मध्य प्रदेश के वर्तमान राज्यपाल श्री लालजी टंडन हैं।
मध्यप्रदेश के राज्यपाल की सूची
राज्यपाल | कार्यकाल |
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श्री बी. पट्टाभि सीतारमैया | 01.11.1956 to 13.06.1957 |
श्री हरी विनायक पटास्कर | 14.06.1957 to 10.02.1965 |
श्री के.सी. रेड्डी | 11.02.1965 to 02.02.1966 |
जस्टिस पी.वी. दीक्षित (एक्टिंग) | 03.02.1966 to 09.02.1966 |
श्री के.सी. रेड्डी | 10.02.1966 to 07.03.1971 |
श्री सत्यनारायण सिन्हा | 08.03.1971 to 13.10.1977 |
श्री निरंजन नाथ वांचू | 14.10.1977 to 16.08.1978 |
चिप्पुदिरा मुथाना पुनाचा | 17.08.1978 to 29.04.1980 |
श्री भगवत दयाल शर्मा | 30.04.1980 to 25.05.1981 |
जस्टिस जी.पी. सिन्हा (एक्टिंग) | 26.05.1981 to 09.07.1981 |
श्री भगवत दयाल शर्मा | 10.07.1981 to 20.09.1983 |
जस्टिस जी.पी. सिन्हा (एक्टिंग) | 21.09.1983 to 07.10.1983 |
श्री भगवत दयाल शर्मा | 08.10.1983 to 14.05.1984 |
श्री के.एम. चान्डी | 15.05.1984 to 30.11.1987 |
जस्टिस एन.डी. ओझा (एक्टिंग) | 01.12.1987 to 29.12.1987 |
श्री के.एम. चान्डी | 30.12.1987 to 30.03.1989 |
श्रीमती सरला ग्रेवाल | 31.03.1989 to 05.02.1990 |
कुंवर मेहमूद अली खान | 06.02.1990 to 23.06.1993 |
डॉ. मोहम्मद शफी कुरैशी | 24.06.1993 to 21.04.1998 |
डॉ. भाई महावीर | 22.04.1998 to 06.05.2003 |
श्री राम प्रकाश गुप्त | 07.05.2003 to 01.05.2004 कार्यकाल के दौरान मृत्यु |
श्री कृष्ण मोहन सेठ (एक्टिंग) | 02.05.2004 to 29.06.2004 |
डॉ. बलराम जाखड़ | 30.06.2004 to 29.06.2009 |
श्री रामेश्वर ठाकुर | 30.06.2009 to 07.09.2011 |
श्री रामनरेश यादव | 08.09.2011 to 07.09.2016 |
श्री ओ.पी. कोहली | 08.09.2016 to जनवरी 2018 |
श्रीमती आनंदीबेन पटेल | जनवरी 2018 to 28 जुलाई 2019 |
श्री लाल जी टंडन | 29 जुलाई 2019 से लगातार |
thank you sir
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