मध्य प्रदेश में 11 राष्ट्रीय उद्याान तथा 31 से अधिक राष्ट्रीय अभ्यारण
हैं।
मध्य प्रदेश के 6 राष्ट्रीय उद्यान
प्रोजेक्ट टाईगर के अंतर्गत शामिल हैं।
वन्य जीव अभ्यारण
रातापानी प्रोजेक्ट टाईगर में शामिल है।
म.प्र. का सबसे बड़ा
राष्ट्रीय उद्यान कान्हा किसली क्षेत्रफल 940 वर्ग कि.मी. है।
म.प्र. का सबसे छोटा
राष्ट्रीय उद्यान जीवाश्म राष्ट्रीय उद्याान है। जिसका क्षेत्रफल 0.27 वर्ग कि.मी. है।
देश में राष्ट्रीय
उद्यानों एवं अभ्यारणों की दृष्टि से प्रथम स्थान है।
विश्व में प्रोजेक्ट
टाइगर के जन्मदाता गेनी मेनफोर्ड है, जबकि भारत में इसके जन्मदाता कैलाश सांखिल्य है।
म.प्र. का सबसे बडाअभ्यारणनौरादेही सागर में जो 1194.670 वर्ग किमी. है।
सबसे छोटा अभ्यारणरालामण्डल है।
खरमौर पक्षी के
संरक्षण के लिए सरदारपुर (धार), सौलाना (रतलाम) अभयारय हैं।
लुप्तप्राय सोन
चिडिया के संरक्षण के लिए करेरा (शिवपुरी) घटीगॉव (ग्वालियर) अभयारण्य है।घडियाल
के संरक्षण के लिए चम्बल (मुरैना), केन (छतरपुर) सोन (शहडोल) अभयारण्य हैं।
पालनपुर कुनो
(मुरैना) अभ्यारण में गिर राष्ट्र्ीय उद्यान (गुजरात) से एशियाई शेरों (बब्बर) को
स्थानांतरण करने का प्रस्ताव है।
बांधवगढ राष्ट्रीयउद्यान सफेद शेरों के लिए
प्रसिद्ध है।
पन्ना स्थित अभ्यारणजंगली भैसा के लिए
राष्ट्र्ीय उद्यान हेतु प्रस्तावित है।
प्रदेश का एकमात्र
सर्प उद्यान भोपाल में है।
प्रदेश में दुर्लभ
प्रजाति ब्रेेडरी का बारहसिंग प्रदेश के एकमात्र राष्ट्र्ीय उद्यान कान्हा किसली
में पाया जाता है।
बांधवगढ राष्ट्रीयउद्यान सर्वाधिक घनत्व
वाला (शेरों की दृष्टि से) उद्यान है जिसमें प्रत्येक 8 वर्ग कि.मी. पर एक शेर
पाया जाता है।
म.प्र. के पन्ना
रेप्टाइल पार्क है जो प्रदेश में सर्वाधिक है।
म.प्र. के कान्हा
किसी राष्ट्रीयउद्यान में ’हालोघाटी’ तथा बंजर घाटी स्थित है।
रीवा जिले के मुकुंदपुर
में व्हाइट टाइगर सफारी का निर्माण किया जा रहा है।
राजकीय पक्षी ’दूधराज’ के संरक्षण हेतु सरदारपुर
अभ्यारण्य है।
केन्द्रीय वन एवं
पर्यावरण मंत्रालय द्वारा पंचमढी को ’बायो स्फेयर’ रिजर्व क्षेत्र घोषित किया गया है। यह म.प्र. का पहला
तथा देश का दसवा बायोस्फेयर रिजर्व होगा।
सबसे अधिक पर्यटकों
को आकर्षित करने वाले कान्हा किसली राष्ट्र्ीय उद्यान हैं
वन्य प्राणी संरक्षण
के लिए ’कान्हा किसली राष्ट्र्ीय
उद्यान’ में प्रशिक्षण की व्यवस्था
की गई है।
वन्य प्राणी संरक्षण
अधिनियम 1972
के
तहत् 1997 से प्रदेश के सभी टाइगर प्रोजेक्ट
में टाइगर फाउण्डेशन सोसायटी की स्थापना की गयी है।
म.प्र. सरकार ने 1 नवम्बर 1981 को बारहसिंगा हिरण को
राज्य पशु तथा ’दूधराज’ या शाह बुलबुल (पैराडाइज
फ्लाईकेचर) को राज्य पक्षी घोषित किया है।
म.प्र के कान्हा
किसली तथा बांधवगढ राष्ट्रीयउद्यानों को जंगल गलियारा योजना के तहत् जोडने का
प्रस्ताव है।
भोपाल का वन विहार
राष्ट्रीयउद्यान एक अनोखा
राष्ट्र्ीय उद्यान है, जिसे आधुनिक चिडियाघर के रूप में भी मान्यता प्राप्त है।
गिद्ध प्रजाति के
संरक्षण हेतु प्रोजेक्ट अस्तित्व गॉंधी सागर अभ्यारण्य में शुरू किया गया है।
म.प्र. का पेंच राष्ट्रीयउद्यान-इंदिरा गॉधी
प्रियदर्शनी राष्ट्रीयउद्यान के नाम से जाना जाता है।
माधवगढ राष्ट्रीयउद्यान शिवपुरी में एक
पहाडी के शिखर पर ’जार्ज कैसल’ नामक एक भव्य-भवन बना हुआ है।
म.प्र. के राष्ट्रीयउद्यानों में सर्वाधिक
पाया जाने वाला पशु चीतल है
संजय अभ्यारणका पुराना नाम डुबरी
अभयारण्य है।
बांधवगढ राष्ट्रीयउद्यान 32 पहाडियों से घिरा है।
सतपुडा राष्ट्रीयउद्यान में कृष्ण मृगों की
बहुतायत है।
भारत का सबसे छोटे
पक्षी फुलचुकी एवं सबसे ऊॅंचा पक्षी सारस दोनों म.प्र. में पाये जाते है।
कान्हा क्षेत्र 1933 में अभ्यारणव 1955 में राष्ट्रीयउद्यान का दर्जा दिया गया।
प्रोजेक्ट टाइगर का
आरम्भ सर्वप्रथम म.प्र0 कान्हा राष्ट्रीयउद्यान से हुआ।
रीवा जिला सफेद बाघ
के लिए प्रसिद्ध है।
प्रदेश का प्रथम
जीवाश्म उद्यान डिण्डौरी में स्थित है
प्रदेश में प्रोजेक्ट
एलीफेंट व प्रोजेक्ट हगल भी चल रहे हैं।
म.प्र के कान्हा किसली
राष्ट्रीयउद्यान में अमेरिका का
नेशनल पार्क सर्विसके सहयोग से पार्क इण्टरप्रिटेशन योजना लागू की गई है।
सिरपुर तालाब
इन्दोैर को पक्षी विहार की मंजूरी 2012 में मिली है ।
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