अब तक की प्रमुख महामारियाँ | Pramukh mahamari | Major Epidemics


जस्टिनियन प्लेग (Justinian Plague)

  • यह रिकॉर्ड किये गए इतिहास में सबसे घातक महामारियों में से है जिसकी उत्पति मिस्र में 6वीं शताब्दी में हुई थी। इसका प्रसार तेज़ी से पूर्वी रोमन साम्राज्य में हो गया। प्लेग का नाम पूर्वी रोमन साम्राज्य से तात्कालिक सम्राट जस्टिनियन के नाम पर 'जस्टिनियन प्लेग' पड़ा।
  • इस महामारी के कारण लगभग 25 से 100 मिलियन लोग मारे गए। इस महामारी के समय पूर्वी रोमन साम्राज्य में इटली, रोम और उत्तरी अफ्रीका सहित संपूर्ण भूमध्यसागरीय तट शामिल था।
  • 750 ईस्वी तक प्लेग का बार-बार प्रकोप रहा जिससे पूर्वी रोमन साम्राज्य आर्थिक रूप से बहुत कमज़ोर हो गया तथा प्लेग के प्रकोप के समाप्त होने तक रोमन साम्राज्य ने यूरोप में जर्मन-भाषी फ्रैंक्स क्षेत्र खो दिया तथा मिस्र एवं सीरिया अरब साम्राज्य के नियंत्रण में आ गया था।

ब्लैक डेथ (Black Death)

  • ब्लैक डेथ महामारी को मानव इतिहास में दर्ज सबसे घातक महामारी माना जाता है। इस महामारी का प्रभाव 14वीं शताब्दी के दौरान यूरोप और एशिया महाद्वीपों में रहा।
  • इस महामारी के दौरान 75 से 200 मिलियन लोग मारे गए। इसकी शुरुआत 1340 के प्रारंभिक दशक से मानी जाती है जिसका प्रभाव चीन, भारत, सीरिया और मिस्र के बाद 1347 में यूरोप तक हो गया। इस महामारी के कारण यूरोप की लगभग 50% आबादी खत्म हो गई।
  • महामारी के लिये यूरोप में यहूदियों को जिम्मेदार ठहराया गया तथा यहीं से यूरोप में यहूदियों का उत्पीड़न प्रारंभ हुआ।

स्पैनिश फ़्लू (Spanish Flu)

  • स्पैनिश फ़्लू, महामारी का प्रभाव प्रथम विश्व युद्ध के अंतिम चरण के दौरान रहा।  यह 20वीं शताब्दी की सबसे घातक महामारी थी जिसमें लगभग 50 मिलियन लोगों की मौत हुई थी। स्पैनिश फ्लू को सबसे पहले यूरोप में दर्ज किया गया, जिसका बाद में अमेरिका और एशिया में तेज़ी से प्रसार हुआ। भारत में इस महामारी से लगभग 17 से 18 मिलियन लोगों की मृत्यु हो गई।
  • महामारी का प्रमुख प्रभाव प्रथम विश्व युद्ध के परिणाम पर रहा। हालाँकि फ्लू से विश्व युद्ध में शामिल दोनों तरफ लोग मारे गए थे परंतु जर्मन और ऑस्ट्रियाई सेनाएँ इससे बुरी तरह से प्रभावित हुई।

फ्लू (1889-1890)

  • इसे शुरुआत में एशियाई फ्लू या रूसी फ्लू नाम दिया गया था. यह भी ए ग्रेड का इंफ्लूंजा है, जो H2N2 से फैलता है. कई शोध में इसकी वजह ए ग्रेड के H3N8 वायरस को भी माना गया है. इसका पहला मामला साल 1889 में मध्य एशिया के तुर्किस्तान में आया था.
  • इसके बाद, उत्तर-पश्चिमी कनाडा, ग्रीनलैंड में बढ़ते शहरीकऱण ने इस बीमारी को तेजी से फैलाया. इसके बाद इस बीमारी की चपेट में पूरी दुनिया आ गई. इसे बैक्टिरिया और वायरस से फैलने वाली पहली महामारी माना जाता है. 1890 तक इसने 10 लाख लोगों को मारा.

स्वाइन फ्लू (Swine Flu)

वर्ष 2009-10 में H1N1 वायरस के कारण होने वाली फ्लू महामारी में दुनिया भर से लगभग आधे मिलियन लोगों की मृत्यु हुई थी।
वर्ष 1918 में स्पेनिश फ्लू में लगभग 50 मिलियन लोग मारे गए।
  • यह H1N1 नामक फ्लू वायरस के कारण होता है। H1N1 एक प्रकार का संक्रामक वायरस है, यह सूअर, पक्षी और मानव जीन का एक संयोजन है, जो सूअरों में एक साथ मिश्रित होते हैं और मनुष्यों तक फैल जाते हैं।
  • H1N1 एक प्रकार से श्वसन संबंधी बीमारी का कारण बनता है जो कि बहुत संक्रामक होता है।
  • H1N1 संक्रमण को स्वाइन फ्लू के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि अतीत में यह उन्हीं लोगों को होता था जो सूअरों के सीधे संपर्क में आते थे।
  • H1N1 की तीन श्रेणियाँ हैं - A, B और C
  • A और B श्रेणियों को घरेलू देखभाल की आवश्यकता होती है, जबकि श्रेणी C में तत्काल अस्पताल में भर्ती कराने और चिकित्सा की आवश्यकता होती है क्योंकि इसके लक्षण और परिणाम बेहद गंभीर होते हैं और इससे मृत्यु भी हो सकती है।
  • स्वाइन फ्लू इन्फ्लूएंजा टाइप ए वायरस का ही दूसरा नाम है जो सूअरों (स्वाइन) को प्रभावित करता है। हालाँकि स्वाइन फ्लू आमतौर पर मनुष्यों को प्रभावित नहीं करता है, लेकिन 2009-2010 में इसने एक वैश्विक प्रकोप (महामारी) का रूप धारण कर लिया था, तब 40 वर्षों से अधिक समय के बाद फ्लू के रूप में कोई महामारी पूरी दुनिया में फैली थी।


कोरोनोवायरस (coronavirus)

  • WHO के अनुसार, COVID-19 में CO का तात्पर्य कोरोना से है, जबकि VI विषाणु को, D बीमारी को तथा संख्या 19 वर्ष 2019 (बीमारी के पता चलने का वर्ष ) को चिन्हित करता है।
  • इसके सामान्य लक्षणों में खाँसी, बुखार और श्वसन क्रिया में रुकावट मुख्य लक्षण हैं।
  • स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय ने कोरोना वायरस से बचने के लिये दिशानिर्देश जारी किये हैं:
  • हाथों को साबुन से धोना चाहिये, अल्कोहल आधारित हैंड रब का इस्तेमाल भी किया जा सकता है, खांसते और छिंकते समय नाक और मुंह पर रुमाल या टिश्‍यू पेपर से ढँककर रखें।
  • इस वायरस का संक्रमण दिसंबर में चीन के वुहान में शुरू हुआ था।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation-WHO) ने COVID-19 को महामारी घोषित किया है। 

सर्वधिक खतरनाक 10 वायरस

मारबुर्ग वायरस
मारबुर्ग वायरस को विश्व का सबसे खतरनाक वायरस माना जाता है। यह रक्तस्रावी बुखार का वायरस है। इस वायरस से 90% मामलों में पीड़ितों की मौत हो जाती है।

इबोला
इबोला है, जिसकी 5 नस्लों का नाम अफ़्रीकी देशों के नाम पर जायरे, सूडान, ताई जंगल, बुंदीबुग्यो और रेस्तोन रखा गया है। जायरे इबोला वायरस सर्वाधिक जानलेवा है, इसके शिकार 90% पीड़ितों की मौत हो जाती है।
हंटा वायरस
1950 के कोरियाई युद्ध के दौरान इस कोरियाई नदी के तट रहने वाले अमेरिकी सैनिक इसकी चपेट में आए थे।
बर्ड फ्लू वायरस
बर्ड फ्लू वायरस की विभिन्न नस्लें, जिनकी चपेट में आने पर मृत्यु दर का आँकड़ा 70% है।
वायरस लस्सा
चूहों और गिलहरियों से फैलने वाला यह वायरस किसी विशिष्ट क्षेत्र तक सीमित रहता है, जैसे पश्चिमी अफ्रीका।
जुनिन वायरस
अर्जेंटाइन रक्तस्रावी बुखार से जुड़ा जुनिन वायरस  खतरनाक वायरस है। इसके लक्षण बेहद सामान्य हैं, इसीलिये इसके बारे में जल्द पता नहीं लग पाता।
क्रीमियन कांगो बुखार वायरस
क्रीमियन कांगो बुखार वायरस खटमल जैसे जीवों से फैलता है, जो इबोला और मारबुर्ग वायरस की ही तरह विकास करता है।
ब्लैक टाइफस
मचुपो वायरस बोलिवियन हीमोरेजिक फीवर से संबंधित है, जिसे ब्लैक टाइफस के नाम से भी जाना जाता है।
स्यास्नूर फॉरेस्ट वायरस
1955 में भारत के पश्चिमी तट पर पाए गए स्यास्नूर फॉरेस्ट वायरस को, जिसके बारे में यह निर्धारित कर पाना मुश्किल है कि यह किस विशेष  जीव से फैलता है।
डेंगू वायरस
विश्वभर में इस वायरल बुखार से हर साल 5 करोड़ से 10 करोड़ लोग पीड़ित होते हैं, विशेषकर दक्षिण एशियाई देशों में इनकी संख्या अधिक होती  है।

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