गुजरात का सोलंकी वंश | Gujrat ka Solanki Vash


solanki vansh ka itihas

गुजरात का सोलंकी वंश

  • गुजरात के सोलंकी वंश स्थापना मूलराज प्रथम ( 941-995 ई. ) ने की थी।
  • भीमदेव प्रथम इस वंश का सबसे शक्तिशाली राजा था। भीम के समय में ही गुजरात में मशहूर गजनवी का आक्रमण हुआ तथा उसने सोमनाथ के मंदिर को लूटा। भीम प्रथम ने भट्टारिका तथा पत्तनदेव में मंदिरों का निर्माण करवाया। उसके सामंत विमल ने आबू पर्वत पर दिलवाड़ा के प्रसिद्ध मंदिर बनवाये।
  • जयसिंह सिद्धराज ( 1094-1143 ई. ) इस वंश का प्रतापी राजा था। यह विद्या का महान संरक्षक था। उसने जैन विद्वान हेमचंद्र को
  • संरक्षण दिया। जयसिंह ने आबू पर्वत पर एक मंडप तथा सिद्धपुर में रूद्रमहाकाल के मंदिर का निर्माण करवाया।
  • भीमदेव द्वितीय
  • के समय 1178 ई. में मुसलमानों ने आक्रमण किया। यह गुजरात के सोलंकियों का अंतिम शासक था।
  • भीमदेव द्वितीय के बाद उसके एक मंत्री लवणप्रसाद ने गुजरात में बंघेल वंश की स्थापना की। 1240 ईस्वी के लगभग उसके उत्तराधिकारियों ने अन्हिलवाड़ पर कब्जा कर लिया। बघेल वंश ने गुजरात के स्वतंत्र हिंदू राज्य को दिल्ली सल्तनत में मिला लिया गया।

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