History of News Paper in MP | History of journalism in Madhya Pradesh |मध्यप्रदेश में पत्रकारिता का इतिहास
History of News Paper in MP |
मध्यप्रदेश में पत्रकारिता का इतिहास History of journalism in MP
भारत में पत्रकारिता का प्रथम पुष्प
- 29 जनवरी 1780 को जेम्स आगस्टस हिकी ने ‘हिकीज बंगाल गजट आर दि ओरिजनल कलकत्ता जनरल एडवरटाइजर‘ का प्रांरभ कलकता से आरंभ किया, जिसे हिकीज गजत के लोकप्रिय नाम से जाना जाता है। भारत में पत्रकारिता की शुरूआत यहीं से होती है।
- भारत में पत्रकारिता की शुरूआत होने के 69 वर्ष बाद मध्य प्रदेश में पत्रकारिता का युगारंभ 6 मार्च 1849 को इंदौर में होलकर रियासत के छापाखाने से पंडित धर्मनारायण के संपादन में मालवा अखबार का प्रकाशन से आंरभ हुआ।
मालवा अखबार- 1845
- मालवा अखबार एक द्विभाषी साप्ताहिक समाचार पत्र था। जिसमें पृष्ठ के आधे भाग में हिन्दी और आधे भाग में उर्दू भाषा में समाचार प्रकाशित किए जाते थे। मालवा अखबार प्रांरभ में मंगलवार, उसके बाद बुधवार, और प्रकाशन के अंतिम वर्षों में प्रत्येक शुक्रवार को प्रकाशित होता था। मालव अखबार में में समाचारों के अतिरिक्त अन्य सामग्री भी रहा करती थीं। समचार विशेषकर राजधानियों के अथवा ब्रिटिश सरकार के अधिकारियों के दौरो का विवरण छापा करते थे। सामान्यतः इंदौर और आसपास की देशी रियासतों के समाचारों को छापा जाता था। मालवा अखबार के संस्थापक पं. धर्मनारायण इंदौर आने से पहले दिल्ली से प्रकाशित ‘कुरान उस सैदीन‘ का संपादन कर रहे थे।
- बीच में कुछ अवधि के लिए प्रकाशन बंद रहने के पश्चात 1875 से 1878 तक ‘मालवा अखबार‘ अपने मूल स्वरूप से भिन्न मराठाी साप्ताहिक समाचार के रूप में प्रकाशित हुआ।
एडीटर मालवा
अखबार को सजा
- 19 मई 1978 को आफताब ए पंजाब समाचार पत्र में मालवा अखबार के संबंध में प्रकाशित एक समाचार से पता चलता है कि ‘मालवा अखबार‘ मई 1878 में भी प्रकाशित होता था। रियासत के शासक और अधिकारी पत्र पर कड़ी दृष्टि रखते थे। कोई भी शासन विरोधी समाचार इसमें प्रकाशित नहीं किया जा सकता था। समाचार इस प्रकार था ।
- ‘‘एडीटर मालवा अखबार को सजा- ‘मालवा अखबार‘ के एडीटर को महाराजा होल्कर ने तीन माह की कैद सख्त की सजा दी हैं इसकी वजह यह है कि बबाद जारी हाने एक्ट मतबूआत (प्रेस एक्ट) इस अखबार की तहरीर किसी कदर खिलाफ एक्ट मजकूर पाई गई‘‘
- 14 मार्च 1878 को तत्कालीन वायसराय लार्ड लिटन ने वर्नाकुलर प्रेस एक्ट में पारित होने के पूर्व भी मालवा अखबार के संबंध में विशेष जिक्र करते हुए कहा था- ‘‘एक मराठी राजधानी इंदौर से प्रकाशित मालवा अखबार एक एक पैराग्राफ बहुत चुभता है, इसमें अफवाह का जिक्र है......नागपुर, झांसी आदि को सामंत वादी राज्य के रूप में बनाना चाहते हैं।
- यद्यपि इंदौर राज्य में वर्नाकुलर प्रेस एक्ट लोगू नहीं होता था और अखबार से जमानत तलब नहीं की जा सकती थी, लेकिन होलकर नरेश को वायसराय की कोप दृष्टि का पता लगा तो ‘मालवा अखबार‘ के संपादक को गिरफ्तार कर तीन महीने की कैद की सजा दी गई और अखबार बंद कर दिया गया। इस प्रकार म.प्र. का प्रथम समाचार पत्र ‘मालवा अखबार‘ लगभग 31 वर्ष तक प्रकाशित होता रहा।
अखबार ग्वालियर- 1852
- ग्वालियर के महाराजा जयाजीराव सिंधिया समाचार सुनने के शौकीन थे। उन्हीं की रूचि और आज्ञा के कारण ग्वालियर में अलीजाह दरबार प्रेस की स्थापना हई। इसी प्रेस से सन 1852 में साप्ताहिक पत्र ‘अखबार ग्वालियर‘ का प्रकाशन प्रारंभ हुआ। प्रत्येक रविवार को हिन्दी और उर्दू भाषा में छपने वाला यह अखबार ग्वालियर रियासत के समाचार प्रमुख रूप से प्रकाशित करता था।
अखबार ग्वालियर को समय-समय पर नाम परिवर्तित हो
रहा जो इस प्रकार है-
- 1852- अखबार ग्वालियर
- 1853- ग्वालियर गजट
- 1905- जयाजी प्रताप एवं ग्वालियर स्टेट गजट
- 1950- मध्य भारत संदेश
- नंवबर 1956- मध्यप्रदेश संदेश
पूर्ण चन्द्रोदय- 1860
- इंदौर से 9 नंवबर 1860 को मराठी साप्ताहिक ‘पूर्ण चन्द्रोदय‘ का प्रकाशन आरंभ हुआ। श्री रामचंद्रराव भाउ साहब द्वारा प्रकाशित इस पत्र का उद्देश्य देश में स्वेदशी भाषा में समाचार पत्र प्रकाशित कर जन साधारण को उपलब्ध कराना था। इसके संपादक वासुदेव बल्लार मुडे थे। पूर्ण चन्द्रोदय प्रति शुक्रवार का छपता था और इसका वार्षिक मूल्य छः रूपए था।
जबलपुर समाचार- 1873
- जबलपुर से प्रथम समाचार पत्र 1 मार्च 1873 को ‘जबलपुर समाचार‘ के नाम से प्रकाशित हुआ। यह एक द्विभाषी अखबार था जो हिंदी और अंग्रेजी में छपता था। यह मासिक पत्र था, जिसकी एक प्रति की कीमत चार आने थी। इस समाचार पत्र के संबंध में दिलचस्प तथ्य यह है कि जबलपुर से प्रकाशित होने वाले इस समाचार पत्र का मुद्रण बनारस के मेडिकल हॉल प्रेस से होता था। इसके संपादक कृष्णराव होशंगाबाद में रहते थे।
शुभचिंतक- 1883
- सन् 1883 में जबलपुर से शुभचिंतक प्रेस से साप्ताहिक ‘शुभचिंतक‘ का प्रकाशन आरंभ हुआ। श्री रामगुलाम अवस्थी इसके संपादक थे। शुभचिंतक का साहित्य पूर्ति अंक पृथक से ‘काव्य सुधा निधि‘ के नाम से प्रकाशित किया जाता था और इसका संपादन रघुवरप्रसार द्विवेदी करते थे। ‘शुभचिंतक का वार्षिक मूल्य 24 रूपए था। शुभचिंतक का प्रकाशन दो वर्ष के अंदर ही बंद हो गया।
सदाकत- 1883
- सन 1883 में भोपाल से उर्दू साप्ताहिक ‘सदाकत‘ का प्रकाशन मोहम्मद अब्दुल करीम ‘औज‘ ने आरंभ किया। ‘सदाकत‘ भोपाल से निकलने वाला ऐसा पहला अखबार था जो जनता-जर्नादन के लिए निकला और जिसमें बड़ी निर्भीकता के साथ रियासत के गलत कामों की खुली और कड़ी आलोचना की जाती थी।
सरस्वती विलास- 1884
- सन 1884 में नरसिंहपुर से मासिक ‘सरस्वती विलास‘ निकला। श्री नन्हेंलाल इसके संपादक थे। सन् 1890 तक इस साहित्यक पत्रिका के प्रकाशन का उल्लेख मिलता है। बाद में ‘सरस्वती विलास‘ कुछ समय तक नागपुर से भी प्रकाशित हुआ।
भारत-भ्राता 1887 (भारत का प्रथम राजनैतिक पत्र)
- अप्रैल 1887 में रीवा से पाक्षिक ‘भारत भ्राता‘ का प्रकाशन प्रारंभ हुआ। भारत भ्राता हिंदी का ऐसा पहला समाचार पत्र रहा जो किसी सरकार का मुखपत्र अथा मुखापेक्षी होने के बजाय आरंभ से ही राष्ट्रीयता से जुड़ा रहा। इसलिए ‘भारत-भ्राता‘ को मध्यप्रदेश का प्रथम राजनैतिक पत्र माना जाता है। 1945 में रीवा में भारत भ्राता प्रेस की स्थापना की गई। अप्रैल 1887 में भारत भ्राता का जब प्रकाशन आरंभ हुआ तब इसके संपादक प्रकाशक रीवा राज्य के सेनापति बलदेवसिंह थे। संपादक की जागरूकता का यह एक प्रमाण माना जाएगा कि समाचारों और सूचनाओं के आदान प्रदान के रीवा और सतना के बीच तार लाईन डाली गई। भारत भ्राता नियमित रूप से माह की 1 और 15 तारीख को प्रकाशित होता था।
अन्य समाचार पत्र
- 1889 में राजनांदगांव से ‘प्रजाहितैषी का प्रकाशन प्रारंभ किया गया। 1891 में हिंदी पाक्षिक ‘विक्टोरिया सेवक‘ और हिंदी मासिक ‘प्रजा हितैषी का जबलपुर से प्रकाशन आरंभ हुआ। 1892 में भोपाल से ‘हिलाल‘, प्रकाशित। जबलपुर से 1893 में साप्ताहिक ‘तबलीक‘ प्रकाशित हुआ। 1891 में सागर से मासिक पत्र ‘बाल विलास प्रकाशित । 1894 में जबलपुर से ‘ द जबलपुर टाइम्स का प्रकाशन। 1896 में छिंदवाड़ा से द्वि-भाषी समाचार पत्र ‘न्याय रतन‘ का प्रकाश्न। 1896 में भोपाल से ‘मुजफ्फरी‘ का प्रकाशन। 1898 में सागर से नारायण बाल कृष्ण नाखरे ने मासिक ‘प्रभात‘ और 1899 में साप्ताहिक ‘क्रिश्चियन सेवक‘ एवं ‘जबलपुर पोस्ट‘ का प्रकाशन आरंभ किया।
शुभ चिंतक 1910
- ‘भारत-भ्राता‘ के प्रकाशन आरंभ होने के पूरे 23 वर्ष बाद विंध्य अंचल से दूसरे समाचार पत्र ‘शुभ चिंतक‘ का प्रकाशन रीवा से 1910 में हुआ। तब तक भारत भ्राता का प्रकाशन बंद हुए 8 वर्ष का समय हो चुका था। पंडित रघुवर प्रसार शास्त्री ‘शुभ चिंतक‘ के संपादक थे। शुभ चिंतक सामायिक समाचारों का प्रकाशन करता था। विंध्य अंचल के साहित्यकारों और रचनाओं के प्रकाशन और हिंदी भाषा को लोकप्रिय बनाने में शुभ चिंतक की महत्वपूर्ण भूमिका रही। 1918 में इसका प्रकाशन बंद हो गया।
हितकारिणी -1910
- नवंबर 1910 में हितकारिणी छापाखाने से मासिक ‘हितकारिणी‘ का प्रकाशन आरंभ हुआ। शिक्षा और ज्ञान-विज्ञान की इस पत्रिका के संपादक पंडित रघुवर प्रसार द्विवेदी थे। हितकारिणी 12 वर्ष तक प्रकाशित होता रहा जब इसका प्रकाशन स्थगित हुआ तब इसकी प्रसार संख्या 2450 थी।
प्रभा -1913
- खण्डवा के समाजसेवी और पेशे से वकील श्री कालूराम गंगराडे ने 7 अप्रैल 1913 को खंडवा से हिंदी मासिक पत्रिका ‘प्रभा‘ का प्रकाशन आरंभ किया। इसका संपादद दायित्व पं. माखनलाल चतुर्वेदी ने संभाला।
बाल मनोरंजन
- 1914 में श्री गणेशदत्त शर्मा ‘इंद्र‘ ने आगर-मालवा से मासिक ‘बाल मनोरंजन‘ का प्रकाशन किया। तत्कालीन रियासती व्यवधानों के कारण अंततः बाल मनोरंजन को छह अंको बाद ‘हिन्दी सर्वस्व‘ के नाम से छापना पड़ा।
नवजीवन
- 1915 में हिंदी मासिक पत्रिका नवजीवन का प्रकाशन इंदौर से आंरभ हुआ। जिसके संपादक श्री द्वारका प्रसाद ‘सेवक‘ थे।
कर्मवीर
- गांधी युग की लहर समूचे देश में चल रही थी। इसी लहर में पं. माधवराव सप्रे, पं. विष्णुदत्त शुक्ल और ठाकुर छेदीलाल सिंह ने जबलपुर में ‘राष्ट्र सेवा लिमिटेड‘ की स्थापना की गई। राष्ट्र सेवा लिमिटेड़ ने 17 जनवरी 1920 को साप्ताहिक ‘कर्मवीर‘ का प्रकाशन किया। सप्रेजी संपादक के पद पर रहे। नवंबर 1922 में श्री कुलदीप सहाय ने कर्मवीर का दायित्व ग्रहण किया। संपादक के रूप में ठाकुर छेदीलाल का नाम जाना जाता है। अप्रैल 1924 में ‘कर्मवीर‘ बंद हो गया।
- 1925 में पं. माखन लाल चतुर्वेदी ‘कर्मवीर‘ को जबलपुर से खंउवा ले आए। जिसका पुनः प्रकाशन 4 अप्रैल 1925 को हुआ। 11 जुलाई 1959 को श्री माखन लाल चतुर्वेदी के संपादकत्व वाले ‘कर्मवीर‘ का अंतिम अंक निकला। पश्चात् उनके छोटे भाई श्री ब्रजभूषण चतुर्वेदी उसके संपादक बने, जिन्होंने 1977 तक ‘ कर्मवीर को प्रकाशित किया।
श्री शारदा
- 21 मार्च 1920 को राष्ट्रीय हिंदी मंदिर, जबलपुर ने ‘श्री शारदा‘ निकाली। यह एक सचित्र मासिक पत्रिका थी, जिसके संपादक श्री नर्मदाप्रसाद मिश्र थे।
छात्र सहोदर
- मार्च 1920 में जबलपुर से श्री नरसिंहदास अग्रवाल ने मासिक पत्रिका ‘ छात्र सहोदर‘ निकाली। पंडित मातादीन शुक्ल ‘छात्र सहोदर‘ के संपादक रहे। इस पत्रिका ने स्वातंत्रय चेतना का प्रचार प्रसार किया।
मध्य भारत
- 1923 में खंडवा से श्री सिद्धनाथ माधव आगरकर ने साप्ताहिक ‘मध्य भारत‘ का प्रकाशन आंरभ किया। यह तेजस्वी अखबार प्रखरता के कारण रियासतों की आंख की किरकिरी बन गया था। भोपाल सहित अनेक रियासतों में इसके प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। और अंततः मध्य भारत का प्रकाशन कर देना पड़ा।
भारतीय आदर्श
- 1923 में श्री द्वारका प्रसार सेवक के संपादन में छावनी इंदौर से साप्ताहिक ‘भारतीय आदर्श‘ का प्रकाशन प्रांरभ हुआ। इस उत्कृष्ट पत्र के मात्र नौ अंक ही निकल पाये और अंततः प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण इसे बंद कर दिया गया।
म.प्र. का प्रथम दैनिक समाचार पत्र - ‘प्रकाश‘
- मध्य प्रदेश में दैनिक समाचार पत्रों के युग की शुरूआत 11 जून 1923 को सागर से होती है। इसी दिन मास्टर बलदेव प्रसाद ने दैनिक ‘प्रकाश‘ का प्रकाशन प्रारंभ किया ।
- इसका मुद्रण भगवान प्रिंटिंग प्रेस चकराघाट सागर से होता था।
- इसके शीर्षक के नीचे एक तरफ संपादक बलदेव प्रसाद मास्टर तथा दूसरी तरफ प्रकाशक प्रेमनारायण शर्मा मुद्रित रहता था। शीर्षक के ठीक नीचे ‘ मध्य भाारत का पहला, सस्ता दैनिक पत्र‘ छापा जाता था। प्रकाश का वार्षिक मूल्य सवा पॉच रूपये शहरों के लिए तथा बाहर वालो के लिए एक वर्ष के लिए 9 रूपए था। 20 अक्टूबर 1923 तक इसका प्रकाशन होता रहा । 11 जून से 20 अक्टूबर 1923 तक 131 की कालावधि में ‘प्रकाश‘ के कुल 105 निकले।
नृसिंह
- 1925 में नरसिंहपुर से साप्ताहिक ‘नृसिंह‘ का प्रकाशन हुआ। इसके संपादक ठाकुर रामाशीष सिंह थे। यह एक निर्भीक पत्र था, जिसमें राष्ट्रीय आंदोलन के समाचार प्रमुखता से प्रकाशित होते थे।
वीणा
- मध्य भारत हिंदी साहित्यक समिति इंदौर के तत्वाधान में मासिक पत्रिका ‘वीणा‘ का प्रकाश अक्टूबर 1927 में आरंभ हुआ। वीणा मालवा अंचल में साहित्य और पत्रकारिता का प्रकाश स्तंभ बन कर प्रकाशमान हुई। 1929 से 1946 तक लगभग 17 वर्ष की अवधि तक संपादन श्री कालिका प्रसाद ‘कुसुमाकर‘ ने किया। वीणा पत्रिका का प्रकाशन आज भी जारी है।
दैनिक सत्य
- अक्टूबर 1929 में जबलपुर के सत्य प्रेस से , जो जोन्स गंज में स्थित था, ‘सत्य‘ का प्रकाशन आंरभ हुआ। जबलपुर से प्रकाशित प्रथम दैनिक समाचार पत्र ‘सत्य‘ के संपादक श्री कृष्ण स्वामी थे। सत्य के मुख्य पृष्ठ पर शीर्षक के नीचे ‘सत्य ही केवल बलम्, सत्यमेव जयते ना नतृम‘ अंकित रहता था।
वाणी
- वर्ष 1930 में खरगोन से श्री विश्वनाथ सखाराम खोड़े नो मासिक पत्रिका ‘वाणी‘ का प्रकाशन आंरभ किया। बनारस के सरस्वती प्रेस से मुद्रित होने वाली इस पत्रिका की गणना हिंदी की तत्कालीन श्रेष्ठ पत्रिकाओं में क जाती थी।
प्रेमा
- 1930 में जबलपुर से मासिक पत्रिका प्रेमा प्रकाशित हुई। इस उच्च कोटि की साहित्यक पत्रिका के संपादक रामानुजलाल श्रीवास्तव और सहयोगी परिपूर्णानंद वर्मा थे। तीन वर्ष की अल्पावधि में प्रेमा का अवसान हिंदी साहित्यक और साहित्यिक पत्रकारिता की एक अपूरणीय क्षति रही।
लोकमत
- 1930 को मध्य प्रदेश की पत्रकारित के इतिहास की सबसे बड़ी घटना दैनिक ‘लोकमत‘ का प्रकाशन है। दैनिक प्रकाश 1923, और दैनिक सत्य 1929 इसके पूर्व प्रकाश में आ चुके थे, लेकिन सर्वांगपूर्ण दैनिक समाचार पत्र ‘लोकमत‘ ही रहा। पूरे आठ कालम आकार में प्रतिदिन बारह पृष्ठों में निकलने वाले इस अखबार के प्रकाशन के सूत्रधार हिंदीसेवी सेठ गोविंददास और संपादक थे पंडित द्वारका प्रसाद मिश्र। श्री मिश्र जी के कारावास में होने से उनके स्थान पर संपादक के रूप में श्री काशीप्रसाद सिंह का नाम दिया गया। लोकमत 18 फरवरी 1930 को आरंभ हुआ और 1932 में फिरंगी हुकुमत का शिकार होकर बंद हो गया। बाद में 1939 में नागपुर से श्री रमाशंक त्रिपाठी ने ‘लोकमत‘ का प्रकाशन किया। श्री नरेन्द्र विद्यावाचस्पति इसके संपादक रहे। 1955 तक यह चलता रहा।
स्वराज्य
- वर्ष 1931 में मध्य प्रदेश की पत्रकारिता में श्री सिद्धनाथ माधव आगरकर साप्ताहिक पत्र ‘स्वराज्य‘ के कारण सदैव याद किए जाएंगे। श्री आगरकर ने खंडवा में विक्रम प्रिंटिग प्रेस की स्थापना की और ‘ स्वाराज्य का प्रकाशन आरंभ किया।
सुबह-ए-वतन
- 1934 में भोपाल से अंजुमन खुद्दाम-ए-वतन ने श्री शाकिर अली खां के संपादन में साप्ताहिक ‘सुबह-ए-वतन- का प्रकाशन प्रारंभ किया।
जौहर- पहला उर्दू दैनिक
- 1936 में जबलपुर से श्री अब्दुल वाकी ‘बेदिल‘ ने उर्दू के दैनिक अखबार ‘जौहर‘ का संपादन-प्रकाशन किया। यद्यपि यह अखबार कुछ दिन ही चला लेकिन मध्य प्रदेश में उर्दू पत्रकारिता का प्रथम दैनिक अखबार होने के नाते एक नए युग का सूत्रपात कर गया।
मालवा का पहला दैनिक ‘नवजीवन‘
- नवंबर 1939 में मालवा अंचल के पहले दैनिक समाचार पत्र ‘नवजीनव‘ का प्रकाशन इंदौर से हुआ। श्री पुरूषोत्तम विजय और श्री हरेन्द्रनाथ शर्मा इसके संपादक थे। इसके पहले मालवा अंचल की पत्रकारिता का इतिहास साप्ताहिक, पाक्षिक, और मासिक पत्र-पत्रिकाओं से भरा पड़ा है।
जीवन पत्रिका
- 1939 में जीवन पत्रिका का प्रकाशन जीवन ट्रस्ट के तत्वाधान में आरंभ हआ। प्रखर पत्रकार एवं साहित्यकार श्री जगन्नाथ प्रसाद मिलिन्द इसके संपादक थे। बीच में कुछ समय बंद होने के बाद समाजिक विचार धारा के इस पत्र का पुनः प्रकाशन 1946 में हुआ। लेकिन आर्थिक कारण से 1949 के आखिरी महीनों में उसका प्रकाशन फिर बंद हो गया।
मधुकर
- 1 अक्टूबर 1940 में श्री बनारसीदास चतुर्वेदी ने श्री वीरेन्द्र केशव साहित्य परिषद की ओर से पाक्षिक ‘मधुकर‘ का प्रकाशन किया गया।
प्रजामंडल पत्रिका
- 26 जनवरी 1940 जो उन दिनों भारत के राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाई जाती थी, इसी दिन इंदौर में साप्ताहिक ‘प्रजा मंडल पत्रिका‘ आरंभ की गई। इसके संपादन का दायित्व श्री बैजनाथ महोदय और श्री कृष्णकांत व्यास पर था और प्रकाशन श्री पु.ग. खाण्डेकर थे। यह इंदौर राज्य प्रजामंडल का मुख पत्र था। प्रजामंडल पत्रिका में प्रतिबंध लगने के बाद इसका प्रकाशन गुप्त रूप से साइक्लोस्टाइल बुलेटिन के रूप में जारी रहा, जिसे दीवारों पर चिपका दिया जाता था।
सारथी
- 26 मार्च 1942 को जबलपुर से एक उत्कृष्ट साप्ताहिक ‘सारथी‘ का प्रकाशन आरंभ हआ, जिसका संपादन पं. द्वारका प्रसाद मिश्र करते थे। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान श्री मिश्र के गिरफ्तार किये जाने से सारथी के प्रकाशन में बाधा आई। 1953 में नागपुर में इसका पुनः प्रकाशन प्रारंभ किया गया। सारथी का प्रकाशन 1956 में तब बंद हुआ जब पं. मिश्र नागपुर से सागर विश्वविद्यालय के कुलपति बनकर आए।
विक्रम
- 1942 में उज्जैन से मासिक पत्रिका ‘विक्रम का प्रकाशन आरंभ हुआ। ज्योतिष के प्रख्यात विद्धान पं. सूर्यनारायण व्यास ‘विक्रम‘ के संपादक थे। पांडेय बेचन शर्मा ‘उग्र‘ ने भी कुछ समय तक ‘विक्रम‘ का संपादन किया है।
अग्रदूत
- स्वाधीनता संग्राम के निर्णायक और अंतिम दौर में पहुंच जाने के कारण यद्यपि 1942 में मध्य प्रदेश की पत्रकारित को कोई ज्यादा विस्तार तो नहीं मिल पाया, लेकिन तत्कालीन समाचार पत्रों को देखते हुए 1942 में रायपुर से श्री केश्वप्रसाद शर्मा ने साप्ताहिक ‘अग्रदूत‘ का प्रकाशन आरंभ किया।
आगामी कल
- 1942 में श्री प्रभागचंद्र शर्मा के संपादन में खंडवा से ‘आगामी कल‘ प्रकाशित हुआ। यह साप्ताहिक पत्र स्वतंत्रता आंदोलन का मुखर पत्र था। खंडवा के जवाहरगंज में आगामी कल का अपना प्रेस था और यहां से हर सोमवार को इसका प्रकाशन होता था।
लोक सेवा
- 1943 का एक महत्वपूर्ण प्रकाशन जबलपुर का साप्ताहिक ‘लोक सेवा‘ रहा। श्री जी.बी. अवस्थी ‘अटल‘ इसके संपादक प्रकाशक थे।
अशोक
- अगस्त 1945 में इंदौर से सचित्र साप्ताहिक ‘अशोक‘ का प्रकाशन श्री खेमराज जोशी के संपादन में प्रारंभ हआ। बृजकृष्ण भार्गव इसके संचालक थे। श्री कृष्ण चंद मुद्गल ने भी इसका संपादन किया। यह एक उत्कृष्ट साहित्यक पत्र था।
Post a Comment