MP ke sangrahalaya| Museum of MP | मध्य प्रदेश के संग्रहालय
Museum of MP | |
मध्य प्रदेश के संग्रहालय Museum of MP
- मध्य प्रदेश में संचालनालय, पुरातत्व अभिलेखागार एवं संग्रहालय की स्थापना वर्ष 1956 में की गई थी जिसका वर्ष 1994 में राजकीय अभिलेखागार में विलय कर दिया गया।
- मध्य प्रदेश में पुरातत्व संपदा के सर्वेक्षण, चिन्हांकन छायांकन, संकलन, संरक्षण, प्रदर्शन, उत्खनन एवं अनुरक्षण के उद्देश्य से विभिन्न स्थानों में संग्रहालय स्थापित किए गये हैं।
- मध्य प्रदेश में 12 केन्द्रीय संग्रहालय, 5 राज्य स्तरीय, 14 जिला स्तरीय तथा 7 स्थानीय संग्रहालय स्थित हैं। इसके अतिरिक्त कुछ अन्य संग्रहालय निजी और शासकीय अनुदान द्वारा स्थापित किये गये हैं।
केन्द्रीय संग्रहालय, इंदौर Central Museum, Indore
- केन्द्रीय संग्रहालय, इंदौर की स्थापना वर्ष 1923 में होल्कर शासन के शिक्षा विभाग के अंतर्गत एक संस्था के रूप में हुई थी, जिसका नाम नवरत्न मंदिर रखा गया था। वर्ष 1929 में राज्य में यत्र-तत्र बिखरी पड़ी पुरावस्तुओं के संग्रह के लिए संग्रहालय की स्थापना की गई।
- वर्ष 1931 में इसे केंद्रीय संग्रहालय का दर्जा प्रदान किया गया।
- वर्ष 1975 में संग्रहालय में मुद्राओं का भी प्रदर्शन किया गया, जिसमें देवी अहिल्या मुद्रा वीथिका नाम प्रदान किया गया है।
- वर्ष 1977 में मंदसौर जिले के हिंगलाजगढ़ से पुरातात्विक प्रतिमाओं और कलाकृतियों को संग्रहालय में लाया गया तथा वर्ष 1980 में हिंगलाजगढ़ कला वीथिका की स्थापना की गई।
- यहाँ बाघ गुफाओं (धार) के चित्रों की प्रतिकृतियाँ, जो एल.एन. भावसार एवं मिर्जा इस्माइल बेग द्वारा बनायी गई है, को भी प्रदर्शित किया गया है।
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय, भोपाल Indira Gandhi National Human Museum, Bhopal
- इसकी स्थापना 21 मार्च 1977 को भोपाल में की गई थी जिसका नामकरण वर्ष 1985 में राष्ट्रीय मानव संग्रहालय तथा वर्ष 1993 में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय किया गया। यह संग्रहालय मानव सभ्यता के विकास की कहानी को प्रदर्शित करने वाला देश का सबसे बड़ा संग्रहालय है।
- इस संग्रहालय में जनजातीय विकास एवं उनकी लोक कलाओं तथा भवनों की विशेष प्रदर्शनियां स्थापित की गई है जिनमें प्रमुख रूप से आदिवासी प्रजातियों (टोड़ा, बाराली, बोड़ो, कछरी, कोटा, सोवरा, गदेव, कुटियाक, अगरिया, राजवद, करवी, भील) की झोपडि़यां, बस्तर, का रथ, मुडि़या लोगों को घोटुल, 110 फीट लकड़ी की बनी नाव, शैलचित्र आदि प्रदर्शित किये गये हैं।
राज्य संग्रहालय भोपाल State Museum Bhopal
- इस संग्रहालय के नये भवन का उद्घाटन 2 नवंबर 2005 को तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर के द्वारा किया गया था। इस संग्रहालय की स्थापना वर्ष 1887 में एडवर्ड संग्रहालय के नाम से की की गई थी।
- यह वर्ष 1909 में सुल्तान जहां बेंगम द्वारा निर्मित अजायबघर के नाम से वर्तमान केंद्रीय ग्रंथालय भवन में संचालित होता था।
- वर्ष 1964 में राज्य सरकार द्वारा इसे अधिगृहित किया गया है। इस संग्रहालय में प्रागैतिहासिक वस्तुएं जैसे घुघवा, जीवश्वम उद्यान से प्राप्त जीवश्म, हथनौर से प्राप्त हाथी दांत और विभिनन अभिलेखों व चित्रकारी की प्रतिकृतियों को प्रदर्शित किया गया हैं
रानी दुर्गावती संग्रहालय जबलपुर Rani Durgavati Museum Jabalpur
- गोंड रानी दुर्गावती को समर्पित इस संग्रहालय की स्थापना जबलपुर जिले में वर्ष 1975-1976 में की गई।
- इस संग्रहालय में चार दीर्घाएं एवं एक कला वीथिका है जिनमें कुल 6163 पुरावेष संगृहीत हैं।
तुलसी संग्रहालय रामवन, सतना Tulsi Museum Ramvan, Satna
- यह संग्रहालय विंध्यक्षेत्र की पुरासंपदा को एकत्र करने के उद्देश्य से सतना जिे में सेठ बाबू शारदा प्रसाद जी द्वारा स्थापित किया गया था।
- वर्ष 1936 में रामवन आश्रम स्थापित हुआ था, जिसमें वर्ष 1939 में मानस संघ ट्रस्ट की स्थापना की गई थी। इसके अधीन वर्ष 1959 में तुलसी संग्रहालय स्थापित हुआ।
- वर्ष 1978 में यह संग्रहालय मध्य प्रदेश पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग को दान दे दिया गया। इस संग्रहालय में 9 कक्ष तथा कई अन्य कलाकृतियों की वीथिकाएं हैं। वर्तमान में इस संग्रहालय में 2368 परावशेष संगृहीत हैं।
गुजरी महल संग्रहालय, ग्वालियर Gujari Mahal Museum, Gwalior
- यह संग्रहालय ग्वालियर जिले में स्थित है। वर्ष 1913-1914 में ग्वालियर के तत्कालीन महाराजा माधराव सिंधिया ने स्व. श्री एम.बी. गर्वे के निर्देशन में पुरातत्व विभाग का गठन कर इस संग्रहालय को स्थापित करने का निर्णय किया था।
- वर्ष 1922 में इस संग्रहालय की स्थापना ग्वालियर के गुजरी महल में की गई, जिमें महाभारत की रियासतों से प्राप्त पुरासामग्रियों को संगृहीत किया गया ।
आदिवासी संग्रहालय, पातालकोट Tribal Museum, Patalkot
- यह संग्रहालय मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के पातालकोट में 20 अप्रैल , 1954 को स्थापित किया गया था। इस संग्रहालय को श्री बादल भोई शासकीय आदिवासी संग्रहालय नाम प्रदान किया गया। इस संग्रहालय में जनजातियों की सांस्कृतिक धरोहर, कला शिल्प, देवी देवताओं की मूर्तियां आदि संरक्षित की गई हैं।
मध्य प्रदेश में जिला स्तर के संग्रहालय District level museums in MP
जिला पुरातात्विक संग्रहालय, विदिशा
यह संग्रहालय 1964 में विदिशा जिले में स्थापित किया
गया। इस संग्रहालय में वर्तमान में लगभग 1700 पुरावशेष संकलित हैं।
जिला पुरातात्विक संग्रहालय, होशंगाबाद
यह संग्रहालय वष्र 1983 में होशंगाबाद जिले में स्थापित किया
गया था। इस संग्रहलाय में वर्तमान में लगभग 200 पुरावेशष संकलित हैं।
जिला पुरातात्विक संग्रहालय राजगढ़
यह संग्रहालय वर्ष 1975-76 में राजगढ़ में स्थापित किया गया था।
जिला पुरातात्विक संग्रहालय देवास
यह संग्रहालय देवास जिले के मल्हार स्मृति
मंदिर (1939) में वर्ष 1992 में स्थापित किया गया, जिसमें पाषाण प्रतिमाओं का संकलन है जो
परमार कालीन शैव, वैष्णव एवं जैन धर्म से संबंधित हैं।
जिला पुरातात्विक संग्रहालय, रीवा
यह संग्रहालय रीवा जिले में महाराजा वेंकटरमण
जूदेव द्वारा स्थापित कोठी (1908) में
वर्ष 1988 में स्थापित किया गया था। इस
संग्रहालय में लगभग 468 पुरावशेश संगृहीत हैं।
यशोधर्मन संग्रहालय, मंदसौर
- वर्ष 1982-83 में स्थापित किए गये इस संग्रहालय का वर्ष 1997 में नये भवन में लोकार्पण हुआ। इस संग्रहालय में मंदसौर जिले के विविध स्थलों से प्राप्त शैव, वैष्णव, देवी, जैन सम्प्रदायों से संबंधित प्रतिमाओं को प्रदर्शित किया गया है। इन प्रतिमाओं में सप्तमातृका, अम्बिका, चामुण्डा, हारीति आदि अद्धितीय हैं। ये प्रतिमाएँ 6वीं से 14वीं शताब्दी तक की हैं।
जिला पुरातात्विक संग्रहालय टीकमगढ़
- यह संग्रहालय वर्ष 1990 में वीरसिंह बुंदेला द्वारा निर्मित जहांगीर महल, टीकमगढ़ में स्थापित किया गया था। जिसमें 31 पुरावशेष प्रदर्शित किए गए हैं। इस संग्रहालय में स्थानीय एवं आस-पास की पाषण प्रतिमाओं, सती स्तंभों, शिलालेखों आदि के संग्रह की सूरूचिपूर्ण ढंग से प्रदर्शित किया गया है।
जिला पुरातात्विक संग्रहालय, कसरावद (खरगौन)
- यह संग्रहालय खरगौन जिले के कसरावद तहसील में 25 जुलाई 2003 को स्थापित किया गया। संग्रहालय में 212 पाषाण प्रतिमाएँ, एक लोहे की तोप, खलघाट, कटनेरा आदि पुरातात्विक उत्खनन से प्राप्त सामग्रियाँ भी प्रदर्शित की गयी हैं। जिसमें विभिन्न पात्रावशेष, हाथी के दांत की चूड़ी, कांच की चूड़ी, मनके एवं अन्य सामग्रियां प्रदर्शित की गई हैं।
जिला पुरातात्विक संग्रहालय मंडला
- यह संग्रहालय वर्ष 1976 में मंडला में स्थापित किया गया था। इस संग्रहालय में मुख्यतः पाषाण प्रतिमाओं के संकलन के अतिरिक्त जीवश्मों का भी सुंदर संग्रह है। जीवश्म संग्रह की दृष्टि से यह प्रदेश का प्रथम संग्रहालय है, जिसमें 610 पुरावशेष संगृहीत किये गये हैं।
जिला पुरातात्विक संग्रहालय, शहडोल
- यह संग्रहालय वर्ष 1981 में शहडोल में मध्य प्रदेश के पराुतत्व, अभिलेखागार एवं संग्रहालय संचालनालय द्वारा स्थापित किया गया था। इस संग्रहालय में विंध्य क्षेत्र के शहड़ोल, उमरिया, तथा अनूपपुर जिलों से प्राप्त कलाकृतियों को संगृहीत कर प्रदर्शित किया गया है। इसमें हिंदू एवं जैन धर्म की प्रतिमाओं के अतिरिक्त अनेक पुरातात्विक वस्तुएं संगृहीत हैं।
जिला पुरातात्विक संग्रहालय धार
- यह संग्रहालय वर्ष 1902 में धार में तत्काीन धार रियासत के शासक महाराजा उदाजीराव पंवार द्वितीय द्वारा स्थापित किया गया था।
- यह मध्य प्रदेश का प्राचीनतम संग्रहालय है, जो प्रारंभ में विक्टोरिया लाईब्रेरी के रूप में वर्ष 1939 तक संचालित रहा तत्पश्चात् इसे उटावद दरवाजा स्थित चर्च भवन में स्थानांतरित कर दिचा गया। वर्ष 2010 सेयह संग्रहालय धार किला के अंदर स्थित जेल भवन में संचालित है।
जिला पुरातात्विक संग्रहालय, पन्ना
- यह संग्रहालय वर्ष 1988 में पन्ना में स्थापित किया गया था। इस संग्रहालय में गुप्त, चंदेल एवं कलचूरि काल की पाषाण प्रतिमाएं प्रदर्शित हैं। इसके अतिरिक्त कुछ चांदी एवं तांबे के सिक्कों का भी संकलन है। संग्रहालय में नांदचांद से प्राप्त उत्तर गुप्तकालीन विशालकाय शिव द्वारपाल की प्रतिमा विशेष आकर्षण है।
मध्य प्रदेश के स्थानीय संग्रहालय Local Museums of Madhya Pradesh
स्थानीय संग्रहालय, गंधर्वपुरी (देवास)
- यह संग्रहालय वर्ष 1964 में गंधर्वपुरी में स्थापित किया गया। इस संग्रहालय में पाषाण प्रतिमाओं का संकलन है, जो परमार कालीन शैव, वैष्णव, देवी एवं जैन धर्म से संबंधित हैं।
स्थानीय संग्रहालय, आशापुरी (रायसेन)
- यह संग्रहालय वर्ष 1965-66 में आशापुरी में स्थापित किया गया। इस संग्रहालय में आशापुरी ग्राम के विविध स्थलों से संगृहीत प्रतिमाओं का सुन्दर संग्रह है। ये प्रतिमाएं अपनी कला एवं संपूर्णता के लिए परमार कला की अनूठी उपलब्धि हैं
स्थानीय संग्रहालय, पिछोर (ग्वालियर)
- यह संग्रहालय वर्ष 1977 में पिछोर में स्थापित किया गया था। इस संग्रहालय में क्षेत्र की पाषाण प्रतिमाओं कासुन्द संग्रह है, जो क्षेत्रीय कला का दिग्दर्शन कराती हैं।
स्थानीय संग्रहालय, भानपुरा (मंदसौर)
- वर्ष 1958-1959 में स्थापित पश्चिम मालवा में स्थित भानपुरा संग्रहालय यशवंत राव होल्कर प्रथम की छतरी परिसर में स्थित है। यहां भानपुरा व आसपास का क्षेत्र यथा गांधी सागर के डूब क्षेत्र में हिंगलाजगढ़ की कलाकृतियों को संगृहीत किया गया है, जो परमार कालीन मूर्तियों के उत्कृष्ट उदाहरण हैं।
स्थानीय संग्रहालय, कुण्डेश्वर (टीकमगढ़)
- टीकमगढ़ जिले के कुण्डेश्वर में स्थित इस संग्रहालय में लगभग 130 पाषाण प्रतिमाओं का संग्रह किया गया है। ये प्रतिमाएं 6वीं शताब्दी से 14-15वीं शताब्दी की हैं।
स्थानीय संग्रहालय, चंदेरी (अशोकनगर)
- यह संग्रहालय वर्ष 1991 में चंदेरी में स्थापित किया गया। इस संग्रहालय में पाषाण प्रतिमाओं का सुंदर संग्रह है। ये प्रतिमाए स्थानीय रूप से संकलित हैं तथा क्षेत्रीय कला का समुचित प्रतिनिधित्व करती हैं।
देवी अहिल्याबाई होल्कर संग्रहालय, महेश्वर (खरगौन)
- यह संग्रहालय वर्ष 1974 में महेश्वर में स्थापित किया गया तथा नये भवन में वर्ष 1998 में लोकार्पित हुआ। निमाड़ क्षेत्र का यह महत्वपूर्ण संग्रहालय है। इस संग्रहालय में शैव, वैष्णव, जैन प्रतिमाओं के अतिरिक्त उत्खनित पुरातात्विक सामग्रियों व क्षेत्रों के प्रमुख स्मारकों तथा देवी अहिल्या से संबंधित स्थलों के छायाचित्रों एवं होल्कर शासकों के अस्त्र-शस्त्रों को भी प्रदर्शित किया गया हैं।
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