मध्यप्रदेश के प्राकृतिक कछार | Natural Runoff of Madhya Pradesh


Natural Runoff of Madhya Pradesh

 

नदियों के संबंध में प्रमुख शब्दावली

अपवाहः नदियों के जलप्रवाह को अपवाह कहते हैं।
अपवाह तंत्रः नदी एवं सहायक नदियों के संपूर्ण नेटवर्क को  उस नदी का अपवाह तंत्र कहते हैं।
अपवाह द्रोणी- अपवाह तंत्र से अपवाहित क्षेत्र को अपवाह द्रोणी कहा जाता है।
जल विभाजक- वह सीमा जो दो अपवाह द्रोणियों को पृथक करती है। जैसे- पर्वत या उच्च भूमि
नदी द्रोणी- बड़ी नदियों का जलगृहण क्षेत्र
जल संभर- छोटी नदियों, नालों का जलगृहण क्षेत्र

मध्य प्रदेश में अपवाह तंत्र का स्वरूप Drain system in Madhya Pradesh

प्रदेश अपवाह का स्वरूप
मध्य उच्च प्रदेश अपवाह तंत्र का स्वरूप
मध्य उच्च प्रदेश वृक्षाकार प्रतिरूप
पन्ना विंध्याचल श्रेणी समान्तर प्रतिरूप
दक्कन ट्रेप पहाड़िया त्रिज्यात्मक प्रतिरूप (रेडियल)
जबेरा स्तूप वलयाकार प्रतिरूप
मैकाल एवं कैमूर पठार   अध्यारोपित प्रतिरूप

मध्य प्रदेश के प्रमुख जल विभाजक

मैकल श्रेणी- प्रायद्वीपीय म.प्र. की अधिकांश नदियों का उद्गम मैकल के पूर्व और पश्चिम से होता है। जैसे नर्मदा, सोन, जोहिला, ताप्ती, बीहड़, टोंस इत्यादि मैकल के पश्चिम से उद्गमित है, जबकि महानदी, शिवनाथ, टांडा, हसदों रिहन्द आदि पूर्व से । अतः मैकल श्रेणी जल विभाजक श्रेणी है।
सतपुड़ा और विंध्याचल -यह भी प्रमुख जल विभाजक है।
चंबल नदी- यह भारत की सबसे बड़ी जल विभाजक नदी मानी जाती है।

 चंबल नदी Chambal River

  • सिगार चोटी के निकट स्थित पहाड़ी जानापाव (महू जिला इंदौर) के वाचु प्वाइंट से 616 फीट की उंचाई से निकलने वाली चंबल नदी  मध्य प्रदेश की दूसरी सबसे बड़ी नदी है। इसका पौराणिक नाम चर्मावती है। महाभारत में इसे पूर्णा कहा गया है।
  • चंबल का राजस्थान में प्रवेश- भैंसरोड़गढ़ (चित्तौडगढ़) से
  • चंबल नदी मध्य प्रदेश और राजस्थान की सीमा रेखा बनाती है
  • बाँध- गांधी सागर बांध (म.प्र.), राणा प्रताप सागर (चित्तौडगढ़) जवाहर सागर एवं कोटा बैराज(कोटा)
  • चम्बल के अन्य नाम- चर्मवती, धर्मावती, कामधेनु, रतिदेव की किर्ती
  • चंबल की सहायक नदियां- कालीसिंध, क्षिप्रा, सिंध, पार्वती, कुनों, बेतवा, मेज, कुआटो, बनास, कुद, कुराई, नामवती, पार्वती, कालसिंध, बनास, बामनी, नेवज, आलनिया, कुराल, कुनु, परवन, आहू, चाकण।
  • प्रमुख तटीय नगर- रतलाम, महू, श्योपुर, मुरैना। 
  • म.प्र. में चंबल का मार्ग क्षेत्र- इंदौर, रतलाम, धार, उज्जैन, नीम, मंदसौर 
  • बहाव क्षेत्र- इंदौर, रतलाम, धार, उज्जैन, नीमच, मंदसौर, श्योपुर, मुरैना, भिण्ड, तथा राजस्थान के जिलों में बहती हुई इटावा के निकट यमुना नदी में मिल जाती है। यहां चार अन्य नदियों के साथ पंचबद्ध संगम बनता है। इसकी कुल लंबाई 965 किमी है। यह भैंसरोड़गढ़ में 18 मीटर उंचा चूलिया जल प्रपात बनाती है। 
  • मुरैना, श्योपुर, और भिण्ड जिलों में एलुवियम चट्टानों को काटकर चंबल गहरी खड्डों का निर्माण करती है जिन्हें बीहड़ कहते हैं। चंबल एक नतिलम्ब घाटी है।

चंबल नदी महत्वपूर्ण तथ्य

  • चंबल नदी का कुल केचमेंट क्षेत्र- 57054 वर्ग किमी 
  • म.प्र. में कुल लंबाई 320 किमी 
  • म.प्र. राजस्थान की सीमा पर लंबाई 216 किमी 
  • म.प्र. उत्तरप्रदेश की सीमा पर लंबाई 112 किमी 
  • चंबल एक अध्यारोपित नदी है।

बेतवा नदी Betwa River

  • रायसेन के कुमरा गांव (गोहर गंज तहसील) निकली है। अधिकांशतः विदिशा में बहती है। इसे बेत्रवती भी कहते हैं।
  • बेतवा नदी के अन्य नाम- बेत्रवती, शिव की पुत्री, वेस, विन्ध्याटवी
  • विदिशा और सांची जैसे प्रसिद्ध बौद्ध स्थल बेतवा नदी के तट पर स्थित हैं। इसकी कुल लंबाई 480 किमी है। यह पूर्वी मालवा के अधिकांश जल को लेकर उत्तर-पूर्व दिशा में भोपाल, निवाड़ी, टीकमगढ़(म.प्र.) तथा झांसी व जालौन (उत्तर प्रदेश) आदि जिलों में बहती है। इसकी दो सहायक नदियाँ बीना और धंसान  दाहिनी और जबकि सिंधु बाईं ओर से गुना-अशोकनगर जिलों को दो भागों में विभाजित करती हुई मिलती है। बीना नदी सागर जिले की सीमा के पास एक ऊंचा खड़ा जल प्रपात भालकुण्ड प्रपात‘ (38मीटर) बनाती है। प्रदूषणता के समान स्तर के कारण बेतवा को मध्य प्रदेश की गंगा कहते हैं।
  • बेतवा-केन लिंग प्रोजेक्ट भारत का पहला नदी जोड़ो प्रोजेक्ट है। बेतवा यमुना की सहायक नदी है। तथा हमीरपुर के पास यमुना में मिलती है। इसका कुल अपवाह क्षेत्र 46580 वर्ग किलोमीटर है। इसे बुंदेलखण्ड की जीवनरेखा कहा जाता है। बेतवा की मुख्य सहायक नदियों में बीना, धसान, जामनी, हलाली आदि है।
  • बेतवा नदी के किनारे पर कंचन घाट स्थित है। इस घाट पर वीरसिंह बंुदेला की ऐतिहासिक तीन मंजिला छतरी है। देवगढ़ इस नदी क किनारे स्थित है। जिसे बेतवा का आइसलैण्ड कहा जाता है।

क्षिप्रा नदी Shipra River

  • इंदौर के पास काकरा बर्डी (उज्जैनी गांव) स्थित बेणेश्वर कुंड से निकली है। देवास, उज्जैन, रतलाम, मंदसौर में बहती हुई चंबल (कोटा) में मिलती है। इसकी सहायक नदी कान्हा (इंदौर में प्रवाहित) या खान नदी है। इसे मालवा की गंगा कहते हैं।
  • क्षिप्रा नदी के अन्य नाम- पूर्ण सलिला, पापहरिणी, मोक्षदायिनी, आवंति, अमृतसंभवा, ज्वहरनी, कनकश्रृंगाा, प्रलोक्य तथा सोमवती।
  • पुराणों के अनुसार क्षिप्रा परियात्र पहाड़ से निकलती है। विंध्याचल का पश्चिमी भाग परियात्र कहलाता है। स्कंद पुराण में कहा गया है कि क्षिप्रा की उत्पत्ति भगवान विष्णु के उदर से उस समय हुई जब वे वराह अवतार में थे। इसी पुराण में क्षिप्रा की उत्पत्ति शिव के कमण्डल से कही गई है।

कालीसिंध नदी Kalisindh River

  • बरजई गांव (बागली जिला देवास) से निकलकर बारां-कोटा (राजस्थान) के बीच नौनेरा में चंबल में मिलती है।
  • कुल लंबाई 461 किमी (म.प्र. में 150 किमी)
  • प्रवाह क्षेत्र- देवास, शाजापुर, राजगढ़ (नरसिंहगढ़)

सिंध नदी Sindh River

  • विदिशा में सिरोंज नाम स्थान से निकलने वाली सिंध चंबल की सहायक नदी है। पालपुर-कुनो राष्ट्रीय उद्यान में बहती है। सिंध-कुंवारी को मिलाकर ‘‘ कुआरी सिंध‘‘ भी कहते हैं। उत्तर पूर्व की ओर बहती हुई गुना, अशोकनगर, शिवपुरी, दतिया, ग्वालियर, और भिण्ड जिलों का जल लेकर उत्तरप्रदेश के इटावा जिले में चबंल संगम के बाद युमना में मिल जाती है। इसकी कुल लंबाई 470 कि.मी. है जिसमें 461 किमी मध्यप्रदेश में है। इसकी सहायक नदियां पाहुज, कुवारी, माहुर तथा पार्वती है। सिंध गुना-अशोकनगर जिले के लगभग मध्य से गुजरती है।
कुआरी सिंध Kuwari River
  • शिवपुरी के पठार से निकलती है। कुल लंबाई 727 किमी है। चंबल के समांतर बहते हुए भिण्ड जिले में सिंध में मिलती है।
शिवना नदी Shivna River
  • शिवना नदी का उद्गम शिवना ग्राम (अरनोद जिला चित्तोडगढ़ राजस्थान से हुआ है।
  • मंदसौर स्थित भगवान पशुपतिनाथ अष्टमुखी मंदिर तथा तापेश्वर मंदिर शिवना नदी के तट पर स्थित है।
  • शिवना नदी के तट पर ही मंदसौर बसा है।
  • सहायक नदियां- गीड़, रेतम, तथा सोमनी
  • संगम-यह चंबल नदी में मिलती है।

पार्वती नदी Parvati River

  • पार्वती सीहोर जिले से निकलकर चंबल नदी (कोटा) में मिलती है। बांरा, बूंदी (राजस्थान) में बहती हुई पालियागांव (सवाई माधोपुर के पास) के निकट चंबल में मिल जाती है। पार्वती की सहायक नदियों में ल्हासी, अंधेरी, बिलास, बरनी एवं बेथेली प्रमुख है। कालीदास ने मेघदूत में पार्वती नदी को निर्विघन्या कहा है।
जुम्बड़ नदी Jumbad River
  • अत्यंत प्राचीन नदी है। जिसका उद्गम मंदसौर जिले के लामगरा से हुआ है। यह पीघारखेड़ी मंदसौर में चंबल नदी से मिल जाती है। इसकी कुल लंबाई 30 किमी है। जुम्बड़ नदी के तट पर प्रागैतिहासिक कालीन बस्तियों के साक्ष्य- मढ, खडे़रिया मारू पाड़लिया मारू पाये गये हैं।
बीहड़ नदी Beehad River
  • रीवा के पठार से निकलकर टोंस में मिलती है। इस पर म.प्र. का सबसे ऊँचा चचाई जलप्रपात‘ (130 मीटर या 430 फीट) बनता है।
सोमती नदी Somti River
  • सोमती नदी मंदसौर जिले के खोड़ना से निकलती है, तथा शिवना नदी में जाकर मिल जाती है।
धसान नदी Dhasan River
  • रायसेन जिले की बेगमगंज तहसील से उद्गमित होत है। इसकी कुल लंबाई 365 किमी. है जिसमें से म.प्र. में 240 किमी. है। धसान बेतवा नदी की सहायक नदी है। यह उत्तरप्रदेश में बेतवा में मिलती है। यह रायसेन और सागर जिलों का जल बहाकर बेतवा में ले जाती है। हरपालपुर के पास इस पर लेहचुरा बाँध बना है।
टोंस या तमसा नदी (ताओन) Tamsa River
  • यह कैमूर श्रेणी में स्थित तमाशकुण्ड नामक, जलाश्य से निकलकर उत्तर-पूर्व की और रावी के पठार पर बहती है। उत्तर-पूर्व की ओर प्रवाहित होती हुई यह पन्ना पहाड़ी को काटती है तथा कई प्रसिद्ध जलप्रपातों का निर्माण करती है। इसकी लंबाई 365 किमी. है तथा यह इलाहबाद के निकट सिरसा में गंगा नदी में मिल जाती है। इसकी मुख्य सहायक नदी बेलन है।
  • टोंस नदी का उल्लेख मार्कण्डेय, मतस्य, वामन, व वायु, पुराणों तथा रामायण में तमसा के नाम से हुआ है। इसे ताओन भी कहा जाता है।सतना के बाद टोंस नदी रीवा जिले में प्रवेश करती है। यहां कैमूर पहाड़ियों के बीच यह संकरी घाटियों से बहती है। इस नदी की कुल लंबाई लगभग 320 किमी है और यह मध्य प्रदेश में लगभग 238 किमी बहती है। इसकी सहायक नदियाँ बेलन, बीहड़, बबई, बेलाज, महान तथा सतना हैं।
अंसर नदी Ansar River
  • यह नदी जिला मंदसौर के शमगढ़ जामुनिया से उद्गमित होती है तथा चंबल (गांधी सागर) में मिल जाती है।
जामनी नदी Jaamni River
  • सागर जिले से उद्गमित । म.प्र. में 201 किमी. लंबाई जामनी नदी से टीकमगढ़ शहर को पानी सप्लाय होता है। यह नदी म.प्र. और उत्तर प्रदेश के दो जिलो की सीमा भी तय करती है। यह बेतवा की प्रमुख सहायक नदी है। इसका बहाव दक्षिण से उत्तर की ओर तथा यह ओरछा के निकट बेतवा नदी में मिलती है। जमसार तथा राजतक नदियां जामनी की सहायक नदियाँ हैं।
कान्ह (खान) तथा सरस्वती नदी Kanh River
  • इंदौर से 11 किलोमीटर दूर रालामंडल पहाड़ी से कान्ह (खान) नदी का उद्गम हुआ है। कान्हा का प्राचीन नाम क्षात या ख्याता भी है। इंदौर से लगभग 74 किमी बहती हुई कान्ह उज्जैन के पास क्षिप्रा में मिलती है। कान्ह और क्षिप्रा के संगम पर प्रसिद्ध त्रिवेणी घाट या त्रिवेणी तीर्थ स्थल है।
  • एक समय इंदौर की जीवन रेखा कहलाने वाली कानह धीरे-धीरे गंदे नाले में तब्दील हो गई, जिसके पुनरोत्थन के प्रयास किये जा रहे हैं। कान्ह की सहायक नदी सरस्वती का उद्गम राऊ (इंदौर) की पहाड़ियों से होता है तथा यह इंदौर शहर के मध्य में स्थित कृृष्णपुरा छत्रियों के पास कान्ह से मिलती है। कान्ह तथा सरस्वत को गंगा एक्शन प्लान में शामिल किया गया है।
सोन नदी (स्वर्ण नदी या हिरण्यबाहू नदी) Sone River
  • इसे महानद सोन भी कहते हैं। सोन नदी अमरकंटक की पहाड़ियों से निकलती है। अनूपपुर, शहडोल, रीवा, सीधी जिलों में बहती है और बिहार में प्रवेश कर दानापुर के निकट गंगा में मिलती है। यह नदी 780 किमी लंबी है। (म.प्र. में 509 किमी)
  • इसका अपवाह क्षेत्र 17900 वर्ग किमी है। मध्य प्रदेश के सीधी जिले से उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में प्रवेश करती है। सहायक नदियों में जोहिला, गोप, कन्हर, उत्तरी कोइल और रिहन्द प्रमुख है। सोन नदी का ढाल तेज तथा घाट चैड़ा है जो डेहरी आन सोन में 5 किमी हो जाता है। जहां इस पर एक लंबा पुल नेहरू सेतु बनाया गया है।
  • यह नदी अमरकंटक पहाड़ी के उत्तरी किनारे पर जलप्रपातों की श्रृंखला का निर्माण करती है तथा उत्तर-पूर्व की ओर प्रवाहित होती हुई रामनगर (दानापुर, आरा (बिहार) के समीप) में गंगा से मिलती है।
  • सोन नदी के अन्य नाम-नंद, सोन, सुवर्ण, सोनपालिका, सभाग्दि, शोणभद्र, सोआ (टाॅलमी द्वारा प्रदत्त), हिरण्यवाह।
  • सोन की रेत में संभवतः सोना मिलता था। सोन नदी को स्वर्ण नदी तथा हिरण्याबाहू एवं बाल्मीकि रामायण में सुभागधी कहा गया है। सोन नदी के तट पर मार्कण्डेय ऋषि का आश्रम भी था।
  • सोन नदी गंगा के दक्षिणी भाग में मिलने वाली सबसे बड़ी नदी है, जो कैमूर श्रेणी एवं छोटा नागपुर पठार के मध्य से सीमा बनाती है। सोन नदी में दुर्लभ प्रजाति के कछुए पाये जाते हैं। इस पर सोन घड़ियाल अभ्यारण स्थित है।
केन (कर्णावती, श्वेनी तथा कैनास) Ken River
  • विंध्याचल (अहरिगवाँ, जबलपुर) की भांडेर श्रेणी से निकलकर केन जंगलों से होकर उ.प्र. के चिला गांव में यमुना में मिलती है। इसकी लंबाई 427 किमी जिमें से म.प्र. में 292 किमी है। उ.प्र. में प्रदेश के पहले विजाबर-पन्ना पहाड़ियों को काटकर 60 कि.मी. लम्बी तथा 150-180 मीटर गहरी गार्ज का निर्माण करती है। स्नेह जल प्रपात तथा केन घड़ियालय अभ्यारण उल्लेखनीय पर्यटन स्थल है।
  • केन के अन्य नाम- शुक्तिमती, दिर्पावती, कर्णवती, श्रवेनी, कैनास।
  • सहायक नदियाँ-  श्यामरी, व्यारमा, मिढ़ासन, सोनार, बेवस, बघनेरी, बाना, उर्मिल, मीरहसन गुर्वे, मिर्शन कटनी,
  • जल प्रपात- पाण्डव जल प्रपात का निर्माण केन तथा इसकी सहायक नदियों से हुआ है।

महानदी तंत्र Mahandi River System

  • महानदी (सिहावा पर्वत, महासमुंद्र, छ.ग.) से निकलकर उड़ीसा में प्रवाहित होती है किन्तु इसकी सहायक नदी हसदो का अपवाह क्षेत्र लगभग 154 किमी अनूपपुर म.प्र. जिले में है।
  • धमतरी (रायपुर) के समीप सिहांवा पर्वत से निकलकर पहले उत्तर दिशा में प्रवाहित होती है, फिर पूर्व दिशा में बहती हुई उड़ीसा राज्य में प्रवेश करती है। जहां राउरकेला में इस पर हीराकुण्ड बांध बनाया गया है। यह पाराद्वीप के समीप बंगाल की खाड़ी में गिरती है। यह एक अनुवर्ती नदी है।
  • यह छत्तीसगढ़ की जीवन रेखा है जो राज्य के 58.50 प्रतिशत जल संग्रहण को पुरा करती है। इसे चित्रोत्पला, महानन्दा, कनकनंदिनी भी कहते हैं। इसकी लंबाई 850 किमी (छ.ग. में 286 कि.मी) है। इसके नीचले भाग में नौ परिवहन की सुविधा भी है। मानदी को छ.ग. की गंगा भी कहते हैं।
  • महानदी की सहायक नदियाँ- शिवनाथ, हसदों , मांड, ईबअ, केलो, जोंक, सेन्दुर, सूखा, पैरी, उंदती, कोडार।
गोदावरी नदी तंत्र Godavari River System
  • मध्य प्रदेश में गोदावरी नदी के पाॅच उपतंत्र है- बेनगंगा उपतंत्र, बाघ उपतंत्र, बावनथड़ी उपतंत्र, पेंच उपतंत्र, कन्हान उपतंत्र, म.प्र. में अपवाह 633 वर्ग कि.मी. है।
  • गोदावरी नदी की सहायक नदियों में तीन म.प्र. से उद्गमित होती हैं-
  1. बेनगंगा- सिवनी के परसवाड़ा पठार से।
  2. वर्धा- बैतूल के वर्धन शिखर से।
  3. पेंच- छिंदवाड़ा जिले से।
वर्धा नदी
  • बैतूल के मुल्ताई के वर्धन शिखर से निकल कर महाराष्ट्र में बेन गंगा नदी से मिलती है। इस नदी की कुल लंबाई 525 किमी तथा अपवाह क्षेत्र 24087 वर्ग किमी है। बेना, जाम, ईराई, मडू, बेमूला, हिर्री आदि इसकी प्रमुख सहायक नदियां हैं।
बेनगंगा नदी Bainganga River
  • परसवाड़ा पठार (सिवनी) के मुडारा गांव के निकट रजोलाताल से निकलती है। सिवनी, बालाघाट, जिलों में बहते हुए महाराष्ट्र के भंडारा जिले में प्रवेश कर जाती है। यहाँ वर्धा नदी इसमें आकर मिलती है, तो इसका नाम प्राणहिता हो जाता है। प्राणहिता के नाम से गोदावरी में मिल जाती है। इसकी सहायक नदियों में वर्धा, बाघ, बावनथड़ी, पेंच कन्हान, वाम, घिर्री, ठेल, चूलबंद, पंगोली, चंदन, सूर, चुन्नई, सावर थोरी अन्य अनेक सहायक नदियाँ है। बेनगंगा नदी पर सिवनी (छपारा) में 1972 में निर्मित भीमगढ़ बाँध (संजय सरोवर बाँध) एशिया का सबसे बड़ा मिट्टी का बांध है।
पेंच नदी Pench River
  • पेंच नदी छिंदवाड़ा जिले के जुन्नारेव के पहाड़ों से निकल कर पेंच राष्ट्रीय उद्यान के बीच से गुजरती है। छिंदवाड़ा और सिवनी जिले का पानी लेकर यह बेनगंगा में मिल जाती है। इसपर कई बांध बनाएं गए है। इसकी कुल लंबाई 274 कि.मी. है तथा प्रदेश में 206 कि.मी. है। कान्हान, कुलबेहरा तथा बावनथड़ी आदि इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ है। इसकी दक्षिण-पूर्वी सीमा पर तीव्र मोड़ (पेंच) आता है और यह दक्षिण की ओर मुड़ कर प्रवाहित होती है।
कन्हान नदी तंत्र Kanhan River
  • पंचमढ़ी (दमुआ) से निकलकर नागपुर में बैनगंगा से मिलती है इसकी कुल लंबाई 275 किमी है। 
  • सहायक नदियां- बोदरी, उमरानाला। 
  • पेंच नदी की सहायक नदी है।
माही नदी तंत्र Mahi Nadi Tantra
  • माही नदी को कंठाल की गंगा कहते है।
  • उद्गम- मध्य प्रदेश के धार जिले में विंध्याचल की पहाड़ियों में स्थित मेहद झील (भिंडा गांव, सरदारपुर तहसील, धार)
  • अन्य नाम- मह्यति, पृथ्वीपुत्री। इस नदी की कुल लंबाई 583 कि.मी. है, म.प्र. में इसकी लंबाई 158 कि.मी. है। अनास इसकी मुख्य सहायक नदी है जो कि मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले से शुरू होती है। यह पूर्व से पश्चिम की ओर बहती है।
  • बहाव क्षेत्र- खंभात खाड़ी से मिलने से पूर्व राजस्थान में सर्वाधिक प्रवाहित होती है। इसका कुल बेसिन  38999 किमी है। जिसमें से म.प्र. में 71.88 वर्ग किमी है। बांसवाड़ा व प्रतापगढ़ में माही नदी का बहाव क्षेत्र छप्पन का मैदान कहलाता है।
  • कर्क रेखा- माही नदी कर्क रेखा को दो बार काटती है। इस दौरान उल्टे यू क आकार में बहती है।
  • विलय- खंभात की खाड़ी (अरब सागर)
  • माही नदी राजस्थान में माही बजाज सागर (बोरखेड़ा, बांसवाड़ा)एवं कागदी पिक अप बांध (बांसवाड़ा) तथा गुजरात के कडाणा बांध बनाया गया है।
  • म.प्र. में बहाव क्षेत्र: धार, झाबुआ, रतलाम।
  • बेणेश्वर (डूंगरपुर) में माही,सोम, जाखम का त्रिवेणी संगम है जहां आदिवासियों का कुंभ भरता है।
Quick Revision  मध्यप्रदेश के प्राकृतिक अपवाह
  • भौगोलिक रचना के आधार पर मध्यप्रदेश को 6 नदी कछारों में बांटा गया है।
  • इन कछारों को अपवाह 305287 वर्ग किलोमीटर में विस्तारित हैं
गंगा यमुना कछार- 
  • गंगा और यमुना न तो मध्यप्रदेश से उद्गमित होती हैं और न यहां बहती है।
  • इसके बाद भी गंगा और यमुना का संयुक्त नदी तंत्र राज्य को सबसे बड़ा नदी तंत्र है।
  • गंगा यमुना नदी तंत्र राज्य में 202070 वर्ग किलोमीटर मे फैला है।
  • गंगा कछार में राज्य के 30 जिले पूर्ण या आंशिक रूप से आते हैं।
  • गंगा कछार की प्रमुख नदियां- चंबल, सिंध, बेतवा, धसान, कुंवारी, टोंस,बीहर, सोन और जामनी हैं।
नर्मदा कछार- 
  • नर्मदा कछार राज्य का दूसरा बड़ा नदी तंत्र है।
  • यह राज्य में 85930 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है।
  • इस नदी तंत्र को पोषित करने वाली नदियां- शक्कर, दूधी, तवा, माचक, कुंडी, गोई, हिरन बारना, कोलार, जामनेर, हथनी आदि हैं।
गोदावरी कछार तंत्र-
  • यह राज्य में 633 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है।
  • गोदावरी कछार की नदियां- कन्हान, पेंच, बैनगंगा वर्धा।
ताप्ती कछार-
  • यह राज्य के कुल 9800 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है.
  • ताप्ती इस कछार की सबसे बड़ी नदी है।
  • ताप्ती बैतूल जिले के मुलताई से उद्गमित होती हैं
  • इस नदी तंत्र की महत्वपूर्ण नदिया- पूर्णा, अनेर, अम्बोरा और कन्हार आदि हैं।
माही कछार
  • माही कछार राज्य के 6700 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र मंे विस्तारित है।
  • माही नदी राज्य के धार जिले से उद्गमित होती है।
  • इस तंत्र की प्रमुख नदिया- लरकी, अनास, और जम्मार आदि हैं।
महानदी कछार- 
  • यह मध्यप्रदेश का सबसे छोटा कछार है।
  • इस कछार का अधिकांश भाग छत्तीसगढ़ मे आता है।
  • इस कछार का क्षेत्रफल 154 वर्ग किलोमीटर है। जो राज्य के अनुपूर जिले मेें आता है।
  • इस कछार की नदी हसदेव है।
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