Bharat ki samvidhan sabha | भारत की संविधान सभा
भारत की संविधान सभा
संविधान सभा का गठन
संविधान सभा में
कुल सदस्य संख्या 389 हॉगी, जिनमें ब्रिटिश प्रान्तों के 292 सदस्य, देशी रियासतों के 93 सदस्य 4 कमिश्नरी क्षेत्र की प्रतिनिधि। संविधान सभा का पहला अधिवेशन 9 दिसम्बर 1946 को हुआ था। मुस्लिम लीग ने इसका
बहिष्कार किया। 3 जून 1947 के विभाजन योजना के द्वारा पाकिस्तान के लिए पृथक संविधान सभा का
गठन किया गया। पश्चिम बंगाल व
पूर्वी पंजाब के प्रान्तों मे नए निर्वाचन किए गए। पुनर्गठित
संविधान सभा में 324 सदस्यों की संख्या निश्चित की गयी ।
जब 31 अकटूबर 1947 को संविधान सभा बुलायी गयी तब उसमें 299 सदस्य थे, जिसमे 70 देशी रियासतों के प्रतिनिधि थे।
भारत की संविधान सभा
- कैबिनेट मिशन की संस्तुतियों के आधार पर भारतीय संविधान का निर्माण करने वाली संविधान सभा का गठन जुलाई, 1946 ई. में किया गया।
- संविधान सभा के सदस्यों की कुल संख्या 389 निश्चित की गयी थी,जिसमें 292 ब्रिटिश प्रांतों के प्रतिनिधि, 4 चीफ कमीशनर क्षेत्रों के प्रतिनिधि एवं 93 देशी रियासतों के प्रतिनिधि थे।
- मिशन योजना के अनुसार जुलाई, 1946 ई. में संविधान सभा का चुनाव हुआ। कुल 389 सदस्यों में से प्रान्तों के लिए निर्धारित 296 सदस्यो के लिए चुनाव हुए। इसमें कांग्रेस को 208, मुस्लिम लीग को 73 स्थान एवं 15 अन्य दलों के तथा स्वतंत्र उम्मीदवार निर्वाचित हुए।
- 9 दिसम्बर, 1946 ई. को संविधान सभा की प्रथम बैठक नई दिल्ली स्थित कौंसिल चैम्बर के पुस्तकालय भवन में हुई। सभा के सबसे बुजुर्ग सदस्य डाॅ. सच्चिदानन्द सिन्हा को सभा का अस्थायी अध्यक्ष चुना गया। मुस्लिम लीग ने इस बैठक का बहिष्कार किया और पाकिस्तान के लिए बिल्कुल अलग संविधान सभी की मांग कर दी।
- हैदराबाद एक ऐसी देशी रियासत थी, जिसके प्रतिनिधि संविधान सभी में सम्मिलित नहीं हुए थे।
- प्रांतों या देशी रियासतों को उनकी जनसंख्या के अनुपात में संविधान सभा में प्रतिनिधित्व दिया गया थ। साधारणतः 10 लाख की आबादी पर एक स्थान का आबंटन किया गया था।
- प्रांतों का प्रतिनिधित्व मुख्यतः तीन प्रमुख समुदायों की जनसंख्या के आधार पर विभाजित किया गया था, ये समुदाय थे- मुस्लिम, सिख एवं साधारण।
- संविधान सभा में ब्रिटिश प्रांतों के 296 प्रतिनिधियों का विभाजन साम्प्रदायिक आधार पर किया गया- 213 समान्य, 79 मुसलमान तथा 4 सिख।
- संविधान सभी के सदस्यों में अनुसूचित जनजाति के सदस्यों की संख्या 33 थी।
- संविधान सभी में महिला सदस्यों की संख्या 15 थी।
- 11 दिसम्बर 1946 ई. को डाॅ. राजेन्द्र प्रसाद संविधान सभा के स्थायी अध्यक्ष निर्वाचित हुए।
- संविधान सभा की कार्यवाही 13 दिसम्बर, 1946 ई. को जवाहर लाल नेहरू द्वारा प्रेश किए गए उद्देय प्रस्ताव के साथ प्रारंभ हुई।
- 22 जनवरी 1947 ई. को उद्देश्य प्रस्ताव की स्वीकृति के बाद संविधान सभा ने संविधान निर्माण हेतु अनेक समितियां नियुक्त की।
संविधान सभा की समितियां
- नियम समिति -डा. राजेन्द्र प्रसाद
- संचालन समिति- डा. राजेन्द्र प्रसाद
- रियासत समिति- डा. राजेन्द्र प्रसाद
- प्रारूप समिति -डा़.भीमराव अम्बेडकर
- संघ समिति- जबाहर लाल नहेरू
- संघ संविधान समिति- जबाहर लाल नहेरू
- प्रान्तीय संविधान समिति – सरदार वल्लभ भाई पटेल
- सलाह कार समिति- सरदार वल्लभ भाई पटेल
- मूल अधिकार उप समिति- जे.बी कृपलानी
- अल्पसंख्यक उप समिति और झण्डा समिति – जे.बी कृपलानी
प्रारूप समिति का गठन
बी.एन.राव द्वारा तैयार किए गए संविधान के
प्रारूप पर विचार विमर्श करने के लिए संविधान सभी द्वारा 29 अगस्त, 1947 ई. को एक संकल्प पारित करके प्रारूप समिति का गठन किया गया । प्रारूप
समिति के अध्यक्ष के रूप में डाॅ. भीमराव अम्बेडकर को चुना गया।
प्रारूप समिति में सदस्यों की संख्या 7 थी-
1-डाॅ भीमराव अम्बेडकर
2-एन. गोपाल स्वामी आयंगर
3-अल्लादी कृष्णा स्वामी अय्यर
4- कन्हैयालाल मणिकलाल मुंशी
5- सैय्यद मोहम्मद सादुल्ला
6- एन. माधव राव (बी.एल. मित्र के स्थान पर)
7- डी.पी. खेतान (1948
ई. में इनकी मृत्यु के बाद टी.टी. कृष्णमाचारी को सदस्य बनाया गया।
संविधान सभा में डाॅ भीमराव अम्बेडकर का
निर्वाचन प. बंगाल से हुआ था।
संविधान सभा का पुनर्गठन
3 जून 1947 ई. को योजना के अनुसार देश का बंटवारा
हो जाने से भारतीय संविधान सभा की कुल सदस्य संख्या 324 हो गयी, जिसमें 235 स्थान प्रांतों के लिए और 89 स्थान देशी राज्यों के लिए थे।
देश विभाजन के बाद संविधान सभा का पुनर्गठन 31 अक्टूबर 1947 ई. को किया गया और 31 दिसम्बर 1947 ई. को संविधान सभा के सदस्यों की कुल
संख्या 299 थी, जिसमें प्रांतीय सदस्यों की
संख्या 229 एवं देशी रियासतों के सदस्यों की
संख्या 70 थी।
प्रारूप समिति की रिपोर्ट एवं संविधान का वाचन
- प्रारूप समिति ने संविधान के प्रारूप पर विचार-विमर्श करने के बाद 21 फरवरी, 1948 ई. को संविधान सभा को अपनी रिपोर्ट पेश की।
- संविधान सभा में संविधान का प्रथम वाचन 4 नवम्बर से 9 नवम्बर 1948 ई. तक चला। संविधान का दूसरा वाचन 15 नवम्बर 1948 ई. को प्रारंभ हुआ जो 17 अक्टूबर 1949 ई. तक चला। संविधान सभा का तीसरा वाचन 14 नवंबर 1949 ई. को प्रारंभ हुआ जो 26 नवंबर 1949 ई. तक चला और संविधान सभा द्वारा संविधान को पारित कर दिया गया। इस समय संविधान सभा के 284 सदस्य उपस्थित थे।
- संविधान निर्माण प्रक्रिया में कुल 2 वर्ष 11 महीना और 18 दिन लगे। संविधान के प्रारूप पर कुल 114 दिन बहस हुई। संविधान निर्माण कार्य में कुल मिलाकर 6396729 रू. व्यय हुए।
- संविधान में कुल 22 भाग, 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियाँ थीं। वर्तमान समय में 22 भाग 395 अनुच्छेद एवं 12 अनुसूचियां हैं।
- संविधान के कुल अनुच्छेदों में से 15 अर्थात् 5,6,7,8,9,60, 366,367,372,380,388, 391,392 तथा 393 अनुच्छेदों को 36 नवम्बर 1949 को ही प्रवर्तित कर दिया गया जबकि शेष अनुच्छेदों को 26 जनवरी 1950 ई. को लागू किया गया।
- संविधान सभा की अंतिम बैठक 24 जनवरी, 1950 ई. को हुई और उसी दिन संविधान सभा के द्वारा डाॅ राजेन्द्र प्रसाद को भारत का प्रथम राष्ट्रपति चुना गया।
- कैबिनेट मिशन के सदस्य सर स्टेफोर्ड क्रिप्स, लाॅर्ड पेंथिक तथा ए.बी. एलेग्जेण्डर थे।
संविधान सभा के सत्र
पहला सत्र : 9-23 दिसंबर, 1946
दूसरा सत्र : 20-25 जनवरी, 1947
तीसरा सत्र : 28 अप्रैल – 2 मई, 1947
चौथा सत्र : 14-31 जुलाई, 1947
पाँचवां सत्र : 14-30 अगस्त, 1947
छठा सत्र : 27 जनवरी, 1948
सातवाँ सत्र : 4 नवंबर, 1948 – 8 जनवरी,
1949
आठवाँ सत्र : 16 मई-16 जून, 1949
नौवां सत्र : 30 जुलाई-18 सितंबर,
1949
दसवां सत्र : 6-17 अक्टूबर, 1949
ग्यारहवां सत्र : 14-26 नवंबर, 1949
केंद्रीय मंत्री मंडल
- जवाहरलाल नहेरू- कार्यकारी परिषद् के उपाध्यक्ष
- वल्लभ भाई पटेल- गृह सूचना प्रसारण
- बलदेव सिहं – रक्षामन्त्री
- सी राजगोपालचारी – शिक्षा मन्त्री
- राजेन्द्र प्रसाद ,- कृषि एवं खाद्य
- आसफअली – रेलमन्त्री
- जगजीवनराम – श्रम मन्त्री
- जॉन मथाई- उद्योग एवं आपूर्ति मन्त्री
- जोगेन्द्र नाथ मण्डल – विधि मन्त्री
- आई-आई चुन्दरीगर- वाणिज्य मन्त्री
- अली खान – स्वस्थ्य मन्त्री
- मावलंकर- अंतरिम सभाध्यक्ष
संविधान सभा से महत्वपूर्ण दिनांक
- 11 दिसम्बर 1946 डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद को स्थायी अध्यक्ष चुना गया।
- 13 दिसम्बर 1946 संविधान सभा में नहेरू ने उदेश्य प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
- 22 जनवरी 1947 को संविधान सभा द्वारा उदेश्य प्रस्ताव स्वीकृत हुआ।
- 29 अगस्त 1947 को भीम राव अम्बेडकर की अध्यक्षता मे प्रारूप समिति का गठन हुआ।
- 4 नवम्बर 1947 संविधान सभा का प्रथम वाचन
- 15- 16 नवम्बर 1948 को द्वितीय वाचन
- 17-26 नवम्बर 1949 तीसरा वाचन को सम्पन्न हुआ।
- 26 नवम्बर 1949 को संविधान अंगीकृत किया गया ।
- 22जुलाई 1947 राष्ट्रीय ध्वज को स्वीकार किया गया।
- 24 जनवरी को राष्ट्रीय गान स्वीकार किया गया ।
- 1 दिसंबर, 1947 की स्थिति के अनुसार भारत की संविधान सभा के सदस्यों की राज्य वार संख्या प्रांत – 229
संविधान सभा में महिलाओं की संख्या एवं नाम
भारत
की संविधान सभा में 18 महिला सदस्य थीं।
- दुर्गाबाई देशमुख
- राजकुमारी अमृत कौर
- हंसा मेहता
- बेगम ऐजाज रसूल
- अम्मू स्वामीनाथन
- सुचेता कृपलानी
- दकश्यानी वेलयुद्धन
- रेनुका रे,
- पुर्निमा बनर्जी,
- एनी मसकैरिनी
- कमला चौधरी
- लीला रॉय
- मालती चौधरी
- सरोजिनी नायडू
- विजयलक्ष्मी पंडित।
अम्मू स्वामीनाथन
अम्मू स्वामीनाथन का जन्म केरल के पालघाट जिले
के अनाकारा में ऊपरी जाति के हिंदू परिवार में हुआ था। उन्होंने साल 1917 में
मद्रास में एनी बेसेंट, मार्गरेट, मालथी पटवर्धन, श्रीमती दादाभाय और श्रीमती अंबुजमल के
साथ महिला भारत संघ का गठन किया। वह साल 1946 में मद्रास निर्वाचन क्षेत्र से
संविधान सभा का हिस्सा बन गईं।
दक्षिणानी वेलायुद्ध
दक्षिणानी वेलायुद्ध का जन्म 4 जुलाई 1912 को
कोचीन में बोल्गाटी द्वीप पर हुआ था। वह शोषित वर्गों की नेता थी। साल 1945 में, दक्षिणानी को कोचीन विधान परिषद में
राज्य सरकार द्वारा नामित किया गया था। वह साल 1946 में संविधान सभा के लिए चुनी
गयी पहली और एकमात्र दलित महिला थीं।
बेगम एजाज रसूल
बेगम एजाज रसूल मालरकोटला के रियासत परिवार में
पैदा हुई और उनकी शादी युवा भूमि मालिक नवाब अजाज रसूल से हुई थी। वह संविधान सभा
की एकमात्र मुस्लिम महिला सदस्य थी। साल 1950 में, भारत में मुस्लिम लीग भंग होने के बाद
वह कांग्रेस में शामिल हो गयी।
दुर्गाबाई देशमुख
दुर्गाबाई देशमुख का जन्म 15 जुलाई 1909 को राजमुंदरी में हुआ था। बारह वर्ष की उम्र में उन्होंने
गैर-सहभागिता आंदोलन में भाग लिया और आंध्र केसरी टी प्रकाशन के साथ उन्होंने मई 1930 में मद्रास शहर में नमक सत्याग्रह
आंदोलन में भाग लिया
हंसा मेहता
हंसा का जन्म 3 जुलाई 1897 को बड़ौदा के रहने वाले मनुभाई नंदशंकर
मेहता के यहाँ हुआ था| हंसा ने इंग्लैंड में पत्रकारिता और
समाजशास्त्र का अध्ययन किया। एक सुधारक और सामाजिक कार्यकर्ता होने के साथ-साथ वह
एक शिक्षिका और लेखिका भी थीं।
कमला चौधरी
कमला चौधरी का जन्म लखनऊ के समृद्ध परिवार में
हुआ था। शाही सरकार के लिए अपने परिवार की निष्ठा से दूर जाने से वह
राष्ट्रवादियों में शामिल हो गई और साल 1930 में गांधी द्वारा शुरू की गई नागरिक अवज्ञा आंदोलन में भी उन्होंने
सक्रियता से हिस्सा लिया|
लीला रॉय
लीला रॉय का जन्म अक्टूबर 1900 में असम के गोलपाड़ा में हुआ था। उनके
पिता डिप्टी मजिस्ट्रेट थे और राष्ट्रवादी आंदोलन के साथ सहानुभूति रखते थे। साल 1937 में, वह कांग्रेस में शामिल हो गईं और अगले
वर्ष बंगाल प्रांतीय कांग्रेस महिला संगठन की स्थापना की। वह सुभाष चंद्र बोस
द्वारा गठित महिला उपसमिती की भी सदस्य बन गईं। भारत छोड़ने से पहले नेताजी ने
लीला रॉय और उनके पति को पार्टी गतिविधियों का पूरा प्रभार दिया।
मालती चौधरी
मालती चौधरी का जन्म साल 1904 में पूर्वी बंगाल (अब बांग्लादेश) में
एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था। साल 1921 में, सोलह साल की उम्र में मालती चौधरी को
शांति-निकेतन भेजा गया, जहां उन्हें विश्व भारती में भर्ती
कराया गया। उन्होंने नाबकृष्ण चौधरी से विवाह किया, जो बाद में ओडिशा के मुख्यमंत्री बने और साल 1927 में ओडिशा चले गए। नमक सत्याग्रह के
दौरान, मालाती चौधरी और उनके पति भारतीय
राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए और आंदोलन में भाग लिया।
पूर्णिमा बनर्जी
पूर्णिमा बनर्जी इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश) में
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस कमेटी की सचिव थी। वह उत्तर प्रदेश की महिलाओं के एक
कट्टरपंथी नेटवर्क में से थी जो साल 1930 के दशक के अंत में वे स्वतंत्रता आंदोलन में सबसे आगे थीं।
अमृत कौर
अमृत कौर का जन्म 2 फरवरी 1889 में लखनऊ (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। वह कपूरथला के पूर्व महाराजा
के पुत्र हरनाम सिंह की बेटी थी| उन्हें
इंग्लैंड के डोरसेट में शेरबोर्न स्कूल फॉर गर्ल्स में शिक्षित किया गया था| साल 1964 में जब उनकी मृत्यु होने के बाद द
न्यूयॉर्क टाइम्स ने उन्हें अपनी देश की सेवा के लिए ‘राजकुमारी’ की उपाधि दी|
रेनुका
रेनुका एक आईसीएस अधिकारी सतीश चंद्र मुखर्जी
की बेटी थीं| उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से
बीए की पढ़ाई पूरी की। साल 1934
में, एआईडब्ल्यूसी के कानूनी सचिव के रूप
में उन्होंने ‘भारत में महिलाओं की कानूनी विकलांगता’ नामक एक दस्तावेज़ प्रस्तुत किया| । साल 1952 से 1957 में, उन्होंने पश्चिम बंगाल विधानसभा में
राहत और पुनर्वास के मंत्री के रूप में कार्य किया। इसके साथ ही, वह साल 1957 में और फिर 1962
में वह लोकसभा
में मालदा की सदस्य थे।
सरोजिनी नायडू
सरोजिनी नायडू का जन्म हैदराबाद में 13 फरवरी 1879 को हुआ था। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष होने वाली
भारतीय महिला थीं और उन्हें भारतीय राज्य गवर्नर नियुक्त किया गया था। उन्हें
लोकप्रिय रूप से ‘नाइटिंगेल ऑफ इंडिया’ भी कहा जाता है।
सुचेता का जन्म हरियाणा के अंबाला शहर में साल 1908 में हुआ था| उन्हें विशेषरूप से साल 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में उनकी भूमिका
के लिए याद किया जाता है। कृपलानी ने साल 1940 में कांग्रेस पार्टी की महिला विंग की भी स्थापना की।
विजया लक्ष्मी पंडित
विजया लक्ष्मी पंडित का जन्म 18 अगस्त 1900 में इलाहाबाद में हुआ था और वह भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू
की बहन थीं। साल 1932 से 1933, साल 1940 और साल 1942 से 1943 तक अंग्रेजों ने उन्हें तीन अलग-अलग
जेल में कैद किया था। राजनीति में विजया का लंबा करियर आधिकारिक तौर पर इलाहाबाद
नगर निगम के चुनाव के साथ शुरू हुआ। साल 1936 में, वह संयुक्त प्रांत की असेंबली के लिए
चुनी गयी और साल 1937 में स्थानीय सरकार और सार्वजनिक
स्वास्थ्य मंत्री बनी| ऐसा पहली बार था जब एक भारतीय महिला
कैबिनेट मंत्री बनी।
एनी मास्कारेन
एनी मास्कारेन का जन्म केरल के तिरुवनंतपुरम
में एक लैटिन कैथोलिक परिवार में हुआ था। वह त्रावणकोर राज्य से कांग्रेस में
शामिल होने वाली पहली महिलाओं में से एक थीं और त्रावणकोर राज्य कांग्रेस
कार्यकारिणी का हिस्सा बनने वाली पहली महिला बनीं। मास्कारेन भारतीय आम चुनाव में
साल 1951 में पहली बार लोकसभा के लिए चुनी गयी
थी| वह केरल की पहली महिला सांसद थी|
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