संघीय कार्यपालिका | Bharat ki Sanghiya Karyapalika
संघीय कार्यपालिका
- भारत संघ की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित है।
- भारत में ससंदीय व्यवस्था को अपनाया गया है। अतः राष्ट्रपति नाममात्र की कार्यपालिका है, तथा प्रधानमंत्री तथा उसका मंत्रिमंडल वास्तविक कार्यपालिका है।
राष्ट्रपति- राष्ट्रपति देश का संवैधानिक
प्रधान होता है। राष्ट्रपति भारत का प्रथम नागरिक कहलाता है। राष्ट्रपति का
निर्वाचन समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली और एकल संक्रमणीय मत पद्धति के द्वारा
होता है।
उपराष्ट्रपति- संविधान के अनुच्छेद 63 के अनुसार भारत का एक उपराष्ट्रपति
होगा। भारत के संविधान में उपराष्ट्रपति से संबंधित प्रावधान अमेरिका के संविधान
से ग्रहण किया गया है। उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होता है।
उपराष्ट्रपति राज्य सभा का सदस्य नहीं होता है, अतः इसे मतदान करने का अधिकार नहीं होता है। किन्तु सभापति के रूप
में निर्णायक मत देने का अधिकार उसे प्राप्त है।
प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद
संविधान के अनुच्छेद 74 के अनुसार राष्ट्रपति को उसके कार्यों
के संपादन व सलाह देने हेतु एक मंत्रिपरिषद होती है, जिसका प्रधान प्रधानमंत्री होता है। संविधान के अनुच्छेद 75 के अनुसार प्रधानमंत्री की नियुक्ति
राष्ट्रपति करेगा और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की सलाह
पर करेगा। मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोक सभा के प्रति उत्तरदायी होती है। यदिलोक
सभा किसी एक मंत्री के विरूद्ध अविश्वास का प्रस्ताव पारित करे अथवा उस विभाग से
संबंधित विधेयक को रद्द कर दे तो, समस्त
मंत्रिमंडल को त्यागपत्र देना होता है।
मंत्रिपरिषद
- मंत्री तीन प्रकार के होते हैं- कैबिनेट मंत्री, राज्यमंत्री और उपमंत्री। कैबिनेट मंत्री विभाग के अध्यक्ष होते हैं। प्रधानमंत्री एवं कैबिनेट मंत्री को मिलाकार मंत्रिमंडल का निर्माण होता है। कैबिनेट मंत्रियों में सबसे बड़ा कार्यकाल जगजीवन राम का रहा जो लगभग 32 वर्ष तक केन्द्रीय मंत्रिमंडल में रहे।
कैबिनेट मंत्री
- ऐसे मंत्री को मंत्रिमंडल की प्रत्येक बैठक मेँ उपस्थित होने तथा भाग लेने कार है (अनुच्छेद 352) के अधीन आपात की उद्घोषणा लिए सलाह प्रधानमंत्रीऔर अन्य कैबिनेट मंत्री मिल कर देंगे।
राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
- यह किसी कैबिनेट मंत्री के अधीन काम नहीँ करता।
राज्य मंत्री
- इसके पास किसी विभाग का स्वतंत्र प्रभार नहीँ होता और यह मंत्री के अधीन कार्य करता है। ऐसे मंत्री को उसका कैबिनेट मंत्री कार्य आवंटित करता है।
उपमंत्री
- ऐसा मंत्री कैबिनेट मंत्री या स्वतंत्र प्रभार वाले राज्यमंत्री के अधीन कार्य करता है। जिस मंत्री के अधीन वह कार्य करता है वही उसे कार्य आवंटित करता है। प्रधानमंत्री कैबिनेट मंत्रियोँ को और स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री को
- विभाग आवंटित करता है। अन्य मंत्रियोँ को कार्य का आवंटन उनके कैबिनेट मंत्री करते हैं।
राज्य की कार्यपालिका
- भारतीय संविधान के भाग-6 में राज्य शासन के लिए प्रावधान है। जो सभी राज्यों पर लागू होते हैं। राज्य की कार्यपालिका का प्रमुख राज्यपाल होता है, वह प्रत्यक्ष रूप से अथवा अधीनस्थ अधिकारियों के माध्यम से इसका उपयोग करता है। प्रत्येक राज्य में एक राज्यपाल होता है लेकिन एक ही राज्यपाल दो या अधिक राजयों का राज्यपाल नियुक्त किया जा सकता है।
विधान परिषद
- विधान परिषद राज्य विधान मंडल का उच्च सदन होता है। यदि किसी राज्य की विधान सभा अपने कुल सदस्यों के पूर्ण बहुमत तथा उपस्थित मतदाने करने वाले सदस्यों के दो तिहाई बहुमत से प्रस्ताव पारित करे तो संसद उस राज्य में विधान परिषद स्थापित कर सकती है अथवा उसका लोप कर सकती है।
विधानसभा
- विधानसभा सभा का कार्यकाल 5 वर्ष है, किन्तु विशेष परिस्थिति में राज्यपाल को यह अधिकार है कि वह इससे पूर्व भी उसको विघटित कर सकता है। विधानसभा के सत्रावसान के आदेश राज्यपाल के द्वारा दिए जाते हैं। विधानसभा में निर्वाचित होने के लिए न्यूनतम आयु सीमा 25 वर्ष है।
मुख्यमंत्री
- मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है। साधारणतः वैसे व्यक्ति को मुख्यमंत्री नियुक्त किया जाता है जो विधान सभा में बहुमत दल का नेता होता है। मुख्यमंत्री ही शासन का प्रमुख प्रवक्ता है और मंत्रिपरिषदों की बैठकों की अध्यक्षता करता है। मंत्रिपरिषद के निर्णयों को मुख्यमंत्री राज्यपाल तक पहुंचाता है। राज्यपाल के सारे अधिकारों का प्रयोग मुख्यमंत्री ही करता है।
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