सरकारी काम के प्रसंग में कई बार किसी न किसी
अधिकारी को दूसरे अधिकारी अथवा दूसरे मंत्रालय/विभाग के अधिकारी को किसी बात की ओर
विशेष ध्यान दिलाने, आपस में सलाहकरने, विचारों
या सूचनाओं का आदान-प्रदान करने, कोई
सूचना देने या किसी का स्पष्टीकरण देने या चाहने की आवश्यकता पड़ती है। तब
अर्द्वशासकीय पत्रों का आदान-प्रदान होता है।
इस पत्र का स्वरूप व्यक्तिगत पत्र के समान होता
है अर्थात उत्तम पुरूष और द्वितीय पुरूष में- मैं और आप से, परन्तु बात का प्रसंग कोई सरकारी काम
ही होता है। कभी-कभी यह पत्र गोपनीय होता है।
अर्द्वशासकीय पत्र कैसे लिखे जाते हैं
पत्र के ऊपर के दाहिने हाथ पर पत्र संख्या, नीचे सरकार और विभाग का नाम, कुछ नीचें बायीं ओर प्रेषक, उसके पद का नाम, फिर संबोधन- प्रिय
श्री.............जोड़ा जाता है। प्राप्तकर्ता का नाम और पता पत्र के नीचे बायें
हाथ पर रहता है।
‘मुझे
यह कहने का आदेश हुआ है‘,
‘उपर्युक्त विषय
पर मुझे निर्देश मिला है‘
आदि औपचारिक शब्दों से आरंभ करने की
आवश्यकता नहीं होती है।
यह तो एक प्रकार से निजी और अनौपचारिक होता है।
किसी भी निर्धारित लेखन विधि का पालन नहीं किया जाता है।
आमतौर पर अपने से उच्च अधिकारी को को
अर्द्वशासकीय पत्र नहीं भेजा जाता। प्रायः समान स्तर के अधिकारी के साथ ऐसापत्र-व्यवहार होता है।
पत्र के दाहिने हाथपर पत्र संख्या, नीचे सरकारी कार्यालय का नाम और तिथि
लिखी जाती है। कुछ नीचे बायीं ओर प्रेषक का नाम और पद अंकित रह सकता है, पर साधारणतः पत्र के अंत में अधोलेख के
अंतर्गत ‘आपका‘ और हस्ताक्षर के बाद होना चाहिए।
प्रिय श्री, प्रियवर
(नाम) यह संबोधन का ढंग है।
फिरअपनी बात लिखते रहें।
बात की समाप्ति पर नीचे दाहिनी ओर ‘ सम्मान सहित‘ , ‘सादर‘, ‘शुभ कामनाओं सहित‘ आदि
लिखकर और नीचे भवदीय, फिर हस्ताक्षर, प्रेषक का नाम, फिर पदनाम और (यदि पहले संकेत न किया
हो) कार्यालय आदि का पता लिख दिया जाता है। बांये हाथ पर सामने प्राप्तकर्ता का
नाम, पदनाम, और पता दिया जाता है।
अर्द्वशासकीय पत्र गैर सरकारी व्यक्तियों को भी
लिखे जाते हैं पर उनका विषय भी शासकीय होना चाहिए।
अर्द्धसरकारी पत्र नमूना
अर्द्वशासकीय पत्र की विशेषता
सरकारी पत्र का एक उपभेद है, सरकारी कामकाज के संबंध में इनका
प्रयोग होता है।
शीघ्र
कार्रवाई या अभिलंब जानकारी प्राप्त करने के लिए इनका प्रयोग किया जाता है।
व्यक्तिगत
और आत्मीय शैली में लिखे जाते हैं।
इनमें
उत्तम पुरुष का प्रयोग होता है।
व्यक्तिगत
पहचान के साथ भेजे जाते हैं।
औपचारिकता
का पालन नहीं किया जाता है।
सामान
स्तर के अधिकारियों के बीच में अधिक प्रचलित है।
शासकीय और अर्द्वशासकीय पत्र में अंतर
शसकीय पत्रों का आदान प्रदान कार्यालयीन स्तर
पर होता है, जबकि अर्द्धशासकीय पत्रों का आदान
प्रदान दो अधिकारियों के मध्य अधिकारी स्तर पर होता
शासकीय पत्रों का विषय एवं संबोधन सरकारी होता
है, जबकि अर्द्धशासकीय पत्रों का है। विषय
सरकारी होता है किंतु संबोधन असरकारी या निजी होता है।
शासकीय पत्रों का प्रयोग सरकारी आदेशों व
निर्देशों को प्रसारित करने के लिये तथा आवश्यकता अनुसार अलग-अलग मुद्दों की
व्याख्या, विश्लेषण या टीका टिप्पणी करने के लिए
किया जाता है। जबकि अर्द्धसरकारी पत्रों का प्रयोग अधिकारियों के बीच आपस में सलाह, विचार विमर्श अथवा जानकारी प्राप्त
करने के लिए किसी अधिकारी का ध्यान लंबित प्रकरण के संबंध में विशेष रूप से आकृष्ट
करने के लिये अथवा किसी अधिकारी के द्वारा कार्य में व्यक्तिगत रूचि लेकर शीघ्र
पूरा करनो के लिये किया जाता है।
शासकीय पत्रों की भाषा में ‘‘मुझे आदेश हुआ है या मुझे निर्देश हुआ
है‘‘ वाक्यावली प्रयुक्त होती है, जबकि अर्द्धसरकारी पत्रों में ‘मुझे कहते हुए हर्ष होता है या मुझे
सूचित करते हुए प्रसन्नता हो रही है।‘‘ आदि
पदावली का प्रयोग किया जाता है।
शासकीय पत्र में कार्यालय द्वारा लिखित बातों
का महत्व सर्वोपरि होता है जबकि अर्द्धसरकारी पत्र में कार्यालय द्वारा लिखित
बातों का महत्व सर्वाेपरि नहीं होता है।
शासकीय सरकारी पत्र का प्रारूप वस्तुनिष्ठ तथा
संयोजनात्मक होता है जबकि अर्द्धसरकारी पत्र का प्रारूप वस्तुनिष्ठ या संयोजनात्मक
नहीं होता है।
शासकीय पत्रों की भाषा-शैली विशिष्ट होती है।
जबकि अर्द्धसरकारी पत्रों की भाषा-शैली विशिष्ट नहीं होती है।
शासकीय पत्रों में संबोधन तथा अन्य संदर्भों
में परम्परा का पालन किया जाता है जबकि अर्द्धसरकारी पत्रों मेंसंबोधन तथा अन्य संदर्भों का पालन नहीं किया
जाता है।
सरकारी पत्र औपचारिक पत्र होता है जबकि
अर्द्धसरकारी पत्र औपचारिक एवं अनैपचारिक दोनों हो सकता है।
सरकारी पत्र प्रथम पुरूष में लिखा जाता है।
जबकि अर्द्धसरकारी पत्र उत्तम पुरूष या द्वितीय पुरूष में लिखा जाता है।
सरकारी पत्र की भाषा आदेशात्म होती है। जबकि
अर्द्धसरकारी पत्र की भाषा मैत्रीपूर्ण, सौम्य
तथा शालीन होती है।
सरकारी पत्र गोपनीय नहीं होते हैं। जबकि
अर्द्वशासकीय पत्र प्रायः गोपनीय होते हैं, एतर्थ
उस पर ‘गोपनीय‘ शब्दलिखा होता है।
सरकारी पत्र सरकार की भावना और आदेश की सूचना
का प्रसारण करता है। जबकि अर्द्धशासकीय पत्र एक अधिकारी द्वारा दूसरे अधिकारी को
लिखा जाता है।
kaksha 11 Ke anusar Aardth sarkari Patra ko samjhaie
ReplyDelete