मध्यप्रदेश की प्रमुख फसलें | Madhya Pradesh Ki Pramukh Fasalen
मध्यप्रदेश की फसलें Major Crops of MP
मौसम के आधार पर फसल का वर्गीकरण
रबी की फसलें- गेहूँ , चना, मटर, राई, सरसों, मसूर
खरीफ की फसलें- चावल, सोयाबीन, कपास, गन्ना, मूंगफली, तिल, तुअर, ज्वार, मक्का, सूर्यमुखी
जायद की फसलें- लोकी, ककड़ी, खीरा, तरबूज, खरबूज
उपयोग के आधार पर फसल वर्गीकरण
व्यापारिक फसलें- कपास, गन्ना, तम्बाकू, अफीम, पटसद, अलसी, तिल, सोयाबीन, आदि।
खाद्यान्न फसलें- गेहूं, चावल, ज्वार, मक्का, बाजरा, चना, दालें, तिलहन
मध्यप्रदेश में कृषि की जलवायुविक भौगोलिक दशायें
फसल | विशेष |
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गेहूॅ
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वर्षा- 75 से 100 सेमी
तापक्रम- 15 से26
मिट्टी-
दोमट, हल्की
कछारी
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चावल
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वर्षा- 125 से 200
तापक्रम- 25 से 26
मिट्टी-
दोमट, दलदली, चिकनी
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चना
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वर्षा- 100 से 200
तापक्रम- 20 से 26
मिट्टी-
काली, जलोढ़
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कपास
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वर्षा- 60 से 100
तापक्रम- 20 से 25
मिट्टी- काली, जलोढ़
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तुअर
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वर्षा- 100 से 200
तापक्रम- 20 से 26
मिट्टी- चिकनी, दोमट
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ज्वार
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वर्षा- 75 से 100
तापक्रम- 20 से 26
मिट्टी-
दोमट, कछारी
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गन्ना
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वर्षा- 100 से 200
तापक्रम- 15 से 24
मिट्टी-
हल्की दोमट, चिकनी
|
म.प्र. की प्रमुख चारा फसल
मक्का, ज्वार, बाजरा, बरसीम, जई, ग्वार आदि चारा फसलों के अंतर्गत आती हैं। मध्यप्रदेश
के कुल फसल क्षेत्र का 35 प्रतिशत क्षेत्रफल चारा फसलों का है।
कुकरू खामला- कॉफी उत्पादक क्षेत्र
म.प्र. का एकलौता कॉफी उत्पादक क्षेत्र ‘कुकरू खामला‘ (भैंसदेही जिला बैतूल) है। यहाँ एक
ब्रिटिश नागरिक द्वारा 110 हेक्टेयर क्षेत्र में कॉफी के बागान
लगाए गए थे। अब यह क्षेत्र सिमटकर 22
हेक्टेयर रह गया है।
फसलों में म.प्र. का स्थान
गेेहूं, दलहन
एवं तिलहन उत्पादन में मध्यप्रदेश का देश में प्रथम स्थान है।
फसल | स्थान
क्रम सर्वाधिक उत्पादक क्षेत्र |
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गेहूॅ
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प्रथम 20 प्रतिशत, चम्बल
घाटी क्षेत्र
|
सोयाबीन
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प्रथम 51 प्रतिशत, पश्चिमी
मध्यप्रदेश
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दलहन
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प्रथम 26.5 प्रतिशत, उत्तर
मध्यप्रदेश
|
ज्वार
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प्रथम, उत्तर
पश्चिम मध्यप्रदेश
|
चना
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प्रथम 37 प्रतिशत, उत्तर-मध्य-पश्चिम
म.प्र.
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कपास
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चतुर्थ, निमाड़
क्षेत्र, मालवा
|
तिलहन
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द्वितीय 20.25 प्रतिशत, उत्तर-पश्चिम
म.प्र.
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सरसो
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तृतीय 11.34 प्रतिशत, मुरैना, ग्वालियर, भिंड
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तुअर
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तृतीय 14.5 प्रतिशत, नर्मदा
घाटी
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मध्यप्रदेश से कृषि निर्यात
उत्पाद |
उत्पादक जिले एवं आयातक देश |
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आलू, प्याज, लहसून
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जिले-
मालवा क्षेत्र, उज्जैन, इंदौर, देवास, धार, शाजापुर, रतलाम, नीमच
मंदसौर
आयातक
देश- मलेशिया, श्रीलंका, दुबई, मारीशस, बांग्लादेश
|
मसाले
|
जिले-
गुना, मंदसौर, उज्जैन, राजगढ़, रतलाम, शाजापुर, नीमच
आयातक
देश- मध्यपूर्व दुबई, कनाड़ा, यूके, दक्षिण
अफ्रीका, मलेशिया, मारीशस
|
गेहूॅ
|
जिले-
उज्जैन, रतलाम, मालवा
क्षेत्र, महाकौशल
क्षेत्र
आयातक
देश- मध्यपूर्व दुबई, मलेशिया
|
दालें
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जिले-
शिवपुरी, गुना, विदिशा, नरसिंहपुर, छिंदवाड़ा
आयातक
देश- मध्यपूर्व दुबई, मलेशिया
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संतरे
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जिले-
छिंदवाड़ा, होशंगाबाद, बैतूल
आयातक
देश-मध्यपूर्व दुबई
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मध्यप्रदेश की प्रमुख फसलें
गेहूँ- बोये गए क्षेत्र और उत्पादन दोनांे दृष्टि से गेहूं म.प्र. की अब सबसे प्रमुख रबी की फसल है। गेहूं राज्य की प्रमुख सिंचित फसल है। राज्य के कुल सिंचित क्षेत्रफल का 50.3 प्रतिशत क्षेत्र गेहूं के अ्रतर्गत आता है। प्रदेश में गेहूं काली एवं जलोढ़ दोमट मिट्टी क्षेत्र में उगाया जाता है। सबसे अधिक गेहूं संकेन्द्रण मध्य नर्मदा घाटी क्षेत्र तथा पूर्वी मालवा क्षेत्र में है।
- जैविक गेहूं- विदिशा, सिहोर,सागर, उज्जैन में उगाया जाता है।
- प्रमुख गेहूं उत्पादक क्षेत्र- में मालवा के जिले उज्जैन, देवास, धार, रतलाम तथा गुना, जबलपुर, सागर, विदिशा, रीवा, सतना, कटनी आदि हैं।
चावल
- छत्तीसगढ़ के विभाजन के बाद म.प्र. में चावल का क्षेत्राच्छादन एवं उत्पादन बहुत कम हो गया है। यह एक खरीफ की फसल है।
- प्रदेश में इसका क्षेत्र है-बालाघाट,सिवनी, मंडला, सीधी, शहडोल, छिंदवाड़ा, बैतूल, रीवा, सतना, भिंड हैं।
- मिलिंग (लेव्ही 2012) नीति चावल से संबंधित है, जिसे वर्ष 2012 में समाप्त कर दिया गया है।
- जैविक चावल- रायसेन, भोपाल, जबलपुर, मंडला, बालाघाट
- श्री पद्धति- सिस्टम ऑफ राइस इंटेंसिफिकेशन मेथड के प्रयोग द्वारा प्रदेश में सकल बुवाई के क्षेत्र में वृद्धि हुई है।
मक्का
- मक्का, गेहूं एवं चावल के बाद प्रदेश की तीसरी प्रमुख फसल है। उत्तर-पश्चिमी मध्यप्रदेश में झाबुआ, छिंदवाड़ा, धार, रतलाम, मंदसौर, शाजापुर तथा रायगढ़ जिलों में मुख्य रूप से इसका उत्पादन किया जाता है। मक्का कम उपजाऊ तथा उबड़ खाबड़ भूमि पर पैदा की जाती है।
ज्वार
- राज्य की चौथी प्रमुख फसल है। ज्वार उत्पादन में म.प्र का देश में द्वितीय स्थान है। रबी और खरीब दोनों के ज्वार की फसल होती है। इसके प्रमुख क्षेत्र- मंदसौर, रतलाम, इंदौर, उज्जैन, राजगढ़, शाजपुर, देवास, खंडवा, गुना, विदिशा, शिवपुरी, मुरैना ग्वालियर, भिंड हैं।
बाजरा
- खरीफ की यह फसल मध्यप्रदेश में लगभग 2 लाख हेक्टेयर में बोयी जाती है। इसके उत्पादन के मुख्य जिले श्योपुर, मुरैना, भिण्ड, और ग्वालियर हैं।
दलहन
- मध्यप्रदेश का दलहन उत्पादन में देश में पहला स्थान है। प्रदेश में दलहन उत्पादन के लिए वर्ष 1998 में राष्ट्रीय दलहन विकास योजना प्रारंभ की गयी।
चना
- सर्वाधिक महत्वपूर्ण दलहन फसल है। होशंगाबाद, नरसिंहपुर, गुना, विदिशा, उज्जैन, मंदसौर, धार, भिंड, मुरैना, शिवपुरी, रीवा आदि इसके प्रमुख उत्पादक जिले हैं।
अरहर
- कपास और ज्वार के साथ बोई जाने वाली अरहर (तुअर की दाल) का दालों में दूसरा स्थान है। यह खरीफ की फसल है। इसके प्रमुख जिले हैं- बैतूल, छिंदवाड़ा, जबलपुर, नरसिंहपुर, भिंड, मुरैना, ग्वालियर, इंदौर, देवास,रीवा, सतना, शहडोल आदि। जैविक अरहर दाल होशंगाबाद, नरसिंहपुर में उगाई जाती है।
तिलहन
- तिलहन उत्पादन में प्रदेश का स्थान भारत में द्वितीय है। तिलहन फसलों में प्रथम सोयाबीन तथा द्वितीय राई-सरसो है।
सोयाबीन
- यह राज्य में सर्वाधिक बोई जाने वाली तिलहनी फसल है। सर्वप्रमुख तिलहनी फसल है जो म.प्र. के समस्त पश्चििमी में जिलों मुख्यतः तथा दक्षिणी म.प्र. में मामूली बोई जाती है। म.प्र. को सोया राज्य का दर्जा प्राप्त है।
राई-सरसो
- प्रदेश के मुरैना, श्योपुर, भिंड, जिलों में राई सरसों का मुख्य रूप से उत्पादन है। मध्यभारत का पठार सरसों की हांडी कहलाता है।
अलसी
- यह रबी की फसल है और रीवा में मुख्य रूप से उत्पादित होती है।
तिल
- रबी और खरीफ में बोयी जाती है, बुंदेलखण्ड, बघेलखण्ड के साथ जबलपुर, होशंगाबाद, रायसेन, शिवपुरी, सागर, दमोह निमाड़ सिवनी में होती है।
जौ
- प्रदेश में 1 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में जौ बोया जाता है। सर्वाधिक जौ गुना में होता है। अन्य क्षेत्र अशोकनगर विदिशा आदि हैं।
मध्यप्रदेश की प्रमुख वाणिज्यिक फसलें
प्रदेश की प्रमुख वाणिज्यिक फसलें कपास एवं
गन्ना हैं । इसमें कपास सर्वाधिक महत्वपूर्ण है जो निमाड़ में सर्वाधिक होती है।
इसके अलावा मालवा में भी कपास का उत्पादन होता है। गन्ना दूसरी नगद फसल है जो
मालवा में मुख्यतः होती है। मूंगफली राज्य की एक अन्य नगदी फसल है।
गन्ना-
प्रदेश में गन्ना मुख्य रूप से नरसिंहपुर जिले में पैदा किया जाता हैं।
मूंगफली- मूंगफली का सर्वाधिक उत्पादन शिवपुरी, छिंदवाड़ा, बड़वानी, टीकमगढ़, झाबुआ, और खरगौन जिलों में किया जाता है। इसके अलावा धार, रतलाम, बालाघाट, सिवनी तथा अलीराजपुर जिलों में भी
मूंगफली का उत्पादन होता है।
कपास- कपास कर रकबा 6.03 लाख हेक्टेयर के आसपास है। मध्यप्रदेश
में बी.टी काटन के अंतर्गन 5.72
लाख हेक्टेयर क्षेत्र है। कपास मुख्य रूप से मालवा एवं निमाड़ क्षेत्र में उगाया
जाता है।
मसाले- उत्पादन की दृष्टि से प्रदेश के प्रमुख
मसाले लहसून एवं धनिया है। मध्यप्रदेश का मसाला उत्पादन में देश में चौथा स्थान
है। भारत विश्व का सबसे बड़ा मसाला उत्पादक, उपभोक्ता
और निर्यातक देश है।
तंबाकु- निकोटियाना अर्थात तंबाकु का उत्पादन
रीवा-पन्ना पठार की लाल-पीली मिट्टी में होता है। रीवा में सर्वाधिक तंबाकु होती
है।
अफीम एवं गांजा- म.प्र. मेंदेश की सर्वाधिक
अफीम होती है। नीमच सबसे बड़़ा उत्पादक जिला है। जबकि मंदसौर दूसरा है। गंाजा
खंडवा जिले में होता है, जिसके रस से ‘चरस‘ बनती है। गांजा केनेबिस पौधे का उत्पाद है। इस पौध के पुष्प से गांजा
पत्तियों से भांग तथा तने से चरस प्राप्त की जाती है। अफीम का उपयोग औषधि मे होता
है। और इससे ब्राउन शुगर और हैरोइन भी बनती है। अफीम का सर्वाधिक निर्यात जापान
तथा इसके बाद अमेरिका को होता है।
जूट- जूट एक रेशेदार पौधा है। इसकी खेती प्रदेश
में सतना, रीवा, मंडला एंव डिंडोरी जिलों में की जाती है। जूट आधारित उद्योग मुख्यतः
मंडला तथा डिंडोरी जिलों में स्थित हैं।
गेस्टा- जूट के विकल्प के रूप में इस रेशेदार
फसल का उत्पादन गुना, भिण्ड, अशोकनगर, रीवा, शिवपुरी में होता है।
सनई- एक रेशेदार पौधा है जो मध्य पूर्वी जिलों
में मुख्य रूप से तथा निमाड़ क्षेत्र ें मामूली रूप से उत्पादित होता है।
Very nice 👌👌👌
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