शासकीय पत्र लेखन | शासकीय पत्र किसे कहते है
शासकीय पत्र Official Letter
- वह पत्र जो किसी सरकारी कार्यालय से किसी अन्य सरकारी कार्यालय को भेजा जाये और उसमें सरकार की ही नीति या समस्या, उसके किसी निर्णय या विषय का उल्लेख हो, जो नितान्त औपाचारिक हो उसे शासकीय पत्र कहते हैं।
- विशुद्ध शासकीय पत्र की सामग्री तथ्यपरक, संयत, स्पष्ट और शुद्ध होती है, उसमें अलंकार, कल्पना, मुहावरे, हास्य-विनोद की कोई गुंजाइश नहीं होती। पत्रलेखक या प्रेषक अधिकारी के निजी विचारों के लिए कोई स्थान नहीं होता।
- ऐसे पत्र की भाषा और शैली, संयत स्पष्ट, सरल, शुद्ध होनी चाहिए। किसी भी शब्द का प्रसंगत केवल एक अर्थ निकलता हो, कोई दूसरा अर्थ नहीं।
- सभी सरकारी पत्र अन्य पुरूष में लिखे जाते हैं।
- संक्षिप्तता इन पत्रों का मुख्य गुण है। कोई पत्र लंबा हो तो
परिच्छेदों में बँटा होता है,
शासकीय पत्र के आवश्यक अंग Part of Official Letter
- पत्र भेजने वाले शासकीय कार्यालय का नाम
- पत्र संख्या
- पत्र-प्रेषक का नाम
- प्रेषिती का नाम
- प्रेषक कार्यालय, स्थान तथा दिनांक
- संक्षिप्त विषय संकेत
- संदर्भ
- संबोधन
- पत्र का मूल विषय- पत्र का प्रारंभ, विषय का स्पष्टीकरण, उपसंहार,
- हस्ताक्षर व पद नाम
शासकीय पत्र की विशेषताएँ
- शासकीय पत्र में सबसे ऊपर दायीं ओर या मध्य में संबंधित कार्यालय, संस्था या सरकार का नाम अंकित होता है। जैसे भारत सरकार गृह मंत्रालय आदि।
- उसके नीचे कार्यालय से पत्र भेजने की तिथि और रजिस्टर में अंकित जावक संख्या का उल्लेख रहता है।
- तत्तपश्चात पत्र के बायीं ओर पत्र प्राप्तकर्ताओं का नाम, पद तथा पता लिखा जाता है।
- उसके नीचे विषय लिखा जाता है, जैसे प्रशासन मे हिन्दी का प्रयोग आदि।
- उसके पश्चात पिछले पत्र का संदर्भ दिया जाता है।
- तत्तपश्चात् संबोधन किया जाता है। जैसे महोदय आदि।
- प्रतिपाद्य विषय को परिच्छेदों या अनुच्छेदों में विभाजित करके लिखा जाता है।
- शासकीय पत्र में वरिष्ठ अधिकारी के आदेश का पूर्णतः समावेश होना चाहिए।
- शासकीय पत्र सदैव अन्य पुरूष में लिखा जाता है। यह पत्र पूर्ण रूप से औपचारिक होता है।
- पत्र की भाषा सरल, शिष्ट और संयत होती है।
- पत्र की समाप्ति पर दांयी और ‘भवदीय‘ प्रेषक के हस्ताक्षर अंकित होते हैं।
- प्रेषक के हस्ताक्षर के नीचे प्रेषक का नाम पद स्पष्ट अक्षरों पर लिखा रहता है या मुद्रा अंकित रहती है।
- अंत में जिन संबंधित व्यक्तियों को प्रतिलिपियों प्रेषित की जानी होती है उनका उल्लेख पृष्ठांकन लगाकर किया जाता है।
- इस प्रकार पूर्ण विवरण के साथ कोई भी पत्र प्रस्तुत किया जाता है।
शासकीय पत्रों के गुण
यथार्थता- पत्र में केवल वास्तविक बातों को ही
लिखना चाहिए। गलत बातें पत्र पाने वाले पर अच्छा प्रभाव नहीं डालती हैं।
संक्षिप्तता- पत्र संक्षेप में लिखा जाना चाहिए, परन्तु मूल विषय नहीं छूटना चाहिए।
पूर्णता- पत्र में समस्त महत्वपूर्ण बातें
पूर्ण रूप से आ जानी चाहिए। इससे बार-बार पत्र लिखने एवं सूचना प्राप्त करने के
लिए पुनः पत्र लिखने की आवश्यकता नहीं रहती है।
क्रमबद्धता- सरकारी पत्र के प्रत्येक अनुच्छेद
या पैराग्राफ को क्रमबद्ध लिखना चाहिए। पत्र में जहाँ तक संभव हो, केवल एक विषय की ही चर्चा होनी चाहिए।
स्पष्टता- पत्र में जो भी लिखा जाये वह पुर्णतः
स्पष्ट होना चाहिए।पत्र में ऐसे शब्द या वाक्य न लिखे जाएँ, जिनसे कि पत्र का उद्देश्य ही पूरा न
हो सके।
नम्रता- पत्र चाहे छोटे से बड़े अधिकारी को, चाहे बड़े से छोटे अधिकारी को ही क्यों
न लिखा जाये, उसमें सदैव नम्र भाषा का प्रयोग होना
चाहिए।
प्रारूप- पत्र निश्चित प्रारूप में ही लिखा
जाना चाहिए।
भाषा-शैली- सरकारी पत्रों की भाषा सरल या
परिमार्जित होनी चाहिए। शैली रोचक होनी चाहिए। अधिक बड़े-बड़े वाक्यों का प्रयोग
नहीं किया जाना चाहिए।
font size to be mention as per rules
ReplyDeleteबहुत बढ़िया प्रस्तुति। धन्यवाद।
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