Pashuon ko kroorata se bachaane hetu kanoon | पशुओं को क्रूरता से बचाने हेतु कानून

Pashuon ko kroorata se bachaane hetu  kanoon |

पशुओं को क्रूरता से बचाने हेतु बनाये गये विभिन्न नियम, संस्थान एवं सजा का प्रावधान

पशुओं के प्रति क्रूरता का निवारण अधिनियम, 1960

पशुओं को अनावश्यक पीड़ा या यातना पहुंचाने के निवारण हेतु भारत गणराज्य के ग्यारहवें वर्ष में संसद् द्वारा यह अधिनियम पारित किया गया . इसके अंतर्गत पशुओ के कल्याण एवं उन्हें क्रूरता से बचाने हेतु विभिन्न नियम बनाये गये। इस अधिनियम के द्वारा ही भारतीय पशु.कल्याण बोर्ड की स्थापना की गई.
इस अधिनियम मे 6 अध्याय और  कुल 41 धाराएँ हैं। 
इस अधिनियम का (अधिनियम संख्यांक 59)  जो  26 दिसम्बर1960 को पारित हुआ। 

अधिनियम की धारा 11 के अंतर्गत पशुओं के प्रति क्रूरता का व्यवहार-

(1) यदि कोई व्यक्ति-
() किसी पशु को पीटेगा, ठोकर मारेगा, उस पर अत्यधिक सवारी करेगा, उस पर सवारी करके उसे अत्यधिक हांकेगा, उस पर अत्यधिक बोझ लादेगा, उसे यंत्रणा देगा, या अन्यथा उसके साथ ऐसे बर्ताव करेगा या करवाएगा जिससे उसे अनावश्यक पीड़ा या यातना होती है, या स्वामी होते हुए किसी पशु के प्रति इस प्रकार का बर्ताव करने देगा; अथवा
()  [किसी कार्य श्रम में, या किसी अन्य प्रयोजन के लिए किसी ऐसे पशु को लगाएगा जो अपनी आयु या किसी रोग,] अंग-शैथिल्य, घाव, फोडे़ के कारण अथवा किसी अन्य कारण से इस प्रकार लगाए जाने के अनुपयुक्त है, या स्वामी होते हुए ऐसे किसी अनुपयुक्त पशु को इस प्रकार लगाए जाने देगा ; अथवा
() [किसी पशु को] जानबूझकर तथा अनुचित रूप से कोई क्षतिकारक औषधि या क्षतिकारक पदार्थ देगा  [किसी पशु को] जानबूझकर और अनुचित रूप से ऐसी कोई औषधि या पदार्थ, खिलवाएगा या खिलवाने का प्रयास  करेगा ; अथवा
() किसी पशु को किसी यान में, या यान पर, या अन्यथा ऐसी रीति से या ऐसी स्थिति में प्रवहित करेगा या ले जाएगा जिससे कि उसे अनावश्यक पीड़ा या यातना पहुंचती है ; अथवा
() किसी पशु को किसी ऐसे पिंजरे या अन्य पात्र में रखेगा या परिरुद्ध करेगा, जिसकी ऊंचाई, लम्बाई और चौड़ाई इतनी पर्याप्त हो कि पशु को उसमें हिल-डुल सकने का उचित स्थान प्राप्त हो सके ; अथवा
() किसी पशु को अनुचित रूप से छोटी या अनुचित रूप से भारी किसी जंजीर या रस्सी में किसी अनुचित अवधि तक के लिए बांधकर रखेगा ; अथवा
() स्वामी होते हुए, किसी ऐसे कुत्ते को, जो अभ्यासतः जंजीर में बंधा रहता है या बन्द रखा जाता है, उचित रूप से व्यायाम करने या करवाने की उपेक्षा करेगा ; अथवा
() [किसी पशु का] स्वामी होते हुए ऐसे पशु को पर्याप्त खाना, जल या आश्रय नहीं देगा ; अथवा
() उचित कारण के बिना, किसी पशु को ऐसी परिस्थिति में परित्यक्त कर देगा जिससे यह संभाव्य हो कि उसे भुखमरी या प्यास के कारण पीड़ा पहुंचे ; अथवा
() किसी ऐसे पशु को, जिसका वह स्वामी है, जानबूझकर किसी मार्ग में छोड़ कर घूमने देगा जब कि वह पशु किसी सांसर्गिक या संक्रामक रोग से ग्रस्त हो, या किसी रोगग्रस्त या विकलांग पशु को, जिसका वह स्वामी है, उचित कारण के बिना, किसी मार्ग में मर जाने देगा ; अथवा
() किसी ऐसे पशु को बिक्री के लिए प्रस्तुत करेगा, या बिना किसी उचित कारण के अपने कब्जे में रखेगा, जो अंगविच्छेद, भुखमरी, प्यास, अतिभरण या अन्य दुर्व्यवहार के कारण पीड़ाग्रस्त हो ; अथवा
 [() किसी पशु का अंगविच्छेद करेगा या किसी पशु को (जिसके अन्तर्गत आवारा कुत्ते भी हैं) हृदय में स्ट्रीक्नीन-अन्तःक्षेपण की पद्धति का उपयोग करके या किसी अन्य अनावश्यक क्रूरढंग से मार डालेगा ; अथवा]
 [() केवल मनोरंजन करने के उद्देश्य से,-
(i) किसी पशु को ऐसी रीति से परिरुद्ध करेगा या कराएगा (जिसके अन्तर्गत किसी पशु का किसी व्याघ्र या अन्य पशु वन में चारे के रूप में बांधा जाना भी है) कि वह किसी अन्य पशु का शिकार बन जाए ; अथवा
(ii) किसी पशु को किसी अन्य पशु के साथ लड़ने के लिए या उसे सताने के लिए उद्दीप्त करेगा ; अथवा]
 () पशुओं की लड़ाई के लिए या किसी पशु को सताने के प्रयोजनार्थ, किसी स्थान को  *** सुव्यवस्थित करेगा, बनाए रखेगा उसका उपयोग करेगा, या उसके प्रबन्ध के लिए कोई कार्य करेगा या किसी स्थान को इस प्रकार उपयोग में लाने देगा या तदर्थ प्रस्ताव करेगा, या ऐसे किसी प्रयोजन के लिए रखे गए या उपयोग में लाए गए किसी स्थान में किसी अन्य व्यक्ति के प्रवेश के लिए धन प्राप्त करेगा ; अथवा
() गोली चलाने या निशानेबाजी के किसी मैच या प्रतियोगिता को, जहां पशुओं को बंधुआ हालत से इसलिए छोड़ दिया जाता है कि उन पर गोली चलाई जाए या उन्हें निशाना बनाया जाए, बढ़ावा देगा या उसमें भाग लेगा,
 [तो वह प्रथम अपराध की दशा में, जुर्माने से, जो दस रुपए से कम नहीं होगा किन्तु जो पचास रुपए तक का हो सकेगा और द्वितीय या पश्चात्वर्ती अपराध की दशा में, जो पिछले अपराध के किए जाने के तीन वर्ष की अवधि के भीतर किया जाता है, जुर्माने से, जो पच्चीस रुपए से कम नहीं होगा किन्तु जो एक सौ रुपए तक का हो सकेगा, या कारावास से, जिसकी अवधि तीन मास तक की हो सकेगी, अथवा दोनों से, दण्डित किया जाएगा ]
(2) उपधारा (1) के प्रयोजनों के लिए किसी स्वामी के बारे में यह तब समझा जाएगा कि उसने अपराध किया है जब वह ऐसे अपराध के निवारण के लिए समुचित देखे-रेख और पर्यवेक्षण करने में असफल रहा हो :
परन्तु जहां स्वामी केवल इसी कारण क्रूरता होने देने के लिए दोषसिद्ध किया जाता है कि वह ऐसी देख-रेख और पर्यवेक्षण करने में असफल रहा है वहां वह जुर्माने के विकल्प के बिना कारावास का दायी नहीं होगा
(3) इस धारा की कोई भी बात निम्नलिखित को लागू नहीं होगी-
() विहित रीति से ढोरों के सींग निकालना, या किसी पशु को बधिया करना या उसे दागना या उसकी नाक में रस्सी डालना ; अथवा
() आवारा कुत्तों को प्राणहर कक्षों में या 2[किन्हीं अन्य ढंगों से, जो विहित किए जाएं नष्ट करना ; अथवा
() तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के प्राधिकार के अधीन किसी पशु का उन्मूलन करना या उसे नष्ट करना ; अथवा
() कोई विषय, जो अध्याय 4 में वर्णित है ; अथवा
() मनुष्यों के भोजन के रूप में किसी पशु को नष्ट करने या नष्ट करने की तैयारी के दौरान किसी कार्य का किया जाना या कोई कार्य-लोप, यदि ऐसे नाश या ऐसी तैयारी के समय उसे अनावश्यक पीड़ा  या यातना पहुंची हो
भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972
भारत सरकार ने सन् 1972 ई॰ में इस उद्देश्य से पारित किया था कि वन्यजीवों के अवैध शिकार तथा उसके हाड़-माँस और खाल के व्यापार पर रोक लगाई जा सके।
इसे सन् 2003 ई॰ में संशोधित किया गया है और इसका नाम भारतीय वन्य जीव संरक्षण (संशोधित) अधिनियम 2002 रखा गया जिसके तहत इसमें दण्ड तथा जुर्माना और कठोर कर दिया गया है।
1972 से पहले, भारत के पास केवल पाँच नामित राष्ट्रीय पार्क थे। अन्य सुधारों के अलावा, अधिनियम संरक्षित पौधे और पशु प्रजातियों के अनुसूचियों की स्थापना तथा इन प्रजातियों की कटाई व शिकार को मोटे तौर पर गैरकानूनी करता है।
यह अधिनियम जंगली जानवरों, पक्षियों और पौधों को संरक्षण प्रदान करता है|
यह कानून पूर्व में जम्मू और कश्मीर में लागू नहीं होता था, वर्तमान में यह वहां भी लागू होने लगा
इसमें कुल 6 अनुसूचियाँ है जो अलग-अलग तरह से वन्यजीवन को सुरक्षा प्रदान करता है।
अनुसूची-1 तथा अनुसूची-2 के द्वितीय भाग वन्यजीवन को पूर्ण सुरक्षा प्रदान करते है| इनके तहत अपराधों के लिए उच्चतम दंड निर्धारित है।
अनुसूची-3 और अनुसूची-4 भी संरक्षण प्रदान कर रहे हैं लेकिन इनमे दंड बहुत कम हैं।
अनुसूची-5 मे वह जानवरों शामिल है जिनका शिकार हो सकता है।
अनुसूची-6 में शामिल पौधों की खेती और रोपण पर रोक है। 

 अपराध और दण्ड विधान  


  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51(A) के मुताबिक हर जीवित प्राणी के प्रति सहानुभूति रखना भारत के हर नागरिक का मूल कर्तव्य है।
  • भारतीय दंड संहिता की धारा 428 और 429 के मुताबिक कोई भी व्यक्ति किसी जानवर को पीटेगा,ठोकर मारेगा,उस पर अत्यधिक सवारी और बोझ लादेगा,उसे यातना देगा कोई ऐसा काम करेगा जिससे उसे अनावश्यक दर्द हो दंडनीय अपराध है।
  • पशु क्रूरता निवारण अधिनियम और खाद्य सुरक्षा अधिनियम में इस बात का उल्लेख है कि कोई भी पशु (मुर्गी समेत) सिर्फ बूचड़खाने में ही काटा जाएगा।
  • बीमार और गर्भधारण कर चुके पशु को मारा नहीं जाएगा।
  • अगर कोई व्यक्ति किसी पशु को आवारा छोड़ कर जाता है तो उसको तीन महीने की सजा हो सकती है।
  • बंदरों से नुमाइश करवाना या उन्हें कैद में रखना गैरकानूनी है। वाइल्डलाइफ एक्ट के तहत बंदरों को कानूनी सुरक्षा दी गई है।
  • अगर किसी क्षेत्र में कुत्तों की संख्या ज्यादा है तो कोई भी व्यक्ति या स्थानीय प्रशासन पशु कल्याण संस्था के सहयोग से आवारा कुत्तों का बर्थ कंट्रोल ऑपरेशन कर सकती है, लेकिन मार नहीं सकती क्योंकि उन्हें मारना गैरकानूनी है।
  • पशुओं को लड़ने के लिए भड़काना, ऐसी लड़ाई का आयोजन करना या उसमें हिस्सा लेना संज्ञेय अपराध है।
  • ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक रूल्स 1945 के मुताबिक जानवरों पर कॉस्मेटिक्स का परीक्षण करना और जानवरों पर टेस्ट किये जा चुके कॉस्मेटिक्स का आयात करना प्रतिबंधित है।
  • चिड़ियाघर और उसके परिसर में जानवरों को चिढ़ाना, खाना देना या तंग करना दंडनीय अपराध है। पीसीए के तहत ऐसा करने वाले को तीन साल की सजा, 25 हजार रुपये का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
  • पशुओं को असुविधा में रखकर, दर्द पहुंचाकर या परेशान करते हुए किसी भी गाड़ी में एक जगह से दूसरी जगह ले जाना मोटर व्हीकल एक्ट और पीसीए एक्ट के तहत दंडनीय अपराध है।
  • पीसीए एक्ट के सेक्शन 22(2) के मुताबिक भालू, बंदर, बाघ, तेंदुए, शेर और बैल को मनोरंजन के लिए ट्रेन करना और इस्तेमाल करना गैरकानूनी है।
  • पक्षी या सरीसृप के अंडों को नष्ट करना या उनसे छेड़छाड़ करना या फिर उनके घोंसले वाले पेड़ को काटना या काटने की कोशिश करना शिकार कहलाएगा। इसके दोषी को सात साल की सजा या 25 हजार रुपये का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
  • किसी भी जंगली जानवर को पकड़ना, मारना दंडनीय अपराध है। इसके दोषी को सात साल की सजा या 25 हजार रुपये का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
पशुओं के संरक्षण एवं कल्याण हेतु कार्य करने वाले संस्थान-
भारतीय पशु कल्याण बोर्ड Animal Welfare Board of India AWBI
भारतीय पशु कल्याण बोर्ड, विश्व में अपनी तरह का प्रथम संगठन है। जिसकी स्थापना पशु हिंसा रोकथाम अधिनियम, 1960 के तहत् 1962 में की गई और इसका मुख्यालय चेन्नई में अवस्थापित किया गया। बोर्ड का गठन 28 सदस्यों द्वारा किया जाता। 
बोर्ड के कार्य
निरंतर अध्ययन के तहत् पशुओं के खिलाफ हिंसा रोकने वाले भारत में प्रवृत्त कानूनों से अद्यतन रहना और समय-समय पर इनमें संशोधन करने का सरकार को सुझाव देना।
केंद्र सरकार को पशुओं की अनावश्यक पीड़ा या परेशानी रोकने के संदर्भ में नियम बनाने का परामर्श करना।
भार ढोने वाले पशुओं के बोझ को कम करने के लिए केंद्र सरकार या स्थानीय प्राधिकरण या अन्य व्यक्ति को पशुओं द्वारा चालित वाहनों के डिजाइन में सुधार करना।
केंद्र सरकार को पशुओं के अस्पताल में प्रदान की जाने वाली चिकित्सकीय देखभाल एवं ध्यान से सम्बद्ध मामलों पर परामर्श देना और जब कभी बोर्ड जरूरी समझे पशु अस्पतालों को वित्तीय एवं अन्य मदद मुहैया कराना।
वित्तीय मदद एवं अन्य तरीके से पिंजरा, शरणगाहों, पशु शेल्टर, अभ्यारण्य इत्यादि के निर्माण या अवस्थापना को बढ़ावा देना जहां पशुओं एवं पक्षियों की शरण मिल सके जब वे वृद्ध हो जाते हैं एवं बेकार हो जाते हैं या जब उन्हें संरक्षण की जरूरत होती है।
किसी भी ऐसे मामले पर जो पशु कल्याण या पशुओं पर अनावश्यक पीड़ा एवं हिंसा से सम्बद्ध हो, केंद्र सरकार को परामर्श देना।
पीपल फॉर एनीमल
1992 में मेनका गांधी ने पीपल फॉर एनीमल नाम से एक संगठन भी शुरू किया जो भारत में जानवरों के हितों के लिए काम करने वाला सबसे बड़ा संगठन है.
मेनका जानवरों के अधिकारों के लिए लड़ने वाली कार्यकर्ता हैं. इसके लिए उन्हें अंतरराष्ट्रीय तौर पर कई पुरस्कार मिले हैं
संजय गांधी एनिमल केयर सेंटर
भारत के सबसे पुराने और एशिया के सबसे बड़े पशु आश्रय, संजय गांधी पशु देखभाल केंद्र (SGACC) की स्थापना 1980 में न्यू साउथ वेल्स के स्वर्गीय श्रीमती रूथ काउल, संजय गांधी द्वारा ली गई विरासत से की गई थी।
उनकी स्मृति द रूथ काउल फाउंडेशन की स्थापना में, दिल्ली में एक पशु देखभाल केंद्र स्थापित करने का संकल्प लिया गया जो भारत के आसपास के अन्य केंद्रों के लिए एक प्रोटोटाइप के रूप में काम करेगा। अस्पताल-सह-आश्रय की परिकल्पना एक 24x7 सुविधा के रूप में की गई थी जो पशुओं को बचाने, घर देने, उपचार करने और पुनर्वास करने की सुविधा प्रदान करेगी; पशु चिकित्सक और पशु संचालकों के लिए एक प्रशिक्षण केंद्र के रूप में सेवा; एक ओपीडी चलाएं; नैदानिक ​​सेवाओं की पेशकश; दफन सुविधाएं प्रदान करना; और क्रूरता के मामलों के जानवरों के लिए एक धारण केंद्र के रूप में सेवा करते हैं।
पेटा (PETA)
पेटा (PETA) या पशुओं के साथ नैतिक व्यवहार के पक्षधर लोग (People for the Ethical Treatment of Animals) एक पशु-अधिकार संगठन है। इसका मुख्यालय यूएसए के वर्जिनिया के नॉर्फोल्क (Norfolk) में स्थित है। इन्ग्रिड न्यूकिर्क (Ingrid Newkirk) इसकी अन्तरराष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। 
  • 12 मार्च, 2020 को वैश्विक पशु संरक्षण सूचकांक 2020 (Animal Protection Index) World Animal Protection, एक अंतर्राष्ट्रीय पशु कल्याण संस्था द्वारा जारी किया गया था। सूचकांक में भारत को दूसरा स्थान दिया गया है।
  • जानवरों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय पशु दिवस 4 अक्टूबर को मनाया जाता है।

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