राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 I NEP 2020 |New Education Policy 2020
राष्ट्रीय शिक्षा नीति
2020 को 29 जुलाई 2020 मंजूरी दे दी गयी है। यह 21वीं सदी की पहली शिक्षा
नीति है और यह 34 साल पुरानी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनपीई), 1986 की जगह लेगी।
मानव संसाधन और विकास मंत्रालय (MHRD) का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया
गया.
राष्ट्रीय शिक्षा नीति से संबन्धित समिति
- मई 2016 में, ‘नई शिक्षा नीति के विकास के लिए गठित
समिति ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसकी अध्यक्षता श्री टी.एस. आर.
सुब्रमण्यन ने, की
थी।
- जून 2017 में, प्रख्यात
वैज्ञानिक, पद्म विभूषण डॉ के कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मसौदे के लिए एक समिति का गठन किया गया था, जिसने 31 मई, 2019 को माननीय मानव संसाधन विकास
मंत्री को राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2019 का मसौदा प्रस्तुत
किया।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 महत्वपूर्ण तथ्
- स्कूल छोड़ चुके बच्चों को फिर से मुख्य धारा में शामिल करने के लिए स्कूल के बुनियादी ढांचे का विकास औरर नवीन शिक्षा केंद्रों की स्थापनी की जाएगी।
- एनईपी 2020 के तहत स्कूल से दूर रह रहे लगभग 2 करोड़ बच्चों को मुख्य धारा में वापस लाया जाएगा।
- स्कूल पाठ्यक्रम के 10 + 2 ढांचे की जगह 5 + 3 + 3 + 4 का नया पाठयक्रम संरचना लागू किया जाएगा जो क्रमशः 3-8, 8-11, 11-14, और 14-18 उम्र के बच्चों के लिए है। इसमें अब तक दूर रखे गए 3-6 साल के बच्चों को स्कूली पाठ्यक्रम के तहत लाने का प्रावधान है।
स्कूल पाठ्यक्रम का ढांचा |
- ई प्रणाली में तीन साल की आंगनवाड़ी / प्री स्कूलिंग के साथ 12 साल की स्कूली शिक्षा होगी।
- राज्य वर्ष 2025 तक सभी प्राथमिक स्कूलों में ग्रेड 3 तक सभी शिक्षार्थियों या विद्यार्थियों द्वारा सार्वभौमिक बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान प्राप्त कर लेने के लिए एक कार्यान्वयन योजना तैयार करेंगे। एक राष्ट्रीय पुस्तक संवर्धन नीति तैयार की जानी है।
- स्कूलों में छठे ग्रेड से ही व्यावसायिक शिक्षा शुरू हो जाएगी और इसमें इंटर्नशिप शामिल होगी।
- एक नई एवं व्यापक स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा ‘एनसीएफएसई 2020-21’ एनसीईआरटी द्वारा विकसित की जाएगी।
- कम से कम ग्रेड 5 तक, अच्छा हो कि ग्रेड 8 तक और उससे आगे भी मातृभाषा/स्थानीय भाषा/क्षेत्रीय भाषा को ही शिक्षा का माध्यम रखने पर विशेष जोर दिया गया है।
- विद्यार्थियों को स्कूल के सभी स्तरों और उच्च शिक्षा में संस्कृत को एक विकल्प के रूप में चुनने का अवसर दिया जाएगा। त्रि-भाषा फॉर्मूले में भी यह विकल्प शामिल होगा।
- भारतीय संकेत भाषा यानी साइन लैंग्वेज (आईएसएल) को देश भर में मानकीकृत किया जाएगा और बधिर विद्यार्थियों द्वारा उपयोग किए जाने के लिए राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय पाठ्यक्रम सामग्री विकसित की जाएंगी।
- ‘एनईपी 2020’ में योगात्मक आकलन के बजाय नियमित एवं रचनात्मक आकलन को अपनाने की परिकल्पना की गई है, जो अपेक्षाकृत अधिक योग्यता-आधारित है,
- सभी विद्यार्थी ग्रेड 3, 5 और 8 में स्कूली परीक्षाएं देंगे, जो उपयुक्त प्राधिकरण द्वारा संचालित की जाएंगी। ग्रेड 10 एवं 12 के लिए बोर्ड परीक्षाएं जारी रखी जाएंगी,
- नया राष्ट्रीय आकलन केंद्र ‘परख (समग्र विकास के लिए कार्य-प्रदर्शन आकलन, समीक्षा और ज्ञान का विश्लेषण) एक मानक-निर्धारक निकाय के रूप में स्थापित किया जाएगा।
- बुनियादी सुविधाओं से वंचित क्षेत्रों एवं समूहों के लिए बालक-बालिका समावेशी कोष और विशेष शिक्षा जोन की स्थापना करना भी शामिल है।
- शिक्षकों के लिए राष्ट्रीय प्रोफेशनल मानक (एनपीएसटी) राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद द्वारा वर्ष 2022 तक विकसित किया जाएगा,
- राज्य/केंद्र शासित प्रदेश स्वतंत्र स्टेट स्कूल स्टैंडर्ड्स अथारिटी (एसएसएसए) का गठन करेगे।
- विभिन्न एचईआई से अर्जित डिजिटल रूप से अकादमिक क्रेडिटों के लिए एक एकेडमिक बैंक आफ क्रेडिट की स्थापना की जानी है जिससे कि इन्हें अर्जित अंतिम डिग्री की दिशा में अंतरित एवं गणना की जा सके।
- देश में वैश्विक मानकों के सर्वश्रेष्ठ बहुविषयक शिक्षा के माडलों के रूप में आईआईटी, आईआईएम के समकक्ष बहुविषयक शिक्षा एवं अनुसंधान विश्वविद्यालय (एमईआरयू)स्थापित किए जाएंगे
- उच्च शिक्षा में एक मजबूत अनुसंधान संस्कृति तथा अनुसंधान क्षमता को बढ़ावा देने के लिए एक शीर्ष निकाय के रूप में राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन का सृजन किया जाएगा।
- भारतीय भाषाओं के लिए संरक्षण, विकास और जीवंतता सुनिश्चित करने के लिए, एनईपी द्वारा पाली, फारसी और प्राकृत भाषाओं के लिए एक इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रांसलेशन एंड इंटरप्रिटेशन (आईआईटीआई), राष्ट्रीय संस्थान (या संस्थान) की स्थापना की जाएगी
नई शिक्षा नीति की Highlights
स्कूली शिक्षा से संबन्धित
- स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों पर सबकी एकसमान पहुंच सुनिश्चित करना
- नए पाठ्यक्रम और शैक्षणिक संरचना के साथ प्रारंभिक बचपन की देखभाल और शिक्षा
- एनसीईआरटी 8 के लिए एक राष्ट्रीय पाठ्यक्रम और शैक्षणिक ढांचा विकसित करेगा।
- बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान प्राप्त करना
- स्कूल के पाठ्यक्रम और अध्यापन-कला में सुधार
- बहुभाषावाद और भाषा की ताकत
- आकलन में सुधार
- प्रभावकारी शिक्षक भर्ती और करियर प्रगति मार्ग
- स्कूली शिक्षा के लिए मानक-निर्धारण एवं प्रत्यायन
स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों पर सबकी एकसमान पहुंच सुनिश्चित करना
एनईपी 2020 स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों प्री-स्कूल से
माध्यमिक स्तर तक सबके लिए एकसमान पहुंच सुनिश्चित करने पर जोर देती है। स्कूल
छोड़ चुके बच्चों को फिर से मुख्य धारा में शामिल करने के लिए स्कूल के बुनियादी
ढांचे का विकास औरर नवीन शिक्षा केंद्रों की स्थापनी की जाएगी। इस नई शिक्षा नीति
में छात्रों और उनके सीखने के स्तर पर नज़र रखने, औपचारिक और
गैर-औपचारिक शिक्षा सहित बच्चों की पढ़ाई के लिए बहुस्तरीय सुविधाएं उपलब्ध कराने,
परामर्शदाताओं या प्रशिक्षित सामाजिक कार्यकर्ताओं को स्कूल के साथ
जोड़ने, कक्षा 3, 5 और 8 के लिए एनआईओएस और राज्य ओपन स्कूलों के माध्यम से ओपन लर्निंग, कक्षा 10 और 12 के समकक्ष
माध्यमिक शिक्षा कार्यक्रम, व्यावसायिक पाठ्यक्रम, वयस्क साक्षरता और जीवन-संवर्धन कार्यक्रम जैसे कुछ प्रस्तावित उपाय हैं।
एनईपी 2020 के तहत स्कूल से दूर रह रहे लगभग 2 करोड़ बच्चों को मुख्य धारा में वापस लाया जाएगा।
नए पाठ्यक्रम और शैक्षणिक
संरचना के साथ प्रारंभिक बचपन की देखभाल और शिक्षा
बचपन की देखभाल और शिक्षा पर
जोर देते स्कूल पाठ्यक्रम के 10 + 2 ढांचे की
जगह 5 + 3 + 3 + 4 का नया पाठयक्रम संरचना लागू किया जाएगा
जो क्रमशः 3-8, 8-11, 11-14, और 14-18 उम्र
के बच्चों के लिए है। इसमें अब तक दूर रखे गए 3-6 साल के
बच्चों को स्कूली पाठ्यक्रम के तहत लाने का प्रावधान है, जिसे
विश्व स्तर पर बच्चे के मानसिक विकास के लिए महत्वपूर्ण चरण के रूप में मान्यता दी
गई है। नई प्रणाली में तीन साल की आंगनवाड़ी / प्री स्कूलिंग के साथ 12 साल की स्कूली शिक्षा होगी।
एनसीईआरटी 8 के लिए एक राष्ट्रीय
पाठ्यक्रम और शैक्षणिक ढांचा विकसित करेगा। एक विस्तृत और मजबूत संस्थान प्रणाली
के माध्यम से प्रारंभिक बचपन देखभाल और शिक्षा (ईसीसीई) मुहैया कराई जाएगी। इसमें
आंगनवाडी और प्री-स्कूल भी शामिल होंगे जिसमें इसीसीई शिक्षाशास्त्र और पाठ्यक्रम
में प्रशिक्षित शिक्षक और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता होंगे। इसीसीई की योजना और
कार्यान्वयन मानव संसाधन विकास, महिला और बाल विकास
(डब्ल्यूसीडी), स्वास्थ्य और परिवार कल्याण (एचएफडब्ल्यू),
और जनजातीय मामलों के मंत्रालयों द्वारा संयुक्त रूप से किया जाएगा।
बुनियादी साक्षरता और
संख्यात्मक ज्ञान प्राप्त करना
बुनियादी साक्षरता और
संख्यात्मक ज्ञान की प्राप्ति को सही ढंग से सीखने के लिए अत्यंत जरूरी एवं पहली
आवश्यकता मानते हुए ‘एनईपी 2020’ में मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) द्वारा ‘बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान पर एक राष्ट्रीय मिशन’ की स्थापना किए जाने पर विशेष जोर दिया गया है। राज्य वर्ष 2025 तक सभी प्राथमिक स्कूलों में ग्रेड 3 तक सभी
शिक्षार्थियों या विद्यार्थियों द्वारा सार्वभौमिक बुनियादी साक्षरता और
संख्यात्मक ज्ञान प्राप्त कर लेने के लिए एक कार्यान्वयन योजना तैयार करेंगे। एक
राष्ट्रीय पुस्तक संवर्धन नीति तैयार की जानी है।
स्कूल के पाठ्यक्रम और
अध्यापन-कला में सुधार
स्कूल के पाठ्यक्रम और
अध्यापन-कला का लक्ष्य यह होगा कि 21वीं
सदी के प्रमुख कौशल या व्यावहारिक जानकारियों से विद्यार्थियों को लैस करके उनका
समग्र विकास किया जाए और आवश्यक ज्ञान प्राप्ति एवं अपरिहार्य चिंतन को बढ़ाने व
अनुभवात्मक शिक्षण पर अधिक फोकस करने के लिए पाठ्यक्रम को कम किया जाए।
विद्यार्थियों को पसंदीदा विषय चुनने के लिए कई विकल्प दिए जाएंगे। कला एवं
विज्ञान के बीच, पाठ्यक्रम व पाठ्येतर गतिविधियों के बीच और
व्यावसायिक एवं शैक्षणिक विषयों के बीच सख्त रूप में कोई भिन्नता नहीं होगी।
स्कूलों में छठे ग्रेड से ही
व्यावसायिक शिक्षा शुरू हो जाएगी और इसमें इंटर्नशिप शामिल होगी।
एक नई एवं व्यापक स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यक्रम
रूपरेखा ‘एनसीएफएसई 2020-21’ एनसीईआरटी द्वारा विकसित की जाएगी।
बहुभाषावाद और भाषा की ताकत
नीति में कम से कम ग्रेड 5 तक, अच्छा हो कि ग्रेड 8 तक और उससे आगे भी मातृभाषा/स्थानीय भाषा/क्षेत्रीय भाषा को ही शिक्षा का
माध्यम रखने पर विशेष जोर दिया गया है। विद्यार्थियों को स्कूल के सभी स्तरों और
उच्च शिक्षा में संस्कृत को एक विकल्प के रूप में चुनने का अवसर दिया जाएगा।
त्रि-भाषा फॉर्मूले में भी यह विकल्प शामिल होगा। किसी भी विद्यार्थी पर कोई भी
भाषा नहीं थोपी जाएगी। भारत की अन्य पारंपरिक भाषाएं और साहित्य भी विकल्प के रूप
में उपलब्ध होंगे। विद्यार्थियों को ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’
पहल के तहत 6-8 ग्रेड के दौरान किसी समय ‘भारत की भाषाओं’ पर एक आनंददायक परियोजना/गतिविधि
में भाग लेना होगा। कई विदेशी भाषाओं को भी माध्यमिक शिक्षा स्तर पर एक विकल्प के
रूप में चुना जा सकेगा। भारतीय संकेत भाषा यानी साइन लैंग्वेज (आईएसएल) को देश भर
में मानकीकृत किया जाएगा और बधिर विद्यार्थियों द्वारा उपयोग किए जाने के लिए
राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय पाठ्यक्रम सामग्री विकसित की जाएंगी।
आकलन में सुधार
‘एनईपी 2020’
में योगात्मक आकलन के बजाय नियमित एवं रचनात्मक आकलन को अपनाने की
परिकल्पना की गई है, जो अपेक्षाकृत अधिक योग्यता-आधारित है,
सीखने के साथ-साथ अपना विकास करने को बढ़ावा देता है, और उच्चस्तरीय कौशल जैसे कि विश्लेषण क्षमता, आवश्यक
चिंतन-मनन करने की क्षमता और वैचारिक स्पष्टता का आकलन करता है। सभी विद्यार्थी
ग्रेड 3, 5 और 8 में स्कूली परीक्षाएं
देंगे, जो उपयुक्त प्राधिकरण द्वारा संचालित की जाएंगी।
ग्रेड 10 एवं 12 के लिए बोर्ड
परीक्षाएं जारी रखी जाएंगी, लेकिन समग्र विकास करने के लक्ष्य
को ध्यान में रखते हुए इन्हें नया स्वरूप दिया जाएगा। एक नया
राष्ट्रीय आकलन केंद्र ‘परख (समग्र विकास के लिए कार्य-प्रदर्शन आकलन, समीक्षा
और ज्ञान का विश्लेषण) एक
मानक-निर्धारक निकाय के रूप में स्थापित किया जाएगा।
समान और समावेशी शिक्षा
‘एनईपी 2020’
का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी बच्चा अपने जन्म या
पृष्ठभूमि से जुड़ी परिस्थितियों के कारण ज्ञान प्राप्ति या सीखने और उत्कृष्टता
प्राप्त करने के किसी भी अवसर से वंचित नहीं रह जाए। इसके तहत विशेष जोर सामाजिक
और आर्थिक दृष्टि से वंचित समूहों (एसईडीजी) पर रहेगा जिनमें बालक-बालिका, सामाजिक-सांस्कृतिक और भौगोलिक संबंधी विशिष्ट पहचान एवं दिव्यांगता
शामिल हैं। इसमें बुनियादी सुविधाओं से वंचित क्षेत्रों एवं समूहों के लिए बालक-बालिका
समावेशी कोष और विशेष
शिक्षा जोन की स्थापना करना भी शामिल है। दिव्यांग
बच्चों को बुनियादी चरण से लेकर उच्च शिक्षा तक की नियमित स्कूली शिक्षा प्रक्रिया
में पूरी तरह से भाग लेने में सक्षम बनाया जाएगा जिसमें शिक्षाविशारद का पूरा
सहयोग मिलेगा और इसके साथ ही दिव्यांगता संबंधी समस्त प्रशिक्षण, संसाधन केंद्र, आवास, सहायक
उपकरण, प्रौद्योगिकी-आधारित उपयुक्त उपकरण और उनकी
आवश्यकताओं के अनुरूप अन्य सहायक व्यवस्थाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी। प्रत्येक
राज्य/जिले को कला-संबंधी, कैरियर-संबंधी और खेलकूद-संबंधी
गतिविधियों में विद्यार्थियों के भाग लेने के लिए दिन के समय वाले एक विशेष
बोर्डिंग स्कूल के रूप में ‘बाल भवन’ स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। स्कूल की नि:शुल्क बुनियादी
ढांचागत सुविधाओं का उपयोग सामाजिक चेतना केंद्रों के रूप में किया जा सकता है।
प्रभावकारी शिक्षक भर्ती और करियर प्रगति मार्ग
शिक्षकों को प्रभावकारी एवं
पारदर्शी प्रक्रियाओं के जरिए भर्ती किया जाएगा। पदोन्नति योग्यता आधारित होगी
जिसमें कई स्रोतों से समय-समय पर कार्य-प्रदर्शन का आकलन करने और करियर में आगे
बढ़कर शैक्षणिक प्रशासक या शिक्षाविशारद बनने की व्यवस्था होगी। शिक्षकों के लिए राष्ट्रीय प्रोफेशनल मानक
(एनपीएसटी) राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद
द्वारा वर्ष 2022 तक विकसित किया जाएगा, जिसके लिए एनसीईआरटी, एससीईआरटी, शिक्षकों और सभी स्तरों एवं क्षेत्रों के विशेषज्ञ संगठनों के साथ परामर्श
किया जाएगा।
स्कूल प्रशासन
स्कूलों को परिसरों या
क्लस्टरों में व्यवस्थित किया जा सकता है जो प्रशासन (गवर्नेंस) की मूल इकाई होगा
और बुनियादी ढांचागत सुविधाओं, शैक्षणिक
पुस्तकालयों और एक प्रभावकारी प्रोफेशनल शिक्षक-समुदाय सहित सभी संसाधनों की
उपलब्धता सुनिश्चित करेगा।
स्कूली शिक्षा के लिए मानक-निर्धारण एवं प्रत्यायन
एनईपी 2020 नीति निर्माण, विनियमन,
प्रचालनों तथा अकादमिक मामलों के लिए एक स्पष्ट, पृथक प्रणाली की परिकल्पना करती है। राज्य/केंद्र शासित प्रदेश स्वतंत्र स्टेट स्कूल स्टैंडर्ड्स अथारिटी (एसएसएसए) का गठन करेगे। सभी मूलभूत नियामकीय सूचना का पारदर्शी सार्वजनिक
स्व-प्रकटन, जैसाकि एसएसएसए द्वारा वर्णित है, का उपयोग व्यापक रूप से सार्वजनिक निगरानी एवं जवाबदेही के लिए किया
जाएगा। एससीईआरटी सभी हितधारकों के परामर्श के जरिये एक स्कूल गुणवत्ता
आकलन एवं प्रत्यायन संरचना (एसक्यूएएएफ) का
विकास करेगा।
उच्चतर शिक्षा
2035
एनईपी 2020 का लक्ष्य व्यवसायिक शिक्षा सहित उच्चतर शिक्षा
में सकल नामांकन अनुपात को 26.3 प्रतिशत (2018) से बढ़ाकर 2035 तक 50 प्रतिशत
करना है। उच्चतर शिक्षा संस्थानों में 3.5 करोड़ नई सीटें
जोड़ी जाएंगी।
समग्र बहुविषयक शिक्षा
नीति में लचीले पाठ्यक्रम, साथ व्यापक, बहुविषयक, समग्र अवर स्नातक
शिक्षा की परिकल्पना की गई है। यूजी शिक्षा इस अवधि के भीतर विविध एक्जिट विकल्पों
तथा उपयुक्त प्रमाणन के साथ 3 या 4 वर्ष
की हो सकती है। उदाहरण के लिए, 1 वर्ष के बाद सर्टिफिकेट,
2 वर्षों के बाद एडवांस डिप्लोमा, 3 वर्षों के
बाद स्नातक की डिग्री तथा 4 वर्षों के बाद शोध के साथ स्नातक।
विभिन्न एचईआई से अर्जित
डिजिटल रूप से अकादमिक क्रेडिटों के लिए एक एकेडमिक बैंक आफ क्रेडिट की स्थापना की जानी है जिससे कि इन्हें अर्जित
अंतिम डिग्री की दिशा में अंतरित एवं गणना की जा सके।
देश में वैश्विक मानकों के
सर्वश्रेष्ठ बहुविषयक शिक्षा के माडलों के रूप में आईआईटी, आईआईएम के समकक्ष बहुविषयक शिक्षा एवं
अनुसंधान विश्वविद्यालय (एमईआरयू)स्थापित किए जाएंगे
पूरी उच्च शिक्षा में एक मजबूत
अनुसंधान संस्कृति तथा अनुसंधान क्षमता को बढ़ावा देने के लिए एक शीर्ष निकाय के
रूप में राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन का सृजन किया जाएगा।
विनियमन
चिकित्सा एवं कानूनी शिक्षा को
छोड़कर समस्त उच्च शिक्षा के लिए एक एकल अति महत्वपूर्ण व्यापक निकाय के रूप में
भारत उच्च शिक्षा आयोग (एचईसीआई) का गठन किया जाएगा।
एचईसीआई के चार स्वतंत्र
वर्टिकल होंगे- विनियमन के लिए राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा नियामकीय परिषद
(एनएचईआरसी), मानक निर्धारण के लिए सामान्य
शिक्षा परिषद (जीईसी), वित पोषण के लिए उच्चतर शिक्षा अनुदान
परिषद (एचईजीसी) और प्रत्यायन के लिए राष्ट्रीय प्रत्यायन परिषद (एनएसी)। एचईसीआई
प्रौद्योगिकी के जरिये चेहरारहित अंतःक्षेपों के माध्यम से कार्य करेगा और इसमें
नियमों तथा मानकों का अनुपालन न करने वाले एचईआई को दंडित करने की शक्ति होगी।
सार्वजनिक एवं निजी उच्चतर शिक्षा संस्थान विनियमन, प्रत्यायन
एवं अकादमिक मानकों के उसी समूह द्वारा शासित होंगे।
विवेकपूर्ण संस्थागत संरचना
उच्चतर शिक्षा संस्थानों को
उच्च गुणवत्तापूर्ण शिक्षण, अनुसंधान एवं
सामुदायिक भागीदारी उपलब्ध कराने के जरिये बड़े, साधन संपन्न,
गतिशील बहु विषयक संस्थानों में रूपांतरित कर दिया जाएगा।
विश्वविद्यालय की परिभाषा में संस्थानों की एक विस्तृत श्रेणी होगी जिसमें
अनुसंधान केंद्रित विश्वविद्यालयों से शिक्षण केंद्रित विश्वविद्यालय तथा
स्वायत्तशासी डिग्री प्रदान करने वाले महाविद्यालय शामिल होंगे।
महाविद्यालयों की संबद्धता 15 वर्षों में चरणबद्ध तरीके से समाप्त हो जाएगी तथा
महाविद्यालयों को क्रमिक स्वायत्ता प्रदान करने के लिए एक राज्य वार तंत्र की स्थापना की जाएगी। ऐसी
परिकल्पना की जाती है कि कुछ समय के बाद प्रत्येक महाविद्यालय या तो एक
स्वायत्तशासी डिग्री प्रदान करने वाले महाविद्यालय में विकसित हो जाएंगे या किसी
विश्वविद्यालय के संघटक महाविद्यालय बन जाएंगे।
प्रेरित,
एनईपी सुस्पष्ट रूप से
परिभाषित, स्वतंत्र, पारदर्शी नियुक्ति,
पाठ्यक्रम/अध्यापन कला डिजाइन करने की स्वतंत्रता, उत्कृष्टता को प्रोत्साहन देने, संस्थागत नेतृत्व के
जरिये प्रेरक, ऊर्जाशील एवं संकाय के क्षमता निर्माण की
अनुशंसा करता है। इन मूलभूत नियमों का पालन न करने वाले संकायों को जबावदेह ठहराया
जाएगा।
अध्यापक शिक्षण
एनसीईआरटी के परामर्श से, एनसीटीई के द्वारा अध्यापक शिक्षण के लिए एक नया और
व्यापक राष्ट्रीय पाठ्यक्रम ढांचा, एनसीएफटीई 2021
तैयार किया जाएगा। वर्ष 2030 तक, शिक्षण कार्य करने के लिए कम से कम योग्यता 4 वर्षीय
इंटीग्रेटेड बीएड डिग्री हो जाएगी। गुणवत्ताविहीन स्वचालित अध्यापक शिक्षण संस्थान
(टीईओ) के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
परामर्श मिशन
एक राष्ट्रीय सलाह मिशन की
स्थापना की जाएगी, जिसमें उत्कृष्टता
वाले वरिष्ठ/सेवानिवृत्त संकाय का एक बड़ा पूल होगा- जिसमें भारतीय भाषाओं में
पढ़ाने की क्षमता वाले लोग शामिल होंगें- जो कि विश्वविद्यालय/कॉलेज के शिक्षकों
को लघु और दीर्घकालिक परामर्श/व्यावसायिक सहायता प्रदान करने के लिए तैयार करेंगे।
छात्रों के लिए वित्तीय सहायता
एससी, एसटी, ओबीसी और अन्य विशिष्ट
श्रेणियों से जुड़े हुए छात्रों की योग्यता को प्रोत्साहित करने का प्रयास किया
जाएगा। छात्रवृत्ति प्राप्त करने वाले छात्रों की प्रगति को समर्थन प्रदान करना,
उसे बढ़ावा देना और उनकी प्रगति को ट्रैक करने के लिए राष्ट्रीय
छात्रवृत्ति पोर्टल का विस्तार किया जाएगा। निजी उच्च शिक्षण संस्थानों को अपने
यहां छात्रों को बड़ी संख्या में मुफ्त शिक्षा और छात्रवृत्तियों की पेशकश करने के
लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
खुली और दूरस्थ शिक्षा
जीईआर को बढ़ावा देने में
महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए इसका विस्तार किया जाएगा। ऑनलाइन पाठ्यक्रमों और
डिजिटल संग्रहों, अनुसंधान के लिए
वित्तपोषण, बेहतर छात्र सेवाएं, एमओओसी
द्वारा क्रेडिट आधारित मान्यता आदि जैसे उपायों को यह सुनिश्चित करने के लिए
अपनाया जाएगा कि यह उच्चतम गुणवत्ता वाले इन-क्लास कार्यक्रमों के समतुल्य हों।
ऑनलाइन शिक्षा और डिजिटल
शिक्षा:
हाल ही में महामारी और वैश्विक
महामारी में वृद्धि होने के परिणामस्वरूप ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए
सिफारिशों के एक व्यापक सेट को कवर किया गया है, जिससे जब कभी और जहां भी पारंपरिक और व्यक्तिगत शिक्षा प्राप्त करने का
साधन उपलब्ध होना संभव नहीं हैं, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के
वैकल्पिक साधनों की तैयारियों को सुनिश्चित करने के लिए, स्कूल
और उच्च शिक्षा दोनों को ई-शिक्षा की जरूरतों को पूरा करने के लिए एमएचआरडी में
डिजिटल अवसंरचना, डिजिटल कंटेंट और क्षमता निर्माण के
उद्देश्य से एक समर्पित इकाई बनाई जाएगी।
व्यावसायिक शिक्षा
सभी व्यावसायिक शिक्षाओं को उच्च शिक्षा
प्रणाली का अभिन्न अंग बनाया जाएगा। स्वचलित तकनीकी विश्वविद्यालयों, स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालयों, कानूनी और कृषि विश्वविद्यालयों आदि को
उद्देश्य बहु-विषयक संस्थान बनना होगा।
प्रौढ़ शिक्षा
इस नीति का लक्ष्य, 2030 तक 100% युवा और प्रौढ़ साक्षरता
की प्राप्ति करना है।
अति उत्तम
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