आर्थिक भूगोल | आर्थिक क्रियाकलाप | संसाधन- विचारधारा और उनका वर्गीकरण


संसाधन- विचारधारा और उनका वर्गीकरण

आर्थिक भूगोल Economic Geography

आर्थिक भूगोल मानव की आर्थिक क्रियाओं के स्थानिक प्रारूपों का अध्ययन करता है। चूंकि किसी क्षेत्र में लोगों की आर्थिक कियाएं उस क्षेत्र में उपलब्ध संसाधनों की प्रकृति , उनके परिणाम तथा वितरण पर निर्भर करती हैं इसलिए संसाधनों के वितरण का अध्ययन आर्थिक भूगोल की विषयवस्तु का महत्वपूर्ण अंग है। विभिन्न प्रकार की आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन ही भूगोल की इसी शाखा के अंतर्गत सम्मिलित किया जाता है।

आर्थिक क्रियाकलाप

उत्पादन, उपभोग तथा वस्तुओं के आदान-प्रदान से संबंधित सभी क्रिया-कलापों को आर्थिक क्रियाकलाप कहा जाता है। आर्थिक  कियाएं विभिन्न प्रकार की होती हैं। उदाहरण के लिए उत्पादन के अंतर्गत सभी प्रकार की वस्तुओं के उत्पादन को सम्मिलत किया जाता है। इन उत्पादों में जंतु उत्पादों तथा खाद्य सामग्री से लेकर औद्योगिक वस्तुओं तक सभी शामिल हो सकती हैं। ठीक इसी प्रकार आर्थिक क्रियाकलापों में वस्तुओं के आदान-प्रदान के अंतर्गत विभिनन प्रक्रियाओं को तथा सभी प्रकार के पदार्थों के आदान-प्रदान को सम्मिलत किया जा सकता हैं अतः अध्ययन की सरलता के लिए मान की आर्थिक क्रियाओं का वर्गीकरण आवश्यक है। यह सर्वाधिक प्रचलित पद्धति के अनुसार आर्थिक क्रियाओं को प्राथमिक, द्वितीयक, तृतीयक और चतुर्थक क्रियाओं में रूप में विभक्त किया जाता है।

प्राथमिक आर्थिक क्रिया

प्राथमिक आर्थिक क्रियाओं में कृषि, वानिकी, आखेट तथा मत्स्यन जैसी क्रियाओं को सम्मिलत किया जाता है। इस प्रकार की सभी क्रियाएं प्रकृति से विभिन्न पदार्थ प्राप्त करने पर आधारित होती हैं। क्योंकि इन लोगों का अधिकांश कार्य बाहर होता है इसलिए इन आर्थिक क्रियाओं में लगे लोगों को रेड कॉलर वर्करभी कहा जाता है।

द्वितीय आर्थिक क्रिया

प्राथमिक क्रियाओं से प्राप्त उत्पादों की गुणवत्ता तथा मूल्य में वृद्धि की जाती है। उदाहरण के लिए जंतुओं और पौधों से प्राप्त महीन धागों या रेशों से कपड़ा बुना जाता है। इसी प्रकार चट्टानों से प्राप्त लौह खनिज को परिष्कृत करके स्टील की वस्तुएं बनाई जाती हैं। इन क्रियाकलापों मे संलग्न श्रमिक को ब्लू कॉलर वर्करभी कहा जाता है।

तृतीयक आर्थिक क्रिया

तृतीयक आर्थिक क्रियाकलापों के अंतर्गत विभिन्न सेवाओं को सम्मिलत किया जाता है। परिवहन तथा व्यापार इन आर्थिक क्रियाओं के उदाहरण हैं। इनमें निजी और व्यावसायिक दोनों प्रकार की सेवाओं को सम्मिलत किया जाता है। विकसित देशों में इस इस क्षेत्र में लगे लोगों की संख्यचा अधिक होती है तथा सेवाओं की विविधता अधिक होती है। इन क्रियाओं में लगे लोग क्लर्क, नाई, सचिव जैसी सेवाएं प्रदान करते हैं। इन्हें पिंक कॉलर वर्कर कहा जाता है।

चतुर्थक आर्थिक क्रिया

चतुर्थक आर्थिक क्रियाकलापों के अंतर्गत प्रशासन तथा व्यावसायिक सेवाओं को सम्मिलत किया जाता है। स्वास्थ्य सेवाएं, शैक्षणिक सेवाएं, बैंकिग सेवाएं, तथा मनोरंजन जैसी सेवाओं को भी इस वर्ग में सम्मिलत किया जाता है। इन क्रियाकलापों में संलग्न लोगों को वाइट कॉलर वर्करभी कहा जाता है।

पंचम प्रकार की सेवाएं

पंचम प्रकार के क्रियाकलापों में संलग्न लोागों की संख्या प्रायः  कम होती है। इनमें मुख्य अधिशसी और अन्य उच्च प्रबंधक अधिकारियों को, जो कि सरकारी व निजी संस्थानों में सेवाएं प्रदान करते हैं, सम्मिलत किया जाता है। इन आर्थिक क्रियाकलापों में लगे लोगों के वर्ग में वित्तीय सलाहकार और व्यावसायिक सलाहकार जो कि योजना और समस्याओं के निराकरण की सेवाएं प्रदान कर रहे हैं, उनके अतिरिक्त अन्वेषणकर्ता व वैधानिक आदेश देने वाले अधिकारियों को भी सम्मिलत किया जाता है। ऐसे कार्यों में संलग्न व्यक्तियों को गोल्ड कॉलर वर्करकहा जाता है।

संसाधन- विचारधारा और उनका वर्गीकरण

कोई भी पदार्थ जिसका मानव के हित के लिए उपयोग किया जा सकता है उसे संसाधन कहा जाता है। भूमि, जल, वन, खनिज, व मछलियां महत्वपूर्ण संसाधन हैं इसके वृहत् अर्थ में संसाधन शब्द का उपयोग अस्थूल उपयोगिता के लिए भी किया जाता है। उदाहरणार्थ मनुष्य अपनी चतुराई और क्षमता से अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करने हेतु विभिन्न वस्तुओं का निर्माण करता है। अतः मनुष्य की इस दक्षता को भी संसाधन कहा जाता है। संसाधन विभिन्न प्रकार के होते हैं और विभिन्न आधारों पर इन्हें अनेक श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है।

जैविक और अजैविक संसाधन

जीवों से प्राप्त होने वाले संसाधनों को जैविक संसाधन कहा जाता है। जीव-जंतु, वन, मछलियां एवं इनसे प्राप्त होने वाले पदार्थ जैसे लकड़ी और कोयला जैविक संसाधनों के उदाहरण हैं। मानव स्वयं भी जैविक संसाधन है। वे संसाधन जो जीवों से प्राप्त नहीं होते हैं, अजैविक संसाधन कहलाते हैं। भूमि, जल और अधिकांश खनिज सभी अजैविक संसाधनों के उदाहरण हैं।

विकसित और संभावित संसाधन

कोई भी पदार्थ संसाधन तभी कहलाता है जबकि उसका प्रचलित प्रौद्योगिकी स्तर पर उपयोग किया जा सके। वह संसाधन जो कि वर्तमान में उपलब्ध प्रौद्याोगिकी की सहायता से उपयोग में लाए जा रहे हैं उन्हें विकसित संसाधन कहते हैं। इन संसाधनों के अतिरिक्त किसी क्षेत्र में कुछ ऐसे संसाधन भी होते हैं जिनका उपयोग उपलब्ध तकनीकी के आधार पर वर्तमान में नहीं होता है किंतु भविष्य में उनके उपयोग की संभावना हो सकती है। अतः वह संसाधन जिनका अस्तित्व तो है किंतु तकनीकी कारणों अथवा आवश्यकता न होने से उनका उपयोग नहीं हो रहा है, उन्हें संभावित संसाधन कहा जाता है।

समाप्य और समाप्य संसाधन/ नवीकरणीय और अनवीकरणीय

जिन संसाधनों को उपयोग के बाद पुनः प्राप्त किया जा सकता है अर्थात् जिनकी आपूर्ति निरंतर बनी रहती है उन्हें नवीकरणीय अथवा असमाप्य संसाधन कहा जाता है। अधिकांश जैविक संसाधन, वास्तव में असमाप्य संसाधन भी होते हैं। उदाहरण- पवन और सौर ऊर्जा परन्तु सभी नवकरणीय संसाधन असमाप्य नहीं होते हैं। अत्याधिक उपयोग होने पर जब इनके उपयोग करने की दर इनकी उत्पत्ति की दर से अधिक हो जाती है तो ये भी समाप्य संसाधनों में परिवर्तित हो जाते हैं। उदाहरण के लिए वन एवं मछलियां दोनों ही नवीकरणीय संसाधन हैं किंतु इनके अत्याधिक उपयोग से ये समाप्त हो सकते हैं। ऐसे सभी संसाधन जिनका दोहन के साथ-साथ नवीकरण संभव न हो उन्हें अनवीकरणीय अथवा समाप्य संसाधन कहा जाता है। चट्टानों से प्राप्त किए जाने वाले अधिकांश खनिज प्रकृति में निर्मित होते रहते हैं परंतु इनके निर्माण की दर इतनी धीमी होती है कि इन्हें सामान्यतया अनवीकरणीय संसाधन माना जाता है।
संसाधनों को उपरोक्त वर्गों के अतिरिक्त कई अन्य वर्गों में भी वर्गीकृत किया जा सकता है। वह संसाधन जिनका उपयोग ऊर्जा स्त्रोतों के रूप में किया जाता है ऊर्जा संसाधन कहा जाता है। कोयला, पेट्रोलियम, जलीय ऊर्जा इस प्रकार के संसाधनों के उदाहरण हैं। इसी प्रकार कृषि उत्पादों को कृषि संसाधन कहा जाता है। यही नहीं किसी भी एक संसाधन को एक से अधिक वर्गों में भी सम्मिलत किया जा सकता है। उदाहरण के लिए कोयला खनिज संसाधन, ऊर्जा संसाधन, समाप्य संसाधन, विकसित संसाधन व जैविक संसाधन का उदाहरण है।

आर्थिक भूगोल के अंतर्गत अन्य विषय

  • कृषि
  • पशुपालन एवं पशु उत्पाद
  • वन एवं वन उत्पाद
  • खनिज संसाधन
  • प्रमुख औद्योगिक उत्पाद तथा उत्पादक देश
  • विभिन्न प्राकृतिक प्रदेशों के प्रमुख उत्पाद
  • परिवहन एवं संचार

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