परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण योजनाएं | Important Govt Schemes of India
अमृत (AMRUT) मिशन
- अमृत (AMRUT) मिशन का पूरा नाम ‘अटल नवीकरण एवं शहरी परिवर्तन मिशन’ है।
- (AMRUT) मिशन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी में 2015 में लॉन्च किया गया था।
- इसके अंतर्गत उन परियोजनाओं को भी शामिल किया जाता है जो जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन (JNNURM) के अंतर्गत अधूरी रह गई हैं।
- इसका नोडल मंत्रालय केंद्रीय आवासन एवं शहरी विकास मंत्रालय है।
- अमृत परियोजना के अंतर्गत जिन कस्बों या क्षेत्रों को चुना जा रहा है वहाँ बुनियादी सुविधाएँ जैसे- बिजली, पानी की सप्लाई, सीवर, कूड़ा प्रबंधन, वर्षा जल संचयन, ट्रांसपोर्ट, बच्चों के लिये पार्क, अच्छी सड़क और चारों तरफ हरियाली आदि विकसित की जा रही हैं।
भारतनेट परियोजना (BharatNet Project)
- भारतनेट परियोजना जो कि अक्तूबर 2011 में ‘राष्ट्रीय ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क’ (National Optical Fibre Network) के रूप में शुरू हुई थी,
- अब इस परियोजना के लिये नई समय-सीमा अगस्त 2021 निर्धारित की गई है।
- हालाँकि इस वर्ष 15 अगस्त को भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के सभी गाँव अगले 1000 दिनों में इंटरनेट से जुड़ जाएंगे अर्थात् अब इस परियोजना के वर्ष 2024 में पूर्ण होने की संभावना है।
नमामि गंगे परियोजना- वर्ष 2014 में शुरू
- राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (National Mission for Clean Ganga) अथवा नमामि गंगे परियोजना को वर्ष 2014 में शुरू किया था।
- नमामि गंगे परियोजना को प्रतिष्ठित ‘लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए प्रधानमंत्री पुरस्कार - 2020’ में शामिल किया गया है।
- गंगा नदी का न सिर्फ़ सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व है बल्कि देश की 40% आबादी गंगा नदी पर निर्भर है।
- भारत सरकार ने गंगा नदी के प्रदूषण को समाप्त करने और नदी को पुनर्जीवित करने के लिए नमामि गंगे परियोजना को शुरू किया गया है अर्थात इस परियोजना का उद्देश्य गंगा नदी को स्वच्छ बनाना तथा इसके संरक्षण के लिए कार्य करना है।
- नमामि गंगे परियोजना का क्रियान्वयन केंद्रीय जल संसाधन,नदी विकास और गंगा कायाकल्प मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है।
- नमामि गंगे परियोजना में डिजिटल एलिवेशन मॉडल (डीईएम) तकनीक का उपयोग भी किया जा रहा है , जो सटीक डेटा संग्रह सुनिश्चित करता है ।
प्रधानमंत्री खनन क्षेत्र कल्याण योजना (PMKKKY)
- ज़िला खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट के फंड का उपयोग कर खनन गतिविधियों से प्रभावित लोगों और क्षेत्रों का कल्याण सुनिश्चित करने संबंधी यह खनन मंत्रालय की एक प्रमुख योजना है।
- खनन प्रभावित क्षेत्रों में विभिन्न विकासात्मक और कल्याणकारी परियोजनाओं/कार्यक्रमों को लागू करना, जो राज्य और केंद्र सरकार की मौजूदा परियोजनाओं/कार्यक्रमों के पूरक के तौर पर कार्य करें।
- आम लोगों के स्वास्थ्य, पर्यावरण और उस क्षेत्र विशिष्ट की सामाजिक-आर्थिक स्थिति पर खनन गतिविधियों के प्रतिकूल प्रभावों को कम करना।
- खनन क्षेत्रों में प्रभावित लोगों के लिये दीर्घकालिक स्थायी आजीविका सुनिश्चित करना।
राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना (NREGS)
- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम अर्थात् मनरेगा को भारत सरकार द्वारा वर्ष 2005 में राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम, 2005 (NREGA-नरेगा) के रूप में प्रस्तुत किया गया था। वर्ष 2010 में नरेगा (NREGA) का नाम बदलकर मनरेगा (MGNREGA) कर दिया गया।
- राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना (NREGS) का प्रस्ताव इसी अधिनियम के तहत किया गया था।
- इस अधिनियम के तहत ग्रामीण भारत में प्रत्येक परिवार के अकुशल श्रम करने के इच्छुक वयस्क सदस्यों (18 वर्ष की आयु से अधिक) के लिये 100 दिन का गारंटीयुक्त रोज़गार का प्रावधान किया गया है, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को आजीविका सुरक्षा प्रदान की जा सके।
- योजना के तहत केंद्र सरकार अकुशल श्रम की पूरी लागत और सामग्री की लागत का 75 प्रतिशत हिस्सा (शेष राज्यों द्वारा वहन किया जाता है) वहन करती है।
- यह एक मांग-संचालित सामाजिक सुरक्षा योजना है जिसका उद्देश्य ‘काम के अधिकार’ को मूर्त रूप प्रदान करना है।
- केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा राज्य सरकारों के सहयोग से इस योजना के कार्यान्वयन की निगरानी की जाती है।
गरीब कल्याण रोज़गार अभियान
- इस अभियान की शुरुआत जून 2020 में देशव्यापी लॉकडाउन के कारण अपने गृह राज्यों में लौटे प्रवासी श्रमिकों और ग्रामीण नागरिकों को आजीविका के अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से की गई थी।
- यह कुल 125 दिनों का अभियान था, जिसे कुल 50,000 हज़ार करोड़ रुपए की लागत से मिशन मोड में संचालित किया गया था।
- इस अभियान के तहत छह राज्यों यथा- बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखंड तथा ओडिशा से कुल 116 ज़िलों को चुना गया था।
- अभियान के तहत चुने गए कुल ज़िलों में 27 आकांक्षी ज़िले (aspirational districts) भी शामिल थे।
मिड-डे मील कार्यक्रम 15 अगस्त, 1995
- मिड-डे मील (MDM) 2015 के अनुसार, यदि खाद्यान्नों की कमी, खाना पकाने की लागत, ईंधन या कुक (Cook) की अनुपलब्धता के कारण छात्रों को भोजन उपलब्ध नहीं कराया जा सका है तो ऐसी स्थिति में सरकार से यह उम्मीद की जाती है कि वह प्रत्येक बच्चे को खाद्य सुरक्षा भत्ता प्रदान करेगी।
- मिड-डे मील कार्यक्रम को एक केंद्रीय प्रायोजित योजना के रूप में 15 अगस्त, 1995 को पूरे देश में लागू किया गया था।
- इसके पश्चात् सितंबर 2004 में कार्यक्रम में व्यापक परिवर्तन करते हुए मेनू आधारित पका हुआ गर्म भोजन देने की व्यवस्था प्रारंभ की गई।
- इस योजना के तहत न्यूनतम 200 दिनों हेतु निम्न प्राथमिक स्तर के लिये प्रतिदिन न्यूनतम 300 कैलोरी ऊर्जा एवं 8-12 ग्राम प्रोटीन तथा उच्च प्राथमिक स्तर के लिये न्यूनतम 700 कैलोरी ऊर्जा एवं 20 ग्राम प्रोटीन देने का प्रावधान है।
- मिड-डे मील योजना में सरकारी स्कूलों, सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों, विशेष प्रशिक्षण केंद्रों के कक्षा 1 से 8 तक में पढ़ने वाले सभी स्कूली छात्रों को शामिल किया गया है, जिनमें समग्र शिक्षा अभियान के तहत समर्थित मदरसे भी शामिल हैं।
प्रधानमंत्री जन धन योजना 15 अगस्त, 2014
- प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) बैंकिंग, बचत/जमा खातों, प्रेषण, उधारी, बीमा, पेंशन आदि वित्तीय सेवाओं तक किफायती तरीके से पहुंच सुनिश्चित करने के लिए वित्तीय समावेशन का एक राष्ट्रीय मिशन है।
- भारतीय प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त, 2014 को अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में पीएमजेडीवाई की घोषणा की थी।
- प्रधानमंत्री जन धन योजना का लक्ष्य देश के आर्थिक रूप से पिछड़े तबकों का वित्तीय समावेशन करना है।
- वर्तमान के डिजिटलिकरण के इस दौर में भी जिन व्यक्तियों का बैंक में कोई खाता नहीं है, उनका पीएमजेडीवाई बैंक में खाता होना सुनिश्चित करती है और बैंकिंग प्रणाली से उन्हे जोड़ती है ।
- इस योजना ने जैम (जन धन खाता ,मोबाइल नंबर और आधार ) त्रिनिती के माध्यम से कारोंडों लोगों को सरकारी योजनाओं का फायदा पहुंचाया है। इसने भारत के वित्तीय ढ़ांचे का विस्तार किया है और 40 करोड़ से अधिक खाताधारकों को वित्तीय समावेशन के दायरे में लाई है।
- प्रधानमंत्री जन धन योजना के कारण आज अनेक परिवारों का भविष्य सुरक्षित हुआ है। इस योजना के लाभार्थियों में बड़ी संख्या में ग्रामीण क्षेत्र के लोग और महिलाएं हैं।
पीएमजेडीवाई के उद्देश्य
- किफायती मूल्य पर वित्तीय उत्पादों और सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित करना
- लागत घटाने और पहुंच को व्यापक बनाने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग पीएमजेडीवाई योजना के मूल सिद्धांत
- बैंकिंग पहुंच से दूर रहने वाले लोगों को बैंकिंग प्रणाली में शामिल करना - न्यूनतम कागजी कार्रवाई के साथ मूल बचत बैंक जमा (बीएसबीडी) खाता खोलना, केवाईसी, ई-केवाईसी नियमों में ढील देना, शून्य खाता शेष और शून्य शुल्क के साथ शिविर मोड में खाता खोलना।
- असुरक्षित को सुरक्षित करना - 2 लाख रुपये के मुफ्त दुर्घटना बीमा कवरेज के साथ नकद निकासी और भुगतान के लिए स्वदेशी डेबिट कार्ड जारी करना।
- वित्त पोषण की सुविधा - सूक्ष्म बीमा, उपभोग के लिए ओवरड्राफ्ट, माइक्रो-पेंशन और माइक्रो-क्रेडिट जैसे अन्य वित्तीय उत्पाद
पीएमजेडीवाई की प्रमुख विशेषताएं
- बैंकिंग सेवाओं तक सार्वभौमिक पहुंच सुनिश्चित करना ।
- प्रत्येक परिवार को 10,000 रुपये की ओवरड्राफ्ट सुविधा के साथ मूल बचत बैंक खाता सुनिश्चित करना । अब ओवरड्राफ्ट सीमा को 5,000 रुपये से दोगुना करते हुए 10,000 रुपये किया गया है और ओवरड्राफ्ट के लिए ऊपरी आयु सीमा को 60 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष किया गया है।
- वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम- बचत को बढ़ावा देना, एटीएम का उपयोग, ऋण के लिए तैयार होना, बीमा एवं पेंशन का लाभ उठाना, बैंकिंग के लिए बेसिक मोबाइल फोन का उपयोग करना।
- क्रेडिट गारंटी फंड तैयार करना- डिफॉल्ट होने की स्थिति में बैंकों को कुछ गारंटी प्रदान करना।
- असंगठित क्षेत्र के लिए पेंशन योजना।
- रूपे डेबिट कार्ड या आधार समर्थित भुगतान प्रणाली (एईपीएस) के माध्यम से अंतर-संचालन की सुविधा। 28 अगस्त, 2018 के बाद खोले गए पीएमजेडीवाई खातों के लिए रूपे कार्ड पर मुफ्त दुर्घटना बीमा कवर को 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 2 लाख रुपये किया गया है।
- केवाईसी की बोझिल औपचारिकताओं के स्थान पर सरलीकृत केवाईसी/ई- केवाईसी।
पीएमजेडीवाई की उपलब्धियां
- गरीबों के बैंक खाते खोलने के लिए शुरू की गई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत अब तक 40.35 करोड़ से अधिक खाते खोले जा चुके हैं जिनमें 1.31 लाख करोड़ रुपये जमा हुए हैं।
- इस योजना के तहत खोले गए कुल खातों में से 63.6 फीसद ग्रामीण इलाकों में खोले गए हैं और 55.2 फीसद खाताधारक महिलाएं हैं।
- इस योजना के तहत पीएमजेडीवाई खाताधारकों को कुल 29.75 करोड़ रूपे (RuPay) कार्ड जारी किए गए हैं ।समय के साथ-साथ रूपे कार्ड की संख्या और उसकी उपयोगिता बढ़ रही है।
- पीएम गरीब कल्याण योजना के तहत, अप्रैल-जून, 2020 के दौरान महिलाओं के पीएमजेडीवाई खाताधारकों के खातों में कुल 30,705 करोड़ रुपये जमा किए गए।
- लगभग 8 करोड़ पीएमजेडीवाई खाताधारकों को विभिन्न योजनाओं के तहत सरकार से प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) प्राप्त हुआ है।
उदय योजना Ujwal DISCOM Assurance Yojana
- उदय योजना का पूरा नाम उज्ज्वल डिस्कॉम एश्योरेंस योजना (Ujwal DISCOM Assurance Yojana) है।
- इस योजना का उद्देश्य बिजली वितरण कंपनियों की वित्तीय बदलाव लाने और पुनरुद्धार करके उनकी समस्याओं का स्थाई समाधान सुनिश्चित करना है।
- इस योजना की शुरुआत 05 नवंबर, 2015 को भारत सरकार के विद्युत् मंत्रालय (Ministry of Power) द्वारा की गई थी।
- बिजली वितरण कंपनियों की परिचालन क्षमता में सुधार करना।
- बिजली की लागत में कम करना।
- बिजली वितरण कंपनियों के घाटे में कमी करना।
- राज्य वित्त आयोग के साथ समन्वय के माध्यम से डिस्कॉम्स पर वित्तीय अनुशासन लागू करना।
पीएम किसान सम्मान निधि योजना
- इस योजना को “पीएम किसान योजना” के नाम से भी जाना जाता है। इस योजना को 1 दिसंबर 2018 को लागू किया गया था।
- पीएम किसान भारत सरकार से 100% वित्त पोषण के साथ एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है।
- प्रारम्भ में इस योजना के तहत, 2 हेक्टेयर तक के भू-स्वामित्व वाले छोटे और सीमांत किसान परिवारों को 6000/- प्रति वर्ष की आय सहायता प्रदान की जानी थी, लेकिन अब इसे सभी किसानों के लिए लागू कर दिया गया है।
- इस योजना के लाभार्थी परिवार की परिभाषा में पति-पत्नी और उनके नाबालिग बच्चे ही शामिल किए गए हैं।
इस योजना के अंतर्गत निम्नलिखित भू-स्वामियों
को शामिल नहीं किया गया है:
- संस्थागत भू-स्वामित्व
- ऐसे भू-स्वामी जो वर्तमान अथवा पूर्व में संवैधानिक पदों पर रहे हों
- जिला पंचायत अध्यक्ष और उससे उपर के सभी जनप्रतिनिधि
- वर्तमान और पूर्व लोक सेवक
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