आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 25राज्य के प्रत्येक जिले के लिए आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की स्थापना का प्रावधान करती है ।
जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण में
अध्यक्ष और सात से अनाधिक सदस्य होगें।
कलेक्टर या जिला मस्ट्रिेट जिला आपदा
प्रबंधन प्राधिकरण का अध्यक्ष होता है।
ऐसे जिले जहां जिला परिषद विद्यमान हैं, वहां पर जिला परिषद का अध्यक्ष जिला
आपदा प्राधिकरण का सह-अध्यक्ष होता है।
जिला प्राधिकरण अपने कृत्यों का
दक्षतापूर्ण निर्वहन करने के एक या अधिक सलाहकार समिति का गठन कर सकता है।
जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के कार्य
जिला प्राधिकरण, आपदा प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय
प्राधिकरण एवं राज्य प्राधिकरण द्वारा दिए गये मार्गदर्शक सिद्धांतों के आधार पर
जिले में आपदा प्रबंधन के प्रयोजन के लिए सभी उपाय करेगा।
जिले मेंआपदा के संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान कर
आपदाओं के निवारण और उसके प्रभावों के शमन के लिए उपाय जिला स्तर पर करेगा।
सरकारी विभागों द्वारा तैयार की गई
आपदा प्रबंधन योजनाओं के कार्यान्वयन की मॉनीटरिंग करना।
जिले में आपदा या आपदा की आशंका की
स्थिति में प्रभावी रूप से मोचन करने के लिए अपनाए जाने वाले उपायों को तैयारी
अपेक्षित स्तर तक करना।
सरकारी एवं गैर सरकारी संगठनों की
सहायता से सामुदायिक प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रमों का जिले में क्रियान्वयन
करना।
आपदा के संबंध में जनता को पूर्व
चेतावनी और उचित सूचना के प्रसार के लिए तंत्र की स्थापना करना।
आपदा की घटना की स्थिति में राहत
केन्द्रों या शिवरों की व्यवस्था करना जहां जलप्रदाय तथा स्वच्छता हो।
राहत संचय और बचाव सामग्री की स्थापना
करना जिसे अल्प सूचना पर उपलब्ध कराया जा सके।
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण
आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के अबंतर्गत प्रदेश में मध्यप्रदेश
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण का गठन मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में 5 सितंबर 2007 को किया गया है।
राज्य में आपदा प्रबंधन कार्यों के
समन्वयन हेतु मुख्य सचिव म.प्र. शासन की अध्यक्षता में कार्यकारिणी समिति का गठन
किया गया है।
प्रदेश के सभी जिलों में कलेक्टर की
अध्यक्षता मेंजिला आपदा प्रबंधन
प्राधिकरण का गठन किया गया है।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण भारत में
आपदा प्रबंधन के लिये शीर्ष वैधानिक निकाय है।
इसका ओपचारिक रूप से गठन 27 सितम्बर, 2006को आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत हुआ जिसमें प्रधानमंत्री
अध्यक्ष और नौ अन्य सदस्य होंगे और इनमें से एक सदस्य को उपाध्यक्ष पद दिया जाएगा।
अधिदेश: इसका प्राथमिक उद्देश्य प्राकृतिक या
मानव निर्मित आपदाओं के दौरान प्रतिक्रियाओं में समन्वय कायम करना और
आपदा-प्रत्यास्थ (आपदाओं में लचीली रणनीति) व संकटकालीन प्रतिक्रिया हेतु क्षमता
निर्माण करना है। आपदाओं के प्रति समय पर और प्रभावी प्रतिक्रिया के लिये आपदा
प्रबंधन हेतु नीतियाँ, योजनाएँ और दिशा-निर्देश तैयार करने
हेतु यह एक शीर्ष निकाय है।
विजन: एक समग्र, अग्रसक्रिय तकनीक संचालित और संवहनीय विकास रणनीति के द्वारा एक
सुरक्षित और आपदा-प्रत्यास्थ भारत बनाना, जिसमें सभी हितधारकों की मौजूदगी हो तथा जो रोकथाम, तैयारी और शमन की संस्कृति का पालन
करती हो।
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