मानचित्र कैसे देखा जाता है | मानचित्र के प्रकार |मानचित्र के घटक
मानचित्र
मानचित्र क्या होता है
मानचित्र पृथ्वी की सतह या
इसके एक भाग का पैमाने के माध्यम से चपटी सतह पर खींचा गया चित्र है। लेकिन एक
गोलाकार सतह को पूरी तरह से चपटा करना असंभव है। मानचित्र हमारी विभिन्न जरूरतों
के लिए आवश्यक हैं। कुछ मानचित्र एक छोटे क्षेत्र को एवं कुछ तथ्यों को दर्शाता
है। दूसरे मानचित्र में एक बड़ी किताब की तरह तथ्य हो सकते हैं।
जब बहुत से मानचित्रों को
एक साथ रख दिया जाता है तब एक एटलस बन जाता है। एटलस विभिन्न प्रकारों तथा अलग-अलग पैमाने से खींची गई मापों पर आधारित होता है। मानचित्रों से एक ग्लोब की
अपेक्षा हमें ज्यादा जानकारी प्राप्त होती है।
मानचित्र के प्रकार
भौतिक मानचित्र
पृथ्वी की प्राकृतिक
आकृतियों जैसे- पर्वतों, पठारों, मैदानों, नदियों, महासागरों इत्यादि को दर्शाने वाले मानचित्रों को भौतिक या उच्चावच
मानचित्र कहा जाता है।
राजनीतिक मानचित्र
राज्यों, नगरों, शहरों तथा गाँवों और विश्व
के विभिन्न देशों व राज्यों तथा उनकी सीमाओं को दर्शाने वाले मानचित्र को राजनीतिक
मानचित्र कहा जाता है।
थिमैटिक मानचित्र
कुछ मानचित्र विशेष
जानकारियाँ प्रदान करते हैं जैसे- सड़क मानचित्र, वर्षा मानचित्र, वन तथा उद्योगों आदि के वितरण दर्शाने वाले मानचित्र इत्यादि। इस
प्रकार के मानचित्र को थिमैटिक मानचित्र कहा जाता है। इन मानचित्रों में दी गई
सूचना के आधार पर उनका उचित नामकरण किया जाता है।
मानचित्र के घटक
मानचित्र के तीन घटक हैं: दूरी, दिशा और प्रतीक।
दूरी
मानचित्र एक आरेखण होता है
जो कि पूरे विश्व या उसके एक भाग को छोटा कर कागज के एक पन्ने पर दर्शाता है या यह
कह सकते हैं कि मानचित्र छोटे पैमाने पर खींचे जाते हैं। लेकिन इसे इतनी सावधानी
से छोटा किया जाता है ताकि स्थानों के बीच की दूरी वास्तविक रहे। यह तभी संभव हो
सकता है जब कागज पर एक छोटी दूरी, स्थल की बड़ी दूरी को
व्यक्त करती हो। इसलिए इस उद्देश्य के लिए एक पैमाना चुना जाता है। पैमाना, स्थल पर वास्तविक दूरी तथा मानचित्र पर दिखाई गई दूरी के बीच का
अनुपात होता है।
दिशा
अधिकतर मानचित्रों में ऊपर
दाहिनी तरफ तीर का निशान बना होता है, जिसके ऊपर अक्षर उ. लिखा
होता है। यह तीर का निशान उत्तर दिशा को दर्शाता है। इसे उत्तर रेखा कहा जाता है।
जब आप उत्तर के बारे में जानते हैं तब आप दूसरी दिशाओं जैसे पूर्व, पश्चिम तथा दक्षिण के बारे में पता लगा सकते हैं। चार मुख्य दिशाओं
उत्तर, दक्षिण, पूर्व एवं पश्चिम को दिखाया
गया है। वे प्रधान दिग्बदु कहे जाते हैं। बीच की चार दिशाएँ हैं उत्तर-पूर्व (उ.पू.), दक्षिण-पूर्व (द.पू.), दक्षिण-पश्चिम (द.प.) तथा
उत्तर-पश्चिम (उ.प.)। इन बीच वाली दिशाओं की मदद से किसी भी स्थान की सही स्थिति
का पता लगाया जा सकता है।
प्रतीक
यह किसी भी मानचित्र का
तीसरा प्रमुख घटक है। किसी भी मानचित्र पर वास्तविक आकार एवं प्रकार में विभिन्न
आकृतियों जैसे- भवनों,सड़कों, पुलों, वृक्षों, रेल की पटरियों को दिखाना संभव नहीं
होता है। इसलिए, वे निश्चित अक्षरों, छायाओं, रंगों, चित्रों तथा रेखाओं का
उपयोग करके दर्शाए जाते हैं। ये प्रतीक कम स्थान में अधिक जानकारी प्रदान करते
हैं। इन प्रतीकों के इस्तेमाल के द्वारा मानचित्र को आसानी से खींचा जा सकता है ।
मानचित्रों की एक
विश्वव्यापी भाषा होती है जिसे सभी आसानी से समझ सकते हैं। इन
प्रतीकों के उपयोग के संबंध
में एक अंतर्राष्ट्रीय सहमति है। ये रूढ़ प्रतीक कहे जाते हैं।
रेखाचित्र
एक आरेखण है, जो पैमाने पर आधारित न होकर याद्दाश्त और स्थानीय प्रेक्षण पर आधारित
होता है। कभी-कभी किसी क्षेत्र के एक कच्चे आरेखण की आवश्यकता वहाँ के एक स्थान को
दूसरे स्थान के सापेक्ष दिखाने के लिए होती है। कच्चे आरेख को बिना पैमाने की
सहायता से खींचा जाता है तथा इसे रेखाचित्र मानचित्र कहते हैं।
खाका
एक छोटे क्षेत्र का बड़े
पैमाने पर खींचा गया रेखाचित्र खाका कहा जाता है। एक बड़े पैमाने वाले मानचित्र से
हमें बहुत सी जानकारियाँ प्राप्त होती हैं लेकिन कुछ ऐसी चीजें होती हैं जिन्हें
हम कभी-कभी जानना चाहते हैं जैसे किसी कमरे की लंबाई एवं चौड़ाई, जिसे मानचित्र में नहीं दिखाया जा सकता है। उस समय, हम लोग बड़े पैमाने वाला एक रेखाचित्र खींच सकते हैं जिसे खाका कहा
जाता है।
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