विषुवत वृत्त से उत्तर या दक्षिण की कोणीय दूरी
की माप को अक्षांश कहते हैं। इसे विषुवत वृत्त से दोनों ध्रुवों की ओर अंशों में
मापा जाता है। विषुवत वृत्त से ध्रुवों तक स्थित सभी समानांतर वृत्तों को अक्षांश
रेखाएँ कहा जाता है। विषुवत वृत्त एक काल्पनिक रेखा है जो पृथ्वी को दो बराबर
भागों में बाँटती है।
पृथ्वी की आकृति गोल है, इसलिये कोई किनारा नहीं है जहाँ से कोई
दूरी नापी जा सके। किन्तु फिर भी पृथ्वी पर दो बिन्दु उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी
ध्रुव निश्चित है और इसलिये इन्हें आधारभूत संदर्भ बिन्दु कहते हैं।
विषुवत वृत्त (0°), उत्तर
ध्रुव (90°
उत्तर), दक्षिण
ध्रुव (90°
दक्षिण) के अतिरिक्त चार महत्त्वपूर्ण अक्षांश रेखाएँ और भी हैं-
1. उत्तरी गोलार्द्ध में कर्क रेखा (23½° उत्तर)
2. दक्षिणी गोलार्द्ध में मकर रेखा (23½° दक्षिण)
3. विषुवत वृत्त के 66½° उत्तर में उत्तर ध्रुव वृत्त (आर्कटिक
वृत्त)
4. विषुवत वृत्त के 66½° दक्षिण में दक्षिण ध्रुव वृत्त
(अंटार्टिक वृत्त)
कर्क रेखा एवं मकर रेखा के बीच सभी अक्षांश पर
सूर्य वर्ष में एक बार दोपहर में सिर के ठीक ऊपर होता है। इसलिये इस क्षेत्र में
सबसे अधिक ऊष्मा प्राप्त होती है तथा इसे उष्ण कटिबंध कहा जाता है।
ध्रुव की तरफ सूर्य की किरणें तिरछी होती जाती
हैं। इस प्रकार उत्तरी गोलार्द्ध में कर्क रेखा एवं उत्तर ध्रुव वृत्त तथा दक्षिणी
गोलार्द्ध में मकर रेखा एवं दक्षिण ध्रुव वृत्त के बीच वाले क्षेत्र का तापमान
मध्यम रहता है। इसलिये इन्हें शीतोष्ण कटिबंध कहा जाता है।
जैसे-जैसे हम विषुवत वृत्त से दूर जाते हैं, अक्षांश रेखाओं का आकार घटता जाता है।
इस प्रकार विषुवत वृत्त के उत्तर की सभी समनांतर रेखाओं को उत्तरी अक्षांश कहा
जाता है तथा विषुवत वृत्त के दक्षिण स्थित सभी समानांतर रेखाओं को दक्षिणी अक्षांश
कहा जाता है।
अक्षांशों को अंशों में मापा जाता है तथा दो
अक्षांशों के बीच की दूरी 111 किमी. होती है।
उत्तरी गोलार्द्ध में उत्तर ध्रुव वृत्त एवं
उत्तरी ध्रुव तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में दक्षिण ध्रुव वृत्त एवं दक्षिणी ध्रुव के
बीच के क्षेत्र में बहुत ठंड होती है, क्योंकि यहाँ सूर्य क्षितिज से ज़्यादा
ऊपर नहीं आ पाता है। इसलिये ये शीत कटिबंध कहलाते हैं।
उत्तरी ध्रुव को दक्षिणी ध्रुव से जोड़ने वाली
संदर्भ रेखाओं को देशांतरीय याम्योत्तर (रेखाएँ) कहते हैं।
किसी भी स्थान की सही स्थिति बताने के लिये
अक्षांश के अलावा यह जानना आवश्यक होगा कि उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव को जोड़ने
वाली देशांतरीय याम्योत्तर से पूर्व या पश्चिम की ओर इन स्थानों की दूरी कितनी है।
देशांतर याम्योत्तर अर्द्धवृत्त है तथा उनके
बीच की दूरी ध्रुवों की तरफ बढ़ने पर घटती जाती है एवं ध्रुवों पर शून्य हो जाती है, जहाँ सभी देशांतरीय याम्योत्तर आपस में
मिलती है।
देशांतरीय याम्योत्तरों की लम्बाई एक समान होने
के कारण इन्हे सिर्फ मुख्य संख्याओं में व्यक्त करना कठिन था। तब सभी देशों ने
निश्चय किया कि ग्रीनिच जहाँ ब्रिटिश राजकीय वेधशाला स्थित है, से गुजरने वाली याम्योत्तर से पूर्व और
पश्चिम की ओर गिनती शुरू की जाए। इस याम्योत्तर को प्रमुख याम्योत्तर कहते है तथा
इसका मान 0°
देशान्तर है। अर्थात् यह स्थान मानक समय निर्धारित करने का आधार बना। यहाँ से हम 180° पूर्व या 180° पश्चिम तक गणना करते हैं।
अक्षांश रेखाओं से भिन्न देशांतरीय
याम्योत्तरों की लम्बाई समान होती है।
देशांतरों को अंशों में मापा जाता है तथा
विषुवत रेखा पर दो देशांतरों के बीच की दूरी 111.321 किमी. होती है और यह ध्रुवों
के तरफ क्रमशः घटती जाती हैं।
प्रमुख याम्योत्तर तथा 180° याम्योत्तर मिलकर पृथ्वी को दो समान भागों, पूर्वी गोलार्द्ध एवं पश्चिमी
गोलार्द्ध में विभक्त करती हैं। इसलिये किसी स्थान के देशांतर के आगे पूर्व के
लिये अक्षर पू. तथा पश्चिम के लिये प. का उपयोग करते हैं।
पृथ्वी अपने काल्पनिक अक्ष पश्चिम से पूर्व की
ओर चक्कर लगाती है, अतः वे स्थान जो ग्रीनिच (ग्रीनविच) के पूर्व में हैं, उनका समय ग्रीनिच (ग्रीनविच) से आगे
होगा तथा जो पश्चिम में हैं उनका समय पीछे होगा।
180° पूर्व और 180° पश्चिम याम्योत्तर एक ही रेखा पर स्थित है। तथा 180° देशान्तर
रेखा को अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा (International Date Line) के नाम से जाना जाता है।
पृथ्वी अपने अक्ष पर 24 घंटे में 360° घूमती है।
चूँकि,24
घंटे = 360°
इसलिये 1 घंटे = 15°
1 घंटे में 60 मिनट होते हैं।
60 मिनट = 15°
1° = 4 मिनट
अतः पृथ्वी को 1° घूमने में 4 मिनट लगते हैं।
भारत में गुजरात के द्वारका तथा असम के
डिब्रूगढ़ के स्थानीय समय में लगभग2 घंटे
का अंतर होता है। इसलिये यह आवश्यक था कि देश के मध्य भाग से होकर गुजरने वाली
किसी याम्योत्तर के स्थानीय समय को देश का मानक समय माना जाए।
भारत में 82½° पूर्व (82° 30' पू.)
को मानक याम्योत्तर माना गया है जो इलाहाबाद के नैनी के पास से होकर गुजरता है।
भारत का मानक समय याम्योत्तर ग्रीनिच के 82°30° पू. में स्थित है अतः यहाँ का समय
ग्रीनिच (ग्रीनविच) के समय से 5 घंटा 30 मिनट आगे है। इसलिये जब लंदन में दोपहर के
2 बजे होंगे तब भारत में शाम के 7:30 बजे होंगे।
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