संविधान में आज तक हुए संशोधन | संविधान संशोधन लिस्ट

संविधान संशोधन लिस्ट

संविधान संशोधन अधिनियम 

{Amendment of the Constitution of India }

पहला सविंधान संशोधन अधिनियम, 1951


  • इसके माध्यम से स्वतंत्रता, समानता, एवं संपत्ति से संबंधित मौलिक अधिकारों को लागू किए जाने संबंधी कुछ व्यावहारिक कठिनाईयों को दूर करने का प्रयास किया गया।
  • भाषण एवं अभिव्यक्ति के मूल अधिकारों पर इसमें उचित प्रतिबंध की व्यवस्था की गई, इस संसोधन द्वारा संविधान में नौवीं अनुसूची को जोड़ा गया, जिसमें उल्लेखित कानूनों को सर्वोच्च न्यायलय के न्याययिक पुनर्विलोकन की शक्तियों के अंतर्गत परीखा नहीं की जा सकती
  • संविधान में नौवीं अनुसूची को शामिल किया गया और अनुच्छेद 15,19,31,85,87,176,361,342,372 और 376 को संशोधित किया गया।

दूसरा संविधान संशोधन अधिनियम, 1952


  • अनुच्छेद 81 को संशोधित करके लोकसभा के एक सदस्य के निर्वाचन के लिए 7/12 लाख मतदाताओं की सीमा निर्धारित की गई और लोकसभा के लिए सदस्यों की संख्या 500 निश्चित की गई।

तीसरा संविधान संशोधन अधिनियम, 1954


  • राज्य सूची के कुछ विषय समवर्ती सूची में शामिल किये गये। इसके अंतर्गत सातवीं अनुसूची को समवर्ती सूची की तैंतीसवीं प्रविष्टि के स्थान पर खाद्यान्न, पशुओं के लिए चारा, कच्चा कपास, जूट आदि को रखा गया, जिसके उत्पादन एवं आपूर्ति को लोकहित में समझने पर सरकार उस पर नियंत्रण लगा सकती है।

चौथा संविधान संशोधन अधिनियम, 1955


  • व्यक्तिगत संपत्ति को लोकहित में राज्य द्वारा हस्तगत किए जाने की स्थिति में, न्यायालय इसकी क्षतिपूर्ति के संबंध में परीक्षा नहीं कर सकती।
  • सम्पति के अधिकार संबंध अनुच्छेद-31, 9वीं अनुसूची में तथा अनुच्छेद 305 को संशोधित किया गया।

छठा संविधान संशोधन अधिनियम, 1956

  • सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशो की संख्या में वृद्धि की गई तथा उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को सर्वोच्च न्यायालय में वकालत करने की आज्ञा दी गई।
  • इस संशोधन द्वारा सातवीं अनुसूची के संघ सुची में परिवर्तन कर अंतर्राज्यीय बिक्री कर के अंतर्गत कुछ वस्तुओं पर केन्द्र को कर लगाने का अधिकार दिया गया।

7वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1956

  • यह संशोधन राज्य पुनर्गठन आयोग की रिपोर्ट को तथा राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1965 को लागू करने के लिये किया गया था।
  • द्वितीय तथा सातवीं अनुसूची में संशोधन किया गया।
  • राज्यों के चार वर्गों की समाप्ति (भाग-क, भाग-ख, भाग-ग और भाग-घ) की गई और इनके स्थान पर 14 राज्यों एवं 6 संघ शासित प्रदेशों को स्वीकृति दी गई।
  • उच्च न्यायालयों के न्यायक्षेत्र का विस्तार संघशासित प्रदेशों तक किया गया।
  • दो या दो से अधिक राज्यों के लिये एक कॉमन (उभय) उच्च न्यायालय की स्थापना की व्यवस्था (प्रावधान) की गई।
  • उच्च न्यायालय में अतिरिक्त एवं कार्यकारी न्यायाधीशों की नियुक्ति की व्यवस्था की गई।

8वाँ संविधान संशोधन अधिनियम1959



  • इसके अंतर्गत केन्द्र एवं राज्यों के निम्न सदनों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं ऑग्ल-भारतीय समुदायों के आरक्षण संबंधी प्रावधानों को दस वर्ष अर्थात 1970 ई. तक बढ़ा दिया गया।

9वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1960

  • भारत और पाकिस्तान की सरकारों के बीच हुए समझौतों के अनुसरण में पाकिस्तान को कतिपय राज्य क्षेत्रों का हस्तांतरण करने की दृष्टि से यह संशोधन किया गया।
  • इस समझौते के पश्चात् संघ ने इस मामले को उच्चतम न्यायालय के पास भेजा। न्यायालय ने यह निर्णय दिया कि अनुच्छेद 3 के तहत किसी राज्य के भू-क्षेत्र को घटाने की संसद की शक्ति भारत के किसी भू-भाग को किसी दूसरे देश को सौंपने के मामले पर लागू नहीं होती।
  • अतः किसी भारतीय भू-भाग को अनुच्छेद 368 के तहत संविधान में संशोधन करके ही किसी विदेशी राज्य को सौपा जा सकता है।
  • पश्चिम बंगाल में स्थित बेरूबारी संघराज्य क्षेत्र को भारत-पाक समझौते (1958) के तहत पाकिस्तान को सौंप दिया गया।

10वां संविधान संशाोधन अधिनियम, 1960

  • दादर और नागर हवेली के क्षेत्र को भारतीय क्षेत्र में सम्मिलत कर उसे केंद्र  शासित प्रदेश में शामिल कर लिया गया।

11वाँ संशोधन अधिनियम, 1961

  • उपराष्ट्रपति के निर्वाचन प्रक्रिया में बदलाव किए गए- इसमें संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक की बजाय निर्वाचक मंडल की व्यवस्था की गई।
  • राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के निर्वाचन को उपयुक्त निर्वाचक मंडल में रिक्तता के आधार पर चुनौती नहीं दी जा सकती।

12वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1962

  • गोवा, दमन और दीव को एक संघ शासित प्रदेश के रूप में संविधान की प्रथम अनुसूची में शामिल किया गया।

13वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1962

  • नागालैण्ड को भारतीय संघ के 16 वें राज्य के रूप में मान्यता प्रदान की गई।

14वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1962

  • पाण्डिचेरी के नाम से केंद्रशासित प्रदेश बना दिया गया। लोकसभा मे संघ शासित प्रदेशों के स्थानों की संख्या 20 से बढ़ाकर 25 कर दी गई।

15वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1963

  • उच्च न्यायलयों के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु सीमा 60 से 62 वर्ष कर दी गयी।

17वाँ संशोधन अधिनियम, 1964

  • यदि भूमि का बाज़ार मूल्य बतौर मुआवजा न दिया जाए तो व्यक्तिगत हितों के लिये भू- अधिग्रहण प्रतिबंधित कर दिया गया।
  • नौवीं अनुसूची में 44 अतिरिक्त अधिनियमों की बढ़ोतरी की गई (जोड़ा गया)।

18वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1966

  • पंजाब का पुनर्गठन किया तथा हरियाणा नामक नया राज्य बनाया गया। यह प्रावधान किया गया कि राज्य शब्द में संघ शासित प्रदेश भी सम्मिलत होंगे
  • इसमें यह स्पष्ट किया गया कि संसद की नये राज्य के निर्माण की शक्ति का अर्थ यह भी है (या इसमें निहित है) कि संसद किसी दूसरे राज्य या संघशासित प्रदेश के किसी भाग को किसी दूसरे राज्य या संघशासित प्रदेश के साथ जोड़कर नया राज्य बना सकती है।

19वाँ संविधान संशोधन अधिनियम,1966

  • यह व्यवस्था की गई की ससंद तथा विधानमंडलों के चुनावों  से संबंधित विवादों की सुनवाई निर्वाचन आयोग के न्यायालय में होगी। इस संशोधन द्वारा निर्वाचन आयोग के कर्तव्यो को स्पष्ट किया गया।
  • इसके अंतर्गत चुनाव आयोग के अधिकारों में परिवर्तन किया गया एवं उच्च न्यायालयों को चुनाव-याचिकाएँ सुनने का अधिकार दिया गया।

20वाँ संविधान संशोधन अधिनियम,1966



  • इसके अंतर्गत अनियमितता के आधार पर नियुक्त कुद जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति को वैधता प्रदान की गई।

21वाँ  संविधान संशोधन अधिनियम, 1967

  • सिंधी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया।

22वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1969

  • असम राज्य के अंतर्गत मेघालयका सृजन किया गया ।

23वाँ संविधान संशोधन अधिनियम1969

  • इसके अंतर्गत विधान पालिकाओं में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के आरक्षण एवं ऑग्ल-भारतीय समुदाय के लागों का मनोनयन और दस वर्षों  के लिए और बढ़ा दिया गया।

24वाँ संविधान संशोधन अधिनियम1971

  • संसद को यह शक्ति दी गई कि वह अनुच्छेद 13 और 368 में संशोधन कर मौलिक अधिकारों सहित संविधान के किसी भी भाग में संशोधन कर सकती है।
  • संविधान संशोधन विधेयक पर राष्ट्रपति को मंजूरी (अपनी स्वीकृति) देने के लिये बाध्य कर दिया गया।

25वाँ संशोधन अधिनियम, 1971

  • संपत्ति के मौलिक अधिकार में कटौती की गई।
  • यह भी व्यवस्था की गई कि अनुच्छेद 39 (ख)या (ग) में वर्णित नीति-निर्देशक तत्वों को प्रभावी करने के लिये बनाए गये किसी विधि को इस आधार पर चुनौती नहीं दी जा सकती कि वह अनुच्छेद 14, 19 और 31 द्वारा मौलिक अधिकारों के संदर्भ में दी गई गारंटी का उल्लंघन करता है।

26वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1971

  • भूतपूर्व रियासतों के शासकों के विशेष उपाधियों एवं प्रिवीपर्सको समाप्त कर दिया गया।

27वाँ संविधान संशोधन अधिनियम1971

  • इसके अंतर्गत मिजोरम एवं अरूणाचल प्रदेश को केन्द्र शासित प्रदेशों के रूप में स्थापित किया गया।

29वाँ संविधान संशोधन अधिनियम1972

  • इसके अंतर्गत केरल भू-सुधार (संशोधन) अधिनियम 1969 तथा केरल के भू-सुधार अधिनियम 1971 को संविधान की नौवीं अनुसूची में रख दिया गया, जिससे इसकी संवैधानिक वैधता को न्यायालय में चुनौती न दी जा सके।

31वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1973

  • वर्ष 1971 की जनगणना के तहत भारत की जनसंख्या में वृद्धि दर्ज की गई। 
  • लोकसभा में निर्वाचित सीटों की संख्या 525 से बढ़ाकर 545 कर दी गई।

32वां संशोधन 1974

  • संसद एवं विधान पालिकाओं के सदस्य द्वारा दबाव में या जबरदस्ती किए जाने पर इस्तीफा देना अवैध घोषित किया गया एवं अध्यक्ष को यह अधिकार है कि वह सिर्फ स्वेच्छा से दिए गए एवं उचित त्यागपत्र को ही स्वीकार करे।

34वाँ  संविधान संशोधन अधिनियम, 1974

  • विभिन्न राज्यों द्वारा पारित किए गए 20 भूमि सुधार कानूनों को संविधान की नौवीं अनुसूची में सम्मिलत करके उन्हें संरक्षण प्रदान किया गया।

35वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1974

  • सिक्किम को सह-संयुक्त राज्य का दर्जा दिया गया। संविधान  में दसवीं अनुसूची को शामिल किया गया।

36वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1975

  • सिक्किम को भारतीय  संघ के 22वें राज्य के रूप में मान्यता प्रदान की गई।

37वां संशोधन 1975

  • इसके तहत आपात स्थिति की घोषणा और राष्ट्रपति, राजयपाल एवं केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासनिक प्रधानों द्वारा अध्यादेश जारी किए जाने को अविवादित बनाते हुए न्यायिक पुनर्विचार से उन्हें मुक्त रखा गया।

39वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1975

  • राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और लोकसभा अध्ययक्ष के निर्वाचन को न्यायिक समीक्षा के दायरे से बाहर कर दिया गया।

41वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1976

  • राज्य के लोकसेवा आयोगों के सदस्यों की सेवानिवृत्ति की आयु 60 से 62 वर्ष तथा संघ लोक सेवा आयोग के सदस्यों की सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष निश्चित की गई।

42वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1976


  • यह संविधान संशोधन  अब तक किए गए संविधान संशोधनों में सबसे व्यापक संशोधन है। इसे लघु संविधान  कहा गया है।
  • यह संविधान संशोधन स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिशों को लागू करने के लिए किया गया था।
  • इस संशोधन के द्वारा संविधान की प्रस्तावना में प्रभुत्वसंपन्न लोकतांत्रिक गणराज्यशब्दों  के स्थान पर प्रभुत्वसंपन्न समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्यशब्द और राष्ट्र की एकताशब्दों के स्थान राष्ट्र की एकता और अखंडता शब्द रखे गए।
  • इस अधिनियम के द्वारा लोकसभा और राज्य की विधानसभाओें का कार्यकाल 5 वर्ष कर दिया गया।
  • इस अधिनियम द्वारा अनुच्छेद-356 को संशोधित करके किसी भी राज्य में राष्ट्रपति द्वारा प्रशासन की अवधि, एक समय में एक वर्ष से घटाकर 6 महीने कर दी गई। 

44वाँ सविधान संशोधन 1978

  • संपत्ति के अधिकार को मूल अधिकार की जगह अब केवल कानूनी अधिकार बना दिया गया।
  • इसके अंतर्गत राष्ट्रीय आपात स्थिति लागु करने के लिए आंतरिक अशांति के स्थान पर सैन्य विद्रोह का आधार रखा गया एवं आपात स्थिति संबंधी अन्य प्रावधानों में परिवर्तन लाया गया, जिससे उनका दुरुपयोग न हो. 
  • लोक सभा तथा राज्य विधान सभाओं की अवधि 6 वर्ष से घटाकर पुनः 5 वर्ष कर दी गई. 
  • उच्चतम न्यायालय को राष्ट्रपति तथा उपराष्ट्रपति के निर्वाचन संबंधी विवाद को हल करने की अधिकारिता प्रदान की गई।

49वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1984

  • इस संशोधन द्वारा त्रिपुरा राज्य की स्वायत्तशासी जिला परिषद् को संवैधानिक  सुरक्षा प्रदान की गई। तथा अनुच्छेद 244 एवं पांचवी एवं छठी अनुसूची में संशोधन किया गया।

50वां संशोधन 1984

  • इसके द्वारा अनुच्छेद 33 में संशोधन कर सैन्य सेवाओं की पूरक सेवाओं में कार्य करने वालों के लिए आवश्यक सूचनाएं एकत्रित करने, देश की संपत्ति की रक्षा करने और कानून तथा व्यवस्था से संबंधित दायित्व भी दिए गए. साथ ही, इस सेवाओं द्वारा उचित कर्तव्यपालन हेतु संसद को कानून बनाने के अधिकार भी दिए गए।

51वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1984

  • इस संशोधन अधिनियम द्वारा अनुच्छेद-330 को संशोधित करके नागालैण्ड, मेघालय, अरूणाचल प्रदेश और मिजोरम की अनुसुचित जनजातियों के लिए संसद में तथा अनुच्छेद 332 में संशोधन करके नागालैंड और मेघालय की विधानसभाओं में स्थान आरक्षित किए गए।

52वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1985

  • इस संशोधन के द्वारा राजनितिक दल बदल पर अंकुश लगाने का लक्ष्य रखा गया। 
  • इसके अंतर्गत संसद या विधान मंडलों के उन सदस्यों को आयोग्य घोषित कर दिया जाएगा, जो इस दल को छोड़ते हैं जिसके चुनाव चिन्ह पर उन्होंने चुनाव लड़ा था, पर यदि किसी दल की संसदीय पार्टी के एक तिहाई सदस्य अलग दल बनाना चाहते हैं तो उन पर अयोग्यता लागू नहीं होगी। दल बदल विरोधी इन प्रावधानों को संविधान की दसवीं अनुसूची के अंतर्गत रखा गया।
  • इस संशोधन द्वारा अनुच्छेद- 101, 102, 190, 191 का संशोधन किया गया। दल बदल कानून बनाकर संविधान की 10वीं अनुसूची जोड़ी गई।

53वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1986

  • इसके अंतर्गत अनुच्छेद 371 में खंड 'जी' जोड़कर मिजोरम को पूर्ण राज्य का दर्जा प्रदान किया गया। मिजोरम विधानसभा की न्यूनतम सदस्य संख्या 40 तय की गई।

55वाँ संविधान संशोधन अधिनिमय, 1986

  • अरूणाचल प्रदेश ( नार्थ ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी- नेफा) का पूर्ण राज्य का दर्जा प्रदान किया गया।

56वाँ संविधान संशोधन अधिनियम1987

  • गोवा को पूर्ण राज्य का दर्जा प्रदान करके, दमन और दीव को पृथक केंद्रशासित प्रदेश के रूप में स्थापित कर दिया गया। इस संशोधन द्वारा गोवा राज्य की विधान सभा में 30 (तीस) सदस्यों की संख्या को निर्धारित किया गया।

57वां संशोधन 1987

  • इसके अंतर्गत अनुसचित जनजातियों के आरक्षण के संबंध में मेघालय, मिजोरम, नागालैंड एवं अरुणाचल प्रदेश की विधान सभा सीटों का परिसीमन इस शताब्दी के अंत तक के लिए किया गया।

58वां संशोधन 1987

  • इसके द्वारा राष्ट्रपति को संविधान का प्रामाणिक हिंदी संस्करण प्रकाशित करने के लिए अधिकृत किया गया।

59वाँ संविधान संशोधन अधिनिमय, 1988

  • अनुच्छेद-356 का संशोधन करके यह नियम बनाया गया कि आपात की अवधि 6-6 महीने करके तीन वर्ष तक बढ़ायी जा सकती है।

60वां संशोधन 1988

  • इसके अंतर्गत व्यवसाय कर की सीमा 250 रुपये से बढ़ाकर 2500 रुपये प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष कर दी गई।

61वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1989

  • अनुच्छेद-326 में संशोधन करके मताधिकार की आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दी गई।

65वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1990

  • अनुच्छेद-338 को संशोधित करके अनुसूचति जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के लिए राष्ट्रीय आयोग की स्थापना की गई।

66वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1990

  • भूमि सुधार से संबंधित राज्य सरकारों के कानूनों को संविधान की नौंवी अनुसूची में सम्मिलत करके न्यायिक समीक्षा के क्षेत्र से बाहर कर दिया गया।

69वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1991

  • दिल्ली संघ राज्य क्षेत्र के लिए विधान सभा और मंत्रिपरिषद का प्रावधान किया गया और केंद्रशासित प्रदेशों की तुलना में इसे विशेष दर्जा प्रदान कर दिया गया।

70वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1992

  • इस अधिनियम द्वारा अनुच्छेद 54 और 368 को संशोधित करके दिल्ली और पांडिचेरी संघ राज्य क्षेत्रों की विधान सभाओं के सदस्यों को राष्ट्रपति के निर्वाचन के लिए निर्मित निर्वाचक मंडल में शामिल कर लिया गया।

71वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1992

  • संविधान की आठवीं अनुसूची में कोंकणी, मणिपुरी, और नेपाली भाषा को शामिल कर लिया गया।

73वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1992

  • संविधान में एक नया भाग-9 तथा ग्यारहवी अनुसूची को जोड़ा गया।
  • पंचायती राज व्यव्यवस्था को संवैधानिक दर्जा प्रदान कर दिया गया।
  • इस अधिनियम में पंचायतों के गठन, संरचना निर्वाचन सदस्यों की अर्हताएं, पंचायतों के अधिकार एवं शक्तियों तथा उत्तरदायित्वों का प्रावधान हैं। 

74वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1992

  • संविधान संशोधन द्वारा संविधान में एक नया भाग- 9(ए) तथा 12वीं अनुसूची जोड़ी गई थी।
  • नगरीय स्वायत्त संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा दिया गया।
  • इस अधिनियम के अधीन नगरपालिकाओं की संरचना, गठन, सदस्यों की योग्यता, निर्वाचन, नगर पंचायतों के अधिकार एवं शक्तियों तथा उत्तरदायित्वों के संबंध में उपबंध स्थापित किए गए।

76वां संशोधन 1994

  • इस संशोधन अधिनियम द्वारा संविधान की नवीं अनुसूची में संशोधन किया गया है और तमिलनाडु सरकार द्वारा पारित पिछड़े वर्गों के लिए सरकारी नौकरियों में 69 प्रतिशत आरक्षण का उपबंध करने वाली अधिनियम को नवीं अनुसूची में शामिल कर दिया गया है।

78वां संशोधन 1995

  • इसके द्वारा नवीं अनुसूची में विभिन्न राज्यों द्वारा पारित 27 भूमि सुधार विधियों को समाविष्ट किया गया है. इस प्रकार नवीं अनुसूची में सम्मिलित अधिनियमों की कुल संख्या 284 हो गई है।

79वां संशोधन 1999

  • अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण की अवधि 25 जनवरी 2010 तक के लिए बढ़ा दी गई है.
  • इस संशोधन के माध्यम से व्यवस्था की गई कि अब राज्यों को प्रत्यक्ष केंद्रीय करों से प्राप्त कुल धनराशि का 29 % हिस्सा मिलेगा।

81वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 2000

  • इस संविधान संशोधन अधिनियम के माध्यम से यह नियम बनाया गया कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित की गयी 50 प्रतिशत आरक्षण सीमा का बढ़ाया जा सकेगा।
  • अब सरकार अनुसूचित जाति एवं जनजातियों के लिए आरक्षित रिक्त पदों को भरने के लिए 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण की व्यवस्था कर सकेगी।

82वां संशोधन 2000

  • इस संशोधन के द्वारा राज्यों को सरकारी नौकरियों से आरक्षित रिक्त स्थानों की भर्ती हेतु प्रोन्नति के मामलों में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के अभ्यर्थियों के लिए न्यूनतम प्राप्ताकों में छूट प्रदान करने की अनुमति प्रदान की गई है

83वां संशोधन 2000

  • इस संशोधन द्वारा पंचायती राज सस्थाओं में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षण का प्रावधान न करने की छूट प्रदान की गई है. अरुणाचल प्रदेश में कोई भी अनुसूचित जाति न होने के कारण उसे यह छूट प्रदान की गई है। 

84वां संशोधन 2001

  • इस संशोधन अधिनियम द्वारा लोक सभा तथा विधान सभाओं की सीटों की संख्या में वर्ष 2016 तक कोई परिवर्तन न करने का प्रावधान किया गया है। 

85वां संशोधन 2001

  • सरकारी सेवाओं में अनुसूचित जाति जनजाति के अभ्यर्थियों के लिए पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था। 

86वां संशोधन 2002

  • इस संशोधन अधिनियम द्वारा देश के 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों के लिए अनिवार्य एवं निःशुल्क शिक्षा को मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता देने संबंधी प्रावधान किया गया है, इसे अनुच्छेद 21 (क) के अंतर्गत संविधान जोड़ा गया है. इस अधिनियम द्वारा संविधान के अनुच्छेद 51 (क) में संशोधन किए जाने का प्रावधान है। 

87वां संशोधन 2003 

  • इस संशोधन के द्वारा अनुच्छेद 81, 82, 170 में संशोधन कर, परिसीमन में संख्या का आधार 1991 की जनगणना के स्थान पर 2001 कर दी गई है।

88वां संशोधन 2003

  • सेवाओं पर कर का प्रावधान। 
  • अनुच्छेद 268 क जोड़ा गया। 

89वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 2003

  • इस संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा राष्ट्रीय अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति आयोग का दो भागों में विभाजन कर दिया गया।
  • अब इनके नाम क्रमशः राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोगअनुच्छेद-338 एवं राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोगअनुच्छेद 338-ए होंगे।

90वां संशोधन 2003

  • असम विधान सभा में अनुसूचित जनजातियों और गैर अनुसूचित जनजातियों का प्रतिनिधित्व बरक़रार रखते हुए बोडोलैंड, टेरिटोरियल कौंसिल क्षेत्र, गैर जनजाति के लोगों के अधिकारों की सुरक्षा।

91वां संविधान संशोधन अधिनियम, 2003

  • इस संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा मंत्रिपरिषद के आकार को निश्चित कर दिया गया।
  • दल बदल व्यवस्था में संशोधन, केवल सम्पूर्ण दल के विलय को मान्यता, केंद्र तथा राज्य में मंत्रिपरिषद के सदस्य संख्या क्रमशः लोक सभा तथा विधान सभा की सदस्य संख्या का 15 प्रतिशत होगा (जहां सदन की सदस्य संख्या 40-50 है, वहां अधिकतम 12 होगी) 

92वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 2003

  • संविधान की आठवीं अनुसूची मेुं चार अन्य भाषायें जोड़ी गई। ये भाषायें हैं- बोड़ो, डोगरी, मैथिली एवं संथाली

93वाँ संविधान संशोधन अधिनियम,2005

  • राज्यों को विशेष एवं पिछड़े वर्गो, अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के लिए शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण करने हेतु विशेष प्रावधान करने की शक्ति प्रदान की गई।

94वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 2006

  • बिहार को एक जनजातीय मंत्री की नियुक्ति करने की बाध्यता से मुक्त करते हुए इस प्रावधान को अब झारखण्ड एवं छत्तीसगढ के लिए भी लागू कर दिया गया। इन राज्यों के साथ यह म.प्र. एवं ओडिशा में (अनुच्छेद-164ए) प्रभावी हो गया।

95वां संशोधन 2010

  • इसके अंतर्गत अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के लिए स्थानों के लिए आरक्षण ( अनुच्छेद 334) की समय-सीमा 60 वर्ष से बढ़ा कर 70 वर्ष कर दिया गया। 
  • इसके अलावा आंग्ल-भारतीयों के नाम निर्देशन के प्रावधान को 2020 तक ( 10 वर्षो के लिए) लागू कर दिया गया। 

96वां संशोधन 2011

  • इसके तहत 8वी अनुसूची में उल्लेखित भाषाओं में "उड़िया" का नाम बदल कर "ओड़िया" कर दिया गया। 

97वां संशोधन 2011

  • इस संविधान संशोधन में हर नागरिक को कोऑपरेटिव सोसाइटी (सहकारी समितियाँ) के गठन का अधिकार दिया गया और इसमें संविधान के भाग 9 में भाग 9ख जोड़ा गया।
  • संविधान के भाग 3 के अनुच्छेद 19(1)(ग) में "सहकारी समितियाँ" शब्द जोड़ा गया। 

98वां संशोधन 2012

  • इसके अंतर्गत अनुच्छेद 371 में कर्नाटक राज्य के हैदराबाद-कर्नाटक क्षेत्र के विकास के लिए एक अलग परिषद बनाने का प्रावधान किया गया, तथा इस क्षेत्र के शिक्षण संस्थानों तथा सरकारी नौकरियों में जन्म या निवास के आधार पर आरक्षण का प्रावधान राष्ट्रपति राज्यपाल को दिया गया।

99वां संशोधन 2014

  • इस विधेयक का उद्देश्य न्यायाधीशों की नियुक्ति की वर्तमान कॉलेजियम प्रणाली को समाप्त कर इसका स्थान राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग देना था।
  • नोट : सर्वोच्च न्यायालय के 5 न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोगके गठन संबंधित "99वां संविधान संशोधन 2014" और राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम, 2014 को असंवैधानिक एवं शून्य घोषित करते हुए रद्द कर दिया।

100 वां संविधान संशोधन

  • 2015 को भारत और बांग्लादेश के बीच हुई भू-सीमा संधि के लिए 100वां संशोधन किया गया।
  • दोनों देशों ने आपसी सहमति से कुछ भू-भागों का आदान-प्रदान किया।
  • समझौते के तहत बांग्लादेश से भारत में शामिल लोगों को भारतीय नागरिकता भी दी गई।

101वां संशोधन 2016

  • जी.एस. टी व्यवस्था लागू करने हेतु।
  • संविधान में अनुच्छेद 256(अ) अंतः स्थापित किया गया।
  • इस संशोधन के द्वारा अनुच्छेद 270 में निर्धारित किया गया कि केंद्र द्वारा संग्रहित जी.एस. टी को केंद्र व राज्यो के मध्य बांटा जाएगा।

102वां संशोधन 2018

  • इस संशोधन के द्वारा राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (OBC) को संवैधानिक का दर्जा प्रदान किया गया।
  • अनुच्छेद 338(ख) जोड़ा गया।

103वां संशोधन 2019

  • इस संशोधन के द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लिए 10% आरक्षण की व्यवस्था की गई.

104वां संविधान संशोधन अधिनियम 2019 (126वां संविधान संशोधन विधेयक)

  • 2 दिसंबर, 2019 को राज्य सभा में भारतीय संविधान का 126वां संविधान संशोधन विधेयक, 2019 पारित किया गया।
  • लोक सभा द्वारा यह विधेयक इससे पूर्व पारित किया जा चुका है।
  • यह भारतीय संविधान का 104वां संशोधन है।
  • इस विधेयक के तहत भारतीय संविधान के अनुच्छेद 334 में संशोधन किया गया है।
  • इस विधेयक के तहत लोक सभा और विधानसभाओं में अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों के लिए आरक्षण की अवधि को 10 वर्ष और बढ़ाया गया है।
  • इसमें अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए लोक सभा और राज्य विधानसभाओं में 25 जनवरी, 2030 तक सीटों का आरक्षण बढ़ाने का प्रावधान किया गया है।
  • पूर्व में इस आरक्षण की समय सीमा 25 जनवरी, 2020 तक थी।
  • इस संविधान संशोधन विधेयक द्वारा संसद में एंग्लो इंडियन समुदाय के प्रदत्त आरक्षण को समाप्त कर दिया गया है।
  • आरक्षण के तहत एंग्लो-इंडियन समुदाय के 2 सदस्य लोक सभा में प्रतिनिधित्व करते आ रहे थे।

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