ओरछा ऐतिहासिक स्थल | Orcha Historic Place in MP
ओरछा ऐतिहासिक स्थल Orcha Historic Place
ओरछा मध्यप्रदेश के बुंदेलखण्ड क्षेत्र के
निवाड़ी जिले में बेतवा नदी के किनारे स्थित है। ओरछा महलों और मंदिरों के लिए जाना
जाता है। कभी बुंदेलखंड की राजधानी रह चुकी यह जगह आज छोटा से शहर है। आज भी यहां
पुरानी इमारतों के खंडहर बिखरे पड़े हैं।
ओरछा से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य
- मध्य काल मे यहाँ परिहार राजाओं की राजधानी थी।
- परिहार राजाओं के बाद ओरछा चंदेलों के अधिकार मे रहा था। चंदेल राजाओं के पराभव के बाद ओरछा श्रीहीन हो गया।
- उसके बाद बुंदेलों ने ओरछा को राजधानी बनाया और इसने पुनः अपना गौरव प्राप्त किया।
- राजा रूद्रप्रताप 1501-1531 ई. वर्तमान ओरछा को बसाने वाला था।
- 1531 ई. में इस नगर की स्थापना की गई और किले के निर्माण में आठ वर्ष का समय लगा।
- ओरछा के महल भारतीचंद के समय 1539 ई. में बनकर पूर्ण हुए और राजधानी भी इसी वर्ष पुरानी राजधानी गढ़कुंडार से ओरछा लायी गयी।
- अकबर के समय यहाँ के राजा मधुकर शाह थे जिनके साथ मुगल सम्राट ने कई युद्ध किए थे।
- जहाँगीर ने वीरसिंहदेव बुंदेला को, जो ओरछा राज्य की बड़ौनी जागरी के स्वामी थे, पूरे ओरछा राज्य की गद्दी दी थी।
- वीरसिंहदेवने ही अकबर के शासन काल में जहांगीर के कहने से अकबर के विद्वान दरबारी अबुल फजल की हत्या करवा दी थी।
- शाहजहां ने बुंदेलों से कई असफल लड़ाईयाँ लडीं, किंतु अंत में जुझार सिंह को ओरछज्ञ का राजा स्वीकार कर लिया गया।
- बुंदेलखण्ड की लोक कथाओं का नायक हरदौल वीरसिंहदेव का छोटा पुत्र एवं जुझार सिंह का छोटा भाई था।
- औरंगजेब के राज्यपाल में छत्रसाल की शक्ति बुंदेलखण्ड में बढ़ी हुई थी। ओरछा की रियासत वर्तमान काल तक बुंदेलखंड में अपना विशेष महत्व रखती आई हैं
- यहाँ के राजाओं ने हिन्दी के कवियों को सदा प्रश्रय दिया है।
- महाकवि केशवदास वीरसिंहदेव के राजकवि थे।
- ओरछा के दर्शनीय स्थलों में ओरछा का किला, रामराजा का मंदिर, लक्ष्मी नारायण का मंदिर, राजमहल, चतुर्भुज मंदिर, जहांगीर महल, राय प्रवीण महल, शीश महल, पालकी महल, सिद्ध बाबा की गुफा, तीन दासियों की छत्री, सीतामढ़ी महल, बारूद खाना आदि हैं।
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