पृथ्वी के प्रमुख परिमंडल |One Liner Geography


One Liner Geography


पृथ्वी के प्रमुख परिमंडल

  • पृथ्वी के बहुत बड़े भू-भाग पर जल पाया जाता है, जिसे जलमंडल कहा जाता है। जलमंडल में जल की सभी अवस्थाएँ जैसे-बर्फ, जल एवं जलवाष्प सम्मिलित हैं।
  • पृथ्वी का वह सीमित क्षेत्र जहाँ तीनों परिमंडल एक दूसरे के संपर्क में आते हैं, जैव मंडल कहलाता है। इसी परिमंडल में सभी प्रकार के जीव पाए जाते हैं अतः यह सबसे महत्त्वूपर्ण है। पृथ्वी के ये तीनों परिमंडल आपस में पारस्परिक क्रिया करते हैं तथा एक-दूसरे को किसी ना किसी रूप में प्रभावित करते हैं।
  • स्थल की ऊँचाईयों को समुद्रतल से मापा जाता है।
  1. विश्व का सबसे ऊँचा शिखर माऊंट एवरेस्ट है जो समुद्रतल से 8,848 मीटर ऊँचा है।
  2. दूसरा के-2 है जो समुद्र तल से 8611 मी. ऊँचा है।
  3. तीसरा कंचनजंगा है जो समुद्र तल से 8556 मी. ऊँचा है।
  • विश्व का सबसे गहरा भाग प्रशांत महासागर का मेरियाना गर्त है जिसकी गहराई 11,022 मीटर है।
  • पृथ्वी के महाद्वीपों का आकार के अनुसार क्रम एशिया, अफ्रीका,उत्तरी, अमेरिका,दक्षिणी अमेरिका, अंटार्कटिका, यूरोप,आस्ट्रेलिया
  • यूरोप और एशिया एक ही भू-भाग के रूप में दिखाई पड़ते हैं जो सिर्फ यूराल पर्वत और यूराल नदी के द्वारा एक-दूसरे से अलग होते हैं। पर व्यावहारिक रूप से यूरोप और  एशिया को दो अलग महाद्वीप ही समझा जाता है। यूरोप एवं एशिया के संयुक्त भू-भाग को यूरेशिया (यूरोप + एशिया) कहा जाता है।
  • अफ्रीका एशिया के बाद विश्व का दूसरा सबसे बड़ा महाद्वीप है। यही एक ऐसा महाद्वीप है जिससे होकर कर्क रेखा, मकर रेखा एवं विषुवत रेखातीनों रेखाएँ गुजरती हैं। विषुवत रेखा या 0 अक्षांश इस महाद्वीप के लगभग मध्य भाग से होकर गुज़रती है।
  • मिस्र के सिनाई प्रायद्वीप में बनाई गई स्वेज नहर विश्व की सबसे बड़ी कृत्रिम नहर है। यह नहर भू-मध्य सागर को लाल सागर से जोड़ती है तथा एशिया महाद्वीप को अफ्रीका महाद्वीप से अलग करती है। 1869 में इस नहर को जहाज़ों के आवागमन के लिये खोल दिया गया, जिसके कारण यूरोप और एशिया के बीच की दूरी काफी कम हो गई।
  • उत्तरी अमेरिका तथा दक्षिणी अमेरिका महाद्वीप पनामा देश की पूर्वी सीमा में एक सँकरे स्थल से जुड़ा है, जिसे पनामा स्थल संधि कहा जाता है। तथा यह स्थल संधि अटलांटिक महासागर को प्रशांत महासागर से अलग करता है।
  • दक्षिण अमेरिका महाद्वीप का अधिकांश भाग दक्षिणी गोलार्द्ध में स्थित है
  • आस्ट्रेलिया महाद्वीप को द्वीपीय महाद्वीप कहा जाता है। यह चारों तरफ से महासागरों तथा समुद्रों से घिरा हुआ है। आस्ट्रेलिया विश्व का सबसे छोटा महाद्वीप है जो कि पूरी तरह से दक्षिण गोलार्द्ध में स्थित है।
  • अंटार्कटिका एक बहुत बड़ा महाद्वीप है, जो कि दक्षिणी गोलार्द्ध में स्थित है। दक्षिण ध्रुव इस महाद्वीप के मध्य में स्थित है। चूँकि यह दक्षिण ध्रुव में स्थित है इसलिये यह हमेशा मोटी बर्फ की परतों से ढँका रहता है।
  • बहुत से देशों के शोध-केन्द्र यहाँ स्थित हैं। भारत के भी शोध संस्थान यहाँ है। इनके नाम हैं मैत्री तथा दक्षिण गंगोत्री।
  • विशाल जलाशय जो महाद्वीपों के द्वारा एक दूसरे से अलग है, महासागर कहलाते हैं। आकार की दृष्टि से उनका क्रम है- प्रशांत महासागर, अटलांटिक महासागर, हिंद महासागर, दक्षिणी महासागर तथा आर्कटिक महासागर। अंटार्कटिका के चारों ओर प्रशांत, अटलांटिक और हिंद महासागर के विस्तार को दक्षिणी महासागर कहते हैं।
  • प्रशांत महासागर सबसे बड़ा महासागर है। पृथ्वी का सबसे गहरा भाग मेरियाना गर्त प्रशांत महासागर में ही स्थित है।
  • अटलांटिक महासागर विश्व का दूसरा सबसे बड़ा महासागर है। इसके पश्चिमी किनारे पर उत्तर एवं दक्षिण अमेरिका हैं तथा पूर्वी किनारे पर यूरोप एवं अफ्रीका हैं। अटलांटिक महासागर की तट रेखा बहुत अधिक दंतुरित (कटी-फटी) है। यह अनियमित एवं दंतुरित तट रेखा प्राकृतिक पोताश्रयों एवं पत्तनों के लिये आदर्श स्थिति है।
  • व्यापार की दृष्टि से विश्व का सबसे व्यस्त महासागर अटलांटिक महासागर है।
  • प्रशांत महासागर लगभग वृत्ताकार है। एशिया, आस्ट्रेलिया, उत्तर एवं दक्षिण अमेरिका इसके चारों ओर स्थित हैं। 
  • अटलांटिक महासागर अंग्रेजी अक्षर S के आकार का है।
  • हिंद महासागर ही एक ऐसा सागर है जिसका नाम किसी देश के नाम पर यानी भारत के नाम पर रखा गया है। यह महासागर लगभग त्रिभुजाकार है। इसके उत्तर में एशिया,पश्चिम में अफ्रीका तथा पूर्व में आस्ट्रेलिया है।
  • आर्कटिक महासागर उत्तर ध्रुव वृत्त (66 1/2° उ.) में स्थित तथा यह उत्तर ध्रुव के चारों ओर फैला है।
  • वायुमंडल को उसके घटकों तापमान तथा अन्य आधार पर पाँच परतों में बाँटा गया है। इन परतों को पृथ्वी की सतह से शुरू करते हुए क्षोभमंडल, समतापमंडल, मध्यमंडल, आयन मंडल तथा बहिर्मंडल कहा जाता है।
  • वायुमंडल 1600 किमी. ऊँचाई तक फैला हुआ है। यह हमें ऐसी वायु प्रदान करती है जिससे हम लोग साँस लेते हैं तथा हमारी सूर्य की कुछ हानिकारक किरणों से बचाव करती है।
  • वायुमंडल में 78 प्रतिशत नाइट्रोजन, 21 प्रतिशत ऑक्सीजन तथा 1 प्रतिशत अन्य सभी गैसें है।
  • वायुमंडल में उपस्थित नाइट्रोजन गैस सभी प्रकार के जीवधारियों की वृद्धि में सहायक होती है। ऑक्सीजन साँस लेने के लिये आवश्यक है।
  • कार्बन डाइऑक्साइड यद्यपि बहुत कम मात्रा में है, लेकिन यह पृथ्वी के द्वारा छोड़ी गई उष्मा को अवशोषित  करती है जिससे पृथ्वी गर्म रहती है। तथा यह पौधों की वृद्धि के लिये भी आवश्यक है।

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