पृथ्वी अपने अक्ष पर निरंतर घूमती रहती है और
लगभग 24 घंटे में एक चक्कर पूरा करती है, इसे घूर्णन कहते हैं।
पृथ्वी अपने अक्ष पर घूमती हुई लगभग 1,00,000
किलोमीटर प्रति घंटा की गति से सूर्य की परिक्रमा करती है। इस परिक्रमा को पूरी
करने में लगभग 365 दिन और 6 घंटे लगते हैं। पृथ्वी की इस वार्षिक गति को परिक्रमण
कहते हैं।
पृथ्वी का अक्ष एक काल्पनिक रेखा है। पृथ्वी का
अक्ष उसके कक्षा तल पर बने लंब से 23½° झुका हुआ है। अर्थात् इसके कक्षीय सतह
से 66½° का
कोण बनाती है।
वह समतल जो कक्ष के द्वारा बनाया जाता है, उसे कक्षीय समतल कहते हैं।
पृथ्वी सूर्य से प्रकाश प्राप्त करती है।
पृथ्वी का आकार गोले के समान है, इसलिये एक समय में सिर्फ इसके आधे भाग पर ही रोशनी प्राप्त होती है।
ग्लोब पर वह वृत्त जो दिन तथा रात को विभाजित करता है, उसे प्रदीप्त वृत्त कहते हैं।
एक वर्ष को गर्मी, सर्दी, बसंत एवं शरद ऋतुओं में बाँटा जाता है।
ऋतुओं में परिवर्तन सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की स्थिति में परिवर्तन के कारण होता
है। जबकि पृथ्वी का अपने अक्ष में घूर्णन के कारण दिन और रात होते हैं।
22 दिसंबर को दक्षिण ध्रुव का सूर्य की ओर झुके
होने के कारण मकर रेखा पर सूर्य की किरणें सीधी पड़ती हैं। चूँकि सूर्य की किरणें
मकर रेखा पर लंबवत् पड़ती है, इसलिये दक्षिणी गोलार्द्ध के बहुत बड़े भाग में प्रकाश प्राप्त होता
है। इसलिये दक्षिणी गोलार्द्ध में लंबे दिन तथा छोटी रातों वाली ग्रीष्म ऋतु होती
है। पृथ्वी की इस अवस्था को दक्षिण अयनांत कहा जाता है।
उल्लेखनीय है कि ऑस्ट्रेलिया में ग्रीष्म ऋतु
में ही क्रिसमस का पर्व मनाया जाता है।
21 मार्च एवं 23 सितंबर को सूर्य की किरणें
विषुवत् वृत्त पर सीधी पड़ती हैं। इसे विषुव कहा जाता है।
23 सितंबर को उत्तरी गोलार्द्ध में शरद ऋतु
होती है, जबकि
दक्षिणी गोलार्द्ध में बसंत ऋतु होती है। 21 मार्च को स्थिति इसके विपरीत होती है।
पृथ्वी को सूर्य का एक परिक्रमा पूरी करने में
लगभग 365 दिन 6 घंटे लगते हैं। सुविधा के लिये हम वर्ष में 365 दिन गिनते हैं और 6
घंटे का समय छोड़ देते हैं। इस प्रकार 4 वर्षो में 24 घंटे अथवा 1 दिन का अंतर हो
जाता है। इस प्रकार हर चौथा वर्ष 366 दिन का होता है, और इसे लीप वर्ष कहते हैं।
21 जून को उत्तरी गोलार्द्ध सूर्य की तरफ झुका
होता है,जिससे
सूर्य की किरणें कर्क रेखा पर सीधी पड़ती है। उत्तरी ध्रुव सूर्य की तरफ झुका होता
है तथा उत्तरी ध्रुव रेखा के बाद वाले भागों पर लगभग 6 महीनों तक लगातार दिन रहता
है।
चूँकि उत्तरी गोलार्द्ध के बहुत बड़े भाग में
सूर्य की रोशनी प्राप्त होती है, इसलिये विषुवत वृत्त के उत्तरी भाग में गर्मी का मौसम होता है एवं
दक्षिणी भाग में सर्दी का मौसम होता है। पृथ्वी की इस अवस्था को उत्तर अयनांत कहते
हैं।
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