भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड | SEBI Kya hai | Securities and Exchange Board of India
भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड
Securities and Exchange Board of India
सेबी की स्थापना
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की स्थापना
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992
के प्रावधानों के अनुसार 12 अप्रैल, 1992
को हुई थी ।
SEBI Formation Depth Information
80 के दशक के प्रारंभ से ही भारतीय पूंजी बाजार
विभिन्न अनियमितताओं से ग्रसित था। अनियमितताओं तथा अशुद्ध तरीकों का प्रयोग
निरन्तर बढ़ रहा है जिससे निवेश्कों की पूंजी बाजार पर विश्वसनीयता कम हो गई थी एवं
शिकायतें लगातार बढ़ रही थीं। निवेश्कों के विश्वास को बनाये रखनें एवं शिकायतों के
निराकरण करने के लिए भारतीय सरकार तथा स्टाॅक मार्केट, तत्कालीन नियमावली में सक्षम प्रावधान
न होने के कारण असहाय महसूस करने लगे।
इन
सबके के संभावित समाधान के लिए भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड की स्थापना एक
प्रशासनिक संगठन के रूप में भारत सरकार 12 अप्रैल 1988 को की गयी। तब इसका मुख्य
उद्देश्य था अनुशासित और स्वच्छ तरीकों का पूंजीबाजार में प्रयोग, निवेशकों के हितों की रक्षा, यह पूरी तरह भारत सरकार के वित्त
मंत्रालय के अधीन कार्य करता हैं सरकार द्वारा एक विधेयक द्वारा 30 जनवरी 1992 को इसे एक वैधानिक दर्जा
दे दिया गया तथा बाद में इसको लोकसभा में ‘‘भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड
एक्ट-1992‘ का
रूप दे दिया गया।
भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड अधिनियम के लागू
होने से एक से अधिक स्तरों पर पर्यवेक्षण की प्रक्रिया लागू हुई जिमसें बोर्ड
द्वारा आन साईट तथा आफ साइट निरीक्षण नीति का नियमों की अवमानना पर पूछताछ तथा
न्यायालय में केस चलाना मुख्य था। भारतीय प्रतिभूति बोर्ड तथा स्टाॅक एक्सचेंज
द्वारा मध्यस्थों की विभिन्न स्तरों पर जांच भी की जाने लगी।
भारतीय प्रतिभूति बोर्ड के उद्देश्य Objective of SEBI
भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड अधिनियम के
अनुसार बोर्ड की स्थापना का मूल उद्देश्य प्रतिभूतियों में निवेशकर्ताओं के हितों
को संरक्षण प्रदान करना, प्रतिभूति बाजार को अनुशासित तथा स्वच्छ तरीके से विकसित तथा
प्रोत्साहित करना तथा प्रतिभूति बाजार की हर छोटी बड़ी घटना तथा शिकायत का निवारण
और संस्थाओं पर नियंत्रण करना है। भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड के उद्देश्य को
निम्नवत समझा जा सकता है।
1. निवेशकर्ता का संरक्षण
निवेशकर्ता किसी भी बाजार की रीढ़ की तरह कार्य
करता है। निवेशकर्ता के संतुष्टता से ही किसी भी बाजार की उन्नति और विकास संभव
है। निवेशकर्ताओं का विश्वास पूंजी बाजार में बनाये रखना एवं विभिन्न नीति एवं
नियमों का कड़ाई से पालन करने हुए निवेशकर्ता के हितों का संरक्षण बोर्ड का प्रुमुख
उद्देश्य है।
2. प्रतिभूतियों के निर्गमनकर्ताओं द्वारा उचित व्यवहार सुनिश्चित करना
प्रतिभूतियों के निर्गमनकर्ता मुख्यतः कंपनियां
होती हैं। भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड ऐसे प्रावधानों की व्यवस्था करता है कि
जिनके पालन से प्रतिभूतियों के निर्गमनकर्ता द्वारा प्रतिभूतियों के निवेशकों से
उचित व्यवहार सुनिश्चत किया जा सके।
3. मध्यस्थों पर नियंत्रण
पूंजी बाजार में मध्यस्थों की उपस्थिति इसके
सफल संचालन तथा निवेशकर्ताओं की सुविधा के अनुसार आवश्यक है। यहां विभिन्न प्रकार
के मध्यस्थ कार्य करते हैं जिन्हें उनके कार्य के अनुसार पहचाना जाता है।
निर्धारित किए गए नियमों का पालन करवाना तथा मध्यस्थों को नियमों के अंतर्गत कार्य
करने तथा सुनिश्चित व्यवहार करने को विवश करना भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड का
मुख्य उद्देश्य है।
भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड का प्रबंधन
भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड का प्रबंध को
विस्तार से समझने के लिए इसकों निम्नांकित चार भागों में विभाजित किया गया है।
- बोर्ड की स्थापना
- बोर्ड का कार्यालय
- कार्यालय के सदस्यों को हटाना
- सभायें
बोर्ड की स्थापना Formation of Board
सन् 1992 में प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड
अधिनियम के अंतर्गत भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड की स्थापना की गयी। भारतीय
प्रतिभूति एवं विनिमय (संशोधित) बोर्ड अधिनिमय 2002 द्वारा संशोधित सेबी अधिनियम
1992 की धारा 4 के अनुसार बोर्ड में निम्नलिखित सदस्य होंगे
- अध्यक्ष
- केन्द्र सरकार के दो सदस्य (जो कंपनी अधिनियम 1956 के वित्त एवं प्रशासन का कार्य करते हों)
- रिजर्व बैंक के अधिकारियों में से एक अधिकारी
- पाॅच अन्य सदस्य (तीन सदस्य स्थाीय होगें जिनकी नियुक्ति केन्द्र सरकार द्वारा की जायेगी)
बोर्ड का कार्यालय Office of Board
भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड के कार्यालय, बोर्ड के अध्यक्ष तथा केन्द्र सरकार
द्वारा नियुक्त किए गए सदस्यों की सेवा शर्तें स्पष्ट तथा पहले से निर्धारित होती
हैं तथा किसी भी पदाधिकारी को समय से पहले हटाने के लिए तीन महीने का नोटिस देना
अनिवार्य है।
कार्यालय के सदस्य को हटाना
- केन्द्र सरकार निम्नांकित दशाओं में किसी भी सदस्य को कार्यालय से हटा सकती है
- व्यक्ति दिवालिया हो या किसी भी समय दिवालिया घोषित किया जा चुका हो।
- व्यक्ति को अदालत द्वारा अस्वस्थ मस्तिष्क का घोषित किया गया हो।
- नैतिक चरित्रहीन या व्यक्ति को अपराधी घोषित किया गया हो।
- जनता (निवेशकर्ताओं) के हितों के विरूद्ध अपनी स्थिति या पद इस्तेमाल कर रहा हो।
सभायें Meeting
- भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड द्वारा निर्धारित विभिन्न विषयों पर समय-समय पर सभायें आयोजित की जायेगी तथा इन सभाओं में लेन-देन तथा व्यवसाय संबंधी प्रक्रियाओं के नियमों पर नजर रखेगा। सभी में उपस्थित सदस्यों के बहुमत के अनुसारण निर्णय जाते हैं।
बोर्ड के अधिकार एवं कार्य Rights and Functions of the Board
भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड की स्थापना के
उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा बोर्ड को निम्नांकित
अधिकार दिये गये है जिनके मद्देनजर बोर्ड को विभिन्न कार्य करने होते हैं जो इस
प्रकार हैं।
- प्रतिभूति बाजार व्यवसाय को नियंत्रित तथा स्वच्छ करना।
- स्वयं नियंत्रक संगठनों पर निंयत्रण रखते हुए इनको प्रोत्साहित करना।
- व्यापारिक बैकरों, अभिगोपकों, शेयर दलालों, उप दलालों, पोर्ट फोलियों मैनेजरों, निवेश सलाहकारों, अंश हस्तांतरण ऐजेंटों आदि मध्यस्थों पर नियंत्रण रखना।
- प्रतिभूति बाजार से किसी भी रूप में संबंध रखने वाला का पंजीकरण करना।
- प्रतिभूति बाजार में हो रहे अनुचित व्यापार व्यवहार व धोखाधड़ी को रोकना तथा सजा का प्रास करना।
- प्रतिभूतियों के अन्तः व्यापार को रोकना।
- प्रतिभूति बाजार के मध्यस्थों को प्रशिक्षण देना तथा तथा निवेश शिक्षा को प्रोत्साहित करना।
- प्रतिभूति बाजरों, शेयर बाजरों तथा म्यूचल फंडो से संबंधित अन्य व्यक्तियों, मध्यस्थों तथा नियंत्रक संगठनों के निरीक्षण, जाॅच पड़ताल तथा अंकेक्षण की सूचना जारी करना।
- प्रतिभूति अनुबंध (नियंत्रण) अधिनियम 1956 के प्रावधानों के ऐसे कोई भी अधिकार प्रयोग करना तथा कार्य करना जो इसे केन्द्रीय सरकार द्वार प्रदान किये गये हों।
भारतीय प्रतिभूति बोर्ड द्वारा निर्देश Guidelines By SEBI
प्राथमिक बाजार Primary Market
प्राथमिक बाजार पूंजी बाजार का एक अभिन्न अंग
है जिसके द्वारा नयी प्रतिभूतियों का निर्गमन के कार्य को अंजाम दिया जाता है।
कंपनियां, सरकारें
तथा सार्वजनिक उपक्रम प्राथमिक बाजार के माध्यम से अपनी नयी प्रतिभूतियों की
बिक्री कर फंड्स प्राप्त करते हैं। यह सब कार्य प्राथमिक बाजार में उपलब्ध
मध्यस्थों के माध्यम से किया जाता है। निवेशकर्ता को नये प्रतिभूतियों को बेचने की
प्रक्रिया को अभिगोपन (अंडररायटिंग) कहा जाता है। कंपनियां प्राथमिक बाजार के माध्यम
से अपने लिए लंबी अवधि के फंड्स प्राप्त करते हैं। इस बाजार की मुख्य विशेषता है
कि इसमें मध्यस्थों के माध्यम से नई प्रतिभूति को कंपनियों द्वारा सीधे निवेशक को
बेचा जाता है। जिसके संदर्भ में कंपनियां सर्टिफिकेट (शेयर सर्टिफिकेट, डिबेंचर सर्टिफिकेट) निर्गत करती है जो
प्रमाण होता है कि विशेष व्यक्ति विशेष कंपनी में निश्चित अंशो तथा ऋणपत्रों का
स्वामी है। भारतीय प्रतिभूति बोर्ड द्वारा प्राथमिक बाजार से संबंधित महत्वपूर्ण
निर्देश हैं-
- प्रतिभूतियों का निर्गमन, जोखिम पूंजी कोष का पंजीकरण
- व्यापारिक बैंकरों का पंजीकरण
- संविलयन व समामेलन
सार्वजनिक निर्गमनों पर नियंत्रण
भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड की स्थापना के
बाद 29 मई 1992 को पूंजी निर्गमन अधिनियम 1947 को समाप्त कर दिया गया। इसलिए यह
आवश्यक हो गया कि बोर्ड द्वारा कुछ ऐसे निर्देश दिये जाये जिनके पालन करने से
उपक्रम द्वारा निर्गमन तथा प्राप्त होने वाली पूंजी पर नियंत्रण रखा जा सके।
अतः उचित प्रकटीकरण तथा निवेशक हितों की संरक्षण के लिए बोर्ड द्वारा इस संर्दभ में
दिशा निर्देश जारी किये गये। इन दिशा निर्देशों में विद्यमान के साथ-साथ नई
कंपनियों द्वारा जारी अंशों, ऋणपत्रों तथा बांडों के माध्यम से पूंजी निर्गमन को शामिल किया गया।
यह दिशा निर्देश सभी पूंजी निर्गमनों पर लागू होते हैं। इन निर्देशों को निम्न
भागों में विभाजित किया गया हैै-
- सामान्य दिशा निर्देश
- ऋणपत्र संबंधी दिशा निर्देश
- वाणिज्यक पत्र निर्गमन संबंधी निर्देश
- अंशों के निर्गमन संबंधी निर्देश
- अधिकार अंशो के निर्गमन संबंधी निर्देश
- बोनस अंशों के निर्गमन संबंधी दिशा निर्देश
- पूर्वाधिकार अंशों के आवंटन संबंधी दिशा निर्देश
- भारत में स्टाॅक विकल्प से संबंधित दिशा निर्देश
- कर्मचारी स्टांक विकल्प प्रणाली संबंधित निर्देश
- बुक बिल्डिंग संबंधी दिशा निर्देश
सेबी के पूर्व अध्यक्ष
श्री यू.के. सिन्हा -18 फरवरी, 2011 से 1 मार्च, 2017 तक
श्री सी.बी. भावे - 19 फरवरी, 2008 से 17 फरवरी, 2011 तक
श्री एम. दामोदरन -18 फरवरी, 2005 से 18 फरवरी, 2008 तक
श्री जी.एन. बाजपेयी -20 फरवरी, 2002 से 18 फरवरी, 2005 तक
श्री डी.आर. मेहता -21 फरवरी, 1995 से 20 फरवरी, 2002 तक
श्री एस.एस. नाडकर्णी -17 जनवरी, 1994 से 31 जनवरी, 1995 तक
श्री जी.वी. रामकृष्ण -24 अगस्त, 1990 से 17 जनवरी, 1994 तक
डॉ. एस.ए. दवे - 12 अप्रैल, 1988 से 23 अगस्त, 1990 तक
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