स्कन्दगुप्त ऐतिहासिक व्यक्तित्व | Skandgupt Historic Personality
स्कन्दगुप्त (455-467 ई.)
सम्राट स्कंदगुप्त, गुप्त राजवंश के आठवें राजा थे।
कुमारगुप्त की मुत्यु के पश्चात् स्कन्दगुप्त सिंहासन पर बैठा, संभवता उसका संघर्ष अपने भाई पुरूगुप्त
से हुआ, परन्तु इस बारे में कोई निश्चित प्रमाण
नहीं हैं।
स्कन्दगुप्त के संबंध में प्रमुख तथ्य
- स्कन्दगुप्त ने दक्षिण के पुष्यमित्रों को परास्त किया।
- उसकी महान सफलता हूणों को परास्त करने में थी।
- बर्बर हूणों के आक्रमण से भारत की रक्षा का श्रेय स्कन्दगुप्त को है, स्कन्दगुप्त के जूनागढ़ एवं भीतरी अभिलेख में इसका वर्णन है।
- स्कन्दगुप्त को कहौम स्तम्भलेख में शक्रोपम, आर्य मंजुश्री मूल कल्प में ‘देवराय‘ एवं जूनागढ़ अभिलेख मेें परक्षिप्तवृक्षा कहा गया है।
- उसकी स्वर्ण मुद्राओं पर विक्रमादित्य की उपाधि मिलती है।
- जूनागढ़ अभिलेख स्कंदगुप्त का सर्वाधिक महत्वपूर्ण अभिलेख है जो सौराष्ट्र (गुजरात) के जूनागढ़ से प्राप्त हुआ है।
- जूनागढ़ अभिलेख में स्कंदगुप्त के शासनकाल की प्रथम तिथि गुप्त संवत् 136 (455 ईसवी) उत्कीर्ण मिलता है।
- इस अभिलेख में उसके सुव्यवस्थित शासन एवं गिरनार के पुरपति चक्रपालित द्वारा सुदर्शन झील के बांध के पुनर्निमाण का विवरण सुरक्षित है।
- स्कंदगुप्त का विशाल सम्राज्य कई प्रांतों में विभाजित था। प्रांतों को देश या अवती कहा जाता था। प्रांत के राज्यपाल को गोप्ता कहा जाता था।
- स्कंदगुप्त धर्मनिष्ठ वैष्णव था तथा परम भगवत की उपाधि धारण करता था।
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