तिलवाड़ा ऐतिहासिक स्थल | Tilwara Historic Place
तिलवाड़ा ऐतिहासिक स्थल Tilwara Historic Place
तिलवाड़ा ऐतिहासिक स्थल राजस्थान के बाड़मेर
जिले के बालोतरा तहसील मुख्यालय से 16
किमी दक्षिण पश्चिम में लूनी नदी के बायें किनारे पर स्थित हैं
तिलवाड़ा के संबंध में महत्वपूर्ण तथ्य
- तिलवाड़ा का उत्खनन कार्य 1967-68 ई. में एन. मिश्रा (पूना) विजय कुमार (राजस्थान) राज्य पुरातत्व संग्रहालय तथा एल.सी. लैसनिक (हिडलबर्ग विश्वविद्यालय) के नेतृत्व में किया गया।
- इस स्थल से प्राप्त सांस्कृतिक जमाव 60 सेमी का है। इसकी सतह पर लघुपाषाण उपकरण तथा मृदपात्रों के ठीकरे मिलते हैं। उत्खनन में यहां फर्श के चारों ओर गोल पत्थर जमाये हुए मिले हैं।
- तिलवाड़ा से गोल झोपडि़यों के साक्ष्य प्राप्त होते हैं। यहाँ से 70 सेमी गहरा एवं 20 सेमी मुखवाला गड्ढा मिला है जो उत्तरोत्तर नीचे की ओर संकरा होता गया है।
- इस गड्ढे में कुछ मृदपात्रों के टुकड़े व हड्डियां तथा राख मिली हैं इस स्थल से क्वाटर््स, क्वाटर््जाइट, चर्ट एवं कार्नेलियन से बनी हुई क्रोड, ब्लैड टैªपीज, प्वाइंट तथा ट्रांयगल इत्यादि उपकरण उपलब्ध हैं।
- यहां से प्राप्त मृदपात्रों के टुकड़े निःसंदेह चाक निर्मित हैं। यहां से कुचली हुई हड्डियां मिली है। वे निश्चित रूप से बड़े जानवरों की हैं, जिसमें वनमहिष, वृषभ सूअर आदि मुख्य हैं।
- पक्षियों का मांस इस काल का मानव बहुत अधिक चाव से खाता था। छोटे-छोटे तीरनुमा उपकरणों की उपस्थिति इसका स्पष्ट संकेत देती है।
- उत्तरपाषाण काल राजस्थान में लगभग 10 हजार वर्ष पूर्व प्रारंभ होता है। तिलवाड़ा से उत्तरपाषाण युगीन उपकरण मिले हैं। इस युग में उपकरणों का आकार छोटा और कौशल से भरपूर हो गया था। लकड़ी तथा हड्डी की लम्बी नली में गोंद से चिपकाकर इन उपकरणों का प्रयोग प्रारंभ हो गया था।
- राजस्थान के बागोर के अतिरिक्त तिलवाड़ा ही ऐसा क्षेत्र है, जहॉ से इतने वृहद स्तर पर उत्तरपाषाणकालीन पुरा सामग्री प्राप्त हुई है।
- तिलवाड़ा में ही अकबर की सेना व बैरम खान के मध्य युद्ध में बैरम खॉ की पराजय हुई थी।
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