कृत्रिम उपग्रह | Artificial satellite in Hindi
कृत्रिम उपग्रह Artificial satellite
पृथ्वी तट के समीप
(अर्थात् पृथ्वी तल से ऊँचाई पृथ्वी की त्रिज्या से कम हो (H<R) परिक्रमा करने वाले
उपग्रह की कक्षीय चा 7.92 किमी/सेकेंड
होती है। अतः यदि हम किसी पिंड को पृथ्वी
की सतह से कुछ सौ किमी दूर आकाश में भेजकर उसे लगभग 8.0 किमी/सेकेंड का
पृथ्वी तल के समानांतर अर्थात् क्षैतिज वेग दें तो वह पिंड एक निश्चित कक्षा में
पृथ्वी की परिक्रमा करने लगता है, तब इस पिंड को कृत्रित उपग्रह कहते हैं।
इस कृत्रिम उपग्रह के
वृत्ताकार पथ पर गति के लिए आवश्यक अभिकेंद्र बल, पृथ्वी द्वारा इस उपग्रह पर लगने वाला
गुरूत्वाकर्षण बल है जिसकी दिशा सदैव पृथ्वी के केंद्र की ओर होती है।
कृत्रिम उपग्रह आमतौर पर 7 प्रकार के होते हैं-
1. तुल्य कालिक अथवा भू-स्थिर उपग्रह Geostationary Satellite
- भू-स्थिर उपग्रह पृथ्वी स्थान विशेष के सापेक्ष स्थिर रहते हैं। इनकी गति की दिशा पश्चिम से पूर्व की ओर होती है। इन उपग्रहों का उपयोग टेलीफोन, टेलीविजन कार्यक्रमों आदि के संचार में होता है। यदि इस प्रकार के तीन उपग्रह भू-स्थिर कक्षा में स्थापित कर दिए जायें तो धु्रवीय क्षेत्रों के अलावा संपूर्ण पृथ्वीसे एक साथ संबंध स्थापित किया जा सकता है।
2. भू-प्रक्षेपण उपग्रह (टोही उपग्रह) Terrestrial satellite
- इन उपग्रहों के द्वारा पृथ्वी के भीतर छिपी प्राकृतिक संपदाओं का पता लगाया जाता है। भू-प्रक्षेपण उपग्रहों में कैमरे तथा इलेक्ट्रानिक उपकरण लगे होते हैं। जो पृथ्वी के विभिन्न भागों के चित्र लेते रहते हैं। इसलिए इन्हें ‘टोही‘ उपग्रह भी कहा जाता है। समुद्री लहरों एवं तूफानों का पता भी इन उपग्रहों द्वारा लगाया जा सकता है।
3. मेरीसैट उपग्रह Marissat Satellite
- मैरीसैट उपग्रह का मुख्य उद्देश्य समुद्री जलपोतों के नाविकों को रेडियो संकेत उपलब्ध कराना है जिससे कि वे सही दिशा तथा दूर से जलपोतों की जानकारी प्राप्त कर सकें।
4. दूर-संवेदी उपग्रह Remote sensing satellite
- दूर संवेदी उपग्रह की मदद से पृथ्वी की सतह पर स्थित किसी भी वस्तु से उत्पन्न होने वाले या प्रतिबिम्बित होने वाले विकिरणों को प्रकाश एवं इन्फ्रारेड किरणो का उपयोग करने वाले सूक्ष्म कैमरों तथा इलेक्ट्रानिक उपकरणों द्वारा नीले-लाल, नीले-हरे तथा लगभग इन्फ्रारेड कणों के चित्रों के रूप में लिया जा सकता है। उपग्रह से प्राप्त इन रंगीन चित्रों को पृथ्वी तक प्राप्त करके उनके वास्तविक दिखने वाले चित्रों में परिवर्तित किया जा सकता है। इस प्रकार दूर संवेदी उपग्रहों द्वारा लिए गए चित्रों से खनिज सम्पदा, कृषि वानिकी, सागर सम्पदा आदि से संबंधित विषयों पर शीघ्रता से उपयोगी एवं सटीक जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
5. मौसमी उपग्रह Seasonal satellite
- मौसम संबंधी जानकारी तथा वायुमण्डलीय परिस्थितियों का अध्ययन करने हेतु जो उपग्रह छोड़े गए हैं, उन्हें मौसमी उपग्रह कहते हैं। इन उपग्रहों का मुख्य उपयोग मौसम संबंधी भविष्यवाणियां करने में किया जाता है।
6. संचार उपग्रह Communications satellite
- संचार उपग्रह पृथ्वी की परिक्रमा 24 घंटे में करते हैं। इनकी मदद से पृथ्वी के दो भागों के बीच रेड़ियो, टेलीविजन तथा अन्य संकेतों को भेजा एवं ग्रहण किया जाता है।
7. वैज्ञानिक उपग्रह Scientific satellite
- वैज्ञानिक उपग्रहों का उद्देश्य सूर्य द्वारा दी जा रही ऊर्जा, आयन मंडल में सूर्य के अस्त होने से होने वो परिवर्तन, मंगल, शुक्र,वृहस्पति आदि ग्रहों के चारों ओर के वातवरण आदि के विषयों में जानकारी प्राप्त करना है।
Post a Comment