Biodiversity Gk quiz Questions and Answers in hindi | जैव विविधता क्विज प्रश्न उत्तर
- जैविक विविधता शब्दावली का सबसे पहले उपयोग 1968 में आर.एफ. डेस्मेन Ramand F Desman ने किया था।
- मई 1994 को भारत अंतर्राष्ट्रीय जैव-विविधता संगोष्टी का सदस्य बना है।
- जैव विविधता हॉट-स्पॉट की संकल्पना ब्रिटेन के जीव विज्ञानी नारमैन मेयरस ने प्रस्तुत किया था।
- नारमैन मेयरस के अनुसार विश्व में 34 हॉट-स्पॉट हैं।
- रेड डाटा बुक सर्वप्रथम 1963 में प्रकाशित की गई थी।
- रेड डाटा बुक के गुलाबी पृष्ठों में अत्यंत संकटापन्न प्रजातियों के बारे में सूचनाएं दी जाती हैं।
- जीवमंडल संरक्षण क्षेत्र शब्द यूनेस्को द्वारा 1971 में प्रयुक्त किया गया था।
- पारिस्थितिकी शब्दावली का प्रयोग सबसे पहले 1869 में ई. हेकल ने किया था।
- पारिस्थितिकी तंत्र शब्दावली का सबसे पहले प्रयोग आर्थर टांस्ले ने सर्वप्रथम किया था।
- ओडम ने पारिस्थितिकी को प्रकृति की संरचना तथा प्रकार्य का विज्ञान माना है।
- प्रति इकाई जैविक पदार्थों के वजन को बायोमास कहते हैं।
- चार्ल्स डार्विन को विकासवादी सिद्धांत का जनक माना जाता है। उन्होंने 1859 में यह प्रसिद्ध सि़द्धांत अपने प्रसिद्ध ग्रंथ ओरिजन ऑफ स्पीशीज में प्रकाशित किया था।
- जीवविज्ञान के प्रसिद्ध विशेषज्ञ ए.आर. वेलेस ने 1876 में विश्व के जीव-जंतुओं तथा पशु पक्षियों का पहला प्रादेशिक वर्गीकरण किया था।
- विषुवत रेखीय वनों का सबसे बड़ा भाग अमेजन बेसिन में पाया जाता है जिसे सेल्वाज कहते हैं।
- गिरनार सुदर्शन झील 300 ईस पूर्व बनायी गई है जो भारत की सर्वाधिक प्राचीन कृत्रिम झाील है।
- भारतीय सुंदरबन वन क्षेत्र, जो दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा संलग्न
मैंग्रोव पारिस्थितिकी क्षेत्र है,
- केन्द्र सरकार द्वारा स्थापित इंडियन मैन एंड बायोस्फियर कमिटी जीवमंडल क्षेत्र के नवीन स्थलों की पहचान करती है।
- जीवमंडल संघों को मैन एंड बायोस्फियर की अंतर्राष्ट्रीय समन्वय परिषद द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के द्वारा नामित किया जाता है।
- भारत के जीवमंडल सरंक्षण क्षेत्रों की संख्या 18 है।
- मध्यप्रदेश में जीवमंडल संरक्षण क्षेत्र तीन हैं, पन्ना, पचमढ़़ी एवं अचाकमार-अमरकंटक
- भारत के 10 स्थल यूनेस्को की जीवमंडल संरक्षण सूची में शामिल हैं।
- भारत में 500 से अधिक अभयारण्य हैं, जिन्हें वन्य जीव अभयारण्य कहा जाता है.
- भारत का प्रथम राष्ट्रीय उद्यान जिम कार्बेट नैनीताल (उत्तराखंड) है इसका पुराना नाम हेली नेशनल पार्क था जिसकी स्थापना 1935 की गयी थी ।
- देश में सर्वाधिक राष्ट्रीय उद्यान मध्यप्रदेश में है ।
- मैंग्रोव वन मुख्यतः 25 डिग्री उत्तर और 25 डिग्री दक्षिणी अक्षांशों के मध्य उष्ण एवं उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है
- रामसर सम्मेलन के द्वारा मैंग्रोव को संरक्षण प्रदान किया गया है।
- जिम कार्बेट पार्क से रामगंगा नदी बहती है ।
- भारत का सबसे बड़ा बाघ अभ्यारण्य नागार्जुन सागर (आंध्र प्रदेश ) है ।
- ओडिशा का भीतरकनिका भारत का दूसरा सबसे बड़ा मैंगोव है।
- भारतीय पक्षी विज्ञानी और प्रकृतिवादी सलीम अली को बैडमैन आँफ इंडिया कहा जाता है सलीम अली राष्ट्रीय पक्षी उद्यान जम्मू कश्मीर के श्रीनगर में है ।
- डाचीगाम सैंक्चुरी एकमात्र सैंक्चुरी है जहां कश्मीरी महामृग पाया जाता है
- भारत प्राणी-विज्ञान सर्वेक्षण की स्थापना 1916 ई., की गई थी और इसका मुख्यालय कोलकाता में है ।
- भारत वानस्पतिक सर्वेक्षण विभाग की स्थापना 1970 ई की गई थी और इसका कोलकाता में कहाँ है ।
- अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में सबसे ज्यादा वन्य जीव अभ्यारण्य हैं ।
- मध्य प्रदेश में स्थित बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान बंगाल टाइगर के लिए प्रसिद्ध है।
- उत्तराखण्ड के नंदा देवी के शिखर पर स्थित नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान पार्क 1982 में राष्ट्रीय उद्यान बना। इस क्षेत्र के अंतर्गत फूलों की घाटी है, जहाँ किस्म-किस्म के फूलों की छटा बिखरी हुई है।
- दुधवा राष्ट्रीय उद्यान(उत्तर प्रदेश) नेपाल से अंतर्राष्ट्रीय सीमा बनाता है। इसे 1977 में इसे राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दिया गया।
- यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में शामिल मानस अभयारण्य (असम ) राष्ट्रीय उद्यान देश का चर्चित टाइगर और एलीएंट रिजर्व भी है। इसका नाम मानस उद्यान के पश्चिम से बहने वाली मानस नदी के नाम से पड़ा है । एक सींग का गैंडा अतिरिक्त यहाँ कई अन्य दुर्लभ जीव-जंतु भी पाए जाते हैं।
अंतरराष्ट्रीय
जैव-विविधता दिवस कब मनाया जाता है ?
प्रत्येक वर्ष 22 मई
अंतरराष्ट्रीय जैव-विविधता दिवस का आयोजन कौन करता है ?
संयुक्त राष्ट्र संघ
अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस (International Day for Biological Diversity) की थीम क्या थी ?
‘हमारे समाधान प्रकृति में हैं’ (Our Solutions are in Nature)
अंतर्राष्ट्रीय जैव-विविधता दिवस पहली बार कब मनाया गया था ?
अंतर्राष्ट्री य
जैव-विविधता दिवस को मनाने की शुरुआत 20 दिसंबर, 2000 को संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव द्वारा की गई थी।
अंतरराष्ट्रीय जैव-विविधता दिवस 22 मई को क्यों मनाया जाता है ?
22 मई, 1992 को नैरोबी में जैव-विविधता पर अभिसमय (Convention on Biological Diversity- CBD) के पाठ को स्वीकार किया गया था। इसलिये 22 मई को प्रतिवर्ष अंतर्राष्ट्री य जैव-विविधता दिवस मनाया जाता है।
अंतरराष्ट्रीय
जैव-विविधता दिवस मनाने के मुख्य उद्देश्य क्या है ?
लोगों में जैव-विविधता के महत्त्व के बारे में जागरूक उत्पन्न करना है।
नैरोबी में जैव-विविधता पर अभिसमय को किस अन्य नाम से जाना जाता है ?
पृथ्वी सम्मेलन
रणथंभौर नेशनल पार्क, कहाँ पर है ?
राजस्थान
जिम कार्बेट नेशनल पार्क, कहाँ पर है ?
उत्तराखंड
बांधवगढ़ राष्ट्रीय
उद्यान, कहाँ पर है ?
मध्यप्रदेश
पेरियार नेशनल पार्क, कहाँ पर है ?
केरल
काजीरंगा नेशनल पार्क, कहाँ पर है ?
असम
सुंदरवन राष्ट्रीय उद्यान, कहाँ पर है ?
पश्चिम बंगाल
नंदा देवी राष्टीय उद्यान, कहाँ पर है ?
उत्तराखंड
गिर वन राष्ट्रीय उद्यान, कहाँ पर है ?
गुजरात
जैव विविधता अभिसमय (सीबीडी)
- यह अभिसमय वर्ष 1992 में रियो डि जेनेरियो में आयोजित पृथ्वी सम्मेलन के दौरान अंगीकृत प्रमुख समझौतों में से एक है।
- सीबीडी पहला व्यापक वैश्विक समझौता है जिसमें जैवविविधता से संबंधित सभी पहलुओं को शामिल किया गया है।
- इसमें आर्थिक विकास की ओर अग्रसर होते हुए विश्व के परिस्थितिकीय आधारों को बनाएँ रखने हेतु प्रतिबद्धताएँ निर्धारित की गयी है।
- सीबीडी में पक्षकार के रूप में विश्व के 196 देश शामिल हैं जिनमें 168 देशों ने हस्ताक्षर किये हैं।
- भारत सीबीडी का एक पक्षकार (party) है।
इस कन्वेंशन में
राष्ट्रों के जैविक संसाधनों पर उनके संप्रभु अधिकारों की पुष्टि किये जाने के साथ
तीन लक्ष्य निर्धारित किये गए है-
- जैव विविधता का संरक्षण
- जैव विविधता घटकों का सतत उपयोग
- आनुवंशिक संसाधनों के उपयोग से प्राप्त होने वाले लाभों में उचित और समान भागीदारी
कार्टाजेना जैव सुरक्षा प्रोटोकॉल
- जैव विविधता कन्वेंशन के तत्वाधान में कार्टाजेना जैव सुरक्षा प्रोटोकॉल को 29 जनवरी, 2000 को अंगीकार किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य आधुनिक प्रौद्योगिकी के परिणामस्वरूप ऐसे सजीव परिवर्तित जीवों (LMO) का सुरक्षित अंतरण, प्रहस्तरण और उपयोग सुनिश्चित करना है जिसका मानव स्वास्थ्य को देखते हुए जैव विविधता के संरक्षण एवं सतत् उपयोग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
जैव सुरक्षा पर कार्टागेना प्रोटोकॉल
- जैव सुरक्षा पर कार्टागेना प्रोटोकॉल (The Cartagena Protocol on Biosafety) 29 जनवरी, 2000 को स्वीकार किया गया और 11 सितंबर, 2003 को यह प्रभावी हुआ। यह एक अंतरराष्ट्रीय समझौता है जो आधुनिक जैव प्रौद्योगिकियों के परिणामी सजीव संवर्द्धित जीवों (एलएमक्यू) के सुरक्षित हस्थालन या हैंडलिंग, परिवहन एवं उपयोग को सुनिश्चित करने का लक्ष्य लेकर चलती है ताकि जैव विविधता पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़े और मानव स्वास्थ्य को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचे।
नागोया प्रोटोकॉल
- नागोया प्रोटोकॉल जिसे एबीसी प्रोटोकॉल भी कहा जाता है, अनुवांशिक संसाधनों की पहुंच व लाभ साझेदारी से संबंधित है। इस प्रोटोकॉल को जापान के नागोया में जैव विविधता अभिसमय पर पक्षकारों के 10वें सम्मेलन के दौरान (10वें कोप) 29 अक्टूबर, 2010 को स्वीकार किया गया था। यह प्रोटोकॉल 12 अक्टूबर, 2014 को प्रभावी हुआ। भारत ने इस प्रोटोकॉल पर 11 मई, 2011 को हस्ताक्षर किया और 9 अक्टूबर, 2012 को इसकी अभिपुष्टि की। भारत के लिए यह प्रोटोकॉल अति महत्वपूर्ण है क्योंकि वह अपने अनुवांशिक संसाधनों एवं उससे जुड़े पारंपरिक ज्ञान के बायोपायरेसी एवं अनौचित्य उपयोग का पीड़ित रहा है जिसे अन्य देशों में पेटेंट कराया गया है। हल्दी एवं नीम इसके उदाहरण हैं।
आईची जैवविविधता लक्ष्य
- आईची लक्ष्य या टार्गेट का संबंध जैव विविधता पर दबाव को कम करते हुए इसके लाभों को सभी में बढ़ाने से है। नागोया सम्मेलन के दौरान वर्ष 2011-2020 के लिए जैव विविधता कार्ययोजना स्वीकार किया गया था जिसमें नागोया प्रोटोकॉल के अलावा आईची लक्ष्य का भी उल्लेख है। आईची लक्ष्य में मुख्य रूप से पांच रणनीतिक लक्ष्य हैं; 1. जैव विविधता नुकसान के कारणों को समझना, 2. जैव विविधता पर प्रत्यक्ष दबाव को कम करना व सतत उपयोग को बढ़ावा देना, 3. पारितंत्र, प्रजातियों एवं अनुवंशिक विविधता की सुरक्षा कर जैव विविधता स्थिति में सुधार लाना, 4. जैव विविधता एवं पारितंत्र सेवाओं से लाभों का सभी में संवर्द्धन तथा 5. साझीदारी नियोजन, ज्ञान प्रबंधन तथा क्षमता निर्माण के द्वारा क्रियान्वयन में वृद्धि।
भारत में जैव विविधता
- भारत जैव-विविधता के दृष्टिकोण से एक समृद्ध देश है। विश्व के 34 जैव-विविधता हॉट स्पॉट में से चार भारत में है। इसी तरह विश्व के 17 मेगा-डायवर्सिटी (वृहद जैव वैविध्य संपन्न देश) देशों में भारत भी शामिल है। भारत के पास केवल 2.4 प्रतिशत वैश्विक भूमि है, लेकिन यह क्षेत्र कुल जैव विविधता के लगभग 7 से 8 प्रतिशत हिस्से को आश्रय प्रदान करता है। भारत के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के एक अनुमान के अनुसार आज तक हुए सर्वेक्षणों के अनुसार भारत में विभिन्न वर्गों की वनस्पतियों की 46,340 प्रजातियां खोजी गई हैं, जिसमें से आवृतबीजी पुष्पीय पौधों की 17,643 प्रजातियां, अनावृत बीजी पौधों की 131 प्रजातियां, पर्णांगों की 1236 प्रजातियां, ब्रायोफाइटस की 2451 प्रजातियां, शैवाकों की 2268 प्रजातियां, फफूंदों की 14,585 प्रजातियां, शैवालों की 7182 प्रजातियां, वाइरस एवं बैक्टिरियां की 903 प्रजातियां अब तक खोजी गई हैं। इस प्रकार जीव जंतुओं की लगभग 91212 प्रजातियां भारत से खोजी गई हैं, जिनमें से 372 स्तनधारी 1228 पक्षी, 428 सरिसृप, 204 उभचर, 2546 मत्स्य प्रजातियां, 5042 मोलास्क, 10,107 प्रोटोजोआ एवं 57,525 कीटों की प्रजातियां सम्मिलित हैं।
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Mpsbbquiz2020 state level questions
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