पुराना मध्यप्रदेश सीपी एवं बरार Old MP C.P. and Barar
CP AND Berar
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद सी.पी. एवं बरार, अपने पूर्व नाम और स्वरूप में 1950 तक कायम रहा। भारतीय गणतंत्र की
स्थापना के बाद इस प्रदेश का नाम बदलकर मध्यप्रदेश कर दिया गया। इसकी राजधानी
नागपुर रखी गई।
प्रशासनिक दृष्टि से सन् 1948 तक यह प्रदेश चार कमिश्नरियों तथा 19 जिलों में विभाजित था। किंतु बाद में
कुछ नये जिलों का निर्माण किया गया। इसके बाद जिलों की संख्या बढ़कर 22 हो गई जो कि 111 तहसीलों में विभाजित किये गये।
मध्यप्रांत और बरार का कुल क्षेत्रफल 98,575 वर्गमील था, किन्तु अब मध्यप्रदेश का क्षेत्रफल 1,30,272 वर्गमील हो गया जो कि संपूर्ण देश के
क्षेत्रफल का 9.75 प्रतिशत था।
प्राकृतिक रचना की दृष्टि से इस प्रदेश का पॉच
भाग में बांटा गया था
विंध्याचल की उच्चतम भूमि
नर्मदा का कछार
सतपुड़ा की उच्च समभूमि
मैदानी भाग (जिसमें बरार, नागपुर, व छत्तीसगढ़ का मैदान तथा महानदी कछार सम्मिलत था)
दक्षिण उच्च भूमि जिसमें अजंता, सिहावा तथा बस्तरि की पर्वत श्रेणियां
सम्मिलत थीं।
राज्य का 48 प्रतिशत भाग वनों से अच्छादित था, जो उसके विभिन्न उद्योगों एवं व्यावसायों को बहुमूल्य कच्चे माल की
पूर्ति करता था।
पुराने मध्यप्रदेश में 142 नगर 48444 ग्राम थे । जिसकी कुल जनसंख्या 2,12,47,533 थी।
औसत रूप से राज्य में प्रति हजार पुरूष के पीछे
स्त्रियों की संख्या 993 थी। राज्य की 76 प्रतिशत जनसंख्या कृषि पर निर्भर थी।
1951 की जनगणना के अनुसार पुराने मध्यप्रदेश में साक्षरों की संख्या 2,85,214थी, अर्थात् राज्य का साक्षरता प्रतिशत 13.5 था। पुरूष साक्षरता 21.8 एवं महिला साक्षरता 5.1 प्रतिशत थी।
पुराने मध्यप्रदेश में हिन्दी और मराठी बोलने
वालों का प्रतिशत क्रमशः 48.57 तथा 29.12 था। राज्य सरकार ने हिन्दी और मराठी को राज्य भाषाएं घोषित किया था।
इस समय राज्य के लगभग 40 प्रतिशत भाग पर खेती होती थी। राज्य
के भू-अभिलेख विभाग के अनुसार सन् 1952-53 में उसकी कुल 830
लाख एकड़ भूमि में से 385 लाख एकड़ भूमि कृषि योग्यथी। जबकि 299 लाख एकड़ भूमि पर खेती की गई।
राज्य का लगभग 48 प्रतिशत भू-भग वनों से भरा था। अनुमानतः वर्ष 1954 में मध्यप्रदेश में लगभग 62 हजार वर्गमील का क्षेत्र वनाच्छादित
था।
भाषायीय आधार पर राज्यों के गठन की मांग
स्वतंत्रता के पहले ही शुरू हो चुकी थी। भाषायी आधार पर राज्यों के पुनर्गठन की
मांग को लेकर आमरण अनशन पर बैठे तेलगू पोट्टी श्री रामलल्लू की 52 दिन बाद 15 दिसम्बर, 1952 को मौत हो गई। 19 दिसंबर, 1952 को प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने तेलगू भाषियों के लिए पृथक
आंध्रपदेश राज्य के गठन की घोषण कर दी और 1 अक्टूबर 1953 को गठित आंध्रप्रदेश भाषा के आधार पर
गठित देश का पहला राज्य बन गया।
अंततः केन्द्र सरकार ने 22 दिसंबर 1953 को तीन सदस्यीय राज्य पुनर्गठन आयोग
का गठन किया । आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति फजल अली तथा सदस्य के.एम.पाणिक्कर व
हृदय नाथ कुंजरू थे। आयोग ने 30
दिसम्बर 1955 को अपनी रिपोर्ट केन्द्र सरकार को
सौंप दी।
आयेाग की सिफारिशों के आधार पर पार्ट-ए, बी, सी, डी, के वर्गीकरण को समाप्त कर भारतीय संघ को 16 राज्यों और 3 संघ राज्य क्षेत्रों में बांटा गया।
इनमें से एक मध्यप्रदेश था।
मध्यप्रदेश का जन्मभारत की आजादी के साथ हुआ था। 1947 में ब्रिटिशकालीन प्रांत सेंट्रल
प्रोविन्स एण्ड बरार में बघेलखंड व छत्तीसगढ़ की रियासतों को मिलाकर तत्तकालीन
मध्यप्रदेश राज्य बना था जो पार्ट-ए स्टेट राज्य था और इसकी राजधानी नागपुर थी।
1 नंवबर 1956 को बने इस नये मध्यप्रदेश में 74 देशी रियासतों का इलाका शामिल था।
प्रदेश की सीमा सात अन्य प्रदेशों क्रमशः आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, बिहार और उड़ीसा की सीमाओं से मिलती
थी। बस्तर जिला प्रदेश का सबसे बड़ा जिला था जिसका क्षेत्रफल 39 हजार 176 वर्ग किलोमीटर था जो केरल प्रदेश के क्षे़त्रफल से 307 वर्ग किलोमीटर अधिक था।
नए मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल रखी गई, जो सीहोर जिले की एक तहसील थी। राज्य
पुनर्गठन आयोग ने राजधानी के रूप में जबलपुर को सुझाया था। भोपाल के मुख्यमंत्री
डॉ. शंकरदयाल शर्मा ने भोपाल को राजधानी बनाने के ध्यान केन्द्रित किया। भोपाल के
नवाब ने अंत तक भारत विलय का विरोध किया। उसका पाकिस्तान के प्रति रूझान
संदेहास्पद बना रहा। इसलिए भी भोपाल को राजधानी के लिये चुना गया।
प्रदेश के प्रथम राज्यपाल डॉ. पट्टाभि
सीतारमैया को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (नागपुर) के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस
हिदायतउल्लाह ने पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। इसके बाद प्रदेश के पहले
मुख्यमंत्री पंडित रविशंकर शुक्ल को शपथ दिलाईगई। 1 नवंबर 1956 को मध्यप्रदेश बना और 31 दिसंबर 1956 को वर्ष के अंतिम दिन , दिल्ली में मुख्यमंत्री पं. रविशंकर
शुक्ल का देहावसान हो गया।
1 नंवबर 2000 को मध्यप्रदेश का पुनर्गठन कर
छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण किया गया। मध्यप्रदेश के 16 जिले नये राज्य छत्तीसगढ़ का हिस्सा
बने।
आज मध्यप्रदेश में 52 जिले और 10 संभाग हैं। राज्य का क्षेत्रफल 3,08252 वर्ग किलोमीटर है जो कि देश के कुल
क्षेत्रफल का 9.38 प्रतिशत है। मध्यप्रदेश क्षेत्रफल के
आधार पर देश का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है।
It's unbelievable ....very good .m.mp ki puri histor history point k hisab se bhbht acchi trh coverki h ....thank you so much ...notes bnabe me bht help mili thank you dear team member of this page
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