इको-सेंसिटिव जोन |पर्यावरण संवेदी क्षेत्र का महत्त्व
इको-सेंसिटिव जोन क्या है? Eco-sensitive zone
- ये पर्यावरण एवं वन मंत्रलय, भारत सरकार द्वारा संरक्षित क्षेत्रों, राष्ट्रीय उद्यानों और वन्य जीव अभयारण्यों के चारों ओर स्थित अधिसूचित क्षेत्र होते हैं।
- इनका उद्देश्य ऐसे क्षेत्रों के आसपास किसी भी तरह का निर्माण गतिविधियों को विनियमित कर उस क्षेत्र को सुरक्षित रखना है।
- इको-सेंसिटिव जोन में होने वाली गतिविधियाँ 1986 के पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत विनियमित होती हैं और ऐसे क्षेत्रों में प्रदूषणकारी उद्योग लगाने या खनन करने की अनुमति नहीं होती है।
- सामान्य सिद्धांतों के अनुसार, इको-सेंसिटिव जोन का विस्तार किसी संरक्षित क्षेत्र के आसपास 10 किमी. तक के दायरे में हो सकता है, लेकिन संवेदनशील गलियारे, कनेक्टिविटी और पारिस्थतिक रूप से महत्वपूर्ण खंडों एवं प्राकृतिक संयोजन के लिये महत्वपूर्ण क्षेत्र होने की स्थिति में 10 किमीसे अधिक क्षेत्र को इको-सेंसिटिव जोन में शामिल किया जा सकता है।
- राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों के आस-पास इको-सेंसिटिव जोन के लिये घोषित दिशा-निर्देशों के तहत निषिद्ध उद्योगों को इन क्षेत्रों में काम करने की अनुमति नहीं है।
- ये दिशा-निर्देश वाणिज्यिक खनन, जलाने योग्य लकड़ी के वाणिज्यिक उपयोग और प्रमुख जल-विद्युत परियोजनाओं जैसी गतिविधियों को प्रतिबंधित करते हैं।
- कुछ गतिविधियों जैसे कि पेड़ गिरना, भूजल दोहन, होटल और रिसोर्ट्स की स्थापना सहित प्राकृतिक जल संसाधनों का वाणिज्यिक उपयोग आदि को इन क्षेत्रों में नियंत्रित किया जाता है।
- मूल उद्देश्य राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों के आसपास कुछ गतिविधियों को नियंत्रित करना है ताकि संरक्षित क्षेत्रों की निकटवर्ती संवेदनशील पारिस्थितिक तंत्र पर ऐसी गतिविधियों के नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सके।
पर्यावरण संवेदी क्षेत्र का महत्त्व
- औद्योगीकरण, शहरीकरण और विकास की अन्य पहलों के दौरान भू-परिदृश्य में बहुत से परिवर्तन होते हैं जो कभी-कभी भूकंप, बाढ़, भूस्खलन और बादल फटने जैसी प्राकृतिक आपदाओं का कारण बन सकते हैं।
- विशिष्ट पौधों, जानवरों, भू-भागों वाले कुछ क्षेत्र/क्षेत्रों को संरक्षित करने के लिये सरकार ने उन्हें राष्ट्रीय उद्यान, वन्यजीव अभयारण्य आदि के रूप में घोषित किया है।
- उपरोक्त के अलावा, शहरीकरण और अन्य विकास गतिविधियों के प्रभाव को कम करने के लिये ऐसे संरक्षित क्षेत्रों के निकटवर्ती क्षेत्रों को इको-सेंसिटिव जोन घोषित किया गया है।
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