गांगेय डाॅल्फिल संरक्षण |गंगा नदी डॉल्फिन Gangetic Dolphin
गांगेय डाॅल्फिल संरक्षण
गंगा डॉल्फिन को राष्ट्रीय जलीय जीव कब घोषित किया ?
राष्ट्रीय जलीय जीव: 5 अक्तूबर, 2009 को तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण (NGRBA) की पहली बैठक की अध्यक्षता करते हुए गंगा डॉल्फिन को राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया था।
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन द्वारा प्रत्येक वर्ष 5 अक्तूबर को गंगा डॉल्फिन दिवस मनाया जाता है।
भारत में डॉल्फिन के संरक्षण के प्रयास 1980 के दशक के मध्य से ही शुरू हो गए थे,
यह भारत में गंभीर रूप से संकट ग्रस्त प्रजातियों के अंतर्गत वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची 1 में शामिल है।
विलुप्तप्राय जीव गंगा डाॅल्फिन (संसू) को 5 अक्टूबर 2009 को राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया गया।
विश्व वन्य जीव कोष-इंडिया द्वारा वर्ष 1997 से स्थानीय समुदायों के सहयोग के आधार पर गांगेय नदी डाॅल्फिन के संरक्षण हेतु कार्यक्रम चलाया जा रहा है।
बिहार के भागलपुर जिले
में सुल्तानगंज से कहलगांव के मध्य गंगा नदी क्षेत्र विक्रमशिला गंगा डाॅल्फिन
अभ्यारण्य की स्थापना की गई है, जो गांगेय डाॅल्फिन के लिए एशिया का एकामात्र सुरक्षित आवास
है।
गंगा नदी डॉल्फिन Gangetic Dolphin
वैज्ञानिक नाम
प्लैटनिस्टा गैंगेटिका (Platanista
Gangetica
वयस्क गंगा डॉल्फिन का
वजन 70 किलोग्राम से 90 किलोग्राम
- गंगा डॉल्फिन गंगा-ब्रह्मपुत्र-सिंधु-मेघना नदी अपवाह तंत्र जिसमे भारत, नेपाल और बांग्लादेश शामिल हैं में पाई जाती है।
- भारत में ये असम, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखण्ड और पश्चिम बंगाल राज्यों में पाई जाती है।
- गंगा, चम्बल, घाघरा, गण्डक, सोन, कोसी, ब्रह्मपुत्र इनकी पसंदीदा अधिवास नदियाँ हैं।
- अलग-अलग स्थानों पर सामान्यतः इसे गंगा नदी डॉल्फ़िन, ब्लाइंड डॉल्फ़िन, गंगा ससु, हिहु, साइड-स्विमिंग डॉल्फिन, दक्षिण एशियाई नदी डॉल्फिन, आदि नामों से जाना जाता है।
- इसका वैज्ञानिक नाम प्लैटनिस्टा गैंगेटिका (Platanista gangetica) है।
- भारत सरकार ने इसे भारत का राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया है।
- यह CITES के परिशिष्ट 1 में सूचीबद्ध है तथा IUCN की लुप्तप्राय (Endangered) सूची में शामिल है।
- गंगा डॉल्फिन विश्व भर की नदियों में पाई जाने वाली डॉल्फिन की पाँच प्रजातियों में से एक है। इस प्रकार की डॉल्फिन मुख्य तौर पर भारतीय उपमहाद्वीप खासतौर पर गंगा-ब्रह्मपुत्र-सिंधु-मेघना और कर्णाफुली-सांगू (Karnaphuli-Sangu) नदी तंत्र में पाई जाती हैं।
- ‘गंगा डॉल्फिन संरक्षण कार्य योजना 2010-2020’ में नर डॉल्फिन को 2 से 2.2 मीटर लंबा और मादा डॉल्फिन को 2.4 से 2.6 मीटर लंबा बताया गया है।
- एक वयस्क गंगा डॉल्फिन का वजन 70 किलोग्राम से 90 किलोग्राम के बीच हो सकता है।
- भारत में ये असम, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखंड और पश्चिम बंगाल राज्यों में पाई जाती है। भारत सरकार ने गंगा डॉल्फिन को राष्ट्रीय जलीय जीव (National Aquatic Animal) के रूप में मान्यता दी है।
वर्तमान में गंगा डॉल्फिन की स्थिति
- इस संबंध में कोई सटीक आँकड़ा उपलब्ध नहीं है, किंतु विभिन्न अनुमानों से पता चलता है कि भारत में गंगा डॉल्फिन की आबादी लगभग 2,500-3,000 हो सकती है।
- हालाँकि बीते वर्ष केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री बाबुल सुप्रियो ने लोकसभा को सूचित किया था कि अकेले उत्तर प्रदेश में लगभग 1,272 डॉल्फिन और असम में लगभग 962 डॉल्फिन हैं।
- गंगा के बढ़ते प्रदूषण के कारण उसमें जलीय जीवन पर खासा प्रभाव पड़ा है, खासतौर पर डॉल्फिन की संख्या में कमी देखने को मिली है।
गंगा डॉल्फिन को बचाने के प्रयास
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम: वर्ष 1985 में गंगा एक्शन प्लान (Ganga Action Plan) की शुरुआत के बाद 24 नवंबर, 1986 को सरकार ने एक अधिसूचना के माध्यम से गंगा डॉल्फिन को भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की प्रथम अनुसूची में शामिल कर दिया गया था। सरकार के इस कदम का उद्देश्य गंगा डॉल्फिन के संरक्षण को बढ़ावा देना और उनके लिये वन्यजीव अभयारण्यों जैसी संरक्षण सुविधाएँ प्रदान करना था। उदाहरण के लिये बिहार में विक्रमशिला गंगा डॉल्फिन अभयारण्य इसी अधिनियम के तहत स्थापित किया गया था।
- संरक्षण योजना: सरकार ने ‘गंगा डॉल्फिन संरक्षण कार्य योजना 2010-2020’ भी तैयार की है, जिसमें गंगा डॉल्फिन के समक्ष मौजूद खतरों और उनकी आबादी पर नदी के यातायात और सिंचाई नहरों आदि के प्रभावों की पहचान की गई है।
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