अंटार्कटिक संधि |Antarctic Treaty System – ATS
अंटार्कटिक संधि
अंटार्कटिक संधि, जिसे वाशिंगटन संधि के रूप में भी जाना
जाता है, पर
आरम्भ में 12 देशों-अर्जेंटीना, आस्ट्रेलिया, बेल्जियम, चिली, फ़्रांस, जापान, न्यूजीलैंड, नार्वे, दक्षिण अफ्रीका, तत्कालीन सोवियत संघ, युनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य
अमेरिका, ने
1 दिसम्बर, 1959
को वाशिंगटन में हस्ताक्षर किए। बाद में 27 अन्य देशों ने इस संधि को स्वीकार
किया। संधि 23 जून, 1961 को प्रभाव में आई।
संधि के प्रमुख उद्देश्य हैं- 60° दक्षिण अक्षांश के दक्षिण में स्थित
अंटार्कटिक क्षेत्रों को शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिये सुरक्षित रखना; वैज्ञानिक जांच और अनुसंधान में
अंतरराष्ट्रीय सहयोग प्रदान करना, और; संधि के अस्तित्व के दौरान क्षेत्र की संप्रभुता, अधिकारों और दावों को सुरक्षित रखना।
सदस्य देशों की दो वर्ष के अंतराल पर बैठक होती
है। सभी निर्णय सर्वसम्मति से लिये जाते हैं। सभी सदस्यों ने अप्रैल 1991 में मैड्रिड में एक समझौते पर
हस्ताक्षर किए, जिसके अंतर्गत अंटार्कटिक क्षेत्र के
खनिज दोहन पर 50 वर्षों के लिये प्रतिबंध लगा दिया
गया। इसके अतिरिक्त 1991 के समझौतों में महाद्वीप के
असैन्यीकरण, सभी देशों के लिए वैज्ञानिक अनुसंधान
करने का अधिकार तथा पर्यावरण के विश्लेषण के लिये एक प्रणाली के निर्माण के भी
प्रावधान हैं। 50 वर्षों के प्रतिबंध की समाप्ति के बाद
26 पूर्ण मताधिकार वाले सदस्यों में से
कोई भी सदस्य सम्मेलन की समीक्षा का आग्रह कर सकता है। उसके बाद उपस्थित और मतदान
में भाग ले रहे सदस्यों के तीन-चौथाई सदस्यों के मध्य हुये समझौते के द्वारा इस
प्रतिबंध को हटाया जा सकता है।
2014 की
स्थिति के अनुसार, संधि में 50 राज्य पार्टी हैं। जिनमें से 29, संधि के सभी 12 मौलिक हस्ताक्षरकर्ताओं को शामिल करते
हुए, को परामर्शीय (मतदान) दर्जा प्राप्त
है। परामर्शीय सदस्यों में सात ऐसे राष्ट्र हैं जो अंटार्कटिका के भागों पर
राष्ट्रीय क्षेत्र के तौर पर दावा करते हैं। 43
ऐसे राष्ट्र हैं जो या तो दूसरों के दावों को मान्यता प्रदान नहीं करते या
उन्होंने अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं की है।
अन्टार्टिक संधि के प्रावधान
- अनुच्छेद-1: इसमें कहा गया है कि इस क्षेत्र का इस्तेमाल केवल शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए किया जाएगा; सैन्य गतिविधियां जैसे आयुध परिक्षण, निषिद्ध हैं, लेकिन वैज्ञानिक अनुसंधान एवं अन्य शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए सैन्य कार्मिकों एवं उपकरणों का इस्तेमाल किया जा सकता है।
- अनुच्छेद-2: वैज्ञानिक अन्वेषण की स्वतंत्रता और सहयोग जारी रहेगा।
- अनुच्छेद-3: संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय अभिकरणों के साथ सहयोग में सूचना एवं कार्मिकों के मुक्त विनिमय की अनुमति।
- अनुच्छेद-4: संधि विवादों को न तो मान्यता प्रदान करता है और न ही क्षेत्रीय प्रभुसत्ता के दावों को स्थापित करता है।
- अनुच्छेद-5: नाभिकीय विस्फोट या रेडियोएक्टिव अपशिष्ट के निस्तारण का प्रतिषेध।
- अनुच्छेद-6: संधि में दक्षिण के 60 डिग्री में सभी भूमि एवं बर्फीले अपतट शामिल, हैं।
- अनुच्छेद-7: संधि के पर्यवेक्षक राज्य की इस क्षेत्र में मुक्त पहुंच होगी जिसमें हवाई सर्वेक्षण (किसी भी क्षेत्र या सभी स्टेशनों का हो सकता है), अवस्थापना एवं उपकरण इत्यादि शामिल हैं।
- अनुच्छेद-8: पर्यवेक्षकों और वैज्ञानिकों पर अधिकार क्षेत्र उनके राज्य द्वारा अनुमन्य होगा।
- अनुच्छेद-9: सदस्य राष्ट्रों के बीच निरंतर परामर्शीय बैठकें होती हैं।
- अनुच्छेद-10: संधि के राज्य अंटार्कटिका में किसी देश द्वारा संधि के विरुद्ध गगतिविधि को हतोत्साहित कर सकता है।
- अनुच्छेद-11: सहभागी देशों द्वारा विवादों का शांतिपूर्ण समाधान करना।
- अनुच्छेद-12, 13, 14: ये अनुच्छेद सदस्यों देशों के बीच संधि को बनाए रखने, व्याख्या करने और संशोधित करने से संबंधित हैं। अंटार्कटिक संधि सम्बद्ध कई अन्य समझौते के मूल में है।
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