Eco Labeling पर्यावरणीय लेबलिंग |इकोक्लब | भारत में इको मार्क योजना
पर्यावरणीय लेबलिंग Eco Labeling
- निर्माता अपने उत्पादों के पर्यावरणपरक गुणों को पर्यावरणीय लेबलिंग द्वारा प्रदर्शित करते हैं, इस लेबलिंग को अन्य नामों जैसे ग्रीन लेबलिंग अथवा ईकोलेबलिंग के नाम से भी उल्लेखित किया जाता है।
- इको लेबल विभिन्न उत्पादों की विशिष्ट सूचना प्रदर्शित करते हैं। विभिन्न देशों में ईकोलेबलिंग की योजनाएं चल रही हैं, उनका एक ग्लोबल नेटवर्क जाल बना हुआ है।
- केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भारत भी मार्च 2000 से ग्लोबल नेटवर्क जाल का सदस्य है।
- ग्रीन लेबलिंग का उद्देश्य उपभोक्ताओं को ग्रीन अथवा पर्यावरण अनुकूल उत्पादों की ओर आकर्षित करना तथा उत्पादकों को इस प्रकार के उत्पादों के निर्माण के लिए प्रोत्साहित करना है।
- जर्मनी पहला देश है जिसने वर्ष 1978 में ब्लू एंजेल लेबलिंग प्रोग्राम के अंतर्गत अपने उत्पादों पर पर्यावरणीय लेबलिंग शुरू की।
भारत में इको मार्क योजना
- भारत सरकार ने प्रोएक्टिव पर्यावरण परिरक्षण योजना के एक भाग के अंतर्गत वर्ष 1991 में ईको लेबलिंग योजना आरंभ की। इस योजना में उन उपभोक्ता वस्तुओं को ईकोमार्क लेबल दिया जाता है, जो भारतीय मानकों के विशिष्ट पर्यावरण मापदण्डों और गुणवत्ता आवश्यकताओं पर खरा उतरते हैं।
- भारत में इको मार्क योजना के लिए मिट्टी के मटके को एक लोगो के रूप में चुना गया है। भारत की ईकोमार्क योजना के अंतर्गत 16 उत्पादों के लिए मापदंडों की घोषण की गई है।
ईकोमार्क योजना के उद्देश्य
- इस योजना का उद्देश्य पर्यावरण अनुकूल उत्पादों
के विकास और उनके प्रयोग को बढ़ावा देना है इस योजना के अनुसार पर्यावरण अनुकूल
उत्पाद की परिभाषा इस प्रकार है ‘‘एक ऐसा उत्पाद जिसको बनाने में प्रयोग अथवा निपटान के दौरान पर्यावरण
में होने वाला नुकसान अन्यथा स्थिति की तुलना में कम हो जाए‘‘
Eco Label ईसीओ लेबल
- ईसीओ लेबल एक स्वैच्छिक, पर्यावरण लेबलिंग अनुप्रयोग है जो उत्पादकों को इस शर्त के तहत दिया जाता है कि उत्पादित उत्पाद पर्यावरण के प्रति संवेदनशील और जैविक हैं।
- उत्पादों को ईसीओ लेबल लेबल प्राप्त करने के लिए अनुरूपता परीक्षणों की एक श्रृंखला से गुजरना होता । इन परीक्षणों के परिणामस्वरूप, निर्माताओं को EUROLAB प्रमाणपत्र दिया जाता है। इस प्रमाणपत्र में अंतरराष्ट्रीय वैधता है और निर्माता के उत्पादों की गुणवत्ता को प्रदर्शित करता है।
ईसीओ लेबल प्राप्त करने शर्तें
- सबसे पहले, उत्पादित उत्पाद बिल्कुल जैविक होना चाहिए। इसके अलावा, उत्पादन प्रक्रिया के दौरान किसी भी रसायन और हार्मोन का उपयोग नहीं किया जाता है।
- उत्पादों की पैकेजिंग में उपयोग की जाने वाली सामग्रियों को पुनर्नवीनीकरण किया जाना चाहिए, जिसमें ऐसे उत्पाद शामिल हैं जो पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं और पारिस्थितिक तंत्र को प्रभावित नहीं करते हैं।
ईसीओ लेबल मानदंड
- ईसीओ लेबल संगठन के भीतर स्थापित समितियों के साथ, यह सुनिश्चित करता है कि उत्पादन की विश्वसनीयता और जैविकता का परीक्षण करने वाली कंपनियां अधिक सटीक प्रदर्शन करती हैं। तदनुसार, प्रमाणन और रिपोर्टिंग संगठनों की विश्वसनीयता सुनिश्चित की जाती है।
- पर्यावरण और पारिस्थितिक संतुलन को नुकसान पहुंचाने के लिए और मानव स्वास्थ्य का निरीक्षण करने के लिए प्राकृतिक उत्पादन और पैकेजिंग जैसे मानदंड हैं, जो ईसीओ लेबल लेबल हमारे देश में व्यापक हो रहा है। हमारे पास ईसीओ लेबल के सहयोग से मान्यता प्राप्त निकाय हैं।
इको मार्क कार्यक्रम
- 2005 में इको मार्क कार्यक्रम शुरू किया गया था।
- ECOmark, ECO लेबल मान्यता के साथ किया गया एक कार्यक्रम, 2005 में स्थापित किया गया था ताकि पर्यावरण की आवश्यकताओं का अनुपालन करने वाले उत्पादों की पहचान, ब्रांड और संवेदनशीलता बढ़ाई जा सके और पारिस्थितिक नुकसान न पहुंचे।
- इको मार्क प्रोग्राम में उत्पादों की विश्वसनीयता की गारंटी दी जाती है, जहाँ इसके उत्पादों का पर्यावरणीय प्रभाव कम होता है और उपभोक्ता अन्य उत्पादों में अधिक आसानी से चुन पाता है।
- इसका उद्देश्य उत्पाद की गुणवत्ता को उच्चतम स्तर पर रखना और उपभोक्ता के पक्ष में विश्वास प्रदान करना है। इको मार्क उत्पादों का सेवन पर्यावरण के प्रति संवेदनशील व्यक्तियों के गठन को प्रभावित नहीं करता है।
- यह प्रतीक दुनिया की रक्षा का प्रतिनिधित्व करता है। इको मार्क प्रोग्राम के लिए जापानी पर्यावरण एसोसिएशन जिम्मेदार है।
- उत्पाद को इको मार्क प्रोग्राम में शामिल करने के लिए कुछ मानदंड
- प्रत्येक उत्पाद की अपनी श्रेणी और पात्रता मानदंड होते हैं। उत्पाद को आधिकारिक प्रमाणीकरण और उत्पाद प्रमाणन होना चाहिए। इन के लिए, इको मार्क समिति को उत्पाद को मंजूरी देनी चाहिए।
- ECO लेबल पर्यावरण एसोसिएशन के साथ हस्ताक्षरित इको मार्क उपयोग समझौते के बाद, उत्पाद इको मार्क प्रोग्राम में शामिल है।
इको मार्क कार्यक्रम कार्यक्रम सिद्धांत
- उत्पादन के दौरान न्यूनतम पर्यावरणीय प्रभाव
- उत्पाद निपटान या रीसाइक्लिंग में न्यूनतम पर्यावरणीय प्रभाव
- गुणवत्ता मानकों का अनुपालन
- अधिकतम सुरक्षा जैसे आइटम सूचीबद्ध किए जा सकते हैं।
इकोक्लब Ecoclubs
पर्यावरण, वन
एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने देश भर के लिए एक कार्यक्रम बनाया है . इस कार्यक्रम की शुरुआत National Green Corps – NGC के पर्यावरण, शिक्षा, जागरूकता एवं प्रशिक्षण (Environment Education Awareness and Training – EEAT) कार्यक्रम के अंतर्गत हुआ. यह
कार्यक्रम इकोक्लब (Ecoclubs)
के नाम से भी जाना जाता है.
इकोक्लब के उद्देश्य
- पाठशालाओं के बच्चों को पर्यावरण के विषय में जानकारी देना.
- पर्यावरण के संरक्षण के लिए उन बच्चों में विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से निरीक्षण, प्रयोग, संरक्षण, अभिलेखन, विश्लेषण और तर्कबुद्धि की क्षमताएं सृजित करना.
- सामुदायिक गतिविधियों के माध्यम से पर्यावरण एवं उसके संरक्षण की दिशा में उचित मनोवृत्ति उत्पन्न करना.
- स्थलों पर ले जाकर और वहाँ प्रदर्शन करके बच्चों में पर्यावरण और विकास से सम्बंधित समस्याओं के प्रति संवेदना पैदा करना.
- बच्चों में तार्किक और स्वतंत्र विचार को बढ़ावा देना जिससे कि वे वैज्ञानिक जिज्ञासा की भावना के साथ उपयुक्त चयन करने में समर्थ हो सकें.
- बच्चों को पर्यावरण संरक्षण से सम्बंधित परियोजनाओं में सम्मिलित कर उनके मस्तिष्क को उत्प्रेरणा देना.
ECOCLUB की कार्यपद्धति
- इस योजना में सम्बंधित पाठशालाओं से उन 50-60 छात्रों के इको क्लब होते हैं जिनकी पर्यावरण में रूचि होती है.
- प्रत्येक इको क्लब पर एक प्रभारी शिक्षक होता है जो उसी पाठशाला से चुना जाता है.
- जिला-स्तर पर एक कार्यान्वयन एवं अनुश्रवण समिति होती है जो प्रभारी शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण का प्रबंध करने के साथ-साथ समय-समय पर योजना की निगरानी किया करती है.
- राज्य-स्तर पर भी एक संचालन समिति होती है जो योजना के विषय में आवश्यक मार्गनिर्देश देने का काम करती है.
- राज्य में एक नोडल एजेंसी होती है जो उस राज्य में योजना के कार्यान्वयन का समन्वयन करने के साथ-साथ प्रशिक्षक शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण जैसी सम्बंधित गतिविधियों का आयोजन करती है.
- सबसे ऊपर राष्ट्र के स्तर पर इस योजना के लिए एक संचालन समिति होती है जो सभी स्तरों पर इस योजना को निर्देशित करती है तथा लिंकेज का प्रबंध भी करती है
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