कस्तूरी मृग परियोजना |Musk Deer Project
कस्तूरी मृग परियोजना Kasturi Mrag Pariyojna
कस्तूरी मृग परियोजना कब और कहां से शुरू हुई ?
वर्ष 1970 मे उतराखंड के
केदारनाथ अभ्यारण्य में कस्तूरी मृग परियोजना की शुरूआत की गईं
- कस्तूरी मृग हिमाचल प्रदेश की चम्बा घाटी से लेकर सिक्किम तक पाये जाते हैं। कस्तूरी केवल नर मृग में ही पायी जाती है। कस्तूरी के औषधीय व प्रसाधन महत्व के कारण बड़े पैमाने पर इन मृगों का अवैध शिकार हुआ है। जिसके परिणामस्वरूप यह विलुप्ति के कगार पर पहुॅच गए हैं।
- कस्तूरी मृग के प्राकृतिक संरक्षण के लिए आईयूसीएन के सहयोग से वर्ष 1970 के दशक मे उतराखंड के केदारनाथ अभ्यारण्य में कस्तूरी मृग परियोजना की शुरूआत की गईं
- कस्तरी मृग के लिए हिमाचल प्रदेश का शिकारी देवी अभ्यारण्य तथा उत्तराखंड का बद्रीनाथ अभ्यारण्य प्रसिद्ध है।
कस्तूरी मृग Kasturi Mrag
शर्मिला पशु यानी कस्तृरी
मृग भी ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क की शोभा बढ़ा रहा है। वन्य प्राणी विंग की ओर से
हिम तेंदुओं की संख्या का पता लगाने के लिए पार्क में लगाए गए सीसीटीसी कैमरों में
कस्तूरी मृग भी कैद हुआ है। पार्क में कस्तूरी मृग तीन साल बाद देखा गया है। हिरण
प्रजाति से संबंधित कस्तूरी मृग शर्मिला जानवर माना जाता है और आसानी से सामने
नहीं आता है। वन्य प्राणी विंग इसे महत्वपूर्ण उपलब्धि मान रहा है।
हिम तेंदुआ तेंदुओं की
संख्या जानने के लिए लगाए गए सीसीटीवी कैमरों में कस्तूरी मृग की फुटेज सामने आई
है। यह दो तीन साल बाद यहां देखा गया है। आमतौर पर यह ऊंचाई वाले क्षेत्रों में ही
रहता है। यह जानवर अधिक देर तक एक जगह पर नहीं टिकता है। ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क
में इनकी संख्या कितनी है इसकी जानकारी एकत्रित की जाएगी।
कस्तूरी मृग की विशेषता
कस्तूरी मृग की कस्तूरी
को प्राप्त करने के लिए शिकारी अवैध रूप से इसे निशाना बनाते हैं। इसका शिकार
प्रतिबंधित है। इसके बाद कृत्रिम कस्तूरी का प्रयोग ही इत्रों में होता है।
कस्तूरी मृग भारत, नेपाल, पाकिस्तान, तिब्बत, चीन व साइबेरिया
आदि देशों में पाया जाता है।
जैव विविधताः संपूर्णअध्ययन सामग्री
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