प्रोजेक्ट एलीफैंट |Project elephant
प्रोजेक्ट एलीफैंट Project elephant
प्रोजेक्ट एलीफेंट कब शुरू किया गया ?
वर्ष 1991-92 में हाथियों के
संरक्षण हेतु केन्द्र प्रायोजित योजना के रूप में प्रोजेक्ट एलीफेंट की शुरूआत की
गई थी।
भारत के 16 राज्यों में
हाथियों की संख्या 36 हजार से अधिक है
तथा इनकी सर्वाधिक संख्या केरल, कर्नाटक व असम में पायी जाती है।
प्रोजेक्ट एलीफैंट
परियोजना झारखण्ड के सिंहभूमि जिले से प्रारंभ की गई ।
प्रोजेक्ट एलीफैंट परियोजना के उद्देश्य
जंगली हाथियों, उनके आवासों और
गलियारों का संरक्षण करना।
मनुष्य पशु टकराव के
मुद्दे का समाधान करना।
पालतू हाथियों के कल्याण
हेतु कार्य करना।
एलीफैंट रिजर्व / हाथी परियोजना
प्रोजेक्ट एलीफेंट के
अंतर्गत अब तक 32 एलीफेंट रिजर्व
घोषित किए जा चुके हैं, जो लगभग 70 हजार वर्ग किमी
में विस्तृत हैं। इसके अंतर्गत न केवल विभिन्न प्रकार के जंगली क्षेत्रों में
बल्कि गांवो, टाउनशिप, कृषि भूमि, चाय बागानों और
राजस्व भूमि को भी शामिल किया गया है। सर्वाधिक एलीफेंट रिजर्व असम में है।
हाथी भारत के प्राकृतिक
धरोहर पशु हैं और इसके संरक्षण के लिए भारत सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रलय ने 1991-92 में हाथी
परियोजना शुरू की गई थी।
इस परियोजना को आंध्र
प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मेघालय, नागालैंड, ओडिशा, तमिलनाडु, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश ओर
पश्चिम बंगाल राज्यों में क्रियान्वित किया जा रहा है।
गौरतलब है कि एशियाई
हाथियों को संकटग्रस्त प्रजातियों की आईयूसीएन की रेड लिस्ट में भारत को छोड़कर
अधिकांश हाथी वाले देशों के संदर्भ में ‘विलुप्तप्राय’ प्रजाति के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
2020 में गुजरात में संपन्न प्रवासी प्रजातियों के सम्मेलन के
परिशिष्ट 1 में भारतीय
हाथियों को भी सूचीबद्ध किया गया है।
हाथी गलियारा
ऐसा संकरा क्षेत्र जो
हाथियों के वृहद पर्यावास को जोड़ता है हाथी गलियारा कहलाता है।
यह हाथियों सहित सभी
जानवरों के आवागमन के लिए पारगमन की तरह कार्य करता है।
भारत में अब तक 88 एलीफैंट
काॅरिडोर चिन्हित किए गये हैं जिनमें से सर्वाधिक काॅरिडोर मेघालय में स्थित हैं।
कोयला खनन सहित अनेक विकास कार्य हाथियों के प्राकृतिक आवासों को नष्ट कर रहे हैं।
हाथियों की चराई के लिए
वृहदन मैदान की आवश्यकता अधिकंाश रिजर्वों में पूरी न होने के कारण मानव-हाथी के
बढ़ते संघर्ष को कम करने के लिए ऐसे काॅरिडोर निर्मित किए गए हैं।
विरासत पशु-हाथी
वर्ष 2010 में प्रोजेक्ट
एलीफेंट पर टास्क फोर्स की अनुशंसाओं के आधार पर हाथियों को राष्ट्रीय विरासत पशु
घोषित कर दिया गया ताकि उनका यथोचित संरक्ष्ज्ञण किया जा सके। इसके साथ ही
एन.टी.सी.ए. के समान राष्ट्रीय हाथी संरक्षण प्राधिकरण की स्थापना का मार्ग
प्रशस्त करने हेतु वन्य जीव संरक्षण अािध्नियम में संशोधन का विचार किया जा रहा
है।
हाथी मेरे साथी अभियान
हाथी संरक्षण हेतु भारत
मे ंराष्ट्रव्यापी जागरूकता अभियान हाथी मेरे साथी की औपचारिक शुरूआत मई 2011 में की गई जो
पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय तथा वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट आॅफ इंडिया
द्वारा संयुक्त रूप से प्रारंभ किया गया। इसका शुभंकर गज्जू चुना गया।
यह अभियान एलीफैंट-8 जो एशिया और
अफ्रीका के उन आठ देशों का समूह जहां हाथियों की अधिक संख्या पायी जाती है। इस
समूह की मंत्रिस्तरीय बैठक वर्ष 2011 में शुरू की गई। ई-8 समूह में बोत्सवाना, कांगो, भारत, इंडोनेशिया, केन्या, श्रीलंका, थाईलैंड तथा तंजानिया देश शामिल हैं।
हाथी मेरे साथी अभियान के उद्देश्य
पशुओं की महत्ता के प्रति
लोगों को जागरूक करना तथा संपूर्ण जैव विविधता पर इसके प्रभाव के प्रति लोगों का
ध्यान आकष्रित करना।
सरकार व अन्य सबंधित
समुदायों एवं संस्थाओं को साथ लेकर जागरूकता अभियानों का संचालन करनां
हाथियों के सरंक्षण एवं
कल्याण के लिए विश्वव्यापी संदेश पहुॅचाने हेतु वर्ष2013 में नई दिल्ली
में एलीफैंट 50-50 फोरम बनाया गया।
हाथियों की चिकित्सा तथा
राइडिंग ट्रैक बनाने के लिए एलीफैंट विलेज अवधारणा पर बल दिया जा रहा है। हाल ही
में केन्द्र व राज्य सरकार की सहायता से जयपुर के आमेर (कुण्डा गांव) को एशिया का
तीसरा एलीफैंट विलेज घोषित किया गया है।
इससे पहले दो एलीफैंट विलेज श्रीलंका व थाईलैंड में स्थापित किए गए हैं। साथ ही
देश का पहला हाथी पुर्नवास केन्द्र हरियाणा में स्थापित किया गया है।
हाथियों की अवैध हत्या के लिए निगरानी कार्यक्रम
साइट्स के दलीय सम्मेलन
द्वारा वर्ष 2003 में यह
कार्यक्रक दक्षिण एशियाई देशों में शरू किया गया।
इस कार्यक्रम का प्राथमिक
उद्देश्य, अफ्रीकी एवं
एशियाई हाथियों की अवैध हत्या की निगरानी करना हैं भारत में असम, पश्चिम बंगाल, अरूणाचल प्रदेश, मेघालय, ओडशा, कर्नाटक, तमिलनाडु, उत्तराखंड एवं
केरल राज्यों में माइक कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
विश्व हाथी दिवस
हर साल 12 अगस्त को विश्व
हाथी दिवस मनाया जाता है।
वार्षिक रूप से मनाया
जाने वाला यह अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम दुनिया भर के हाथियों की सुरक्षा और
संरक्षण के लिए समर्पित है।
विश्व हाथी दिवस का
लक्ष्य हाथी संरक्षण पर लोगों में जागरूकता पैदा करना और जंगली तथा पालतू हाथियों
के बेहतर संरक्षण और प्रबंधन के लिए जानकारी और सकारात्मक समाधानों को साझा करना
है।
‘सुरक्ष्या’(Surakhsya) राष्ट्रीय पोर्टल
विश्व हाथी दिवस के
कार्यक्रम के अवसर पर मानव-हाथी टकराव पर एक ‘सुरक्ष्या’ नामक राष्ट्रीय पोर्टल का बीटा संस्करण भी लॉन्च किया।
यह पोर्टल वास्तविक समय
पर जानकारी के संग्रह और सही समय पर मानव-हाथी टकरावों को निपटाने के लिए आंकड़ा
संग्रह प्रोटोकॉल, डेटा ट्रांसमिशन
पाइपलाइन, और डेटा
विज़ुअलाइज़ेशन टूल सेट करने में मदद करेगा।
इससे नीति निर्माताओं को
इन मानव-हाथी टकराव के आंकड़ों का लाभ उठाते हुए नीति निर्माण और टकराव को कम करने
की कार्य योजना बनाने में मदद मिल सकेगी।
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