Red Data Book GK in Hindi | Category of Red Data Book in Hindi
Red Data Book GK in Hindi
रेड डाटा बुक
अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति एवं प्राकृतिक संसाधन संरक्षण संघ IUCN
International Union for Conseration of Nature and Natural Resources
- मानव प्रकृति का अविवेकपूर्ण उपयोग कर रहा है। अपनी बुद्धिमता से मानव भू-मंडल पर अपनी इच्छानुसार वन्य जीवों तथा वनस्पतियों का दोहन कर रहा है, जिससे पारिस्थितिक तंत्र में असंतुलन उत्पन्न हो रहा है। इस कारण बहुत से वन्य जीव एवं वनस्पतियां विलुप्त हो रही हैं तथा बहुत सी विलुप्ति के कगार पर हैं।
- पारिस्थितिकी संकट का अध्ययन करने व उन पर सुझाव देने के लिए वर्ष 1948 में आईयूसीएन का गठन किया गया । जिसका मुख्यालय स्विट्जरैण्ड में हैं।
- वर्ष 1964 से IUCN वैश्विक प्रजाति कार्यक्रम तथा प्रजाति उत्तरजीविता आयोग के साथ मिलकर वैश्विक स्तर पर विलुप्तप्राय, असुरक्षित, दुर्लभ व संकटग्रस्त जीवों तथा पादपों से संबंधित लाल सूची या रेड डाटा बुक जारी करता रहा है। जो विश्व में पौधों और जंतुओं की प्रजातियों के संरक्षण की सबसे व्यापक तालिका है।
- अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति एवं प्राकृतिक संसाधन संरक्षण संघ विश्व स्तर पर विभिन्न प्रजातियों की संरक्षण-स्थिति पर निगरानी करने वाला सर्वोच्च संगठन है।
IUCN categories in Hindi
अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति
एवं प्राकृतिक संसाधन संरक्षण संघ का वर्गीकरण
IUCN की लाल सूची में प्रत्येक जैविक प्रजाति को नौ मे से एक
श्रेणी में डाला जाता है। इस श्रेणी का आधार उनकी कुल संख्या, संख्या में
गिरावट की दर, भौगोलिक विस्तारण क्षेत्र तथा उनके आवास (मानवीय गतिविधियों
द्वारा) के नष्ट हो जाने की स्थिति के आधार पर किया जाता है।
IUCN की 9 श्रेणियां 9 Catagories of IUCN
विलुप्त Extinct
- इस प्रजाति का कोई भी जीवित सदस्य नहीं बचाव है।
वन-विलुप्त Extinct in the Wild
- यह प्रजाति वनों से पूर्णतः खत्म हो चुकी है और इसके बचे हुए सदस्य केवल चिड़ियाघरों या अपने मूल निवास स्थान से दूर किसी कृत्रिम निवास स्थान पर जीवित हैं।
गंभीर संकटग्रस्त Critically Endangered
- इस प्रजाति का वनों में विलुप्त होने का गंभीर संकट बना हुआ है। किसी प्रजाति को गंभीर श्रेणी में इस आधार पर रखा जाता है यदि 10 वर्षों में प्रजाति की जनंसख्या में 90 प्रतिशत से अधिक कमी दर्ज की जाए। अथवा प्रजाति की जनंसख्या 250 से कम हो और 3 वर्षों में 25 प्रतिशत की कमी आ रही हो। इसके अतिरिक्त यदि उस प्रजाति के 50 या उससे कम प्रौढ़ सदस्य की संख्या शेष हो।साथ ही 10 वर्षों में 50 प्रतिशत तक प्रजातियों के विलुप्त होने की संभावना हो।
संकटग्रस्त Endangered
- इस प्रजाति का भी वनों से विलुप्त होने का खतरा बना हुआ है। किसी प्रजाति को संकट ग्रस्त श्रेणी में रखने के आधार इस प्रकार हैं। यदि 10 वर्षों में प्रजातियों की 70 प्रतिशत जनंसख्या में कमी देखी जाती है या दर्ज मानी जाती है अथवा 20 प्रतिशत प्रजाति के विलुप्त होने की आशंका हो। इसके अरिरिक्त यदि प्रजाति की जनसंख्या 2500 से कम हो और 5 वर्षों के अंदर 20 प्रतिशत की कमी होने की संभावना हो।
संवेदनशील Vulnerable
- वनों में इस प्रजाति के संकटग्रस्त हो जाने की संभावना है। इसके अतिरिक्त यदि किसी प्रजाति की संख्या में 10 वर्षों में 50 प्रतिशत से अधिक की कमी दर्ज हो गई हो अथवा प्रजातियों की जनसंख्या 10000 से कम हो ओर 10 वर्षों के अंदर 10 प्रतिशत की कमी आ रही हो या केवल 1000 या उससे कम परिपक्व सदस्यों की संख्या शेष हो तो उसे इस श्रेणी के अंतर्गत रखा जाता है।
संकटापन्न Near Threatened
- इस प्रजाति के निकट भविष्य में संकटग्रस्त हो जाने की संभावना है।
संकटमुक्त Least Concern
- इस प्रजाति को बहुत कम खतरा है तथा यह बड़ी संख्या और विस्तृत क्षेत्र में पाई जाने वाली प्रजाति है। इस श्रेणी की प्रजाति की भविष्य में संकटग्रस्त होने का खतरा नहीं रहता है।
आंकडों का अभाव Data Deficient
- इस प्रजाति के विषय में आंकडों की कमी से उसकी संरक्षण स्थिति और संकट का अनुमान नहीं लगाया जा सकता है।
अनाकलित Not Evaluated
- इस प्रजाति के संरक्षण के संबंध में आईयूसीएन के संरक्षण मानदंड का आंकलन अभी नहीं किया गया है।
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