लाल पांडा परियोजना |Red panda project
लाल पांडा परियोजना Red panda project
लाल पांडा परियोजना कब
शुरू हुई ?
वर्ष 1996 में विश्व
वन्यजीव कोष WWF के सहयोग से पद्मजा नायडू हिमालयन जंतु पार्क के द्वारा लाल पांडा
परियोजना की शुरूआत की गई।
लाल पांडा भारत के पूर्वी
हिमालय क्षेत्र में 1500 से 4000 मीटर की ऊंचाई
पर सिक्किम, अरूणाचल प्रदेश, तथा दार्जिलिंग
के जंगों में पाया जाता है। इसे अरूणाचल प्रदेश में कैट बीयर के नाम से भी जाना
जाता है।
इनकी संख्या में लगातार
कमी आने के कारण इनके संरक्षण के लिए वर्ष 1996 में विश्व
वन्यजीव कोष के सहयोग से पद्मजा नायडू हिमालचयन जंतु पार्क के द्वारा लाल पांडा
परियोजना की शुरूआत की गई। यह आईयूसीएन के अंतर्गत संकटग्रस्त जीव के रूप में
सूचीबद्ध है।
पांडा के बारे में जानकारी
- विशाल पांडा, जिसे पांडा भालू (Panda Bear) या केवल पांडा के रूप में भी जाना जाता है। यह दक्षिण- मध्य चीन का मूल निवासी है। इसकी आँखों के चारों ओर, कान के ऊपर, और इसके गोल शरीर के चारों ओर बड़े- बड़े काले पैच होते हैं।
- ‘विशाल पांडा’ नाम का उपयोग कभी-कभी इसे लाल पांडा (Red Panda) और एक इसके पड़ोसी मस्टलॉइड (Musteloid) से अलग करने के लिए किया जाता है।
- पांडा ,शांत स्वभाव वाला एकांतप्रिय जीव है जो अधिकांश समय छिपा रहता है और ज्यादातर रात के समय ही बाहर निकलता है। कुछ पांडा आकार में काफी भारीभरकम होते हैं ।
- पांडा को भालू का जैविक रिश्तेदार माना जाता जाता है। दिखने में तो पांडा भालू की तरह ही विशाल और गोल-मटोल से होते हैं, लेकिन इनके शरीर पर मौजूद काले धब्बे, आंखें और कान इन्हें भालू से बिल्कुल अलग बना देती हैं। इसके अलावा, पांडा भालू की तरह हिंसक नहीं होते हैं।
- वर्तमान में दुनिया के कई देशों में पांडा देखे जा सकते हैं, लेकिन इनका जन्मस्थान चीन ही है। इन्हें इस देश में शांति का प्रतीक माना जाता है।
- सन 2016 में पांडा को आईयूसीएन (प्रकति के संरक्षण हेतु अंतर्राष्ट्रीय संघ ) की इनडैनजर्ड (endangered) कैटेगरी से हटाकर सुभेद्य (Vulnerable) कैटेगरी में रख दिया गया था । तब से पांडा आईयूसीएन की सुभेद्य कैटेगरी में है ।
- चीन ने पांडा के संरक्षण हेतु काफी बड़े स्तर पर प्रयास किए है। इनके शिकार व व्यापार को प्रतिबंधित कर दिया गया है।
रेड पांडा Red Ponda
- हिमालय क्षेत्र अनेक प्रकार के विशिष्ट जीवो की शरण स्थली है। इन्हीं विश्व जीवों में लाल पांडा (Red Panda) शामिल है।
- यह हिमालय क्षेत्र में भारत भूटान, नेपाल, दक्षिणी चीन एवं म्यांमार के पर्वती क्षेत्र में पाया जाता है।
- इस जीव की तेजी से घटती संख्या को रोकने के लिए लंबे समय से कई प्रयास किए जा रहे थे।
- यह जीव IUCN की रेड लिस्ट के तहत संकट ग्रस्त (Endangered) जीव की सूची में शामिल है वहीं इसे भारतीय वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची-1 में शामिल करके कानूनी संरक्षण प्रदान किया गया है।
- वर्तमान समय में इनकी संख्या लगभग 14500 है। जिसमें लगभग 1/3 (5000-6000) भारत में पाए जाते हैं।
- चीन में इनकी संख्या लगभग 6000- 7000 है।
- हाल ही में ट्रैफिक (TRAFIC) द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार हिमालय क्षेत्र में लाल पांडा के शिकार मामलों में गिरावट दर्ज की गई है।
Red Panda के शिकार में कमी
- हिमालय क्षेत्र अनेक प्रकार के विशिष्ट जीवो की शरण स्थली है ! इन्हीं विश्व जीवों में लाल पांडा (Red Panda) शामिल है !
- यह हिमालय क्षेत्र में भारत भूटान, नेपाल, दक्षिणी चीन एवं म्यांमार के पर्वती क्षेत्र में पाया जाता है !
- इस जी की तेजी से घटती संख्या को रोकने के लिए लंबे समय से कई प्रयास किए जा रहे थे !
- यह जीव IUCN की रेड लिस्ट के तहत संकट ग्रस्त (Endangered) जीव की सूची में शामिल है वहीं इसे भारतीय वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची-1 में शामिल करके कानूनी संरक्षण प्रदान किया गया है !
- वर्तमान समय में इनकी संख्या लगभग 14500 है ! जिसमें लगभग 1/3 (5000-6000) भारत में पाए जाते हैं !
- चीन में इनकी संख्या लगभग 6000- 7000 है !
- हाल ही में ट्रैफिक (TRAFIC) द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार हिमालय क्षेत्र में लाल पांडा के शिकार मामलों में गिरावट दर्ज की गई है !
- रिपोर्ट को जुलाई 2010 से 2019 के बीच हिमालय क्षेत्र में लाल पांडा के शिकार और इनके गैर कानूनी व्यापार के मामलों के आधार पर जारी किया गया है !
- इसके पीछे प्रमुख कारण इस क्षेत्र के लोगों में इस जीव के अंग से बने उत्पाद के प्रयोग के प्रति रुचि में कमी प्रमुख कारण है !
- जुलाई 2010 से जून 2019 के बीच भारत और भूटान की सरकारों द्वारा लाल पांडा के शिकार और गैर कानूनी व्यापार का कोई मामला दर्ज किया जाना तस्करी में आई कमी को चिन्हित करता है !
- हालांकि विशेषज्ञ इस अवधि में भारत के लाल पांडा के अवैध शिकार के 6 मामले को बता रहे हैं ! हालांकि यह अवैध शिकार व्यापार के लिए किया गया इसकी पुष्टि नहीं की गई है !
- रिपोर्ट को तैयार करने का आधार सरकारी आंकड़ों के साथ साथ बाजार से प्राप्त जानकारी, लोगों से बातचीत, ई व्यापार वेबसाइट आदि को शामिल किया गया !
- कमी के पीछे एक कारण लोगों में फैली जागरूकता को माना जा रहा है !
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