डिक्शनरी किसे कहते हैं |शब्दकोश किसे कहते हैं
डिक्शनरी किसे कहते हैं
डिक्शनरी को हिंदी में
शब्दकोश कहा गया है। इससे लगता है कि ऐसे ग्रंथ में शब्द भंडार पर अधिक बल दिया
गया जाता है। अंग्रेजी में ‘डिक्शन‘ का अर्थ कुछ व्यापक है। ‘डिक्शन से
तात्यपर्य शब्दों के चयन के आधार पर उनका शैलीगत प्रयोग किया जाना। प्रयोग की
शिक्षा व्याकरण देता है। किन्तु सबसे अधिक महत्व शैली में अर्थ का होता है। इस
दृष्टि से डिक्शनरी केवश शब्दकोश नहीं है। ऐसे ग्रंथ को शब्दार्थ कोश कहना उचित
होगा। फिर भी रूढ अर्थ में शब्दकोश के अंतर्गत व्याकरण का संकेत और अर्थों की
छटाएं सम्मिलत होती हैं।
A book that contains a list of the words in a language in the order of the alphabet and that tells you what they mean, in the same or another language
एक पुस्तक जिस में वर्णानुक्रम में किसी भाषा के शब्द दिए होते हैं और उन के उसी भाषा में या किसी अन्य भाषा में अर्थ दिए जाते हैं; शब्दकोश कहलाता है ।
हिन्दी शब्दकोश किसे कहते हैं
उस ग्रंथ को शब्दकोष कहते
हैं जिसमें शब्दों को यों ही अथवा अर्थसहित किसी क्रमविशेष में सुनियोजित कर दिया
गया हो । वैदिक काल में शब्दकोश के स्थान पर ‘निघण्टु‘ नाम चलता था । उस
समय का केवल एक निघण्टु प्राप्त है जिस पर यास्क ने निरुक्त लिखा है । निघण्टु को
वैदिक शब्दकोश कहते हैं । वैदिककाल से अब तक भारत में अनेक कोों का निर्माण हुआ ।
अंग्रेजी में कोश- निर्माण का प्रारम्भ 16वीं शदी के उत्तरार्ध से हुआ। अब तो कोश
विज्ञान नाम से भाषाविज्ञान की एक स्वतंत्र शाखा का विकास हो गया है
विषय के आधार पर कोश पाँच प्रकार के होते हैं-
(1) व्यक्ति-कोश,
(2) पुस्तक-कोश,
(3) विषय- कोश,
(4) विश्व-कोश,
(5) भाषा-कोश,
व्यक्तिकोश-
- किसी एक साहित्यकार द्वारा अपने साहित्य में प्रयुक्त सम्पूर्ण शब्दों का कोश व्यक्तिकोश कहलाता है । जैसे-जायसीकोश, केशव-कोश
पुस्तक कोश-
- जिस कोश में किसी पुस्तक में प्रयुक्त शब्दों का अर्थ सहित संग्रह किया गया हो उसे पुस्तक-कोश कहते हैं । जैसे-कामायनी कोश, मानस कोश आदि ।
विषयकोश-
- इसमें एक विषय से सम्बन्धित सामग्री अकारादि क्रम से सजायी जाती है । जैसे-भाषा विज्ञानकोश, पुराणकोश आदि ।
विश्वकोश-
- इस कोश के अन्तर्गत ज्ञान की सभी महत्वपूर्ण शाखाओं पर सारगर्भित जानकारी दी जाती है। विश्वकोश का ही अंग्रेजी रूपान्तर ‘इन्साइक्लोपीडिया‘ है । जैसे- हिन्दी विश्वकोश, इन्साइक्लोपीडिया, ब्रिटेनिका, इन्साइक्लोपीडिया अमेरिकाना आदि ।
भाषाकोश-
- जिस कोश में किसी एक भाषा के शब्दों, मुहावरों एवं लोकोक्तियों को अकारादि क्रम से रखते हुए विभिन्न अर्थ दिये रहते हैं, उन्हें भाषाकोश कहते हैं । जैसे ;हिन्दी शब्द सागर, हिन्दी-अंग्रेजी कोश आदि ।
कोश बनाने पद्धतियाँ
(1) वर्णनात्मक पद्धति ।
(2) ऐतिहासिक पद्धति ।
(3) तुलनात्मक पद्धति ।
वर्णनात्मक पद्धति
- इसमें किसी भाषा
के एक काल में प्रयुक्त सम्पूर्ण शब्दों का संकलन कर उन्हें अकारादिक्रम से रखा
जाता है । साथ ही प्रत्येक शब्द के सामने उसके कई अर्थ दे दिये जाते हैं । इस पद्धति
पर बने हुए कोश इस प्रकार हैं- रामचन्द्र वर्मा द्वारा सम्पादित ‘मानक-हिन्दी-कोश‘ और ‘प्रामाणिक-हिन्दी-कोश‘ आदि। वस्तुतः इस
पद्धति के अन्तर्गत प्रचलन के आधार पर शब्दों के अर्थ दिये जाते हैं अर्थात् सबसे
पहले अधिक प्रचलित अर्थ, फिर कम प्रचलित अर्थ दिये जाते हैं।
ऐतिहासिक पद्धति-
- इस पद्धति के अन्तर्गत सभी कालों में प्रचलित शब्दों को अकारादि क्रम से संकलित किया जाता है । शब्दों के अर्थ कालक्रम से किये जाते हैं, प्रचलन के आधार पर नहीं।
तुलनात्मक पद्धति-
- इसमें भी किसी भाषा के शब्दों को अकारादि क्रम से रखा जाता है। कालक्रमानुसार प्रत्येक शब्द का अर्थ दिया जाता है तथा साथ ही उसी अर्थ में प्रचलित अन्य सगोत्र भाषाओं के शब्दरूप भी दे दिये जाते हैं । गोविन्ददास कृत ‘मराठी व्युत्पत्ति कोश‘ उसी पद्धति पर तैयार किया गया है।
शब्दकोश निर्माण की विधि
इसके लिए महत्वपूर्ण बातें इस प्रकार हैं-
(1) शब्द संग्रह-किसी भाषा का शब्द कोश बनाने के लिए सबसे पहले उसके सम्पूर्ण शब्दों को एकत्र किया जाता है। किसी जीवित भाषा का कोश बनाने के लिए पत्र-पत्रिकाओं, पुस्तकों तथा लोगों से सुनकर शब्द एकत्र किये जाते हैं।
(2) वर्तनी-कोश का निर्माण करते समय शब्दों की मानक वर्तनी का ही प्रयोग होना चाहिए। यदि एक शब्द की अनेक वर्तनियाँ प्रचलित हैं तो उनमें से किसी एक को सर्वशुद्ध मानकर कोश में स्थान देना चाहिए ।
(3) शब्द निर्णय- इसमें कई समस्याएँ होती हैं । जैसे-एक मूल शब्द से अनेक शब्द बमे हैं । ऐसे शब्दों को मूल शब्द के साथ रखा जाय अथवा अलग रूप से । ऐसे ही बहुत से श्रुतिसमभिन्नार्थक शब्द हैं जिनके अलग-अलग अथवा एक साथ लिखने की समस्या भी होती है। जैसे-आम के दो अर्थ हैं-(1) एक फल-विशेष अर्थात् रसाल, (2) सामान्य । इसका क्रम इस प्रकार रहेगा-
आम1-(सं० आम्र), रसाल, फल विशेष । (सं०= संस्कृत)
वर्णानुक्रम सर्वाधिक प्रचलित है। किसी भाषा की वर्णमाला के क्रम के आधार पर शब्दकोश में शब्दों का स्थान निर्धारित करना वर्णानुक्रम या अकारादिक्रम कहलाता है । अक्षरक्रम में शब्दों का क्रम अक्षर संख्या के आधार पर रखा जाता है । जैसे-पहले एक अक्षर के शब्द, फिर दो अक्षर के शब्द, तीन अक्षर के शब्द और आगे भी इसी क्रम से शब्द रखे जाते हैं । विषयक्रम के अन्तर्गत विषयवार शब्द रखे जाते हैं । जैसेभाषाविज्ञान के पारिभाषिक शब्द एक स्थान पर, तो दर्शनसम्बन्धी शब्द दूसरे स्थान पर और साहित्य शास्त्र-सम्बन्धी शब्द तीसरे स्थान पर आदि । अरबी में शब्दकोश व्युत्पत्ति-क्रम के आधार पर निर्मित होता है अर्थात् शब्दों की व्यत्पुत्ति के आधार पर शब्दों का क्रम निर्धारित किया जाता है।
(5) शब्द-व्युत्पत्ति, शब्दों के भेद (संज्ञा, सर्वनाम आदि), प्रचलन के आधार पर शब्दों के विविध अर्थ तथा स्पष्ट शब्दों एवं मुहावरों का अर्थ स्पष्ट करने के लिए वाक्य प्रयोग देना आदि शब्दकोश के लिए लाभदायक होता है ।
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