दूर संचार शब्दावलियाँ Telecom Terminology
दूर संचार शब्दावलियाँ Telecom Terminology
ट्रांसड्यूसर Transducer
यह एक ऐसी विद्युत
यांत्रिक या इलेक्ट्राॅनिक युक्ति है, जो ऊर्जा को एक रूप से दूसरे रूप में रूपांतरित करती है।
उदाहरण के लिए, माइक्रोफोन ध्वनि
उर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलता है जबकि स्पीकर विद्युत ऊर्जा को ध्वनि ऊर्जा
में बदलता है। अतः ये ट्रांसड्यूसर के उदाहरण हैं। विद्युत ट्रांसड्यूसर दाब, ताप विस्थापन आदि
को विद्युत ऊर्जा में बदलता है।
संकेत Signal
वैसी सूचना जिसे विद्युत
तरंगों में परावर्तित कर दिया गया है और जिसे संचार माध्यम पर भेजा जा सकता है।
संकेत दो प्रकार का हो सकता है-
एनालाॅग संकेत
- इस प्रकार के संकेत में तरंगों के विभव और धारा में लगातार परिवर्तन होता रहता है। जैसे- साइनवेव तरंगे इसमें शोर अधिक होता है।
डिजिटल संकेत
- इसमें तरंगों के विभव व धारा का मान निश्चित अनुपात में परिवर्तित होता है। बाइनरी पद्धति में यह 0 (निम्न विभव व धारा ) तथा 1 (उच्च विभव व धारा) हो सकता है। डिजिटल संकेत की क्षमता अधिक तथा त्रुटियां कम होती हैं।
शोर Noise
अवांछित संकेत जो प्रेषक
यंत्र, माध्यम या
प्राप्तकर्ता यंत्र द्वारा ग्रहण कर लिए
जाते हैं तथा वांछित सूचना को दबाने या दूषित करने का काम करते हैं,शोर कहलाता है।
प्रेषक यंत्र Transmitter
एक इलेक्ट्राॅनिक युक्ति
जो सूचना या संदेश को विद्युत यांत्रिक तरंगों में परिवर्तित कर माध्यम पर
संप्रेषित करता है, ताकि इसे
प्राप्तकर्ता यंत्र द्वारा ग्र्रहण किया जा सके।
ह्रास Attenuation
प्रेषक से प्राप्तकर्ता
तक पंहुचने के दौरान माध्यम में संप्रेषित
तरंगों की क्षमता में कमी दर्ज की जाती है जिसे ह्रास कहा जाता है।
संवर्धन Amplification
विद्युत परिपथों का
प्रयोग कर संकेत या तरंगों की क्षमता तथा आयाम में वृद्धि करने की प्रक्रिया
संवर्धन कहलाती है। कमजोर तरंगों से सही सूचना प्राप्त करने के लिए संवर्धन आवश्यक
है। इसके द्वारा संकेेतों में आये ह्यस की पूर्ति की जा सकती है। प्रेषक यंत्र तथा
प्राप्तकर्ता यंत्र, दोनों में
संवर्धन के जरिये संकेतों की क्षमता बढ़ायी जाती है। इसके लिए दिष्ट धारा स्त्रोत
का प्रयोग किया जाता है।
परास Range
प्रेषक से प्राप्तकर्ता
के बीच की अधिकतम दूरी जहां तरंगों को ग्रहण कर उससे वांछित तथा विश्वसनीय सूचना
प्राप्त की जा सकती है, उस यंत्र का परास
कहलाता है।
बेसबैंड संकेत Baseband Signal
सूचना या संदेश को उसकी
मूल अवस्था में बेसबैंड कहा जाता है। यह एक निश्चित आवृत्ति की तरंगे नहीं होती
हैं, बल्कि इसमें एक
निश्चित सीमा में कई आवृत्तियों का समावेश होता है।
बैंड्सविड्थ Bandswidth
संप्रेषित तरंगों की
उच्चतम और निम्नतम आवृत्ति सीमा उसका बैंडविड्थ कहलाता है। यह संप्रेषित तरंगों की
आवृत्ति का विस्तार दर्शाता है। निम्न आवृत्ति वाले तरंगों का बैंडविड्थ कम जबकि
उच्च आवृत्ति वाली तरंगों का बैंडविड्थ अधिक होता है। बैंडविड्थ जितना अधिक होगा, संचार की गति उतन
ही तीव्र होगी और सूचना वहन करने की क्षमता भी अधिक होगी। बैंडविड्थ को हर्ट्ज में
मापा जाता है।
सूचना अलग-अलग प्रकार की
हो सकती है। जैसे- ध्वनि,संगीत, चित्र, चलचित्र या
कम्प्यूटर या डाटा। प्रतयेक सूचना का आवृत्ति परास अलग-अलग होता है। उदाहरण के लिए
मनुष्य की आवाज की आवृत्ति परास 300 हर्ट्ज से 3100 हर्ट्ज तक हो सकती
है। अतः इस सूचना को संप्रेषित करने के लिए 3100-300 बराबर 2800 हर्ट्ज की बैंडविड्थ की जरूरत पड़ती है। संगीत की आवृत्ति
परास श्रव्य सीमा अर्थात् 20 हर्ट्जसे 20 किलो हर्ट्ज तक
होती है। अतः इसके विश्वसनीय संप्रेषण के लिए 20 किलो हर्ट्ज का बैंडविड्थ जरूरी होता है। वीडियो सूचना के
लिए 4.2 मेगाहर्ट्ज बैंडविड्थ, जबकि टीवी
प्रसारण (ध्वनि+दृश्य) के लिए 6 मेगा हर्ट्ज बैंडविड्थ की जरूरत पड़ती है।
माॅडयूलेशन Modulation
निम्न आवृत्ति तरंगों को
उनमें ह्यस के कारण अधिक दूरी तक संप्रेषित नहीं किया जा सकता। मूल सूचना
मुख्यतः निम्न आवृत्ति तरंगे ही होती हैं।
इस कारण म्नि आवृत्ति तरंगों को उच्च आवृत्ति तरंगों पर अधिरोपित किया जाता है जो
मूल सूचना को वाहक के रूप में अधिक दूरी तक ले जा सकती है। इस प्रक्रिया को
माॅड्यूलेशन कहा जाता है। माड्यूलेशन का कार्य करने वो यंत्र को माड्यूलेटर कहा
जाता है।
डीमाड्यूलेशन Demodulation
यह माड्यूलेशन के विपरीत
प्रक्रिया है। माड्यूलेशन के बाद ट्रांसमीटर द्वारा संप्रेषित उच्च आवृत्ति तरंगों की सूचना सहित ग्रहण कर
उसमें से वांछित सूचना प्राप्त करने की प्रक्रिया डीमाड्यूलेशन कहलाता है। इसके
लिए डीमाड्यूलेटर या डिटेक्टर का प्रयोग किया जाता है।
रिपीटर Repeater
ह्यस के कारण कमजोर पड़ गए
तरंगों को ग्रहण कर, उन्हें संवर्धित
कर पुनः माध्यम में संप्रेषित करने का काम रिपीटर द्वारा किया जाता है। रिपीटर में प्राप्तकर्ता यंत्र, सवंर्धक तथा
प्रेषक यंत्र तीनों होते हैं। इसमें प्राप्तकर्ता यंत्र तथा प्रेषक यंत्र की
आवृत्ति समान या अलग-अलग हो सकती है। इसके द्वारा तरंगो को अधिक दूरी तक भेजा जा
सकता है तथा संचार के प्रभावी क्षेत्र को बढ़ाया जा सकता है।
ऐंटीना Antenna
प्रेषक यंत्र द्वारा
उत्पन्न विद्युत चुम्बकीय तरंगो को हवा में प्रसारित करने तथा प्राप्तकर्ता यंत्र
द्वारा उन तरंगों को ग्रहण करने का कार्य एंटीना द्वारा किया जाता है।
एंटीना का आकार तरंग के तरंग दैर्ध्य पर निर्भर करताहै। तरंगो के सही संप्रेषण तथा उन्हें ग्रहण करने के लिए एंटीना का आकार तरंग दैध्र्य का एक चैथाई होना चाहिए। निम्न आवृत्ति तरंगों का तरंगदैर्ध्य अधिक होता है, अतः एंटीना का आकार बड़ा होता है, जबकि उच्च आवृत्ति तरंगों का तरंगदैर्ध्य कम होता है, अतः एंटीना का आकार छोटा होता है।
ब्राडबैंड Broad Band
संचार की वह तकनीक जिसमें
विस्तृत परास वाले आवृत्तियों का प्रयोग किया जाता है, ब्राडबैंड कहलाता
है। ब्राडबैंड एक सापेक्षिक शब्द है जो किसी एक की तुलना में विस्तृत होता है।
उदाहरण के लिए यदि कोई रिसीवर एक साथ कई आवृत्तियों को ग्रहण करने में सक्षम हो तो
उसे सामान्य रिसीवर के बजाय ब्राडबैंड रिसीवर कहा जा सकता है। ब्राडबैंड डाटा
संचारण की गति को भी दर्शाता है जो अपेक्षाकृत अधिक डाटा ले जाने में सक्षम है।
ब्राडबैंड में आवृत्तियों
को छोटे-छोटे भागों या चैन में बांटकर पूरी सूचना को एक साथ भेजा जाता है।
ब्राडबैंड में चैनल क्षमता तथा सूचना ले जाने की क्षमता अधिक तथा संचारण की गति
तीव्र होती है।
ब्राडकास्टिंग Broadcasting
श्रव्य या दृश्य संकेतों
का एक विस्तृत क्षेत्र, उपयोगर्ता के लिए
सामान्य प्रसारण ब्राडकाॅस्टिंग कहलाता है। इसमे केवल एक ही दिशा में संचार
स्थापित किया जाता है। कोई भी उपयोगर्ता अपने रिसीवर को उस आवृति पर लगाकर सूचना
ले सकता है। जैसे- रेडियो या टीवी प्रसारण
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