यूनेस्को नेटवर्क में भारत के जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र | UNESCO India's Biosphere Reserve
यूनेस्को नेटवर्क में भारत के जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र
भारत के कुल 18 जैवमंडल आरक्षित क्षेत्रों में से 11 इस सूची में शामिल हो चुके हैं- जो इस प्रकार है-
- नीलगिरि (वर्ष 2000) तमिलनाडु, केरल तथा कर्नाटक।
- मन्नार की खाड़ी (वर्ष 2001), तमिलनाडु।
- सुंदरवन (वर्ष 2001), पश्चिम बंगाल।
- नंदा देवी (वर्ष 2004), उत्तराखंड।
- नोकरेक (वर्ष 2009), मेघालय।
- पंचमढ़ी (वर्ष 2009), मध्य प्रदेश।
- सिमलीपाल (वर्ष 2009), ओडिशा।
- ग्रेट निकोबार (वर्ष 2013), ग्रेट निकोबार।
- अचानकमार-अमरकंटक (वर्ष 2012), म.प्र. छत्तीसगढ़
- अगस्त्यमलाई (वर्ष 2016), केरल एवं तमिलनाडु।
- कंचनजंघा जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र सिक्किम
जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र महत्वपूर्ण तथ्य
कंचनजंघा जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र
कंचनजंघा जैवमंडल आरक्षित
क्षेत्र की स्थापना वर्ष 2000 में हुई थी।
कंचनजंघा हिमालय की
वैश्विक जैवविविधता के केंद्र में है और यहां उप-उष्णकटिबंधीय से लेकर अल्पाइन
पारिस्थितिकी तंत्र का एक व्यापक और अनूठा सिलसिला देखने को मिलता है।
इसके केंद्रीय (कोर) जोन
में 150 हिमनदियां और 73 बर्फानी झीले
हैं।
इनमें से सबसे प्रमुख
प्रसिद्ध जेमु हिमनद है जिसकी लंबाई 26 किमी. है।
यहां जंतुओं की कई ऐसी
नस्लें पाई जाती हैं जिनका अस्तित्व वैश्विक तौर पर खतरे में है जैसे कस्तूरी मृग, बर्फ में रहने वाला
तेंदुआ, लाल पांडा और
हिमालयन तहर।
यह लेपचा, नेपालीज और
भूटिया समेत अनेक स्थानीय समुदायों का निवास स्थान भी है।
कंचनजंघा जैवमंडल आरक्षित
क्षेत्र के भीतर कंचनजंघा राष्ट्रीय पार्क की पहचान सिक्किम के सबसे अहम बर्ड
एरिया यानी पक्षी क्षेत्र के रूप में की गई है।
गौरतलब है कि कंचनजंघा
नेशनल पार्क को वर्ष 2016
में यूनेस्को की
विश्व विरासत सूची में ‘मिश्रित श्रेणी’ में शामिल किया
गया था।
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