व्यंजन संधि किसे कहते हैं | Vyanjan Sandhi
व्यंजन संधिव्यंजन संधि के नियम व्यंजन संधि Vyanjan Sandhi :-
- व्यंजन से स्वर
अथवा व्यंजन के मेल से उत्पत्र विकार को व्यंजन संधि कहते है।
- एक
व्यंजन के दूसरे व्यंजन या स्वर से मेल को व्यंजन-संधि कहते हैं।
- व्यंजन से स्वर अथवा व्यंजन के मेल से उत्पन्न संधि को व्यंजन संधि कहते हैं ।
- व्यंजन के बाद स्वर या व्यंजन आने पर जो परिवर्तन होता है उसे व्यंजन संधि कहते हैं
व्यंजन संधि के नियम
व्यंजन संधि के नियम-01 Vyanjan Sandhi Rules-01
किसी वर्ग के पहले वर्ण
क्, च्, ट्, त्, प् का मेल किसी
वर्ग के तीसरे अथवा चौथे वर्ण या य्, र्,
ल्, व्, ह या किसी स्वर
से हो जाए तो क् को ग् च् को ज्, ट् को ड् और प् को ब् हो जाता है । जैसे -
- (क् + ग = ग्ग) दिक् + गज = दिग्गज
- (क् + ई = गी) वाक् + ईश = वागीश
- (च् + अ = ज्) अच् + अंत = अजंत
- (ट् + आ = डा) षट् + आनन = षडानन
- (प + ज + ब्ज) अप् + ज = अब्ज
व्यंजन संधि Vyanjan Sandhi :-
- व्यंजन से स्वर अथवा व्यंजन के मेल से उत्पत्र विकार को व्यंजन संधि कहते है।
- एक व्यंजन के दूसरे व्यंजन या स्वर से मेल को व्यंजन-संधि कहते हैं।
- व्यंजन से स्वर अथवा व्यंजन के मेल से उत्पन्न संधि को व्यंजन संधि कहते हैं ।
- व्यंजन के बाद स्वर या व्यंजन आने पर जो परिवर्तन होता है उसे व्यंजन संधि कहते हैं
व्यंजन संधि के नियम
व्यंजन संधि के नियम-01 Vyanjan Sandhi Rules-01
किसी वर्ग के पहले वर्ण
क्, च्, ट्, त्, प् का मेल किसी
वर्ग के तीसरे अथवा चौथे वर्ण या य्, र्,
ल्, व्, ह या किसी स्वर
से हो जाए तो क् को ग् च् को ज्, ट् को ड् और प् को ब् हो जाता है । जैसे -
- (क् + ग = ग्ग) दिक् + गज = दिग्गज
- (क् + ई = गी) वाक् + ईश = वागीश
- (च् + अ = ज्) अच् + अंत = अजंत
- (ट् + आ = डा) षट् + आनन = षडानन
- (प + ज + ब्ज) अप् + ज = अब्ज
व्यंजन संधि के नियम-02 Vyanjan Sandhi Rules-02
यदि किसी वर्ग के पहले वर्ण (क्, च्, ट्, त्, प्) का मेल न् या म् वर्ण से हो तो उसके स्थान पर उसी वर्ग का पाँचवाँ वर्ण(ड़् ञ् ण् न् म् ) हो जाता है जैसे -
- (क् + म = ड़्) वाक् + मय = वाड़्मय
- (च् + न = ञ्) अच् + नाश = अञ्नाश
- (ट् + म = ण्) षट् + मास = षण्मास
- (त् + न = न्) उत् + नयन = उन्नयन
- (प् + म् = म्) अप् + मय = अम्मय
व्यंजन संधि के नियम-03 Vyanjan Sandhi Rules-03
त् का मेल ग, घ, द, ध, ब, भ, य, र, व या किसी स्वर
से हो जाए तो द् हो जाता है जैसे -
(त् + ई = दी) जगत् + ईश = जगदीश
(त् + भ = द्भ) भगवत् + भक्ति = भगवद्भक्ति
(त् + र = द्र) तत् + रूप = तद्रूप
(त् + ध = द्ध) सत् + धर्म = सद्धर्म
त् से बाद
- च् या छ् होने पर च
- ज् या झ् होने पर ज्,
- ट् या ठ् होने पर ट्,
- ड् या ढ् होने पर ड्
- ल होने पर ल् हो जाता है
- (त् + च = च्च) उत् + चारण = उच्चारण
- (त् + ज = ज्ज) सत् + जन = सज्जन
- (त् + झ = ज्झ) उत् + झटिका = उज्झटिका
- (त् + ट = ट्ट) तत् + टीका = तट्टीका
- (त् + ड = ड्ड) उत् + डयन = उड्डयन
- (त् + ल = ल्ल) उत् + लास = उल्लास
त् का मेल यदि श् से हो तो त् को च् और श् का छ् बन जाता है
जैसे -
- (त् + श् = च्छ) उत् + श्वास = उच्छ्वास
- (त् + श = च्छ) उत् + शिष्ट = उच्छिष्ट
- (त् + श = च्छ) सत् + शास्त्र = सच्छास्त्र
त् का मेल यदि ह् से हो तो त् का द् और ह् का ध् हो जाता है
जैसे -
- (त् + ह = द्ध) उत् + हार = उद्धार
- (त् + ह = द्ध) उत् + हरण = उद्धरण
- (त् + ह = द्ध) तत् + हित = तद्धित
व्यंजन संधि के नियम-04 Vyanjan Sandhi Rules-05
स्वर के बाद यदि छ् वर्ण आ जाए तो छ् से पहले च् वर्ण बढ़ा दिया जाता है
जैसे -
- (अ + छ = अच्छ) स्व + छंद = स्वच्छंद
- (आ + छ = आच्छ) आ + छादन = आच्छादन
- (इ + छ = इच्छ) संधि + छेद = संधिच्छेद
- (उ + छ = उच्छ) अनु + छेद = अनुच्छेद
व्यंजन संधि के नियम-06 Vyanjan Sandhi Rules-06
यदि म् के बाद क् से म् तक कोई व्यंजन हो तो म् अनुस्वार में बदल जाता है
जैसे -
- (म् + च् = ं) किम् + चित = किंचित
- (म् + क = ं) किम् + कर = किंकर
- (म् + क = ं) सम् + कल्प = संकल्प
- (म् + च = ं) सम् + चय = संचय
- (म् + त = ं) सम् + तोष = संतोष
- (म् + ब = ं) सम् + बंध = संबंध
- (म् + प = ं) सम् + पूर्ण = संपूर्ण
म् के बाद म का द्वित्व हो जाता है
जैसे -
- (म् + म = म्म) सम् + मति = सम्मति
- (म् + म = म्म) सम् + मान = सम्मान
म् के बाद य्, र्, ल्, व्, श्, ष्, स्, ह् में से कोई व्यंजन होने पर म् का अनुस्वार हो जाता है
जैसे -
- (म् + य = ं) सम् + योग = संयोग
- (म् + र = ं) सम् + रक्षण = संरक्षण
- (म् + व = ं) सम् + विधान = संविधान
- (म् + व = ं) सम् + वाद = संवाद
- (म् + श = ं) सम् + शय = संशय
- (म् + ल = ं) सम् + लग्न = संलग्न
- (म् + स = ं) सम् + सार = संसार
व्यंजन संधि के नियम-06 Vyanjan Sandhi Rules-06
ऋ,र्, ष् से परे न् का ण् हो जाता है परन्तु च वर्ग, टव र्ग, त वर्ग, श और स का व्यवधान हो जाने पर न् का ण् नहीं होता
जैसे -
- (र् + न = ण) परि + नाम = परिणाम
- (र् + म = ण) प्र + मान = प्रमाण
व्यंजन संधि के नियम-07 Vyanjan Sandhi Rules-07
स् से पहले अ, आ से भिन्न कोई स्वर आ जाए तो स् को ष हो जाता है
जैसे -
- (भ् + स् = ष) अभि + सेक = अभिषेक
- नि + सिद्ध = निषिद्ध
- वि + सम = विषम
व्यंजन संधि के अन्य उदाहरण
- जगत् + ईश =जगदीश
- तत् + अनुसार =तदनुसार
- वाक् + दान =वाग्दान
- दिक् + दर्शन =दिग्दर्शन
- वाक् + जाल =वगजाल
- अप् + इन्धन =अबिन्धन
- तत् + रूप =तद्रूप
- वाक्+मय =वाड्मय
- अप् +मय =अम्मय
- षट्+मार्ग =षणमार्ग
- जगत् +नाथ=जगत्राथ
- उत् +नति =उत्रति
- स्+श रामस् +शेते =रामश्शेते
- त्+च सत् +चित् =सच्चित्
- त्+छ महत् +छात्र =महच्छत्र
- त् +ण महत् +णकार =महण्णकार
- ष्+त द्रष् +ता =द्रष्टा
- त्+ट बृहत् +टिट्टिभ=बृहटिट्टिभ
- उत्+हत =उद्धत
- उत्+हार =उद्धार
- वाक् +हरि =वाग्घरि
- परि + छेद= परिच्छेद
- शाला + छादन= शालाच्छादन
- आ + छादन= आच्छादन
- जगत् + छाया =जगच्छाया
- उत् + चारण =उच्चारण
- सत् + जन =सज्जन
- तत् + लीन =तल्लीन
- सत् + इच्छा =सदिच्छा
- जगत् + ईश =जगदीश
- तत् + रूप =तद्रूप
- भगवत् + भक्ति =भगवद् भक्ति
- उत् + श्वास =उच्छवास
- सत् + शास्त्र =सच्छास्त्र
- पद् + हति =पद्धति
- उत् + हार =उद्धार
- सम् + तुष्ट =सन्तुष्ट
- सम् + योग =संयोग
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