फ्रांसीसी क्रांति के सामाजिक-आर्थिक कारण
MPPSC Mains 2018 Paper - I Question with Answer
प्रश्न-
1789 ई. की फ्रांसीसी क्रांति के
सामाजिक-आर्थिक कारणों की विवेचना कीजिए ?
उत्तर-
पुरातन फ्रांस में 1789 में घटित विश्व की महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है। फ्रांसीसी क्रांति से राजतंत्र को हटाकर फ्रांस में गणतंत्र की स्थापना हुई।
इस क्रांति से फ्रांस के शासन स्वरूप में पूर्ण
परिवर्तन लाया गया। इस क्रांति ने विश्व को स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के महान नारे प्रदान
किए। फ्रांस की क्रांति का तात्कालिक कारण एस्टेट्स जनरल की बैठक को मतदान की बैठक
को सम्राट द्वारा भंग किया जाना था, लेकिन फ्रांसीसी क्रांति के अनेक
मूलभूत कारण थे जो फ्रांस की पुरातन व्यवस्था से उत्पन्न हुए थे।
फ्रांस की क्रांति के कारण
फ्रांस की क्रांति के लिए अनेक सामाजिक कारण भी
उत्तरदायी थे, जिनमें
से मुख्य निम्नलिखत है-
1- समाज का अधार विशेषाधिकार युक्त वर्ग तथा असमानता
यहां पुरानी सामंतशाही व्यवस्था प्रचलित थी, सारे समाज में घोर असमानता का वातावरण
था। रेम्जेम्योर के शब्दो में, ‘‘फ्रांसीसी क्रांति सामंतवाद की जीर्ण-शीर्ण
सामाजिक व्यवस्था, वर्गीय विशेषाधिकार, निरंकुश शासन व नौकरशाही के विरोध तथा मनुष्य के समानता के दावे और
अधिकार के नवीन सिद्धांतो के आधार मानव समाज के नव-निर्माण के प्रयत्न का साकार
रूप था।‘‘
2- सामंतो का अधिकार
कुलीनों ने अपनी जागीर में शराब की भट्टियों, आटे की चक्कियों में स्वयं की व्यवस्था की थी। अनाज इनके ही द्वारा पिसाना होता था। इनको अलग चक्की लगाने का अधिकार था इस प्रकार सामंतों और पादरियों का बोलबाला था क्योकि राजदरबार में उनका प्रभाव था।
3- निर्धनों पर करों का भार
फ्रांस में कर प्रणाली दूषित थी। चर्च के
अधिकारी, सामंत
करों से पूरी तरह मुक्त थे। जनता को कष्ट उठाने पड़ रहे थे, क्योकि फ्रांस का समाज तीन वर्गों में
बंटा था अथवा असमान वर्गों में विभाजित था। पादरियों का वर्ग जो कि प्रथम था, सबसे प्रभावशील था। वित्तीय तथा न्याय
संबंधी क्षेत्रों में इस वर्ग का प्रभाव था। वे शिक्षा पर नियंत्रण रखते थे करों
से मुक्त थे, गिराजाघर
टिश वसूल करता था।इसी प्रकार दूसरावर्ग कुलीन वर्ग था। कुलीन वर्ग के तीन वर्ग थे-
देहाती कुलीन, छोटे
बाज, ओर
दरबारी कुलीन, कुलीनों
का सामाजिक स्तर दूसरो से भिनन था। ये कर नहीं देते थे। साधारण वर्ग की दशा शोचनीय
थी
फ्रांस की क्रांति के आर्थिक कारण
फ्रांस की राज्य क्रांति के लिए उसकी आर्थिक
स्थिति भी कम उत्तरदायी नहीं थी। क्रांति के प्रमुख आर्थिक कारण इस प्रकार थे-
1- दोषपूर्ण अर्थ का विभाजन
आर्थिक दृष्टि से फ्रांस के समाज का विभाजन
असमानता के आधार पर स्थित था। राज्य का अमीर वर्ग अनेक आर्थिक विशेषाधिकारों से
युक्त था और यह फ्रंास की आधी से अधिक भूमि का स्वामी था, उसे कर नहीं देना पड़ता था, दूसरी ओर 80 प्रतिशत दरिद्र ग्रामीण
जनता थी, जिसे
अपनी आय का 80 प्रतिशत भाग चर्च और सामंतों को देना पड़ता था।
2- विकृत शासन प्रणाली
राज्य की कर प्रणाली अत्यंत विकृत एवं
अन्यायपूणर्् थी। फ्रंास में कर वसूल करने का ठेका दिया जाता था। इस प्रथा के कारण
ठेकेदार प्रजा पर भीषण अत्याचार करते थे। राज्य को वसूल किए गए धन का आधा ही भाग
प्राप्त होता था। इस प्रकार राज्य का कोई विशेष लाभ नहीं होता था। गरीब जनता से
वसूल किया गया धन अत्याचारियों की जेब में चला जाता था।
3- व्यापार की व्यवस्था
इस समय व्यापार भी उन्नत अवस्था में था। फा्रंस
के विभिन्न भागों की व्यापार प्रणाली, नापतौल, पद्धति, मुद्रा प्रणाली, तथा चुंगीकर की दर भिन्न-भिन्न थी।
राज्य को कोई विशेष लाभ नहीं होता था।
4-ऋण भार
भीषण अपव्यय से राष्ट्रीय ऋण दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा था। राज्य को कोई बजट नहीं था। राजकोष रिक्त पड़ा था, सदैव ऋण लिया जाता था। इस प्रकार फ्रंास की आर्थिक दशा डाॅवाडोल हो गई थी। स्थिति यह थी कि ऋण तो ऋण ब्याज चुकाना कठिन हो गया था। लुई 16वें ने इस दिशा में कुछ प्रयत्न किया, किन्तु कुलीनों ने उसकी बात न मानकर भारी भूल की। राष्ट्रीय सभी ने आते ही विशेषाधिकारों को अंत कर दिया और जागीरदारों को अपना रक्त देकर जनता के दोष का प्रतिकार करना पड़ा।
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