गैसीय अवस्था | Gaseous State in Hindi
गैसीय अवस्था
गैस अवस्था में पदार्थ के अणु बहुत-बहुत दूर
होते हैं। तथा उनके मध्य के रिक्त स्थान में स्वतंत्रतापूर्वक विचरण करते हैं। अतः
गैसीय पदार्थ का आकार एवं आयतन दोनों निश्चित नहीं होता है।
द्रव्य (पदार्थ) की तीन अवस्थाओं में से गैसी
अवस्था का व्यवहार सरल तथा समरूप होता है। सभी गैसों का व्यवहार लगभग एक-समान ही
होता है तथा उनकी रासायनिक प्रकृति पर निर्भर नहीं होता।
गैसीय अवस्था की विशेषताएँ Characteristics of Gaseous State
आकार
यह द्रव्य की सबसे अधिक अव्यवस्थित अवस्था है।
गैस के अणुओं का स्थान निश्चित नहीं होता। वह पात्र के संपूर्ण आयतन में व्याप्त
हो जाता है। अतः गैस का कोई निश्चित आकार नहीं होता।
आयतन
गैस का आयतन ताप, दाब, और पात्र पर निर्भर करता है। अतः आयतन
में अनिश्चितता होती है।
गतिज ऊर्जा
गैस के अणुओं में स्थानांतरण, घूर्णन तथा कंपन तीनों प्रकार की गति
संभव है, फलस्वरूप
गैसीय अणुओं में गतिज ऊर्जा उच्च होती है।
संपीड्यता
गैसों में अत्याधिक संपीड्यता पायी जाती है।
प्रसार
गैसों का प्रसार असीमित होता है। गैसें अपने को
समाहित करने वाले पात्र के संपूर्ण आयतन को घेर लेती हैं।
दाब
गैंसे अपने को समाहित करने वाले पात्र की
आंतरिक दीवारों पर दाब उत्पन्न करती हैं। यह दाब गैसीय अणुओं के पास की दीवारों से
टकराने के कारण होता है।
घनत्व
गैसों का घनत्व आयतन अत्यंत कम होता है, क्योंकि गैसीय अणुओं में अन्तराअणुक
स्थान अधिक तथा अन्तराअणुक आकर्षण बल कम
(नगण्य) होता है।
विसरण
गैसें सरलता से विसरित हो जाती हैं तथा आपस में
मिलकर समांगी मिश्रण बनाती हैं।
द्रवण
प्रायः सभी गैसें निम्न ताप पर द्रवित हो जाती हैं। ताप कम होने पर गैसों की गतिज ऊर्जा कम हो जाती है, अणु पास-पास आ जाते हैं तथा अन्राअणुक आकर्षण बढ़ जाता है।
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