रक्त परिसंचरण तन्त्र | Human Blood Circulation GK in Hindi
रक्त परिसंचरण तन्त्र
मानव का रक्त परिसंचरण तन्त्र
हृदय
- यह हृदपेशी से बना मुट्ठी के आकार का अंग है। जो रक्त को पम्प करने का कार्य करता है।
शरीर में हृदय की स्थिति
पेशिजनिक हृदय (Myogenic Heart)
हृदय की बाह्य संरचना (External structure of heart)
बाह्य हृदयावरण (Perinatal Pericardium) -
- यह बाहर की ओर तंतुमय संयोजी उतक तथा अंदर की ओर सरल शल्की उपकला से बना होता है
आंतरिक हृदयावरण (Viscera Pericardium) -
- यह सरल शल्की उपकला से बना होता है।
- दोनों हृदयावरण झिल्लियों के मध्य की संकरे भाग को हृदयावरणी गुहा (Pericardium Cavity) कहते है। जिसमें हृदयावरणी द्रव्य (Pericardium fluid) भरा होता है।
- यह द्रव्य हृदय की बाह्य आघातों से सुरक्षा करता है। तथा स्पंदन में होने वाले घर्षण के दुष्प्रभाव कम करता है।
हृदय की आन्तरिक संरचना (Internal structure of heart)
आलिन्द (Auricles)
- आलिन्द चौड़ा किन्तु छोटा और गहरे रंग को होता है। यह एक खांच द्वारा दायें और बाएं आलिन्दों में विभाजित होता है। इस खांच को अंतराआलिन्द खांच/पट (Interatrial septum) कहते है। दांया आलिन्द, बाये आलिन्दं से बड़ा होता है।
निलय (Vertricles)
फुफ्फुसीय शिरा (Pulmonary Viens)
महाशिरा (Vena cava)
फुफ्फुसीय धमनी (Pulmonary Artries)
- यह धमनी हृदय के दाएँ निलय से विऑक्सीकृत रक्त को फेफड़ो में लेकर जाती है।
मानव का रक्त परिसंचरण तन्त्र
महाधमनी (Aorta)-
कपाट (Valve)-
- दाएँ आलिन्द और दाएँ निलय के बीच तीन पेशी वलनों वाला एक वाल्व पाया जाता है। जिसे त्रिवलनी कपाट या ट्राइकसपिड वाल्व (Tricupsid Valve) कहते है।
- दाएं तथा बाएँ निलयों से निकलने वाली क्रमशः फुफ्फुसीय धमनी तथा महाधमनी का निकास द्वार पर अर्धचन्द्राकार कपाट (Semilunar valve) पाये जाते है।
- पश्च महाशिरा के खुलने वाले स्थान पर एक झिल्लीनुमा वलय युस्टेकियन कपाट (Eustachian valve) पाया जाता है।
- ये कपाट रक्त को एक दिशा में ही जाने देते हैं रक्त के उल्टे प्रवाह को रोकते है।
हृदय की भित्ति (Heart Wall)
- एपीकार्डियम (Epicardium)
- मायोकार्डियम (Myocardium)
- इंडोकार्डियम (Endocardium)
आलिन्द की भित्ति से अनेक लघु पेशीय पटियों के
रूप में आलिन्द की गुहा में उभरी रहती है। इन पेशियों को कन्घाकार पेशियाँ या मस्क्युलाई
पेक्टिनेटाई (musculi
pectinati) कहते
है।
शिराआलिन्द घुण्डी (Sinoatrial node)
आलिन्दनिलय घुण्डी (Atrioventricular node)
- नोडल ऊतक का दूसरा पिण्ड दाहिने आलिन्द में नीचे के कोने पर आलिन्द पट के पास में स्थित होता है जिसे अलिंद निलय पर्व (Atrioventricular node/AVN) कहते है।
अलिंद निलय बंडल (Atrioventricular bundle/ AVबंडल)
पुरकिंजे तन्तु तथा हिज के बंडल (Purkunje fibers/Bundle of his)
- AVबंडल दाई एंव बाई शाखाओं से संक्षिप्त रेशे निकलते हैं, जो पूरी निलय की पेशी में दोनों तरफ फैले रहते हैं, इनको पुरकिंजे तन्तु कहते है। दाई एंव बाई शाखाओं सहित ये तन्तु हिज के बंडल (Bundle of his) कहलाते है।
- नोडल ऊतक (Nodal tissue) बिना किसी बाह्य प्रेरणा के क्रियाविभव (Action Potential) पैदा करने में सक्षम होते है। इसे स्वउतेजनशील ऑटोएक्साइटेबल (Autoexitable) कहते हैं
हृदय का संवहन मार्ग (Conduction pathway of heart)
- सर्वप्रथम हृदय के S.A.Node (Pacemaker) में क्रियाविभव उत्पन होता है जिससे आलिन्द में संकुचन होता है। ये आवेग अन्तरनोडल पथ (Inter nodal pathway) द्वारा A.V.Node तक पहुँचता है जिससे A.V.Node में भी क्रियाविभव उत्पन होता है जो Bundle of His तथा Purkinje fibres द्वारा निलय की पूरी भित्ति में फ़ैल जाते है जिससे निलय में संकुचन होता है
हृदय की क्रियाविधि (Working of heart)
- माना की हृदय अनुशिथिलन अवस्था (Diastole) में है, इस दौरान त्रिवलनी (Tricuspid) तथा द्विवलनी कपाट (Bicuspid valve) खुले हुए है।
- अनुशिथिलन अवस्था (Diastole) में, ऑक्सीजनित रुधिर फुफ्फुस (Lungs) से फुफ्फुसीय शिरा (Pulmonary veins) द्वारा बाएँ आलिन्द (Left atrium) में तथा विऑक्सीजनित रुधिर शरीर से महाशिरा (Aorta) द्वारा दाएँ आलिन्द (Right atrium) में आता रहता है।
- साथ-साथ रक्त बाएँ तथा दाएँ आलिंदों से बाएँ तथा दाएँ निलय में जाता रहता है। लगभग 70% रक्त बिना संकुचन के निलय में आ जाता है।
- इसी दौरान S.A.Node में क्रियाविभव उत्पन होता है, जिससे आलिन्द में संकुचन होता है और दोनों आलिन्दों में उपस्थित शेष 30% रक्त निलय में आ जाता है। आलिन्द के इस संकुचन को आलिन्द प्रकुंचन (Atrial systole) कहते है।
- जब निलय में रक्त भर जाता है तो A.V.Node में भी क्रियाविभव उत्पन होता है जो Bundle of His तथा Purkinje fibres द्वारा निलय की पूरी भित्ति में फ़ैल जाता है और निलय में संकुचन (निलय प्रकुंचन, Ventricular systole) होता है।
- इस दौरान त्रिवलनी (Tricuspid) तथा द्विवलनी कपाट (Bicuspid valve) बंद हो जाते है रक्त बाएँ निलय से महाधमनी द्वारा शरीर के विभिन्न भागों में तथा दाएँ निलय से फुफ्फ्सीय धमनी द्वारा फेफड़ों में पहुंचा दिया जाता है।
- इसी दौरान आलिन्दों एवं निलयों में शिथिलन होता है जिनको क्रमशः आलिन्द एवं निलय शिथिलन (Diastole) कहते है।
रक्तदाब (Blood Pressure)
- निलय में संकुचन के समय जब निलय से रक्त धमनियों में प्रवेश करता है तो धमनियों का रक्तदाब बढ़ (120mmHg) जाता है। जिसे प्रकुंचन दाब (Systolic Pressure) कहते है।
हृदय स्पंदन या धडकन (Heart Beat)
- हृदय की पेशियों (Cardiac Muscle) में नियमित व लयंबद संकुचन होता है जिसे हृदय स्पंदन या धडकन (Heart Beat) कहते है
हृदय चक्र (Cardiac cycle )
- एक हृदय स्पंदन के आरंम से दुसरे स्पंदन के आरंभ होने के बीच के घटनाक्रम को हृद चक्र (cardiac cycle) कहते है।
हृदयपेशी को रक्त की आपूर्ति
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