झारखंड स्थापना दिवस कब मनाया जाता है |Jharkhand Sthapna Divas Kab manay Jata hai
झारखंड स्थापना दिवस कब मनाया जाता है
प्रतिवर्ष 15 नवंबर
- भारतीय संसद द्वारा बिहार पुनर्गठन अधिनियम, 2000 (Bihar Reorganization Act, 2000) पारित होने के बाद वर्ष 2000 में बिहार से अलग झारखंड राज्य की स्थापना की गई थी।
- इस दिन को आदिवासी नेता बिरसा मुंडा (Birsa Munda) की जयंती के रूप में मनाया जाता है, जिसे भगवान बिरसा (Bhagwan Birsa) के नाम से भी जाना जाता है।
झारखंड की स्थापना
- 15 नवंबर, 2000 को बिहार के दक्षिणी हिस्से को काटकर झारखंड की स्थापना भारत संघ के 28वें राज्य के रूप में हुई थी।
- इसमें छोटानागपुर का पठार तथा संथाल परगना के वन क्षेत्र आते हैं।
- इसके पूर्व में पश्चिम बंगाल, पश्चिम में उत्तर प्रदेश एवं छत्तीसगढ़, उत्तर में बिहार तथा दक्षिण में ओडिशा राज्य स्थित हैं।
15 नवंबर को बिरसा मुंडा जयंती क्यों मनाई जाती है ?
- जन्म -15 नवंबर 1875 को झारखंड
- माता पिता - आदिवासी दम्पति सुगना और करमी
- मृत्यु 9 जून 1900
बिरसा मुंडा कौन थे
- बिरसा मुंडा का जन्म वर्ष 1875 में हुआ था। वे मुंडा जनजाति के थे।
- बिरसा का मानना था कि उन्हें भगवान ने लोगों की भलाई और उनके दुःख दूर करने के लिये भेजा है, इसलिये वे स्वयं को भगवान मानते थे। उन्हें अक्सर 'धरती अब्बा' (Dharti Abba) या ‘जगत पिता’ के रूप में जाना जाता है।
- वर्ष 1899-1900 में बिरसा मुंडा के नेतृत्व में हुआ मुंडा विद्रोह छोटा नागपुर (झारखंड) के क्षेत्र में सर्वाधिक चर्चित विद्रोह था। इसे ‘मुंडा उलगुलान’ (विद्रोह) भी कहा जाता है।
- इस विद्रोह की शुरुआत मुंडा जनजाति की पारंपरिक व्यवस्था खूंटकटी की ज़मींदारी व्यवस्था में परिवर्तन के कारण हुई।
- इस विद्रोह में महिलाओं की भूमिका भी उल्लेखनीय रही।
- उन्होंने जनता को जागृत किया और ज़मींदारों एवं अंग्रेज़ों के खिलाफ विद्रोह किया।
- उन्होंने अंग्रेज़ों को करों और साहूकारों को ऋण/ब्याज का भुगतान न करने के लिये जनता को संगठित किया। इस प्रकार उन्होंने ब्रिटिश शासन के अंत और झारखंड में मुंडा शासन (तत्कालीन बंगाल प्रेसीडेंसी क्षेत्र) की स्थापना के लिये विद्रोह का नेतृत्त्व किया।
- उन्होंने दो सैन्य इकाइयों का गठन किया-एक सैन्य प्रशिक्षण एवं सशस्त्र संघर्ष के लिये।
- दूसरी प्रचार के लिये।
- उन्होंने धर्म को राजनीति से जोड़ दिया और एक राजनीतिक-सैन्य संगठन बनाने के उद्देश्य से प्रचार करते हुए गाँवों की यात्रा की।
- फरवरी 1900 में बिरसा मुंडा को सिंहभूम में गिरफ्तार कर राँची ज़ेल में डाल दिया गया जहाँ जून 1900 में उनकी मृत्यु हो गई।
Post a Comment