माड्यूलेशन क्या होता है | Modulation GK in Hindi

माड्यूलेशन
माड्यूलेशन क्या होता है

 

Modulation GK in Hindi

निम्न आवृत्ति तरंगों को ट्रांसमीटर द्वारा संप्रेषण से पहले उच्च आवृत्ति तरंगों पर अधिरोपित करना, ताकि सूचना को दूर तक पहुंचाया जा सके, माड्यूलेशन कहलाता है। उच्च आवृत्ति तरंगों को वाहक तरंग कहा जाता है। माड्यूलेशन में वाहक तरंग के गुणों को संकेत तरंग के आधार पर परिवर्तित किया जाता है ताकि मौलिक तरंग में निहित सूचना बरकरार रहे। 

माड्यूलेशन के लिए दो प्रकार के तरंगों की आवश्यकता होती है।

  1. निम्न आवृत्ति तरंगें
  2. उच्च आवृत्ति तरंगें

निम्न आवृत्ति तरंगें

सूचना या संदेश सामान्यतः निम्न आवृत्ति तरंगें होती हैं। निम्न आवृत्ति तरंगों को ज्यादा दूरी तक नहीं भेजा जा सकता है। इसके कई कारण हैं।

एंटीना का बड़ा आकार

  • किसी तरंग को संप्रेषित करने के लिए एंटीना की जरूरत पड़ती है।एंटीना का आकारतरंग दैध्र्य का कम से कम (λ /4) होना चाहिए। निम्न आवृत्ति वाले तरंगों का तरंग दैर्ध्य बड़ा होता हैं अतः एंटीना का आकार भी बड़ा होता है। यदि सूचना को उच्च आवृतित तरंगों पर माड्यूलेट कर दिया जाए तो उसे छोटे आकार के एंटीना द्वारा अधिक दूरी तक संप्रेषित किया जा सकता है।
एंटीना की क्षमता
  • एंटीना द्वारा संप्रेषित क्षमता आवृत्ति का समानुपाती तथा तरंग दैर्ध्य का व्युत्क्रमानुपाती होता है। अतः समान आकार के एंटीना के लिए उच्च आवृत्ति पर उसकी संप्रेषण क्षमता अधिक होती है। इस कारण इसके द्वारा अधिक दूरी तय की जा सकती हैं. 

सूचना की विश्वसनीयता

  • निम्न आवृत्ति तरंगों का बैंडविड्थ कम होता है। अतः सूचनाओं के एक-दूसरे के साथ घुलमिल जाने की संभावना अधिक होती है तथा चैनल क्षमता कम होती है। इसके विपरीत, उच्च आवृत्ति तरंगों की चैनल क्षमता अधिक तथा सूचनाओं के आपस में घुलमिल जाने की प्रवृत्ति कम होती है।

माड्यूलेशन के प्रकार Types of Modulation

  • तरंग माड्यूलेशन Sine wave modulation
  • पल्स माड्यूलेशन Pulse modulation

तरंग माड्यूलेशन Sine Wave Modulation

किसी तरंग के तीन गुण होते हैं- आयाम, आवृत्ति तथा कला। माड्यूलेशन के लिए वाहक तरंगों के इन गुणों में से किसी एक को सूचना तरंगो के अनुरूप बदला जाता है ताकि माड्यूलेशन के बाद प्राप्त तरंगों में सूचना निहित हो। 

तरंग माड्यूलेशन तीन प्रकार के हो सकते हैं

1. आयाम माड्यूलेशन AM- Amplitude Modulation

  • इसमें वाहक तरंगों के आयाम को सूचना तरंगों के आयाम के आधार पर बदला जाता है, जबकि आवृत्ति और कला नियत रहते हैं। इसका प्रयोग ध्वनि तरंगों के प्रसारण जैसे- रेड़ियो आदि में किया जाता है। ऐसी तरंगें बिजली कड़कने या अन्य विद्युत उपकरणों द्वारा प्रभावित होती है तथा इनमें शोर भी अधिक होता है।


2. आवृत्ति माड्यूलेशन FM-Frequency Modulation

  • इसमें वाहक तरंगों की आवृत्ति को सूचना तरंगों के आयाम के आधार पर बदला जाता हैं जबकि आयाम और कला नियत रहते हैं। आवृत्ति माड्यूलेशन में विश्वसनीयता ज्यादा होती है तथा ये विद्युत उपकरणों द्वारा पैदा तरंगों, जो मुख्यतः आयामी तरंगें  होती हैं, से प्रभावित नहीं होती। अतः इसमें शोर क्रम, प्रसारण की गुणवत्ता, अच्छी तथ बैंडविड्थ अधिक होता है। टेलीविजन तथा रेड़ियो प्रसारण में इसका उपयोग किया जा रहा है।


3. कला माड्यूलेशन PM- Phase Modulation

  • इसमें वाहक तरंगों की कला को सूचना तरंगों के आयाम के आधार पर बदला जाता है जबकि आयाम और आवृत्ति नियत रहते हैं।

पल्स माड्यूलेशन Pulse Modulation

डिजिटल संकेतों के प्रसारण के लिए पल्स माड्यूलेशन का प्रयोग किया जाता है। इसमें वाहक तरंगों के पल्स को सूचना के आधार पर परिवर्तित किया जाता है।

पल्स माड्यूलेशन के प्रकार

1. पल्स आयाम माड्यूलेशन PAM- Pulse Amplitude Modulation 

  • वाहक तरंगों के पल्स आयाम को सूचना तरंगों के अनुसार बदला जाता है। पल्स का आयाम सूचना तरंगों के विभव के अनुसार बढ़ता या घटता है।

2. पल्स समय माड्यूलेशन या पल्स विड्थ माड्यूलेशन PDM-Pulse Duration Modulation or PWM- Pulse Width Modulation

  • वाहक तरंगों का पल्स समय या पल्स चैड़ाई सूचना तरंगों के विभव के आधार पर बदला जाता है। अधिक विभव के लिए पल्स समय चैड़ाई अधिक व कम विभव के लिए पल्स समय या चैड़ाई कम होता है।

3. पल्स स्थिति माड्यूलेशन PPM- Pulse Position Modulation

  • वाहक तरंगों के पल्स की स्थिति सूचना तरंगों के आधार पर बदला जाता है। सूचना तरंग का आयाम अधिक होने पर पल्स की स्थिति में बदलाव भी अधिक होता है।

4. पल्स कोड माड्यूलेशन PCM- Pulse Code Modulation

  • अन्य सभी पल्स माड्यूलेशन एनालाॅग सूचना के आधार पर किये जाते हैं जबकि पल्स कोड माड्यूलेशन का प्रयोग डिजिटल सूचना के माॅडयूलेशन के लिए किया जाता है। वाहक तरंगों के पल्स को बाइनरी आधारित सूचना (0 से 1 के अनुसार बदला जाता है।

डिजिटल संचार ( Digital Communication)

डिजिटल माड्यूलेशन

अधिकांश सूचना या संदेश एनालाॅग तरंगों के रूप में होते हैं। परन्तु इसमें शोर, त्रुटि और हास अधिक होता है। इस दोष को दूर करने के लिए डिजिटल संचार का उपयोग किया जाता है। इसमें एनालाॅग सूचना को सोर्स इनकोडर द्वारा बाइनरी कोडेड सूचना (0 या 1 में बदला जाता है। और इसे वाहक तरंगो पर अधिरोपित कर माध्यम में संप्रेषित किया जाता है। इसे डिजिटल माड्यूलेशन कहा जाता है।



डिजिटल माड्यूलेशन के प्रकार

1.आयाम शिफ्ट कीइंग ASK- Amplitude Shift Keying
  • वाहक तरंगों को डिजिटल सूचना के आयाम के आधार पर परिवर्तित किया जाता है। डिजिटल डाटा के अनुसर, वाहक तरंगों के आयाम 0 या 1 हो सकता है।

2. आवृत्ति शिफ्ट कीइंग FSK- Frequency Shift Keying

  • वाहक तरंगों की आवृत्ति को डिजिटल डाटा के अनुसार बदला जाता है। डाटा के शून्यम मान के लिए आवृत्ति अपरिवर्तित रहती है जबकि डाटा के 1 मान के लिए आवृत्ति बढ़ती है।

3. कला शिफ्ट कीइंग PSK- Phase Shift Keying

  • वाहक तरंगों की कला को डिजिटल डाटा के अनुरूप परिवर्तित किया जाता है।

 

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