राजा भोज परमार की राजनीतिक तथा सांस्कृतिक उपलब्धियां
राजा भोज परमार की राजनीतिक तथा सांस्कृतिक उपलब्धियां
(MPPSC MAINS 2018 QUESTION )
मध्य प्रदेश के मध्ययुगीन इतिहास में राजा भोज ऐसे राजा हुए हैं, जो कलम एवं तलवार दोनों में सिद्धहस्त थे और साहित्य तथा रण में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने में सफ रहे।
सिन्धु राज के उत्तराधिकारी पुत्र राजा भोज को
मध्य युग के सुप्रसिद्ध शासकों में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। उन्होंने धार
नगरी को बसाकर उसे परमार वंश की राजधानी बनाया । भोज ने कल्याणी के चालुक्यों को
हराया, उन्होंने इन्द्रप्रस्थ नामक शासक, लाट के कीर्तिवर्मन तथा शिलाहारवंशी
कोशोदेव से कोकण के प्रदेश जीत लिए। परिजात मंजरी, उदयपुर प्रशस्ति और फालवन अभिलेख के अनुसार राजा भोजन ने त्रिपुरी के
कचुरी गोगेयदेव, शाकभरी के चैहान नरेश वीर्यराम को
पराजित किया, किंतु बुंदेलखंड के चंदेल ग्वालियर के
कच्छपघात वंश कके कीर्तिराज गुर्जर के विरूद्ध युद्ध में असफल रहे। गुजरात के
चमुण्डराज से अपने पिता की हार का बदला लेने
लिए भोज ने उसे अपमानित किया। भोज ने चालुक्यों की राजधानी अहिन्लबाड़ पर
आक्रमण कर उसे लूटा, किन्तु कालान्तर में कल्याणी क चालुक्य
नरेश सोमेश्वर प्रथम ने भोज को हराकर धार नगरी को लूटा, परन्तु भोज ने अपने खोए हुए प्रदेश को
पुनः प्राप्त कर लिया।
राजा भोज ने अपने पड़ोसी राज्यों से लगातार
युद्ध करके उन्हें पराजित किया था। परिणामस्वरूप गुजरात के चालुक्य शासक भीम प्रथम
कलचुरी कर्ण ने एक संघ बनाकर भोज पर आक्रमण कर दिया। भोज युद्ध के दौरान बीमार पड़
गये और दिवंगत हो गए। उनके उत्तराधिकारी जयसिंह ने शत्रुओं के समक्ष
आत्मसमर्पण कर दिया और मालवा का क्षेत्र
उनके हाथ से निकल गाया।
राजा भोज के साम्राज्य में मालवा, भिलसा, खानदेश, बांसवाड़ा, चित्तोड़, डूंगरपुर, गोदावरी घाटी तथा कोंकण का कुछ हिस्सा
शामिल था। उन्होंने प्राचीन राजधानी उज्जैन को छोड़कर धार को अपनी राजधानी बनाया
था।
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