अर्थव्यवस्था में राज्य की भूमिका |Role of state in economy in Hindi
अर्थव्यवस्था में राज्य की भूमिका
अर्थव्यवस्था को संगठित करने का विवाद वास्तव
में इस बात के इर्द-गिर्द घूमता रहा है कि अर्थव्यवस्था में राज्य सरकार की क्या
भूमिका होनी चाहिए। अर्थव्यवस्था में राज्य की तीन भूमिका स्पष्ट होती हैं-
1- अर्थव्यवस्था के नियामक की भूमिका:
इसके अंतर्गत राज्य प्रमुख आर्थिक नीतियां बनाता है और उनका
कार्यान्वयन करता है। आर्थिक नियामक की भूमिका पूंजीवादी, राज अर्थव्यवस्था और मिश्रित
अर्थव्यवस्था तीनों में ही राज्य के पास रही है।
2- निजी वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादनकर्ता और आपूर्तिकर्ता की भूमिका:
इसके अंतर्गत राज्य को दो रूप में निर्वाह कर सकता है। प्रथम रूप, जिसके अंतर्गत इन उत्पादों को नागरिकों तक बिना किसी मूल्य के आपूर्ति की जाती है जैसा कि राज अर्थव्यवस्थाओं (सामाजवादी और साम्यवादी) में होता था।
दूसरे रूप में राज्य इन
उत्पादों को उपभोक्ता तक बाजार व्यवस्था के अनुसार पंहुचाता है, जैसा कि मिश्रित अर्थव्यवस्थाओं में
वर्तमान में दिखता है जहां सरकारी कंपनियां निजी कंपनियों की तरह यह कार्य मुनाफा
या फिर सब्सिडी देकर कर रही हैं।
3- ‘लोक वस्तुओ‘ या ‘समाजिक वस्तुओं के आपूर्ति की भूमिका
इसके अंतर्गत स्वास्थ्य, शिक्षा, आवास, समाजिक सुरक्षा इत्यादि सुविधाओं को
सरकार द्वारा बिना किसी भुगतान के जनता को पहुंचाया जाता है। इनका भुगतान पूरी
अर्थव्यवस्था (सरकार) करती है। पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में राज्य यह भूमिका नहीं
निभाता।
उपरोक्त तीनों भूमिकाओं के मिश्रित चयन से तीन
प्रकार की आर्थिक प्रणालियों का उद्भव हुआः
राज्य की भूमिका के आधार पर आर्थिक प्रणाली
1- पूंजीवादी अर्थव्यवस्था
इसमें सरकार सिर्फ नियामक की भूमिका निभाती थी
और शेष दोनों भूमिकाएं निजी क्षेत्र के पास थीं।
2- राज अर्थव्यवस्था
इसमें सरकार ही तीनों भूमिकाएं निभाती थीं और
निजी क्षेत्र की लगभग कोई आर्थिक भूमिका नहीं थी।
3- मिश्रित अर्थव्यवस्था
इस अर्थव्यवस्था में राज्य प्रथम और तीसरी
भूमिका तो अपने पास पूर्णतया रखती है, दूसरी
भूमिका का विकल्प भी मुक्त होता है। लेकिन निजी क्षेत्र की भी वृहद् भूमिका होती
हैं
इस प्रकार राज्य अलग-अलग आर्थिक भूमिकाएं निभा
सकता है। राज्य की संभावित इन आर्थिक भूमिकाओं का उद्भव रातो-रात नहीं हुआ था
बल्कि पूंजीवादी, समाजवादी/साम्यवादी, और मिश्रित अर्थव्यवस्था के उदय के साथ
हुआ था। इन आर्थिक व्यवस्थाओं के अनुभवों को ध्यान में रखकर ही विश्व बैंक ने अपनी
विश्व विकास बैंक रिपोर्ट 1999 में अर्थव्यवस्था में राज्य की सबसे
बेहतर आर्थिक भूमिका पर टिप्पणी की थी, जिसे
आज सारा विश्व सहमति प्रदान करता है।
इसके अनुसार-
किसी अर्थव्यवस्था में राज्य की भूमिका क्या हो? उसका निर्धारण उसकी सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक स्थितियों के द्वारा तय किया जाना चाहिए। इस रिपोर्ट द्वारा यह स्पष्ट हो गया कि अर्थव्यवस्था में सभी आर्थिक भूमिकाओं का राज्य या बाजार के अधीन होना कभी भी एक उचित आर्थिक माॅडल नहीं है। इसके लिए राज्य और बाजार का एक संतुलित मिश्रण आवश्यक है और यह मिश्रण अलग-अलग अर्थव्यवस्थाओं के लिए अलग-अलग प्रकार का होता है।
प्रश्न -
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