सूफी सिलसिला सामान्य ज्ञान | Sufi Silsila GK in Hindi

सूफी सिलसिला सामान्य ज्ञान | Sufi Silsila Samanya Gyan

Sufi Silsila GK in Hindi


  • सूफी सिलसिलों को मुख्यतः दो भागों में बाँटा जाता है- बा-शरा अर्थात् जो इस्लामी कानून (शरा) का पालन करते थे और बे-शरा अर्थात् जो शरा से बंधे हुए नहीं थे।
  • बे-शरा सिलसिलों में घुमक्कड़ सिलसिले आते थे। यद्यपि इन संतों ने किसी नए सिलसिले की स्थापना नहीं की, तथापि उनमें से कई हिंदुओं तथा मुसलमानों के मध्य समान रूप से लोकप्रिय हुए।
  • भारत में चिश्ती सिलसिले की स्थापना ख्वाज़ा मुइनुद्दीन चिश्ती ने की थी जो पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु (1192 ई.) के बाद भारत आए। 
  • चिश्ती तथा सुहरावर्दी सिलसिले बा-शरा (इस्लामी कानूनों का पालन) विचारधारा से प्रभावित थे।
  • फरीदुद्दीन गंज-ए-शकर की गतिविधियों के केंद्र हाँसी (आधुनिक हरियाणा) तथा अजोधन (पंजाब) थे। अजमेर मुइनुद्दीन चिश्ती की गतिविधियों से संबंधित है।
  • फरीदुद्दीन गंज-ए-शकर के उदारवादी दृष्टिकोण के कारण उनके कुछ छंदों को सिखों के आदि ग्रंथमें भी शामिल कर लिया गया।
  • सूफी संतों ने गायन के माध्यम से जिसे समाकहा जाता था, लोकप्रियता अर्जित की। ऐसा माना जाता था कि समाके माध्यम से ईश्वर से सान्निध्य की अनुभूति होती है।
  • सूफी संत अक्सर गायन के लिये हिंदी छंदों का चुनाव करते थे, क्योंकि इस तरह से वे श्रोताओं को अधिक प्रभावित कर सकते थे।
  • निजामुद्दीन औलिया यौगिक प्राणायाम करने में इतना पारंगत थे कि लोग उन्हें सिद्ध पुरुषकहते थे।
  • सुहरावर्दी सिलसिले ने भारत में लगभग उसी समय प्रवेश किया था जब चिश्तियों ने किया था, परंतु उनकी गतिविधियाँ मुख्य रूप से पंजाब और मुल्तान तक सीमित थी। इस सिलसिले के प्रसिद्ध संत शेख सुहरावर्दी तथा हमीदुद्दीन नागौरी थे।
  • चिश्तियों के विपरीत सुहरावर्दी संत गरीबी का जीवन बिताने में विश्वास नहीं करते थे। उन्होंने राज्य की सेवा स्वीकार की और उनमें कुछ लोग मजहबी विभाग में ऊँचे पदों पर थे। दूसरी ओर चिश्ती संत राज्य की राजनीति से अलग रहना पसंद करते थे और शाहों तथा अमीरों की संगति से दूर रहते थे।
  • अमीर हसन-ए-देहलवी को भारत का सादीकहा जाता है।
  • शेख हुसैनी गेसूदराज तथा शेख बुरहान का संबंध दक्षिण भारत में सूफी मत के प्रचार प्रसार से था।
  • दक्षिण में चिश्ती सिलसिले की नींव शेख बुरहान ने रखी जो निजामुद्दीन औलिया के शिष्य थे। इन्होंने दौलताबाद को अपना स्थायी निवास बनाया।
  • शेख हुसैनी गेसूदराज ने चिश्ती सिलसिले को दक्षिण भारत में प्रोत्साहन दिया तथा गुलबर्गा में इस्लामी ज्ञान के प्रसार के लिये विशाल मदरसे की स्थापना की।
  • पंद्रहवीं सदीं में महान अरब दार्शनिक इब्न-ए-अरबी के अद्वैतात्मक विचारों को भारत में बहुत बड़े वर्ग के मध्य लोकप्रियता मिली।
  • अरबी मान्यता थी की सभी जीव तत्त्वतः एक हैं और सब कुछ एक ही परमतत्त्व की अभिव्यक्ति है। जीवमात्र की एकता का अरबी सिद्धान्त तौहीद-ए-वजूदीनाम से जाना जाता है।
  • सूफियों में हिन्दी भजन निरन्तर लोकप्रिय होते गए। हिन्दी भजनों का प्रयोग उनमें इतना लोकप्रिय हो गया था कि अब्दुल वहीद बेलग्रामी नामक एक प्रसिद्ध सूफी विचारक ने हकैक-ए-हिन्दीशीर्षक से पुस्तक की रचना की, जिसमें उसने सूफी रहस्यवादी संदर्भ में कृष्ण, मुरली, गोपी, यमुना आदि शब्दों के अर्थ स्पष्ट करने की कोशिश की है।

सूफी संतों का क्रम 

  • मुइनुद्दीन चिश्ती → बख्तियार काकी → फरीदुद्दीन गंज-ए-शकर → निजामुद्दीन औलिया
  • उल्लेखनीय है कि चिश्ती संतों में सबसे प्रसिद्ध निजामुद्दीन औलिया तथा नासिरुद्दीन चिराग-ए-देहलवी थे। वे सादगीपूर्ण जीवन व्यतीत करते थे तथा सबसे हिंदवी (हिंदी) में बात करते थे।

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