दूरसंचार सेवाएं सामान्य ज्ञान | Tele Communication Services GK
दूरसंचार सेवाएं सामान्य ज्ञान
Tele Communication Services GK
टेलीग्राफ- टेलीग्राफ क्या होता है What is Telegraph
टेलीग्राफ प्रणाली में उच्च आवृत्ति तरंगों को
स्विच के माध्यम से बीच-बीच में बाधित कर तार के माध्यम से कोडेड सूचना को एक
स्थान से दूसरे स्थान पर भेजा जाता है। इस प्रणाली की खोजन 1837 में सैमुअल मोर्स द्वारा की गई थी।
जिनके नाम पर मोर्स कोड भी कहा जाता है। तार के माध्यम से प्रथम संदेश 1844 में अमेरिका में भेजा गया था। 1850 में अमेरिका और यूरोप के बीच ट्रांस
अटलांटिक टेलीग्राफ सेवा का प्रारंभ किया गया। भारत में टेलीग्राफ सेवा का आरंभ 1853 में आगरा और कलकत्ता के बीच किया गया।
इसका प्रयोग तार के माध्यम से तीव्र संदेश भेजने में किया जाता रहा। पहले इसकी गति
धीमी थी पर वर्तमान में 400 शब्द प्रति मिनट की दर से संदेश भेजा
जा सकता है।
टेलीप्रिंटर - टेलीप्रिंटर क्या होते हैं What is Teleprinter
यह एक प्रकार की स्वचलित टाइपराइटर है जिसे तार
के माध्यम से आपस में जोड़कर संदेश व सूचनाओं का आदान प्रदान किया जाता है। इसमें
संदेश को किसी एक मशीन पर टाइप किया जाता है। टाइप किये गये संदेश को विद्युत
तरंगों में बदलकर तार के माध्यम से भेजा जाता है जहां वह दूरस्थ मशीन पर स्वतः
मुद्रित हो जाता है। इसकी सहायता से 60-100 शब्द प्रति मिनट की दर से संदेश भेजे जा सकते हैं। अब तार भेजने के
लिए टेलीप्रिंटर का वृहद प्रयोग किया जा रहा है।
टेलेक्स - टेलेक्स क्या होते हैं What is Telex
यह मुद्रित संदेशों का आदान-प्रदान की आधुनिक व्यवस्था है। इसमें विभिन्न टेलीप्रिंटर या इलेक्ट्रानिक टाइपराइटर को टेलीफोन से जोड़कर संदेशों का आदान-प्रदान किया जाता है। टेलेक्स नेटवर्क में टेलीफोन द्वारा वांछित नंबर डायल कर दो टेलेक्स मशीन को आपस में जोड़ा जाता है । तथा मुद्रित सूचनाओं का आदान प्रदान किया जाता है। इस सेवा का आरंभ 1963 में किया गया था।
टेलीफोन What is Telephone
ध्वनि संकेतों को दूरस्थ स्थानों तक पहुंचाने के
लिए टेलीफोन का प्रयोग किया जाता है। टेलीफोन के आविष्कार का श्रेय संयुक्त राज्य
अमेरिका के ग्राहम बेल 1876 को जाता हैं भारत में टेलीफोन का
प्रचलन 1931 से प्रारंभ हुआ। टेलीफोन सेट में
माइक्रोफोन, ट्रांसमीटर, रिसीवर, तथा लाउड़स्पीकर होता है। ध्वनि तरंगे माइक्रोफोन द्वारा ग्रहण कर
विद्युत चुंबकीय प्रेरण द्वारा विद्युत तरंगों में बदल दी जाती हैं ये विद्युत
तरंगे ट्रांसमीटर द्वारा संवर्धित कर भौतिक माध्यमों पर संप्रेषित कर दी जाती हैं
जिसे दूरस्थ टेलीफोन रिसीवर द्वारा ग्रहण कर पुनः संवर्धित किया जाता है। टेलीफोन
का लाउडस्पीकर इन विद्युत तरंगों को पुनः ध्वनि तरंगों में बदल देता है। इस प्रकार
दूर बैठे व्यक्ति आपस में ध्वनि संदेशों को आदान प्रदान करते हैं।
विभिन्न टेलीफोन उपकरणों को आपस में जोड़ने के
लिए टेलीफोन एक्सचेंज की स्थापना की जाती है जो टेलीफोन द्वारा डायर किये गये
अंकों को ग्रहण कर उसके अनुसार स्विचिंग का कार्य करते हैं तथा एक उपभोक्ता को
दूसरे से जोड़ने का कार्य करते हैं। इसलिए इसे पब्लिक स्विच्ड टेलीफोन नेटवर्क भी
कहा जाता है। बिना टेलीफोन एक्सचेंज के भी दो टेलीफोन को स्थायी तौर पर जोड़ा जाता
है जिसे हाॅटलाइन कहते हैं।
ईपीबीएक्स EPABX- Electronic Private Automatic Branch Exchange
यह इलेक्ट्रानिक उपकरणों पर आधारित एक स्विचिंग
तकनीक है जिसका प्रयोग एक निश्चित क्षेत्र के भीतर टेलीफोन द्वारा बिना ऑपरेटर के
संचार स्थापित करने के लिए किया जाता है। इसके द्वारा आपस में जुड़े टेलीफोन के
अलावा दूरस्थ टेलीफोन से भी संपर्क स्थापित किया जा सकता है। इससे टेलीफोन के साथ
अन्य कई सुविधाएं भी प्राप्त की जा सकती हैं।
मल्टी प्लेक्सिंग क्या होती है Multiplexing
मल्टी प्लेक्सिंग वह क्रिया है जिसमें कई
एनालाॅग या डिजिटल संकेतों को उनकी अलग-अलग पहचान बनाए रखते हुए एक साथ मिश्रित
किया जाता है ताकि उन्हें किसी एक माध्यम पर भेजा जा सके। प्राप्तकर्ता उन संकेतों
को ग्रहण कर प्रत्येक संकेत को अलग-अलग करता है जिसे डिमल्टी प्लेक्सिंग या डीमक्स कहा जाता है। डीमल्टी प्लेक्सिंग
मल्टीप्लेक्सिंग की विपरीत क्रिया है। ऐसा संसाधानों के महत्तम उपयोग के लिए किया जाता
है। इस प्रक्रिया के द्वारा किसी एक माध्यम पर एक साथ कई संदेश प्रेषित किए जा
सकते हैं।
मल्टीप्लेक्सिंग में मुख्यतः दो तकनीक का
प्रयोग किया जाता है
1- Frequency Division Multiplexing- FDM
इसमें माध्यम के बैंडविड्थ को अनेक छोटे भागों
में बांटकर उसे अलग-अलग चैनल के रूप में प्रयोग किया जाता है।
2- Time Division Multiplexing- TDM
इसमें माध्यम पर उपलब्ध समय को छोटे-छोटे भागों
में बांटा है तथा प्रत्येक चैनल के लिए एक निश्चित समय आवंटित होता है।
Post a Comment